Chapter 17 : SDGs [CG Economic Survey 2024-25]
मुख्य बिन्दु
- सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoS&PI) को राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क (NIF) विकसित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है, इस फ्रेमवर्क के सांख्यिकीय संकेतक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर SDGs की निगरानी के लिए एक प्रमुख आधार प्रदान करते हैं और विभिन्न SDGs के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के परिणामों को वैज्ञानिक रूप से मापते हैं। वर्तमान में SDGs की प्रगति को मापने के लिए NIF में 290 संकेतक और 169 वैश्विक लक्ष्य शामिल है।
- एसडीजी इंडिया इंडेक्स नीति आयोग द्वारा विकसित एक उपकरण है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति की दिशा में भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति को ट्रैक करना है।
- राज्य नीति आयोग हर साल एसडीजी राज्य और जिला रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिसमें एसडीजी पीएमयू टीम की मदद और UNICEF के तकनीकी सहयोग का योगदान है। इसके अलावा, राज्य नीति आयोग ने एसडीजी डैशबोर्ड भी विकसित किया है।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य एवं जिला संकेतक ढांचा को प्रस्तुत करने के पहले ‘छत्तीसगढ़ का एसडीजी विजन 2030’ रिपोर्ट भी प्रकाशित किया है, जिसमें सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए राज्य का दृष्टिकोण शामिल है, जिसमें 2024 तक की 7 वर्षीय रणनीतियों और 2030 तक की तीन वर्षीय कार्य योजनाओं को भी शामिल किया गया है।
17.1 पृष्ठभूमि –
‘सतत् विकास’ एक अवधारणा है जिसका उद्देश्य वर्तमान पीढ़ियों की आवश्यकताओ को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनो की उपलब्धता सुरक्षित रखना है। इसमें पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि और विकास हासिल करने के तरीके खोजना शामिल है। सतत् विकास शब्द 1987 में संयुक्त राष्ट्र की “Our Common future” रिपोर्ट में गढ़ा गया था, जिसे ब्रंटलैंड रिपोर्ट के रूप में भी जाना जाता है।
पूर्व में सतत् विकास की पारंपरिक अवधारणा मे तीन प्रमुख तत्वो आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश, और पर्यावरण संरक्षण के आधार पर अवलोकन किया जाता था, वर्तमान मे सतत् विकास की अवधारणा में दो और महत्वपूर्ण तत्वों भागीदारी और शांति को जोड़ा गया है, जो इसे और अधिक समावेशी और बेहतर बनाते है।
चित्र-1: सतत विकास के 5 आयाम
एजेंडा 2030 द्वारा यह विशेष रूप से रेखांकित किया गया है कि लक्ष्यों की प्रगति को मापने के लिए गुणवत्ता, विश्वसनीयता, और सुसंगत संकेतकों (indicators) एवं संबंधित आंकड़ों की आवश्यकता होगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी व्यक्ति पीछे न रहे।
अक्टूबर 2015 में, संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य देशों ने वैश्विक समानता, मानवाधिकार, और न्याय को बढ़ावा देने के लिए सतत् विकास लक्ष्यों को अंगीकृत किया। इनमें 17 उद्देश्य और 169 वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं, जो मानवता के समक्ष अनेक चुनौतियों का समाधान करने के लिए निर्धारित किए गए हैं। सतत् विकास के 17 उद्देश्यों का प्रभावी मूल्यांकन करने के उद्देश्य से, इन्हें 5 प्रमुख आयामों में वर्गीकृत किया गया है। लोग (People), धरती (Planet), समृद्धि (Prosperity), शांति (Peace), और साझेदारी (Partnership)। इन पांच आयामों को सामूहिक रूप से “5 पीज” (5Ps) के नाम से भी जाना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों के तहत, देशों को इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वीकार्यता सुनिश्चित करने और एक राष्ट्रीय फ्रेमवर्क स्थापित करने की अपेक्षा की गई है। इन लक्ष्यों का कार्यान्वयन और सफलता अनिवार्य रूप से देशों की अपनी सतत् विकास नीतियों, योजनाओं, और कार्यक्रमों पर निर्भर करेगा।
चित्र-2ः सतत् विकास के 5Ps
संयुक्त राष्ट्र एसडीजी दिशानिर्देश
सतत विकास लक्ष्य (SDGs) में वर्ष 2030 तक विश्व भर में सभी रूपों और आयामों में गरीबी के समापन की एक साहसिक प्रतिबद्धता शामिल है। इस पहल का उद्देश्य सबसे कमजोर समूहों की पहचान कर उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाना, सभी पुरुषों, महिलाओं, बच्चों, और बुजुर्गों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना, बुनियादी संसाधनों एवं सेवाओं को बढ़ाना, और जलवायु-संबंधित आपदाओं से प्रभावित समुदायों को समर्थन देना है।
राष्ट्रीय जिम्मेदारीः देशों से अपेक्षित है कि वे एसडीजी प्रक्रिया को अपनाएं और 17 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा स्थापित करें।
हितधारकों का योगदानः सभी हितधारकों, जैसे कि सरकारी संस्थाएं, नागरिक समाज, और गैर-सरकारी संगठन (NGOs), से इस एजेंडे को साकार करने में योगदान देने की उम्मीद की जाती है।
निगरानी और संकेतकः सरकारों को राष्ट्रीय लक्ष्यों और वैश्विक लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी में सहायता के लिए अपने स्वयं के राष्ट्रीय संकेतक विकसित करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
