Chapter 15 : Medical [CG Economic Survey 2024-25]
मुख्य बिन्दु
- SRS बुलेटीन (वर्ष 1997-2003) अनुसार प्रदेश का मातृ-मृत्यु अनुपात 365 प्रति लाख जीवित जन्म पर था, जो अब वर्तमान में SRS बुलेटीन (वर्ष 2018-2020) अनुसार 137 प्रति लाख जीवित जन्म है।
- राज्य में घटते बाल लिंगानुपात तथा बालिकाओं के प्रति समाज में सकारात्मक सोच बढ़ाने के लिए “नोनी सुरक्षा योजना” शीर्षक से योजना दिनांक 01.04.2014 से लागू की गई है।
- जननी सुरक्षा योजना (JSY): वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर तक 1.50 लाख हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया गया है।
- मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना :- वर्ष 2023-24 से
- योजनान्तर्गत पात्रता शर्तों को पूर्ण करने पर प्रत्येक कन्या के विवाह हेतु अधिकतम 50,000 रूपये की राशि व्यय किए जाने का प्रावधान किया गया है।
30 सितम्बर 2024 की स्थिति में कुल 52220 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ‘स्वास्थ्य से तात्पर्य केवल रोगों अथवा दुर्बलता की अनुपस्थिति से ही नहीं वरन् संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण से है। इस प्रकार अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपचारात्मक के साथ साथ निवारक होना भी एक आवश्यक है। अनुपूरक घटक जैसे जल, स्वच्छता एवं पोषण आदि स्वास्थ्य की समग्र देखभाल के महत्वपूर्ण पहलू है।
स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत उन समस्त प्रयासों को सम्मिलित किया जाता है जिससे मानव की जीवन प्रत्याशा, शारीरिक शक्ति व योग्यता तथा कार्यक्षमता आदि की वृद्धि होती है। स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं आवास की दशाएं मानव विकास को प्रभावित कर अंततः आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। कुपोषण, निम्न जीवन स्तर, बीमारियां तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी मानव की दक्षता में कमी लाता है। अतः यह आवश्यक है कि देश में लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं एवं सेवाओं को उच्च स्तर पर बनाये रखने के लिये इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में व्यय तथा विनियोग किया जाए, ताकि देश की मानव शक्ति कार्यकुशल एवं दक्ष बनी रहे।
सितंबर 2015 में सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स) की अवधि पूरी होने पर इन लक्ष्यों को और विस्तार देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में अगले 15 वर्षों यानी 2030 तक के लिए एक नया वैश्विक एजेंडा सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) तय किया गया, जिनमें विश्व की बेहतरी के लिए 17 सतत विकास लक्ष्यों को सम्मिलित किया गया। इनमें लक्ष्य-3 सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने हेतु है।
15.1 मातृ स्वास्थ्य :- राश्ट्र के समग्र विकास और कल्याण में मातृत्व स्वास्थ्य का निर्णायक महत्त्व है। गर्भावस्था एवं प्रसव पूर्व एवं पश्चात् महिलाओं की पर्यवेक्षण देखभाल और सलाह, उपयुक्त औशधि तथा इलाज कुशल स्वास्थ्य कर्मियों एवं संस्थागत प्रसव के कारण मातृत्व मृत्यु दर में कमी परिलक्षित हुई। केन्द्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा चलाये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम एवं योजनाओं के क्रियान्वयन ने राज्य में मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार एवं मातृत्व मृत्यु दर में कमी लाने में निर्णायक भूमिका निभाई है।
छत्तीसगढ़ राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें प्रदान करने एवं मातृ मृत्यु अनुपात में कमी लाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनायें एवं कार्यक्रमों का सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है। SRS बुलेटीन (वर्ष 1997-2003) अनुसार प्रदेश का मातृ-मृत्यु अनुपात 365 प्रति लाख जीवित जन्म पर था, जो अब वर्तमान में प्रकाशित SRS बुलेटीन (वर्ष 2018-2020) अनुसार 137 प्रति लाख जीवित जन्म है।
मातृ मृत्यु अनुपात में और कमी लाने के लिये विभाग द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रमों/ योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
15.1.1 प्रसव पूर्व जांच एवं संस्थागत प्रसव प्रदेश में प्रसव पूर्व जांच एवं संस्थागत प्रसव में निरंतर वृद्धि हो रही है।
प्रथम संदर्भन इकाईयों (First Referral Units-FRU) का क्रियान्वयन राज्य में 69 प्रथम संदर्भन इकाई का चिन्हांकन किया गया है। वर्तमान में 51 प्रथम संदर्भन इकाई कियाशील है।
प्रथम संदर्भन इकाईयों के मापदंड
प्रत्येक 5 लाख जनसंख्या में एक FRU
विशेषज्ञ / विशेष दक्षता प्राप्त चिकित्सक की उपलब्धता।
Blood Transfusion की उपलब्धता।
आपात प्रसूति प्रबंधन के साथ सिजेरियन प्रसव की सुविधा।
DHFRU में प्रतिमाह 50 से अधिक प्रसव एवं 10 से अधिक C-section तथा CHCFRU में
प्रतिमाह 20 से अधिक प्रसव एवं 5 से अधिक C-section ।
15.1.2 24×7 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रदेश में 24 घंटे आवश्यक प्रसूति सेवाओं की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 496 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का मई 2024 में पुनः चिन्हांकन किया गया है। वर्ष 2024-25 में माह दिसम्बर तक की स्थिति में उक्त 496 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में से 334 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिमाह औसतन 10 एवं 10 से ज्यादा प्रसव कराये जा रहे है एवं 145 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रतिमाह औसतन 07 से 09 प्रसव कराये जा रहे है।
15.1.3 जननी सुरक्षा योजना (JSY): जननी सुरक्षा योजना सुरक्षित मातृत्व एवं संस्थागत प्रसव में वृद्धि करने की अभिनव योजना है। इसके अंतर्गत संस्थागत प्रसव / घर प्रसव होने पर प्रसूता को निम्नानुसार प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
