छत्तीसगढ़ी जनउला (पहेलियाँ)
छत्तीसगढ़ी जनउला (पहेलियाँ) छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों द्वारा अपनी लोक भाषा छत्तीसगढ़ी में प्रयोग की जाती है इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है जो इस भाषा को और भी ज्यादा लोकप्रिय बनाता है। हम इस पोस्ट में आपको कुछ महत्वपूर्ण छत्तीसगढ़ी जनउला को बताने जा रहे है।
- फूल फूले रिंगी चिंगी, फर फरे लमडोरा – मुनगा/सहजन
- कुमरा बुहुदा खून खाए – इमली ; कुबरा बुढ़वा नून खाय – इमली
- पानी के भीतर काँस के लोटा – सूर्य
- एक चिरई अइसा, पूँछी मा दू पइसा – मोर
- तनक से फुदकी फुदकत जाय, नौ सौ अड़वा पारत जाय – सुई
- नानकुन टूरा, बुलक-बुलक के पार बाँधय – सुई धागा
- पर्रा भर लाई, अगास भर बगराई – तारे
- घरे नी आय राघ, दुआरे भैंस बांध –
- काटे ले कटाय नहीं, लोगे ले बोंगाय नहीं – छाया
- मुट्ठी भर आटा घर घर बांटा – अंजोर
- पंडरा खेत पर करिया नागर – कलम
- मूंजे मुसुवा रूख चढ़े – टंगिया
- एक फकीर जेखर पेट मा लकीर –
- पांच भाई के. एके अंगना –
- रात मां गरू, दिन मा हरू –
- जादा मीठा ना कीरा परय –
- ‘ठड़गा नाचे टींगे-टींग’ जनउला इंगित करता है – ढेंकी
- आठों पहर चौसठ घड़ी, नर पर नारी चढ़ी – तुलसी वृक्ष
- सूक्खा डबरी मां बकुला फटफटावे – मुर्रा
- तरी तेलई ऊपर तेलई तेमां चूरे बड़े मिठाई – बोबरा
- पांच भाई के एके अंगना – हथेली
- एक गोड़ में सौ उन घुंघरू – मूंगफली
- खौर सुपारी बंगला पान, डौका डौकी के बाइस कान – रावण और मंदोदरी
- अलार दे, दुलार दे, ले के कचार दें – छेना (कण्डा)
- दस खीला जड़े हे, दरबार म पड़े हे – पतरी
- आय लुलु जाय लुलु पानी ला डराय लुलु – जूता
- कारी गाय कलिंदर खाय, दुहते जाय पनहाते जाय – कुंआ
- नानचून बियारा में खीरा बीजा – दांत
- पूछी में पानी पियय भूँडी ललियाय – तेल का दीया
- ऊपर पचरी नीचे पचरी बीच में मोंगरी मछरी – जीभ
- नानकुन टूरी बुटानी असद पेट, कहाँ जाबे टूरी रतनपुर देस – मिर्चा
- नानकुन चिरई डुवा असन पेट कहां जाबे चिरई रतनपुर देस – चिट्ठी
- गोरिया खेत के करिया बीज – पेपर और स्याही
- एक जगा मढ़ाय अउ सब जगा फैल जाय – दीपक
- बिना पंख के सुवना, उड़ि चलत अकास, रुप रंग इनके नहीं, मरै न भूख पियास – आत्मा/जीवात्मा
- एक हड़िया, जे मा दु रंग के पानी – अंडा
- एक रूख में तीन ठी साग – खेड़ा
- खोड़ोर खोड़ो खोडरी, छय आंखी तीन बोड़री – दो बैल और एक आदमी
- छिदक छिदक छिदक फूल धारा राजा होइन मंजूर, तभी न मिलिस छिदक फूल – गूलर फूल
- लबरा देवता अऊ खरी के अवाही – झूठा देवता और उसके लिए खली का नैवेद्य
- कमईया बर भाजी भात खसुहा बर सोहारी – योग्य व्यक्ति के साथ भेदभाव करना
- नयाँ खूँटा में बाँध सटिया – बैल
- बीच तरिया में गोबर चोथा – कछुआ
- तन पर नहीं लत्ता, पान खाये अलबत्ता – झूठा दिखावा करना
- गाड़ा भर गेहूं म एक ठन गोटी – चंदा चन्द्रमा
नोट : नए प्रश्न आने पर इस पेज को समय-समय पर अपडेट किया जाता है।