नीतियों और कार्यक्रमों का विकासः एसडीजी के कार्यान्वयन और सफलता के लिए, देशों को अपनी सतत विकास नीतियों, योजनाओं, और कार्यक्रमों का निर्माण करना आवश्यक है।
प्रगति की समीक्षाः 2030 तक, एसडीजी लक्ष्यों और वैश्विक लक्ष्यों में हुई प्रगति की राष्ट्रीय. क्षेत्रीय, और वैश्विक स्तर पर अनुवर्ती कार्रवाई और समय-समय पर समीक्षा करना प्रत्येक देश की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
डेटा संग्रहणः प्रगति की निगरानी के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाइयों को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ, और समय पर डेटा संग्रहण की आवश्यकता है, साथ ही क्षेत्रीय अनुवर्ती कार्रवाई और समीक्षा भी आवश्यक है।
विश्व के राष्ट्राध्यक्षों ने सितम्बर 2019 में आयोजित सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के शिखर सम्मेलन के दौरान, विश्व के राष्ट्राध्यक्षों ने शेष 10 वर्षों को ‘कार्यवाही का दशक” (Decade of Action) के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों को जुटाना, राष्ट्रीय कार्यान्वयन को बढ़ावा देना, और संस्थानों की क्षमता को सशक्त करना है।
इस संदर्भ में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने समाज के सभी क्षेत्रों से तीन स्तरों पर कार्रवाई की
आवश्यकता पर जोर दिया:-
1. वैश्विक कार्रवाई (Global Action) सतत् विकास लक्ष्यों के लिए अधिक नेतृत्व, संसाधन, और प्रभावशाली समाधानों को सुरक्षित करने के लिए एक समन्वित वैश्विक प्रयास की
आवश्यकता है।
2. स्थानीय कार्रवाई (Local Action) सरकारों, नगर निगमों, और स्थानीय अधिकारियों के नीतियों, बजट, संस्थानों, और नियामक ढांचे में आवश्यक बदलावों को अपनाने के लिए स्थानीय स्तर पर परिवर्तन लाना अनिवार्य है।
3. लोगों की कार्रवाई (People Action): युवाओं, नागरिक समाज, मीडिया, निजी क्षेत्र, श्रम
संगठनों, शिक्षाविदों, और अन्य हितधारकों द्वारा आवश्यक परिवर्तनों के लिए एक सक्षम आंदोलन उत्पन्न करना आवश्यक है।
यह “कार्यवाही का दशक” केवल नीति निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी समुदायों के सक्रिय योगदान को भी आवश्यक समझता है, ताकि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
चित्र-3: एसडीजी के संक्षिप्त इतिहास
17.2 सतत् विकास लक्ष्य-
लक्ष्य-1: गरीबी का अंत एस.डी.जी. 1 का केंद्रीय विषय गरीबी का उन्मूलन है। गरीबी एक
बहुआयामी स्थिति है, जो केवल आय की कमी या संसाधनों तक पहुँच को ही नहीं दर्शाती, बल्कि यह भूख, कुपोषण, सीमित अवसरों, सामाजिक भेदभाव, और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थता के रूपों में भी प्रकट होती है। सभी रूपों में गरीबी की समाप्ति मानवता के लिए एक कठिन चुनौती है।
लक्ष्य-2: भुखमरी समाप्त करना एस.डी.जी.-2 का उद्देश्य वर्ष 2030 तक सभी लोगों, विशेषकर कमजोर परिस्थितियों में रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह लक्ष्यों में ग्रामीण विकास और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ कृषि उत्पादकता और आय को दोगुना करना शामिल है। सतत कृषि को बढ़ावा देना, छोटे किसानों का समर्थन करना, और भू-प्रौद्योगिकी के साथ बाजारों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना, भुखमरी और गरीबी के उन्मूलन के लिए आवश्यक उपाय हैं। कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में निवेश को सुनिश्चित करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
लक्ष्य-3: आरोग्य एवं कल्याण एस.डी.जी.-3 का उद्देश्य सभी अवस्थाओं में स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, जो सतत् विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लक्ष्य सभी प्रमुख स्वास्थ्य प्राथमिकताओं जैसे संक्रामक, असंक्रामक, और पर्यावरणीय रोग, प्रजनन स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के अंतर्गत सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण, और किफायती दवाओं एवं टीकों की पहुँच को शामिल करता है। इसके प्रयास बाल मृत्यु दर को कम करने, मातृ स्वास्थ्य में सुधार करने तथा एच.आई.वी एड्स, मलेरिया और अन्य रोगों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाने पर केंद्रित हैं।
लक्ष्य-4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एस.डी.जी.-4 का उद्देश्य सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और जीवनभर सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना है, जो लोगों के जीवन और सतत विकास के लिए आवश्यक है। इस लक्ष्य का ध्यान सभी लड़के और लड़कियों द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को पूरा करने और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के समान अवसर सुनिश्चित करने पर है। इसमें किफायती व्यावसायिक प्रशिक्षण तक समान पहुँच उपलब्ध करवाना, लैंगिक और आर्थिक असमानताओं को समाप्त करना और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच बनाए रखना भी शामिल है।