15.1.4 जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) राज्य में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम चिन्हांकित स्वास्थ्य केन्द्रों में 15 अगस्त 2011 से प्रारंभ किया गया है. इसके अंतर्गत गर्भवती महिला / प्रसूता तथा 0-1 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराई जा रही है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत सभी गर्भवती माता / प्रसूता को अस्पताल में भर्ती होने पर 250 रूपयें प्रतिदिन की दर से भोजन उपलब्ध करायें जाने हेतु जिलों को निर्देशित किया गया है एवं आहार तालिका भी संशोधित कर जिलों को उपलब्ध करायी गई है। वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर तक निम्न तालिका अनुसार माताओं एवं बच्चों को JSSK अंतर्गत प्रावधानित सेवाओं का लाभ दिया गया।
15.1.5 प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)- गर्भवती महिलाओं की गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जॉच एवं जटिल प्रकरणों की समय से पहचान व उपचार हो इसे पूर्ण करने के लिये भारत सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ (PMSMA)” का प्रारंभ राज्य में 09 मई 2016 से किया गया है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक माह की 9 तारीख तथा 24 तारीख को राज्य के समस्त शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं (MC/DH/CH/CHC एवं चिन्हांकित PHC) में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें मेडिकल ऑफिसर / CEMONC/BEMONC स्त्री रोग विशेषज्ञ/प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी एवं निजी चिकित्सकों के द्वारा गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की जा रही है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ (PMSMA) अंतर्गत माह अप्रैल से माह दिसम्बर 2024 तक 2.60 लाख गर्भवती महिलायें लाभान्वित हुई है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ (PMSMA) पोर्टल में 337 निजी चिकित्सक पंजीकृत है।
15.1.6 लक्ष्य कार्यक्रम (LaQshya Programme)- प्रसव के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम प्रारंभकिया गया है। संस्थाओं में लक्ष्य कार्यक्रम के क्रियान्वयन से मातृ मृत्यु नवजात मृत्यु में कमी आयेगी। “LaQshya” कार्यक्रम के तहत Intrapartum & Immediate Postpartum Quality and Maternal Care, Labour Room में हितग्राही को दी जानी है, जिससे गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद Respectful Maternlity Care मिल सके। छत्तीसगढ़ प्रदेश में 69 Facilities का चयन किया गया है जिनमें से 10 MC, 24 DH, 35 FRU CHC/CHC/CH का चयन किया गया है। चयनित Facilities में से 01 MC, 12 DH, 03 FRU CHC/CHC/CH को राश्ट्रीय गुणवत्ता का सर्टिफिकेशन किया जा चुका है।
15.1.7 मातृ मृत्यु का अंकेक्षण समस्त मातृ मृत्यु का अंकेक्षण किया जा रहा है, जिससे कि मातृ मृत्यु के कारणों का पता चल सके तथा उनकी पुनरावृत्ति के निराकरण हेतु प्रयास किया जा सके। इस हेतु मितानिनों को अथवा First Informent को समुदाय स्तर पर हुई मातृ-मृत्यु की सूचना पर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। वर्ष 2024-25 में माह दिसम्बर 2024 तक 331 मातृ मृत्यु दर्ज किये गये है, जिसमें से 317 प्रकरण का ऑडिट किया गया है।
15.1.8 सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (SUMAN) कार्यकम भारत सरकार द्वारा सुरक्षित मातृत्व आश्वासन कार्यक्रम (SUMAN) प्रारंभ किया गया है जिसका लक्ष्य प्रत्येक गर्भवती महिला को आश्वस्त सुरक्षित मातृत्व उपलब्ध कराना है जिसमें महिला को गर्भावस्था के दौरान व प्रसव पश्चात निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा, दवाईयों तथा अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराया जाना शामिल है साथ ही नवजात बच्चें को भी दवाईयों, एम्बुलेंस सेवा आदि स्वास्थ्य सेवाओं की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है। SUMAN कार्यक्रम अंतर्गत राज्य में 4198 स्वास्थ्य केन्द्र चिन्हांकित किये गये है।
15.1.9 अन्य उपलब्धि
VHSND/UHSND दिशा-निर्देश राज्य स्तर पर तैयार कर समस्त जिलों से साझा किया गया। VHSND/UHSND के निगरानी हेतु NIC के माध्यम से App तैयार कर निगरानी की जा रही है।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया प्रबंधन व Calcium Supplementation के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर सभी जिलों को प्रेषित किया गया।
प्रसव के दौरान Partograph के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश तैयार कर जिलों को प्रेषित किये गए।
प्रसव उपरांत जच्चा-बच्चा के देखभाल हेतु PNC दिशा-निर्देश तैयार कर जिलों को प्रेषित किये गए।
RCH Portal में शतप्रतिशत प्रविष्टि सुनिश्चित किये जाने व सत्तत् समीक्षा हेतु शासन से अर्द्धशासकीय पत्र समस्त जिलों के कलेक्टर को प्रेशित किये गये है।
मातृ-मृत्यु (MMR) अनुपात को कम करने के लिये जिले की सभी मातृ-मृत्यु की नियमित समीक्षा (अंकेक्षण) किये जाने हेतु शासन से अर्द्धशासकीय पत्र समस्त जिलों के कलेक्टर को प्रेशित किये गये है।
प्रत्येक माह प्रसव हेतु संभावित तिथि (EDD) अनुसार गर्भवती महिलाओं की सूची 108-संजीवनी एक्सप्रेस / 102-महतारी एक्सप्रेस एवं 104 आरोग्य सेवा को फॉलोअप हेतु प्रेशित की जाती है।
राज्य में चिकित्सा अधिकारी, आर.एम.ए, स्टॉफ नर्स, सीएचओं एवं एएनएम हेतु विभिन्न प्रशिक्षण जैसे कि SBA (Skill Birth Attendance), Dakshata, Comprehansive Abortion Care, CEmoC & LSAS के प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
राज्य में सुरक्षित गर्भपात सेवाओं को सुदृढ करने हेतु चिकित्सा अधिकारी/स्टॉफ नर्स को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। वर्तमान में राज्य में 196 स्वास्थ्य केन्द्र सुरक्षित गर्भपात सेवाऐं देने हेतु कियाशील है।
15.2 शिशु स्वास्थ्य : शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिशु एवं बाल मृत्यु दर को कम करना है। शिशु मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले कारकों में माता का स्वास्थ्य, प्रसव पूर्व एवं पश्चात् नवजात की देखभाल, सामान्य जीवन स्तर, बीमारी की दर, पर्यावरण का स्तर आदि है। शिशु मृत्यु दर (IMR) को कम करने में छत्तीसगढ़ में प्रभावशील सुधार कार्य किये गये है। छत्तीसगढ़ में शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के कारण राज्य स्थापित होने से अब तक शिशु मृत्यु दर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर वर्तमान में राज्य में शिशु मृत्यु दर 38 प्रति 1000 जीवित जन्म है। (सोर्स SRS 2020)
विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) बीमार व कम वजन के नवजात (<1800 ग्राम) शिशुओं को विशेष देखभाल (प्रमुख सर्जरी व कृत्रिम वैटिलेशन के अतिरिक्त समस्त देखभाल) प्रदाय करने के लिए जिला अस्पताल स्तर पर एस.एन.सी.यू. स्थापित की जाती है। वर्ष 2023-24 तक 29 एस.एन.सी.यू. क्रियाशील किए जा चुके है एस.एन.सी.यू. के स्टाफ (डॉक्टर व स्टाफ नर्स) को मेडिकल कॉलेज रायपुर में Facility Based New Born Care पर तथा के.ई.एम. अस्पताल, मुंबई में Observership प्रशिक्षण प्रदाय किया जाता है।
न्यूबोर्न स्टेबिलाईजेशन यूनिट (NBSU): बीमार व कम वजन के नवजात (>1800 ग्राम) शिशुओं को कम समय के लिए देखभाल व स्थिरिकरण सुविधाएं प्रदान करने के लिए एन.बी. एस.यू. का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक एन.बी.एस.यू. में 03 रेडियंट वॉर्मर व 01 फोटोथैरेपी मशीन के द्वारा नवजात को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती है। वर्ष 2023-24 तक कुल 178 एन.बी.एस.यू. क्रियाशील किए जा चुके है।
न्यूबॉर्न केयर कार्नर (NBCC): प्रसव के तुरंत बाद समस्त नवजात शिशुओं को आवश्यक नवजात देखभाल प्रदाय किए जाने हेतु प्रसव कक्ष के एक कोने को एन.बी.सी.सी. के रूप में चिन्हांकित किया जाता है। एन.बी.सी.सी. में एक रेडियंट वॉर्मर स्थापित कर शिशु को आवश्यक जीवनरक्षक देखभाल प्रदाय की जाती है। एन.बी.सी.सी. जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर जहां प्रसव कराया जाता है, वहां स्थापित की जाती है। वर्ष 2023-24 तक 1701 एन.बी.सी.सी. क्रियाशील है।
15.3 टीकाकरणः बच्चों में होने वाले 12 घातक बीमारियों जैसे गलघोटू, कुकुरखांसी, टिटनेस, मस्तिष्क ज्वर, मैनिनजाइटिस, डायरिया, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया, तपेदिक, खसरा से बचाव / सुरक्षित किये जाने हेतु राज्य में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम अंतर्गत टीका लगाया जाता है। टीकाकरण सुदृढीकरण हेतु विभाग द्वारा निम्नलिखित विशेष प्रयास किये गये हैः-
1. प्रत्येक मंगलवार व शुक्रवार को गांव के सत्रस्थल में प्रतिमाह आयोजित ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस में ए.एन.एम. द्वारा तथा प्रतिदिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला चिकित्सालय में टीकाकरण किया जाता है। ज्यादा से ज्यादा लाभार्थियो को सत्र स्थल पर मोबिलाइज़ किये जाने हेतु मितानिन की सहायता ली जाती है।
2. इस वित्तीय वर्ष भारत सरकार द्वारा दिये गये लक्ष्य के विरूद्ध 97% बच्चो को टीकाकृत किया गया।
3. टीको के रख-रखाव एवं वैक्सीन की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु राज्य में कुल 760 कोल्ड चेन प्वाइंट स्थापित किये गये है।
4. राज्य के दूरस्थ एवं पहुंच विहीन क्षेत्रों में टीम बनाकर टीकाकरण की सेवाये प्रदान की गई।
5. आदिवासी जिलों में टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढीकरण करने हेतु हाट बाज़ार के माध्यम से भी टीकाकरण किया गया है।
6. शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण सेवायें सुदृढीकरण करने के लिये राज्य स्तरीय 03 दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें टीकाकरण कार्यक्रम हेतु कार्य करने वाले राज्य स्तरीय तथा जिला स्तरीय अधिकारी के साथ अन्य राज्यों से डेवलपमेंट पार्टनर के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
7 मीजल्स-रूबेला उन्मूलन तथा पोलियो सर्वेलेंस के सुदृढीकरण हेतु प्रयास किये गये जिसके परिणाम स्वरूप नॉन मीजल्स रूबेला तथा नॉन ए.एफ.पी. दर 02 से अधिक प्राप्त हुआ।
8.समस्त पात्र लाभार्थियों के टीकाकरण किये जाने हेतु छूटे हुये लाभार्थियों की गणना के लिये माह दिसंबर में हेड काउंट सर्वे किया जा रहा है।
9. टीकाकरण पश्चात् हुये प्रतिकूल प्रभावों के मूल्यांकन हेतु प्रतिमाह राज्य स्तरीय ए.ई.एफ.आई. समिति की बैठक की जाती है।
15.4 राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यकम (NLEP) इस कार्यक्रम का उद्देश्य है, कि समाज में छिपे सभी कुष्ठ रोगियों को खोजकर उन्हें बहु औषधि उपचार नियमित एवं पूर्ण दिलाकर रोग पर नियंत्रण कर लिया जाये, ताकि रोग का प्रसार रूक जाये व रोग की प्रभावी दर एक व्यक्ति अथवा कम प्रति 10,000 जनसंख्या हो जावे ।
छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के समय प्रदेश का कुष्ठ प्रभाव दर 8.2 प्रति 10,000 था, जो माह अक्टूबर 2024 में 1.96 प्रति दस हज़ार है था अक्टूबर 2024 में राज्य में कुल 6099 रोगियों को बहु औषधि उपचार के अंतर्गत नियमित उपचार निःशुल्क दिया जा रहा था।
15.5 राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत 6 वेक्टर जनित बीमारियां प्रचलित है एनसेफालाइटीस, फाईलेरिया एवं काला-आजार। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, जापानीज
छत्तीसगढ़ राज्य में पांच बीमारियां, मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, जापानीज एनसेफालाइटीस एवं फाईलेरिया पाए जाते है।
15.5.1 मलेरिया उन्मूलन राज्य के बस्तर संभाग मलेरिया हेतु अतिसंवेदनशील क्षेत्र है। मलेरिया उन्मूलन के अंतर्गत त्वरित निदान एवं पूर्ण उपचार हेतु सभी मितानीन, उप स्वास्थ्य केन्द्र में रेपिड डायग्नोस्टिक किट (आर.डी. किट) उपलब्ध कराई गई है, जिससे रोगियों की तत्काल पहचान कर सम्पूर्ण उपचार दिया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा जिला चिकित्सालय में आपातकालीन स्थिति में उपयोग हेतु आर.डी. किट उपलब्ध कराई गई है। वर्ष 2024 में माह नवंबर तक 72.55 लाख मलेरिया संभावित रोगियों का जांच किया गया, जिसमें से कुल 48.28 लाख रोगियों का आर.डी.टेस्ट से जांच किया गया। कुल 31043 मलेरिया पॉजीटिव प्रकरण पाये गये जिसमें से 20946 प्रकरण आर.डी. टेस्ट जाँच से पॉजीटिव पाये गये। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा जिला चिकित्सालय स्तर पर रक्तपटटी बनाया जाकर जांच किया गया। रक्त परीक्षण के परिणाम मलेरिया पॉजीटिव होने पर रोगी को मलेरिया के प्रकार अनुसार उपचार दिया जा रहा है। वाइवैक्स मलेरिया से पीड़ितों को 3 दिवस क्लोरोक्वीन गोली तथा 14 दिवस तक प्राइमाक्वीन गोली की खुराक, फैल्सीपेरम मलेरिया से पीड़ितों को 3 दिवस तक ए.सी.टी. गोली एवं दूसरे दिन में प्राइमाक्वीन गोली की एक खुराक, मिश्रित संक्रमण से पीड़ितों को 3 दिवस तक ए.सी.टी. गोली एवं दूसरे दिन से 14 दिन तक प्राइमाक्वीन गोली की खुराक दिया जा रहा है।
