Introduction
Key Rebellions : Halka rebellion (1774-1779), Bhopal Patnam (1795), Paralkot rebellion (1825), Tarapur rebellion (1842-54), Marien rebellion (1842-63), First freedom struggle (1856-57), Koi revolt (1859), Muria rebellion (1876), Rani rebellion (1878-82), Bhumkal rebellion (1910)
हल्बा विद्रोह (Halba Rebellion, 1774-1779)
- नेतृत्व – डोंगर के गवर्नर अजमेर सिंह
- विद्रोह का मूल कारण – लंबे समय तक चलने वाला अकाल था जिसने उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया जिनके पास खेती के लिए बहुत कम ज़मीन थी।
- परिणाम – अंग्रेजों और मराठों द्वारा समर्थित सेनाओं ने बस्तर की मजबूत सेनाओं को कुचल दिया, हालाँकि विद्रोह के कारण बाद में चालुक्य वंश का पतन हुआ।
भोपालपट्टनम संघर्ष (Bhopal Patnam 1795)
- नेतृत्व –
- विद्रोह का मूल कारण –
- परिणाम –
परलकोट विद्रोह (Paralkot rebellion, 1825)
- नेतृत्व – गेंद सिंह अबूझमाड़िया
- विद्रोह का मूल कारण – मराठों और अंग्रेजों की लूट, डकैती और शोषण से मुक्त, के विरूद्ध 24 दिसम्बर, 1824 को परलकोट में आदिवासी एकत्र हुए, बस्तर के प्रभारी सुपरिन्टेन्डेंट ने चांदा के कैप्टन पीव से सहायता माँगी।
- परिणाम – गेंदसिंह को 20 जनवरी 1825 को फाँसी
तारापुर विद्रोह (Tarapur conflict, 1842-54)
- नेतृत्व – दलगंजन सिंह
- विद्रोह का मूल कारण – एंग्लो मराठा आदिवासी जबरन करों के विरोध में
- परिणाम – मेजर विलियम्स के द्वारा कर वृद्धि के आदेश को वापस लिया गया
मेरिया/माड़िया/मारिया विद्रोह (Maria conflict, 1842-1863)
- नेतृत्व – हिड़मा मांझी
- विद्रोह का मूल कारण – मानव बलि प्रथा सामाप्ति के विरोध में (दंतेश्वरी मंदिर में नरबलि प्रथा प्रचलित थी, जिसमें दी जाने वाली बलि को मेरिया कहते थे।)
- परिणाम –
लिंगागिरी विद्रोह (Lingagiri rebellion, 1856) बस्तर का मुक्ति संग्राम (Freedom struggle of Bastar)
- नेतृत्व – धुरवा राम माड़िया
- विद्रोह का मूल कारण – बस्तर साम्राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय करने के विरोध में
- परिणाम – धुरवा राव माड़िया को 5 मार्च 1856 ई. को फांसी दे दी गई।
- 10 दिसम्बर 1857 – शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी
- 1858 – सिपाही विद्रोह की शुरूआत
कोइ विद्रोह (Koi revolt, 1859)
- नेतृत्व – नागुल दोरला
- विद्रोह का मूल कारण – साल वृक्ष कि कटाई को रोकना, नारा ‘एक साल वृक्ष के पीछे एक व्यक्ति का सिर’
- परिणाम –
मुरिया विद्रोह (Muria rebellion, 1876)
- नेतृत्व – झाड़ा सिरहा
- विद्रोह का मूल कारण – अंग्रेजों की ऑटोक्रेसी नीति एवं गोपीनाथ कपड़दार को दीवान बनाना
- परिणाम – 2 मार्च 1876 को बस्तर में काला दिवस, मैक जॉर्ज ने 8 मार्च 1876 को जगदलपुर में मुरिया दरबार का आयोजन
रानी विद्रोह (Rani rebellion, 1878)
- नेतृत्व – जुगराज कुंवर देवी
- विद्रोह का मूल कारण –
- परिणाम –
भूमकाल विद्रोह (Bhumkal Rebellion, 1910)
- नेतृत्व – गुण्डाधुर, रानी सुवर्णकुंवर व दीवान लाल कालेंद्र ने इस विद्रोह का नेतृत्व गुण्डाधुर के हाथों में सौंपा था।
- दीवान – बैजनाथ पण्डा
- विद्रोह का मूल कारण – वनों के उपयोग एवं शराब बनाने पर प्रतिबंध का विरोध, रूद्र प्रताप देव को सत्ता से हटाने हेतु
- परिणाम –