लक्ष्य-5: लैंगिक समानता एस.डी.जी. 5 का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाले सभी प्रकार के भेदभाव का अंत करना है। सभी प्रकार के विभेद का उन्मूलन न केवल एक मौलिक मानवाधिकार है, बल्कि यह समाजों के सतत् भविष्य के लिए भी आवश्यक है। महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, सम्मानजनक कार्य, और राजनीतिक एवं आर्थिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समान प्रतिनिधित्व प्रदान करने से स्थायी अर्थव्यवस्था की दिशा में प्रगति संभव है और व्यापक रूप से समुदायों तथा मानवता को लाभ होगा। महिलाओं को भूमि और संपत्ति, यौन और प्रजनन, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी तथा इंटरनेट पर समान अधिकार देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज सरकारी कार्यालयों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, जो लैंगिक समानता को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।
लक्ष्य-6: शुद्ध जल एवं स्वच्छता एस.डी.जी. 6 सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। यह लक्ष्य वैश्विक स्तर पर जल प्रबंधन की प्रासंगिकता को दर्शाता है। शुद्ध जल और स्वच्छता से लोगों को रोगों से बचाया जा सकता है और उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। जल की कमी और उसकी खराब गुणवत्ता, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों की खाद्य सुरक्षा, आजीविका और शिक्षा के अवसरों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। एजेंडा 2030 इस बात पर जोर देता है कि ताजे जल के स्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्रों का सतत् प्रबंधन सामाजिक विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए जरूरी है।
लक्ष्य-7: किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा एस.डी.जी.-7 का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना और सभी के लिए आधुनिक एवं सतत ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। ऊर्जा का योगदान विकास के इंजन को चलाने में महत्वपूर्ण है और यह समाज के समग्र विकास में निर्णायक भूमिका निभाता है। सतत् ऊर्जा न केवल आर्थिक अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह जीवन स्तर को भी सुधार सकती है।
लक्ष्य-8: सम्मानजनक कार्य एवं आर्थिक विकास एस.डी.जी.-8 सतत एवं समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में केंद्रित है जो उच्च उत्पादकता और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से संभव है। इसका मुख्य उद्देश्य उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है साथ ही बंधुआ मजदूरी, दासता और मानव तस्करी के उन्मूलन के लिए प्रभावी उपाय करना है। यह लक्ष्यों में 2030 तक पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार का सृजन, अनौपचारिक रोजगार में कमी और सुरक्षित कार्य वातावरण का विकास शामिल है।
लक्ष्य-9: उद्योग, नवाचार एवं अवसंरचना एस.डी.जी.-9 लचीले आधारभूत ढांचे का निर्माण करने, समावेशी और सतत् औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने और नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए है। यह लक्ष्य बुनियादी ढांचा, औद्योगिकीकरण और नवाचार के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और टिकाऊ आधारभूत ढांचे का विकास सुनिश्चित करता है. जिससे आर्थिक विकास एवं मानव कल्याण को समर्थन प्राप्त होता है। विभिन्न अवसंरचना क्षेत्रों में निवेश जैसे परिवहन, सिंचाई और ऊर्जा, कई देशों के सतत् विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
लक्ष्य-10: असमानताओं में कमी लाना एस.डी.जी.-10 का उद्देश्य देशों के भीतर और उनके बीच असमानताओं को कम करना है। यह उम्र, लिंग, दिव्यांगता, धर्म और अन्य स्थिति के आधार पर आय में असमानताओं को लक्षित करता है। आय और धन की असमानता गंभीर समस्याएं हैं, जो विकास में बाधा डालती हैं और लोगों को अवसरों से वंचित करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक गरीबी की स्थिति उत्पन्न होती है।
लक्ष्य-11: संधारणीय शहर एवं समुदाय एस.डी.जी.-11 का उद्देश्य शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और संवहनीय बनाना है। वर्तमान में विश्व की आधी से अधिक आबादी शहरों में निवास करती है इसलिए शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए, यह लक्ष्य नए रोजगार और अवसरों के सृजन को बढ़ावा देता है, जिससे गरीबी में कमी आती है।
शहरी विकास राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के अवसर प्रदान करता है। सतत शहरी विकास के लिए संसाधनों के प्रभावी उपयोग, प्रदूषण में कमी और गरीबी को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह लक्ष्य आधारभूत ढांचे, ऊर्जा, आवास की उपलब्धता और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ शहरों के समग्र विकास की चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास करता है।