प्रति माह केन्द्रीय प्रयोगशाला एवं क्षेत्रीय कार्यालय प्रयोगशाला, भारत सरकार लालपुर, रायपुर में जांच किए गए रक्तपट्टी का क्रॉसचेक किया जाता है। जिले में पदस्थ मानव संसाधनों को कार्यक्रम के सुचारू संचालन हेतु विकासखंड स्तर, जिला स्तर, संभाग स्तर तथा राज्य स्तर में समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2024 में वेक्टर नियंत्रण गतिविधि अंतर्गत राज्य के वार्षिक परजीवी सूचकांक एक से अधिक वाले उप स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत ग्रामों में कुल 16.97 लाख दीर्घकालीन कीटनाशकयुक्त मच्छरदानी का वितरण किया जा रहा है। जिसमें कुल 22 जिले के 82 विकासखंड के 1497 उप स्वास्थ्य केन्द्र को मच्छरदानी वितरण हेतु चयनित किया गया है। राज्य के वार्षिक परजीवी सूचकांक दो से अधिक वाले उप स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत ग्रामों में दो चक्र में कीटनाशक दवा का छिड़काव किया गया है, जिसमें 17 जिलों में किया गया है। कुल 65% जनसंख्या को प्रतिरक्षित किया गया है। सभी स्तर पर मलेरिया रोधी दवाई एवं सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गई है। जन जागरूकता हेतु सभी स्तर पर विशेष प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वर्ष 2022 से 2024 में मलेरिया रोग की एपियोडेमिलॉजीकल स्थिति निम्नानुसार है:
15.5.2 मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान छत्तीसगढ़ राज्य से मलेरिया के उन्मूलन करने हेतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान चलाया गया है। अभियान का प्रथम चरण वर्श 2020 में प्रारंभ किया गया। अभियान का दसवां चरण माह जून-जुलाई 2024 में पूर्ण किया गया। सर्वे दल के द्वारा घर-घर भ्रमण कर आर.डी. टेस्ट के माध्यम से सभी व्यक्तियों का रक्त जाँच किया गया एवं मलेरिया पॉजिटिव पाए गए रोगियों को स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा अपने सामने मलेरिया रोधी दवा का प्रथम खुराक खिलाया गया। स्थानीय स्तर पर पाए जाने वाले खाद्य खिलाने के पश्चात ही दवा सेवन कराया गया, ताकि किसी भी पार्श्व-प्रतिक्रिया को समय पूर्व उपचार किया जा सकें। पूर्ण उपचार सुनिश्चित करने हेतु रोगियों को उपचार कार्ड प्रदाय किया गया तथा संबंधित ग्राम पारा के मितानिन बहनों के द्वारा दवा का शेष खुराक पूर्ण कर, दवा का खाली-पत्ता को संग्रहीत किया गया। सर्वे दल द्वारा जाँच एवं उपचार के साथ-साथ एल.एल.आई.एन मच्छरदानी के उपयोग हेतु जानकारी दिया गया एवं मच्छर लार्वा स्रोत नियंत्रण गतिविधि आदि कार्य भी किया गया है।
रक्त जाँच पश्चात हितग्राहियों के पैर के अंगूठा में निशान लगाया गया, साथ ही सभी सर्वे किये गए घरों में स्टीकर चस्पा किया गया। प्रथम चरण में 14.06 लाख, द्वितीय चरण में 23.75 लाख, तृतीय चरण में 15.70 लाख, चतुर्थ चरण में 19.98 लाख, पांचवां चरण में 14.36 लाख, छठवां चरण में 43.61 लाख सातवां चरण में 19.50 लाख, आठवां चरण में 21.31 लाख, नौवां चरण में 19.64 लाख एवं दसवां चरण में 14.66 लाख व्यक्तियों का मलेरिया जांच किया गया। प्रथम चरण में 64646, द्वितीय चरण में 30076, तृतीय चरण में 16126, चतुर्थ चरण में 9790, पांचवां चरण में 11321, छठवां चरण में 7479, सातवां चरण में 8939, आठवाँ चरण में 4615 नौवां चरण में 10271 एवं दसवां चरण में 4899 व्यक्तियों का मलेरिया पॉजीटीव पाया गया, जिनका पूर्ण उपचार किया गया। बस्तर संभाग में प्रथम चरण में मलेरिया धनात्मक दर 4.6 था जो घटकर नौवां चरण में 0.33 पर आ गया है।
15.5.3 फायलेरिया उन्मूलन राज्य के कुल 05 फायलेरिया संवेदनशील जिलों में से जिला रायगढ़, सारंगढ़, राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई एवं बस्तर में सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया गया है, जिसमें लक्ष्य के विरूद्ध 97.54% उपलब्धि है। लिम्फेटिक फायलेरिया प्रकरणों का अपंगता प्रबंधन हेतु जिला स्तर पर शिविर आयोजन कर रोगियों को घरेलू प्रबंधन हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है।
15.5.4 डेंगू नियंत्रण डेंगू शंकास्पद प्रकरण के एलाइजा पुष्टि हेतु राज्य में कुल 14 सेन्टीनल सर्वेलेंस चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज रायपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा तथा जिला चिकित्सालय बिलासपुर, जांजगीर, कवर्धा, रायपुर, दुर्ग, बीजापुर, कोण्डागांव एवं जशपुर क्रियाशील है। 01 जनवरी 2024 से 30 नवंबर 2024 तक 3601 डेंगू प्रकरण की पुष्टि की गई है। डेंगू के पुष्टि होने पर रोगी के घर के आस-पास मच्छर लार्वा पनपने के स्रोत जैसे कुलर, टंकी आदि की साफ-सफाई, नारियल के खोल, अनुपयोगी बर्तन आदि को नष्ट किया जा कर स्रोत नियंत्रण गतिविधि किया जा रहा है। सेन्टीनल सर्वेलेंस चिकित्सालय के आवश्यकतानुसार भारत सरकार के माध्यम से राष्ट्रीय वायोरोलॉजी संस्थान पुणे से जांच किट उपलब्ध कराया जा रहा है। डेंगू के रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु राज्य तथा जिला स्तर पर अंतर्विभागीय समन्वय से गतिविधि किया जा रहा है। डेंगू से बचाव हेतु प्रभावित क्षेत्र में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वर्ष 2022 एवं 2024 में डेंगू प्रकरण एवं मृत्यु तथा चिकुनगुनिया के प्रकरण एवं मृत्यु निम्नानुसार हैं।