लक्ष्य-12: उत्तरदायी उपभोग एवं उत्पादन एस.डी.जी. 12 का उद्देश्य उत्तरदायी उपभोग एवं उत्पादन के प्रतिमान सुनिश्चित करना है। यह लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग, ऊर्जा दक्षता, और टिकाऊ आधारभूत संरचना को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इसके तहत बुनियादी सेवाओं तक सभी की पहुंच, हरित और सम्मानजनक कार्य सुनिश्चित करना तथा गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करना शामिल है।
इस लक्ष्य के अंतर्गत जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के माध्यम से सतत् उपभोग और अपशिष्ट में कमी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए विशेष नीतियों और पर्यावरणीय हानिकारक पदार्थों के बेहतर प्रबंधन के नवीन वैश्विक अनुबंधों के माध्यम से अधिक सतत् उपभोग और उत्पादन प्रतिमानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
लक्ष्य-13: जलवायु कार्रवाई एस.डी.जी.-13 जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता पर जोर देता है। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट बन चुका है, जिसका सामना दुनिया बढ़ते समुद्री स्तर, विषम मौसम की घटनाओं और ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता के रूप में कर रही है। यह विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है। इस लक्ष्य का मुख्य उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना है, जिसके लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता और क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक है। प्रभावी अनुकूलन योजनाओं, जोखिमों के खिलाफ लचीलेपन का निर्माण और राष्ट्रीय नीतियों में जलवायु संबंधित उपायों का समावेश इस लक्ष्य के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इसके अलावा यह प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है और देशों के बीच साझेदारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता को उजागर करता है।
लक्ष्य-14: जल में जीवन एस.डी.जी. 14 महासागरों, समुद्रों और जलीय संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है। यह लक्ष्य समुद्री जीवन को प्रभावित करने वाली कई चुनौतियों जैसे कि समुद्री पोषक तत्वों का प्रदूषण, संसाधनों की कमी, जैव विविधता का हास और महासागरों के अम्लीकरण का समाधान खोजना चाहता है। ये सभी समस्याएं मानव व्यवहार से उत्पन्न हुई हैं। इस लक्ष्य के अंतर्गत कई सुधारात्मक उपाय शामिल हैं, जैसे:-
- प्रभावी मत्स्य पालन नियमों को लागू करना,
- समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना,
- महासागरों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाना,
- लघु स्तर के मछुआरों को समुद्री संसाधनों एवं बाजारों तक पहुँच प्रदान करना।
सतत विकास लक्ष्य के सारांश
लक्ष्य-15. भूमि पर जीवन एस.डी.जी. 15 का लक्ष्य स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित, पुनःस्थापित कर और सतत् उपयोग करना है। यह मरूस्थलीकरण को रोकने, भूमि और वनों के क्षरण को रोकने और जैव विविधता की हानियों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है। स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे कि वन और आर्द्रभूमि, उपयोगी वस्त्र, खाद्य, निर्माण कच्चा माल और जल गुणवत्ता सेवाएं प्रदान करते हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने और कृषि उत्पादकता को बनाए रखने में भी मदद करते हैं।
लक्ष्य-16: शांति, न्याय एवं सुदृढ संस्थाएं एस.डी.जी.16 शांति और समावेशी समुदायों को बढ़ावा देने, न्याय तक पहुँच और प्रभावी संस्थानों के निर्माण पर जोर देता है। हिंसा और सशस्त्र संघर्ष सतत विकास के लिए गंभीर चुनौतियाँ हैं। यह लक्ष्य पारदर्शी शासन और न्याय प्रणाली, अपराध और यौन हिंसा को कम करने, मानव तस्करी और बाल अधिकारों से संबंधित हिंसा का समाधान करने की दिशा में काम करता है।
लक्ष्य-17: लक्ष्यों के लिये भागीदारियां एस.डी.जी.17 सतत विकास लक्ष्यों के लिए साझेदारियों को बढ़ावा देने और वैश्विक हिस्सेदारी को पुनर्जीवित करने का आह्वान करता है। यह सभी स्तरों पर समावेशी साझेदारियों को विकसित करता है जो लोगों और पृथ्वी को केंद्र में रखते हैं।
17.3 सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता –
भारत ने वैश्विक स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए “कार्यवाही दशक” की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने प्रारंभ किए हैं। इस कार्यवाही दशक का दशक के दौरान, राष्ट्रीय नीति आयोग द्वारा 2030 के एजेण्डा के अंतर्गत भारत में SDGs के कार्यान्वयन की निगरानी की जा रही है। नीति आयोग इस एजेण्डा के कार्यान्वयन में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जो सहयोगात्मक और प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित है।
नीति आयोग का मुख्य उद्देश्य SDGs को समाहित करना, कार्यान्वयन और निगरानी के प्रयासों में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विकास संगठनों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, थिंक टैक्स और नागरिक समाज संगठनों के सहयोग से कार्य करना है। इसका लक्ष्य केवल SDGs पर आवधिक आंकड़ों का संकलन करना नहीं है, बल्कि लक्ष्यों एवं लक्षितताओं की प्राप्ति में गुणवत्ता के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना भी है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoS&PI) को राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क (NIF) विकसित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है, जो SDGs और संबंधित लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी में सहायता करता है। इस फ्रेमवर्क के सांख्यिकीय संकेतक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर SDGs की निगरानी के लिए एक प्रमुख आधार प्रदान करते हैं और विभिन्न SDGs के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के परिणामों को वैज्ञानिक रूप से मापते हैं।
इस दिशा में, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने NIF तैयार किया है तथा यू.एन. इंडिया के सहयोग से एक राष्ट्रीय SDGs डैशबोर्ड का विकास भी किया है। NIF में SDGs संकेतकों की समीक्षा एक निरंतर प्रक्रिया है. जिसमें मंत्रालय अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर वर्तमान संकेतकों की उपयुक्तता और प्रासंगिक लक्ष्यों के लिए नए संकेतकों का परीक्षण करता है। वर्तमान में SDGs की प्रगति को मापने के लिए NIF में 290 संकेतक और 169 वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं।
इस प्रकार, भारत की SDGs के प्रति प्रतिबद्धता केवल नीति निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य सतत विकास को प्रोत्साहित करना, समावेशी नीतियों का निर्माण करना और सर्वांगीण प्रगति सुनिश्चित करना है।
17.4 एसडीजी इंडिया इंडेक्स नीति आयोग द्वारा विकसित एक उपकरण है, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति को ट्रैक करना है। इसका मुख्य लक्ष्य नीति निर्माताओं को उन क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता करना है जहाँ ध्यान और संसाधनों की आवश्यकता है, साथ ही एसडीजी के प्रति प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। यह समग्र रूप से देश की प्रगति की निगरानी में भी मदद करता है।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स 1.0 का शुभारंभ दिसंबर 2018 में हुआ, जिसमें 62 संकेतकों का उपयोग किया गया था। इसके बाद, एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2.0 दिसंबर 2019 में जारी हुआ, जिसमें 100 संकेतकों का समावेश था और 16 एसडीजी लक्ष्यों में से 54 टारगेट्स का ध्यान रखा गया। एसडीजी इंडिया इंडेक्स 3.0, जो 2021 में प्रस्तुत किया गया जिसमें 109 संकेतकों का उपयोग हुआ और 16 लक्ष्यों में से 70 टारगेट्स पर ध्यान केंद्रित किया गया। वर्तमान में एसडीजी इंडिया इंडेक्स 4.0, जिसे 2024 में लॉन्च किया गया है जिसमें 113 संकेतकों का उपयोग किया गया है और यह 16 लक्ष्यों में से 70 टारगेट्स को कवर करता है।
इंडेक्स में प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का समग्र स्कोर उनके प्रदर्शन के औसत के आधार पर निर्धारित होता है, जो 0 से 100 के बीच होता है। यह स्कोर उन लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करता है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके स्कोर के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- अचीवर (Achiever): इंडेक्स स्कोर 100
- फ्रंट रनर (Front-Runner): इंडेक्स स्कोर 65-99
- परफॉर्मर (Performer): इंडेक्स स्कोर 50-64
- एस्पिरेंट (Aspirant): इंडेक्स स्कोर 50 से कम
एसडीजी इंडिया इंडेक्स 4.0 के निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
- 28 में से 24 राज्य फ्रंट रनर श्रेणी में थे, जबकि 4 राज्य परफॉर्मर श्रेणी में वर्गीकृत हुए। सभी 8 केंद्र शासित प्रदेशों ने भी फ्रंट रनर श्रेणी में स्थान प्राप्त किया।
- राज्यों का स्कोर 57 से 79 के बीच था, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों का स्कोर 65 से 77 के बीच। यह 2020-21 की तुलना में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जब राज्यों का स्कोर 52 से 75 और केंद्र शासित प्रदेशों का स्कोर 62 से 79 के बीच था।
- केरल एवं उत्तराखण्ड संयुक्त रूप से 79 के स्कोर के साथ शीर्ष स्थान पर रहें, जबकि चंडीगढ़ ने 77 के स्कोर के साथ केंद्र शासित प्रदेशों में शीर्ष स्थान बनाए रखा।
भारत का समग्र स्कोर 2020-21 में 66 से बढ़कर 2023-24 में 71 हो गया है, जो यह दर्शाता है कि भारत ने एसडीजी हासिल करने की दिशा में अपनी यात्रा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सभी राज्यों ने 2 से 8 अंकों के बीच स्कोर में सुधार किया है।
17.4.1 एसडीजी इंडिया इंडेक्स में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन-
छत्तीसगढ़ की यात्रा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में “दृढ़ संकल्प और सरलता का प्रेरक उदाहरण” साबित हो रही है। यहाँ एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2021 में छत्तीसगढ़ के प्रदर्शन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु प्रस्तुत किए जा रहे हैं:
समग्र स्कोर और श्रेणी 2021 में छत्तीसगढ़ का समग्र स्कोर 61 अंक था, जिसके चलते यह 28 राज्यों में 19वें स्थान पर रहा। यह परफॉर्मर श्रेणी में वर्गीकृत हुआ।