15.5.5 जापानीज एनसेफालाइटीस नियंत्रण जापानीज एनसेफालाइटीस के शंकास्पद प्रकरण के पुष्टि हेतु मेडिकल कॉलेज जगदलपुर, सेन्टीनल सर्विलेंस चिकित्सालय के रूप में क्रियाशील है। सेन्टीनल सर्वेलेस चिकित्सालय के आवश्यकतानुसार भारत सरकार के माध्यम से राष्ट्रीय वायोरोलॉजी संस्थान पुणे से जांच किट उपलब्ध कराया जा रहा है। जे.ई. से बचाव हेतु प्रभावित क्षेत्र में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। जे.ई. रोगी की पुष्टि होने पर प्रभावित क्षेत्र में सुअर आदि पशुधन को घर से बाहर रखने हेतु सलाह दी जा रही है। पशु चिकित्सा विभाग से समन्वय कर प्रभावित क्षेत्र के सुअर आदि पशुधन का सेम्पल जे.ई. पुष्टि हेतु उच्च संस्थान को भेजा जा रहा है। वर्ष 2022 एवं 2024 में जापानीज एनसेफालाइटीस प्रकरण एवं मृत्यु निम्नानुसार हैं।
15.6 पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी), जिसे पूर्व में संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के रूप में जाना जाता था, का लक्ष्य भारत में टीबी के प्रकरणों को सतत् विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले 2025 तक रणनीतिक रूप से कम करना है। भारत से 2025 तक टीबी उन्मूलन करने के भारत सरकार के उद्देश्य पर जोर देने के लिए 2020 में आरएनटीसीपी का नाम बदलकर राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर दिया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज के समस्त टी.बी. रोगियों को उच्च गुणवत्ता की जाँच एवं उपचार उपलब्ध कराकर “टी.बी. मुक्त प्रदेश” बनाना है। एनटीईपी कार्यक्रम द्वारा टी.बी. के मरीजों को अतिशीघ्र खोज कर उपचार प्रारंभ किया जाता है, जिससे टी.बी. को फैलने एवं टी.बी. से होने वाले मृत्यु को रोका जा सकता है। डॉटस पद्धति (देख-रेख में दवा खिलाना) से टी.बी. का पूरा इलाज किया जाना संभव है। 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए टीबी उन्मूलन हेतु राज्य स्तर पर रणनीतिक योजना मिशन मोड में शुरू किया गया है।
मुख्य उद्देश्य –
100% सभी प्रकार के टी.बी. मरीजों के टी.बी. नोटिफिकेशन (खोज) प्राप्त करना।
90% उपचाररत नये पॉजीटिव टी.बी. मरीजों का सफल उपचार करना
सुविधाएँ राज्य में कुल 28 जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र, 155 टी.बी. यूनिट तथा 950 सूक्ष्मदर्शी जाँच केन्द्र (डीएमसी) द्वारा टी.बी. के उपचार एवं निदान की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
वर्ष 2024-25 में कार्यक्रम की मुख्य उपलब्धि :
CBNAAT Machine – राज्य में कुल 36 सीबीनॉट मशीन स्थापित है, जिसमें टी.बी. एवं ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी. की जाँच किया जाता है। सीबीनॉट मशीन द्वारा जनवरी 2024 से सितम्बर 2024 तक कुल 30905 जॉच किया गया, जिसमें 4481 मरीज पॉजीटिव पाये गये।
TrueNat Machine – राज्य के समस्त जिलों में आदर्श टूनाट लैब की स्थापना की गयी है। टूनाट मशीन द्वारा जनवरी 2024 से सितम्बर 2024 तक टी.बी. एवं ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी. की कुल 81168 जाँच की गयी, जिसमें 10365 मरीज पॉजीटिव पाये गये।
Programmatic Managment of TB Preventive Therapy राज्य में PMTPT का शुभारंभदिनाँक 03 दिसंबर 2021 को किया गया। जिसमें टी.बी. मरीजों के घर के सदस्यों को टी.बी. के लक्षण के संबंध में पूछताछ करने के उपरांत यदि टी.बी. का लक्षण पाया जाता है तो उनकी टी. बी. की जॉच कर रिपोर्ट पॉजीटिव पाये जाने पर टी.बी. का उपचार दिया जावेगा एवं लक्षण प्राप्त नहीं होने पर उन्हें भविष्य में टी.बी. न हो इसके लिए TB Preventive Therapy दिया जाना है। प्रारम्भ दिनांक से अक्टूबर 2024 तक कुल 127130 लोगों को TB Preventive Therapy दिया गया है।
नि-क्षय पोषण योजना राज्य के समस्त जिलों में पंजीकृत समस्त टी.बी. एवं ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी. मरीजों को नि-क्षय पोषण योजना के तहत पोषण आहार हेतु राशि 500/- रू. प्रति माह पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी किया जा रहा था। 01 नवम्बर 2024 से भारत सरकार द्वारा पोषण आहार की राशि को बढ़ाकर 1000/- रू. प्रति माह की गई है। पोषण आहार हेतु दी जाने वाली सहायता राशि का भुगतान अब राज्य स्तर से किया जा रहा है, जो कि पूर्व में जिलों के द्वारा डीबीटी किया जा रहा था। गत वर्ष जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 तक कुल 21334 मरीजों (कुल मरीजों का 64 प्रतिशत) को नि-क्षय पोषण योजना का लाभ दिया गया।
टीबी मुक्त पंचायत अभियान सेन्ट्रल टीबी डिविजन द्वारा वित्तीय वर्श 2023-24 में अभियान के अंतर्गत कुल 2199 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया गया।
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान अभियान के अंतर्गत राज्य में अब तक 10447 निक्षय मित्र टीबी मरीजों के सहयोग हेतु आगे आये हैं। इन निक्षय मित्रों के द्वारा सहायता प्रदाय करने हेतु स्वयं को निक्षय 2.0 में पंजीकृत कराया गया है। अब तक इनके द्वारा 33929 पोशण आहार किट टीबी मरीजों को प्रदाय किया गया है।
निक्षय निरामय छत्तीसगढ़ अभियान (100 दिवसीय सघन अभियान) भारत सरकार द्वारा 100 दिवसीय सघन अभियान प्रारम्भ किया गया है। जिसका शुभारम्भ 07 दिसम्बर 2024 को माननीय मुख्यमंत्री, छ.ग. शासन के द्वारा किया गया है। इस अभियान में टीबी संभावित व्यक्तियों तथा उच्च जोखिम समूहों (डायबिटिज, धूमपान सेवन, एच.आई.वी. संक्रमित, 60 वर्ष से अधिक आयु) आदि का टीबी के लक्षण के आधार पर NAAT जॉच अथवा X-Ray किया जावेगा।
राज्य में नवाचार के रूप में इस अभियान के अंतर्गत कुष्ठ जाँच, वयोवृद्ध देखभाल तथा मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है। जिससे समग्र स्वास्थ्य की दिशा में बेहतर परिणाम की अपेक्षा है।
15.7 अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश में राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम 1976 से प्रारंभ किया गया था। प्रदेश में यह कार्यक्रम 1978 से प्रारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य दृष्टिहीनता को घटाकर 0.3 प्रतिशत करना है। इसके अंतर्गत निःशुल्क मोतियाबिन्द आपरेशन, शालेय छात्रों को निःशुल्क चश्मा तथा अन्य नेत्र रोगों का उपचार किया जाता है। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम राज्य के समस्त जिलों में संचालित है।
विशेष कार्यक्रम –
दिनांक 25 अगस्त से 8 सितंबर तक प्रतिवर्ष नेत्रदान पखवाडा मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष अक्टूबर माह के दूसरे गुरूवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है।