प्रगति: 2021-24 के दौरान राज्य के स्कोर में 6 अंकों का बढ़ोतरी (समग्र स्कोर 67) हुआ है। इस अवधि में निम्नलिखित लक्ष्यों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई।
लक्ष्य-1 (शून्य गरीबी), लक्ष्य-4 (गुणवत्ता शिक्षा), लक्ष्य-6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता), लक्ष्य-7 (किफायती और साफ ऊर्जा), लक्ष्य-8 (शालीन काम और आर्थिक विकास), लक्ष्य-12 (सतत् उत्पादन और उपभोग), तथा लक्ष्य-15 (भूमि पर समृद्ध जीवन)।
विशेष ध्यान वाले लक्ष्य सरकार को कुछ लक्ष्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिनका समग्र स्कोर 50 से नीचे है।
लक्ष्य-2 (शून्य भुखमरी), लक्ष्य-9 (आधारभूत संरचना), लक्ष्य-13 (जलवायु परिवर्तन) फ्रंट रनर स्थान: छत्तीसगढ़ ने नौ लक्ष्यों में फ्रंट रनर श्रेणी में स्थान प्राप्त किया है:
लक्ष्य-1, लक्ष्य-6, लक्ष्य 7, लक्ष्य 8, लक्ष्य 10, लक्ष्य 11. लक्ष्य-12, लक्ष्य-15, तथा लक्ष्य-16 |
परफॉर्मर श्रेणी: लक्ष्य-3. लक्ष्य-4, और लक्ष्य-5 में इसे परफॉर्मर श्रेणी में स्थान मिला है।
आकांक्षी श्रेणी: लक्ष्य-2, लक्ष्य-9, और लक्ष्य-13 आकांक्षी श्रेणी में वर्गीकृत हुए हैं।
सबसे बड़ी छलांगः छत्तीसगढ़ ने कई लक्ष्यों में महत्वपूर्ण अंक की बढ़ोतरी हुई है, जैसे:
17.5 सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति छत्तीसगढ़ की प्रतिबद्धता –
राज्य के समग्र विकास के लिये राज्य सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है वर्ष 2030 तक एस. डी. जी. के लक्ष्यों को अर्जित करने के अपने प्रयासों को गति प्रदान की गई है। राज्य में एस. डी. जी. के क्रियान्वयन के संदर्भ में सम्पादित की गई कुछ प्रमुख गतिविधियां निम्न प्रकार हैं।
17.5.1 संस्थागत व्यवस्था –
छत्तीसगढ़ सरकार ने एसडीजी की समीक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी राज्य नीति आयोग (RNA) को सौंपी है। एसडीजी की प्रगति के सुचारू कार्यान्वयन और निगरानी के लिए राज्य सरकार ने 23 जनवरी 2021 को राज्य योजना आयोग के नेतृत्व में तीन समितियों का गठन किया है। जो निम्न है (1) माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एसडीजी (State Level Steering Committee-SLSC) पर राज्य स्तरीय संचालन समिति (2) मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एसडीजी पर राज्य स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समिति (State Level Implementation and Monitoring Committee-SLIMC) और (3) एसडीजी कार्यान्वयन की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करने और निगरानी के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में एसडीजी पर जिला स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समिति (District Level Implementation and Monitoring Committee – DLIMC |
चित्र 7 एसडीजी निगरानी के लिए संस्थागत व्यवस्था
17.5.2 छत्तीसगढ़ राज्य एवं जिला संकेतक ढांचा (Chhattisgarh State and District
Indicators Framework SIF and DIF) का निर्माण –
छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य एवं जिला संकेतक ढांचा को प्रस्तुत करने के पहले “छत्तीसगढ़ का एसडीजी विजन 2030” रिपोर्ट भी प्रकाशित किया है, जिसमे सतत् विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए राज्य का दृष्टिकोण शामिल है, जिसमें 2024 तक की 7-वर्षीय रणनीतियों और 2020 तक की तीन वर्षीय कार्य योजनाओं को भी शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ में एसडीजी की प्रगति की निगरानी के महत्व और इसके लिए विश्वसनीय डेटा की आवश्यकता को समझते हुए, राज्य योजना आयोग ने वैश्विक संकेतक ढांचा और राष्ट्रीय संकेतक ढांचा के आधार पर 2021 मे (1) छत्तीसगढ़ राज्य संकेतक फ्रेमवर्क (CG-SIF) और 2022 मे (2) छत्तीसगढ़-जिला संकेतक ढांचा (CG-DIF) विकसित किया।
छत्तीसगढ़ राज्य एवं जिला संकेतक ढांचा को प्रस्तुत करने हेतु राज्य योजना आयोग के नेतृत्व मे सतत विकास संबंधित राज्य की विभिन्न विभागों, नीति आयोग (NITI Aayog) की प्रतिनिधियों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों (UN Organisations) मूलतः यूनिसेफ (UNICEF) और अन्य हितधारकों के साथ भी उचित परामर्श किए गये है।
17.5.3 छत्तीसगढ़ एसआईएफ तैयार करने के लिए परामर्श प्रक्रिया –
वर्ष 2021 में, छत्तीसगढ़ मे राज्य योजना आयोग के नेतृत्व में और UNICEF छत्तीसगढ़ के तकनीकी सहायता से छत्तीसगढ़ एसआईएफ को प्रस्तुत किया है। छत्तीसगढ़ एसआईएफ तैयार करने के लिए सहभागी परामर्श प्रक्रिया राज्य योजना आयोग के नेतृत्व में कई चरणों द्वारा संचालित की गई है जो इस प्रकार हैं-
छत्तीसगढ़ एसआईएफ तैयार करने के पहले चरण मे एसडीजी से संबंधित राज्य के विभागों की पहचान की गई है और सीजी एसआईएफ की तैयारी में आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा नोडल अधिकारी नामित किए गए।
दूसरे चरण में 11 समूहों का गठन किया गया और जिसके परामर्श से छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों की योजनाओं और एसडीजी लक्ष्यों के साथ मैप किया गया।
तदनुसार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एसडीजी संकेतक ढांचे के विकास के लिए MOSPI के द्वारा जारी किए गये दिशानिर्देशों का पालन करते हुए प्रमुख हितधारकों (विभिन्न विभागों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों) के साथ कई परामर्शी कार्यशालाएं (16 अक्टूबर 2020 से 04 नवंबर 2020 के दौरान) आयोजित की गई हैं।
एनआईएफ, और नीति आयोग के द्वारा प्रस्तुत किए गये एसडीजी इंडिया संकेतकों के साथ एसआईएफ को संरेखित करने की समीक्षा और अंतिम रूप देने के लिए नीति आयोग के प्रतिनिधियों सहित संबंधित विभागों के सचिवों की भागीदारी के साथ 17 नवंबर 2020 को राज्य योजना आयोग में एक राज्य स्तरीय बैठक के पश्चात 2021 में छत्तीसगढ़-एसआईएफ तैयार की गई है।
17.5.4 छत्तीसगढ़ एसआईएफ की मुख्य विशेषताएं –
छत्तीसगढ़ एसआईएफ में 17 सतत् विकास लक्ष्य में 16 सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी लक्ष्य-14 को छोड़कर) के प्रगति को मापने के लिए कुल 275 संकेतक शामिल हैं।
275 संकेतकों में से 231 एनआईएफ से हैं, जिनमें से 217 संकेतक सीधे एनआईएफ से लिए गए हैं और 14 संकेतक संशोधन के बाद एनआईएफ से शामिल किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त 44 नए संकेतक शामिल किए गए जो नीति आयोग की एसडीजी संकेतक सूची के साथ संरेखित हैं।
संकेतकों को छत्तीसगढ़ सरकार के संबंधित विभागों और डेटा स्रोत के साथ मैप किया गया हैं।
एसडीजी संकेतकों को केंद्र और राज्य सरकार की प्रमुख योजनाएं और कार्यक्रम से भी मैप किए गए।
17.5.5 छत्तीसगढ़ डीआईएफ तैयार करने के लिए परामर्श प्रक्रिया –
वर्ष 2022 में, छत्तीसगढ़ मे राज्य योजना आयोग के नेतृत्व मे और UNICEF छत्तीसगढ़ के तकनीकी सहायता से छत्तीसगढ़ डीआईएफ को प्रस्तुत किया है। छत्तीसगढ़ डीआईएफ तैयार करने के लिए सहभागी परामर्श प्रक्रिया राज्य योजना आयोग के नेतृत्व में कई चरणों द्वारा संचालित की गई है जो इस प्रकार हैं-
छत्तीसगढ़ डीआईएफ तैयार करने के पहले चरण में एसडीजी से संबंधित राज्य के विभागों की पहचान की गई है और छत्तीसगढ़ डीआईएफ की तैयारी में आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं।
दूसरे चरण मे स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए, छत्तीसगढ़ डीआईएफ पर विचार करते हुए जिला अधिकारियों के साथ-साथ राज्य के संबंधित विभागों के साथ कई दौर की परामर्शी कार्यशालाएं और बैठकें आयोजित की गई हैं।
कार्यशाला की व्यवस्था करने से पहले, छत्तीसगढ़ सरकार के 23 राज्य विभागों की मैपिंग की गई जो सीजी-डीआईएफ की तैयारी के लिए डेटा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। तदनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की प्रमुख भागीदारी के साथ परामर्शी कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिसमें बड़े पैमाने पर संकेतकों, प्रत्येक संकेतक के डेटा स्रोतों और डेटा अंतराल और लक्ष्यवार योजनाओं / कार्यक्रम पर चर्चा की गई।
ये कार्यशालाएँ प्रत्येक संबंधित विभाग के नोडल अधिकारियों के साथ आयोजित की गईं और छत्तीसगढ़ एसआईएफ के साथ संरेखित संभावित संकेतकों की सूची की पहचान करते हुए एक मसौदा छत्तीसगढ़-डीआईएफ तैयार किया गया।
छत्तीसगढ़ डीआईएफ की मसौदा सूची पर उनके मूल्यवान सुझावों पर चर्चा करने के लिए जिला अधिकारियों (कलेक्टरों, सीईओ जिला पंचायत और डीपीएसओ) के साथ एक परामर्श बैठक आयोजित की गई थी।
जिला अधिकारियों से प्राप्त फीडबैक / सुझावों पर चर्चा करने और जिला संकेतक ढांचे को अंतिम रूप देने के लिए संबंधित विभागों के एसडीजी नोडल अधिकारियों के साथ एक राज्य स्तरीय बैठक आयोजित की गई।
अंत में, राज्य योजना आयोग ने राज्य के विभागों के नोडल अधिकारियों और जिलों के अधिकारियों के सभी फीडबैक / सुझावों पर विचार करते हुए 82 संकेतकों की पहचान करते हुए छत्तीसगढ़ एसडीजी डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (छत्तीसगढ़ डीआईएफ) तैयार किया है। छत्तीसगढ़ डीआईएफ जिला स्तर पर एसडीजी की दिशा में प्रगति की निगरानी की रीढ़ है। छत्तीसगढ़ डीआईएफ यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि एसडीजी की प्रगति जिलों के साथ-साथ राज्य की अपनी सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रोफाइल, स्वास्थ्य प्रणाली और आर्थिक विकास के स्तर के साथ-साथ आबादी की मांगों और जरूरतों को भी दर्शाती है।
17.5.6 छत्तीसगढ़ डीआईएफ की मुख्य विशेषताएं –
छत्तीसगढ़ डीआईएफ जिले के अधिकारियों को यह बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है कि जिला स्तर पर सभी प्रासंगिक हितधारकों को शामिल करके एसडीजी को कैसे स्थानीयकृत किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ डीआईएफ में 15 एसडीजी लक्ष्य (एसडीजी लक्ष्य 14 और एसडीजी लक्ष्य 17 को छोड़कर) के लिए कुल 82 संकेतक शामिल हैं।
कुल 45 एसडीजी टारगेट छत्तीसगढ़ डीआईएफ द्वारा कवर किए गए हैं।
82 संकेतकों में से 41 परिणाम आधारित, 35 आउटपुट आधारित और 6 प्रक्रिया आधारित संकेतक है।
82 संकेतकों में से 70 संकेतकों के लिए डेटा आवधिकता वार्षिक है, 10 संकेतकों के लिए यह तीन वर्ष है, और 2 संकेतकों के लिए यह 5 वर्ष है।