12 मार्च को विश्व ग्लाकोमा दिवस मनाया जाता है।
मोतियाबिन्द दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिलों 13 जिलों द्वारा मोतियाबिन्द दृष्टिहीनता मुक्त जिला धोषित किये जाने हेतु दावा प्रस्तुत किया गया है। छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है जिसने सर्वप्रथम मोतियाबिन्द दृष्टिहीनता मुक्त योजना में दावा भारत शासन को प्रेषित किया है।
कॉम्प्रिहेन्सिव आई केयर इस कार्यक्रम अंतर्गत सितंबर माह में राज्य के समस्त जिलों के एक-एक विकासखण्ड का चयन कर उसके प्रत्येक ग्राम में घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति का नेत्र परीक्षण किया जाता है।
बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत बाल दिवस के उपलक्ष्य में राज्य में दिनांक 16 से 21 दिसंबर 2024 तक ‘बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह’ का आयोजन किया गया। जिसमें 2312 स्कूलो के 175228 छात्रों का नेत्र परीक्षण किया गया जिसमें दृष्टि दोष पाये 4447 छात्रों को निःशुल्क चश्मा वितरण किया गया एवं अन्य नेत्र रोग के 2141 छात्रों का उपचार किया गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग वाहन चालक नेत्र परीक्षण सप्ताह राज्य में राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के समन्वय से दिनांक 23 से 28 दिसंबर 2024 तक राष्ट्रीय राजमार्ग में आने वाले स्वास्थ्य संस्था में वाहन चालको का नेत्र परीक्षण किया गया। दिनांक 23 दिसंबर को राज्य के 24 स्थानों पर टोल प्लाजा में वाहन चालकों का नेत्र परीक्षण कर स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु जागरूक किया गया जांच में 2960 मरीज मिले जिन्हें इलाज हेतु रिफर किया गया। स्पेशल क्लीनिक पीडियाट्रिक ऑफ्याल्मोजी क्लीनिक का आयोजन जिला अस्पताल में किया जाता है। सोमवार को ग्लोकोमा क्लीनिक, गुरूवार को रेटिना क्लीनिक, एम्बेसडर फॉर आई केयर राज्य में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के सहयोग से शालाओं के 47029 शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर ‘एम्बेसडर फॉर आई केयर बनाया गया है। इनके द्वारा प्राथमिक जाँच की जाती है और दृष्टि कम होने पर नेत्र सहायक अधिकारी द्वारा चश्मा प्रदाय किया जाता है। इसमें अब तक लगभग 27 लाख छात्र लाभान्वित हो चुके है।
टेली ऑफ्थल्मिक विजन सेंटर की स्थापना राज्य के 146 सी.एच.सी. में टेली ऑफ्थल्मिक विजन सेंटर की स्थापना की योजना है। विजन सेंटर में नेत्र सहायक अधिकारी द्वारा मरीजों का नेत्र परीक्षण कर केन्द्रों के विशेषज्ञों से, उपचार हेतु आन लाइन परामर्श एवं रोगियों से वार्तालाप होगा । पायलट प्रोजेक्ट में 12 सीएचसी में टेली ऑफ्थल्मिक विजन सेंटर की स्थापना हो चुकी है एवं 20 केन्द्रों में प्रक्रियाधीन है। इससे दूरस्थ स्थानों के मरीजों को भी नेत्र विशेषज्ञों की सेवाओं का लाभ मिलेगा।
कार्ययोजना राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिलों में घर-घर जाकर नेत्र रोग से पीड़ित मरीजों की जाँच कर बेस हास्पिटल एप्रोच के तहत् मोतियाबिन्द आपरेशन तथा अन्य जटिल नेत्र रोगों का उपचार किया जा रहा है, नेत्र आपरेशन शिविर लगाये जा रहे है।
नेत्र बैंक राज्य में कार्नियल दृष्टिहीनता को समाप्त करने के लिये ‘कार्नियल दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना’ चलाई जा रही है। राज्य में 8 नेत्र बैंक एवं 4 कार्निया प्रत्यारोपण केन्द्र कार्यरत हैं। नेत्रदान को बढ़ावा देने हेतु मेडिकल कालेज रायपुर एवं बिलासपुर में आई डोनेशन काउन्सलर भी नियुक्त किया गया है।
15.9 अन्य कार्यक्रय एवं उद्देश्यः-
15.9.1 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा प्रदेश की जनता को आकस्मिक दुर्घटनाओं में त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराये जाने के लिये 326 चिकित्सा सुविधा से सुसज्जित 108 संजीवनी एक्सप्रेस के नाम से निःशुल्क एम्बुलेंस की सेवा कंर्सोटियम ऑफ JAES संस्था द्वारा 326 एम्बुलेसों के माध्यम सें प्रदाय की जा रही है, जिसमें 30 ALS (एडवास लाइफ सपोर्ट) एम्बुलेंस भी शामिल है।
108 संजीवनी एक्सप्रेस एम्बुलेंस की यह सुविधा पूर्णतः निःशुल्क है तथा एम्बुलेंस का परिचालन 24 घंटे 365 दिन किया जाता है। 108 एम्बुलेंस की सुविधा का लाभ लेने प्रदेश के किसी भी स्थान एवं सभी प्रकार के टेलीफोन से निःशुल्क (टोल फी) केवल 108 नंबर डायल करना होता है। साथ ही साथ आवश्यकता होने पर 108 एम्बुलेंस द्वारा मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से उच्च स्तरीय हॉस्पिटल, या एक जिले से दूसरे जिलों के उच्च स्तरीय हॉस्पिटल के लिए भी यह निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा प्रदाय की जाती है।
दिनांक 1 अप्रैल 2024 से 30 अक्टूबर 2024 तक कुल 170952 मरीजों को 108 एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल पहुंचाकर सेवा प्रदाय की जा चुकी है। इसी कारण से आज 108 संजीवनी एक्सप्रेस एम्बुलेस सेवा प्रदेशवासियों के लिये जीवन दायनी साबित हो रही है।
15.9.2 महतारी एक्सप्रेस सेवाः छत्तीसगढ़ शासन, संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें छत्तीसगढ़ एवं कर्सोटियम ऑफ कौम्प एवं अदर्स संस्था के साथ 102 महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस सेवा के परिचालन हेतु अनुबंध किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं का लाभदेने हेतु “102 महतारी एक्सप्रेस’ एम्बुलेंस योजना का आरंभ किया। छत्तीसगढ़ राज्य में दिनांक 23 अगस्त 2013 को 21 एम्बुलेंस के साथ बिलासपुर जिले से इस सेवा की शुरूआत की गयी। तत्पश्चात् वर्तमान में 380 एम्बुलेंस का परिचालन 24 घंटे 365 दिन किया जा रहा है। किसी भी प्रकार का प्रसव संबंधी सहायता, प्रसव पूर्व जाँच, नसबंदी एवं 1 वर्ष तक के बीमार नवजात शिशुओं हेतु निःशुल्क 102 महतारी एक्सप्रेस सेवा का लाभ टोल फ्री नंबर “102” पर कॉल कर लिया जा सकता है।
दिनांक 23 अगस्त 2013 से 30 अक्टूबर 2024 तक कुल 73.60 लाख हितग्राहियों को समय पर प्रसव संबंधी चिकित्सा सेवा एम्बुलेंस में देते हुए अस्पताल तक पहुंचाया गया। छत्तीसगढ़ शासन के पहल के तहत छत्तीसगढ़ की गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को अधिक से अधिक इस सेवा का लाभ लेने हेतु अपील करते हैं।