17.6. छत्तीसगढ़ में एसडीजी की प्रगति (राज्य एवं जिला स्तरीय)
17.6.1 पर्यवेक्षण एवं प्रकाशन
छत्तीसगढ़ में एसडीजी की प्रगति की निगरानी दो स्तरों पर की जाती है- (1) राज्य योजना आयोग द्वारा एसआईएफ पर आधारित राज्य स्तरीय प्रगति रिपोर्ट, एवं (2) जिला स्तरीय बेसलाइन एवं प्रगति रिपोर्ट।
यूनिसेफ (UNICEF) छत्तीसगढ़ ने राज्य योजना आयोग को समय समय पर एसडीजी राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय बेस लाइन और प्रगति रिपोर्ट को बनाने में और उसकी गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तकनीकी सपोर्ट प्रदान किए है।
राज्य स्तर पर राज्य योजना आयोग ने वर्ष 2021 और 2022 के लिए 2 बेस लाइन और प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। रिपोर्ट में वर्ष 2015-16 को बेस लाइन मानते हुए 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के प्रगति की डेटा को शामिल किया गया है।
राज्य में एसडीजी के स्थानीयकरण की दिशा में, राज्य योजना आयोग ने वर्ष 2021 और 2022 मे एसडीजी जिला प्रगति रिपोर्ट के भी 2 संस्करण तैयार किए हैं।
17.6.2 एसडीजी राज्य स्तरीय बेसलाइन एवं प्रगति रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ राज्य एसडीजी बेसलाइन और प्रगति रिपोर्ट में 16 एसडीजी (एसडीजी 14 को छोडकर) और 275 संकेतक शामिल हैं।
अब तक एसडीजी से संबंधित तीन राज्य स्तरीय रिपोर्ट प्रकाशित हो चुकी हैं-
पहला संस्करण 2021 में,
दूसरा संस्करण 2022 में,
नवीनतम बेसलाइन एवं प्रगति रिपोर्ट 2023 में जारी किया गया।
2023 की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 275 संकेतकों में से 89 संकेतक ट्रैक पर है और उम्मीद है कि राज्य 2030 तक अपने एसडीजी लक्ष्य हासिल कर लेगा।
विशेष ध्यान रखने की जरूरत वाले एसडीजी:
एसडीजी-2ः मुखमरी समाप्त करना
एसडीजी-3: आरोग्य एवं कल्याण
एसडीजी-4: गुणवत्ता शिक्षा
एसडीजी-5: लैंगिक समानता
एसडीजी-16: शांति, न्याय और मजबूत संस्थान
17.6.3 एसडीजी जिला स्तरीय बेसलाइन एवं प्रगति रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन –
छत्तीसगढ़ एसडीजी जिला प्रगति रिपोर्ट में 15 एसडीजी (एसडीजी-14 और एसडीजी-17 को छोड़कर) और 82 संकेतक और 45 लक्ष्य शामिल हैं।
17.6..3.1 प्रथम संस्करण (2021) की मुख्य बातें –
छत्तीसगढ़ जिला स्तरीय बेसलाइन एवं प्रगति रिपोर्ट की पहले संस्करण (2021) में 2015-16 (बेसलाइन) के डेटा और 2020-21 में प्रगति पर प्रकाश डाला गया है।
प्रथम संस्करण में राज्य का कंपॉजिट स्कोर 64 था।
2020-21 जिला स्तर के एसडीजी रैंकिंग में
शीर्ष पांच जिले थे- धमतरी, राजनांदगांव, बालोद, दुर्ग और बेमेतरा
निचले पांच जिले थे- बस्तर, नारायणपुर, बलरामपुर, बीजापुर, और सुकमा
17.6..3.1 दूसरे संस्करण (2022) की मुख्य बातें –
दूसरा संस्करण (2022) में 2015-16 (बेसलाइन) के डेटा के आधार पर 2020-21 और 2021-22 के प्रगति को दर्शाया गया है।
2021-2022 के दौरान छत्तीसगढ़ जिला स्तरीय कंपॉज़िट स्कोर 4 अंक बढ़कर 64 से 68 हो गया है।
धमतरी एसडीजी में छत्तीसगढ़ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिले है, और इस वर्ष 77 के एसडीजी स्कोर के साथ दोनों वर्षों (2021 2022) में शीर्ष पर रहा।
2021-22 में एसडीजी रैंकिंग में शीर्ष पांच जिले हैं- धमतरी, बालोद, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर व निचले पांच जिले है- बीजापुर, बलरामपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा
17.6.3.2 तृतीय संस्करण (2023) की मुख्य बातें
तृतीय संस्करण (2024) 2015-16 (बेसलाइन) के डेटा के आधार पर 2020-21, 2021-22 और 2022-23 की प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
2023 तक छत्तीसगढ़ के 20 संकेतकों में लक्ष्य हासिल किया है, 26 संकेतक ट्रैक पर है, जबकि 36 संकेतकों में और प्रयासों की आवश्यकता है।
2022-2023 के दौरान छत्तीसगढ़ का समग्र एसडीजी स्कोर 68 से बढ़कर 69 हो गया है।
2023 तक कुल 27 जिले “फ्रंट रनर” (65-69) श्रेणी में है, कोई जिला आकांक्षी (0-49) श्रेणी में नहीं है। “परफॉर्मर” (50-64) श्रेणी में छः जिले शेष हैं: जशपुर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, बलरामपुर और बीजापुर।
राज्य ने असाधारण प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता), लक्ष्य 7 (किफायती और स्वच्छ ऊर्जा), लक्ष्य 12 (टिकाऊ शहर और समुदाय), और लक्ष्य 13 (जलवायु कार्रवाई) में, जहां समग्र लक्ष्य स्कोर क्रमशः 81, 86, 91 और 91 है।
जिलों का एसडीजी 3.0 स्कोर 56 और 77 के बीच है, जिसमें धमतरी 77 के एसडीजी स्कोर के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला है।
तालिका-4: एसडीजी जिला स्तरीय प्रगति रिपोर्ट 2023 के अनुसार जिलों के कम्पोजिट स्कोर तथा इसके आधार पर जिलो की रैंकिंग को दर्शाने वाली सारणी
मानचित्र 1 एसडीजी जिला स्तरीय प्रगति रिपोर्ट 2023 के अनुसार जिले का स्थिति
एसडीजी जिला स्तरीय प्रगति रिपोर्ट 2023 के अनुसार लक्ष्यों के सम्मुख कम्पोजिट स्कोर दर्शाते हुए शीर्ष तीन जिलों को दर्शाये जाने वाली सारणी
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