15.9.3 चिरायु योजना (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) :-
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य में 15.08.2014 से किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 0-18 वर्ष की आयु के बच्चों में 4 D’s- Defects at birth, Diseases, Deficiencies and Development Delays including Disabilities की जांच कर शीघ्र उपचार की सेवायें प्रदान करना है।
चिरायु कार्यक्रम के अंतर्गत 0-6 सप्ताह की आयु के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण डिलवरी प्वाइंट के स्टॉफ द्वारा, 06 सप्ताह से 06 वर्ष की आयु के बच्चों का आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से तथा 6-18 वर्ष की आयु के बच्चों का शासकीय एवं शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालयों के माध्यम से चिरायु दलों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार एवं 44 बीमारियों के अंतर्गत चिन्हित बच्चों को उच्च संस्था में उपचार हेतु संदर्भित किया जाता है।
गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों के उपचार हेतु 44 बीमारियों को 4 समूह में बांटा गया है।
समूह ‘A’:-ऐसी बीमारियां जिनके उपचार हेतु अति विशिष्ट / विशेषज्ञ सेवाओं की आवश्यकता होती है।
समूह ‘B’:- ऐसी बीमारियां जिनका उपचार जिला अस्पताल / सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया जा सकता है।
समूह ‘C:- ऐसी बीमारियां जिनका उपचार मात्र औषधियां वितरित कर किया जा सकता है।
समूह ‘D’:-ऐसी बीमारियां जिन्हे चिकित्सकीय उपचार के स्थान पर अन्य सलाह एवं पुनर्वास की आवश्यकता होती है।
समूह ‘A’ के अंतर्गत बीमारियों के उपचार के समन्वय हेतु राज्य नोडल एजेंसी को अधीकृत किया गया है। गंभीर बीमारियों के इलाज शासकीय अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अंतर्गत किया जाता है एवं शासकीय अस्पतालों में इलाज न होने की दशा में निजी पंजीकृत अस्पतालों में किया जाता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग
प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास का महत्वपूर्ण दायित्व महिला एवं बाल विकास विभाग को दिया गया है। एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं के सफल संचालन एवं पर्यवेक्षण के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों से संबंधित अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को कियान्वित करने की जिम्मेदारी विभाग के पास है। महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम एवं योजनाएं गुणवत्ता उन्नयन, सामुदायिक जागरूकता, सामाजिक जागरूकता, सहभागिता एवं प्रभावी पहुँच पर केन्द्रित हो रही है। विभाग, महिलाओं एवं बच्चों के विकास के मुद्दे के साथ-साथ महिलाओं एवं बालिकाओं के समग्र सशक्तिकरण की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। बच्चों को सुपोषण की दिशा में निरंतर अग्रसर कर बेहतर पीढ़ियों के निर्माण करने के लिए विभाग निरंतर कार्य कर रहा है।
15.10 समेकित बाल विकास सेवा योजना :-
भारत सरकार द्वारा कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर के स्तर में कमी लाने, बच्चों में मानसिक विकास की नींव डालने एवं उचित सामुदायिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य, पोषण तथा विकास संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल में माताओं की क्षमता निर्माण की महत्वाकांक्षी उद्देश्यों के साथ 02 अक्टूबर 1975 को समेकित बाल विकास सेवा परियोजना प्रारंभ किया गया।
15.10.1 समेकित बाल विकास सेवा परियोजना के उद्देश्य :-
बच्चों के उचित मानसिक (मनोवैज्ञानिक) शारीरिक तथा सामाजिक विकास की नींव डालना।
0 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों में पोषण व स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारना।
मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण, रूग्णता और बीच में स्कूल छोड़ने की घटनाओं में कमी लाना।
बाल विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न विभागों में नीति निर्धारण और कार्यक्रम लागू करने में प्रभावकारी तालमेल कायम करना।
उचित सामुदायिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों में सामान्य स्वास्थ्य पोषण तथा विकास संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल के लिए माताओं की क्षमता बढ़ाना।
15.11 मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना गंभीर कुपोषित एवं संकटग्रस्ट बच्चों को चिकित्सकीय परीक्षण की सुविधा, चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाएं, आवश्यकतानुसार बाल रोग विशेषज्ञों की परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। योजना अंतर्गत वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर 2024 तक लगभग 70221 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया।
15.12 शुचिता योजना :-
माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 24 जनवरी 2017 को बालिका दिवस के अवसर पर शुचिता योजना का शुभारंभ किया गया।
शुचिता योजना का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ अंचलों की स्कूलों में किशोरी बालिकाओं को स्वच्छ एवं कम लागत की सेनेटरी नेपकिन सुगमता से उपलब्ध कराना है। इसके अतिरिक्त उपयोग में आये नेपकिन को भस्मक मशीन द्वारा सुरक्षित तरीके से नष्ट करना है।
शुचिता योजना अंतर्गत शासकीय शालाओं में जहां कन्याएँ अध्ययनरत है, सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन तथा इंसीनीरेटर की स्थापना, साथ-साथ 10000 नेपकिन की निःशुल्क आपूर्ति तथा 01 वर्ष तक मशीनों के रखरखाव एवं निःशुल्क सर्विस सेंटर का प्रावधान किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में प्रावधानित राशि से हाई स्कूल / हायर सेकेण्डरी स्कूलों में सेनेटरी वेंडिंग मशीन एवं भस्मक इकाईयां स्थापित किया जा रहा है।
15.12 पूरक पोषण आहार कार्यक्रम :-
3-6 वर्ष आयु के सामान्य मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चे :-
आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष आयु के सामान्य मध्यम व गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म पके हुए भोजन में चांवल, रोटी, मिक्स दाल, सब्जी व गुड़ तथा सप्ताह में तीन दिन नाश्ते में रेडी टू ईट फूड का हलवा, व तीन दिन पोहा का वितरण किया जा रहा है।
नाश्ता एवं गर्म पके हुए भोजन में शामिल कच्ची सामग्री (चांवल छोड़कर) शेष सामग्री का प्रदाय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जाता है। प्रदेश में लगभग 17,622 महिला स्व सहायता समूहों द्वारा नाश्ता तथा गर्म भोजन का प्रदाय किया जा रहा है।
6 माह से 3 वर्ष आयु के सामान्य मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चे तथा गर्भवती व शिशुवती
महिलाएँ :-
टेक होम राशन अंतर्गत इस श्रेणी के हितग्राहियों को गेहू आधारित रेडी टू ईट फूड का प्रदाय किया जा रहा है। 6 माह से 3 वर्ष आयु के सामान्य एवं मध्यम कुपोषित बच्चों को 125 ग्राम तथा 6 माह से 3 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को 200 ग्राम तथा गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को 150 ग्राम के मान से रेडी टू ईट प्रतिदिन (सप्ताह में 6 दिवस हेतु) प्रदाय किया जा रहा है।
रेडी टू ईट फूड का निर्माण एवं प्रदाय का कार्य छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम रायपुर द्वारा किया जा रहा है।
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत वर्तमान में 6 माह से 3 वर्ष आयु के लगभग 10.37 लाख बच्चों, 3 वर्ष से 6 वर्ष आयु के लगभग 9.33 लाख बच्चों तथा लगभग 4.05 लाख गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को, इस प्रकार लगभग कुल 23.75 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा है।
15.13 किशोरी बालिकाओं के लिए योजना
प्रदेश के 10 आकांक्षी जिलो की किशोरी बालिकाओं के लिए योजनांतर्गत शाला त्यागी एवं शाला जाने वाली 14 से 18 वर्ष आयु के किशोरी बालिकाओं को रेडी टू ईट फूड सप्ताह में 900 ग्राम के पैकेट का प्रदाय किया जा रहा है। योजनांतर्गत 1.18 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा है।
15.14 पोषण अभियान
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए एक वृहत अभियान के रूप में राज्य के सभी जिलों में पोषण अभियान का शुभारंभ किया गया है। वर्तमान में दिनांक 01.08.2022 को भारत सरकार द्वारा पोषण अभियान को नवीन स्वरूप सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के रूप में लागू किया गया है।
पोषण अभियान का उद्देश्य बच्चों किशोरी बालिकाओं एवं गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के कुपोषण एवं एनीमिया के दर में कमी लाना है।
15.14.1 पोषण अभियान के मुख्य बिन्दु :-
पोषण ट्रेकर एप्प के माध्यम से डाटा संप्रेषण इस घटक के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षकों को मोबाईल प्रदाय कर आंगनबाड़ी के समस्त सूचकांको का प्रेषण व अनुश्रवण की व्यवस्था की गई है। भारत सरकार द्वारा पोषण ट्रैकर एप्प मोबाईल फोन आधारित एप्लीकेशन तैयार किया गया है जो आंगनबाड़ी केन्द्र के रिपोर्टिंग को डिजिटल प्लेटफार्म प्रदान करता है। यह एप्प आंगनबाड़ी केन्द्र द्वारा संधारित पंजी के स्थान पर डिजिटल रिकार्ड का काम करेगा। पोषण ट्रेकर पोर्टल अंतर्गत डैशबोर्ड के माध्यम से राज्य जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर आंगनबाड़ी केन्द्रों में दिए जाने वाले सेवाएँ, पोषण की स्थिति आदि जानकारी प्राप्त जा जा रही है। पोषण ट्रेकर एप्प के प्रभावशाली कियान्वयन हेतु संभागवार राज्य स्तरीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उक्त प्रशिक्षण में NeGD भारत सरकार के रिसोर्स पर्सन द्वारा समस्त जिलों के 380 मास्टर ट्रेनर्स (चयनित परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक एवं जिला समन्वयक) को प्रशिक्षित किया गया। पोषण ट्रेकर एप्प के नवीन वर्जनों पर समय-समय पर ऑनलाईन द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
विभिन्न विभागों के मध्य अभिसरण (Convergence): अंतर्विभागीय अभिसरण का उद्देश्य विभिन्न विभागो के माध्यम से बच्चों, किशोरी बालिकाएँ, गर्भवती, धात्री महिला के कुपोषण एवं एनिमिया में कमी लाने हेतु अभिसरण गतिविधियां करते हुए इस अभियान के माध्यम से कुपोषण दूर करने के लक्ष्य है। इस हेतु राज्य, जिला व विकासखण्ड स्तर पर अभिसरण बैठक का आयोजन किया जा रहा है। राज्य स्तर पर सहयोगी विभागों के नोडल अधिकारियों एवं डेव्हलपमेंट पार्टनर जैसे युनिसेफ, वर्ल्ड विजन, न्यूट्रिशन इन्टरनेशनल, एविडेन्स एक्शन आदि के साथ अभिसरण बैठक अंतर्गत गतिविधियों की समीक्षा एवं कार्ययोजना तैयार कर गतिविधियाँ कियान्वित किया जा रहा है।
प्रोत्साहन राशि का प्रावधान (Incentive) पोषण अभियान के आईसीटी आरटीएम घटक अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किए जाने पर प्रतिमाह आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने पर राशि रु. 500/- तथा सहायिकाओं को राशि रू. 250/- प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का प्रावधान है।
जन आंदोलन अभियान को जनआंदोलन का रूप देकर समुदाय की सहभागिता से कुपोषण से सुपोषण की ओर यात्रा का व्यापक स्वरूप देना है।
सूचना शिक्षा संचार (आईईसी) इस गतिविधि अंतर्गत प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, रेडियो,
सोशल मीडिया आदि के माध्यम से बच्चों, किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं में कुपोषण एवं एनिमिया में कमी लाने हेतु व्यवहार परिवर्तन एवं सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आईईसी गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
पोषण माह एवं पोषण पखवाड़ा पोषण माह एवं पोषण पखवाड़ा गतिविधि अंतर्गत
विभिन्न गतिविधियों जैसे-एनिमिया कैम्प, सुपोषण रथ के माध्यम से प्रचार-प्रसार, ग्राम पंचायत, नगरीय निकायों की बैठक, पोषण मेला, आयुष विभाग के साथ ऑनलाईन प्रशिक्षण, साईकल रैली, वृक्षारोपण, स्व-सहायता समूह की बैठक, पौष्टिक व्यंजन प्रतियोगिता, गृहभेंट एवं परामर्श, स्कूली बच्चों की प्रतियोगिताएं, वीएचएसएनडी के माध्यम से जागरूकता, गंभीर कुपोषित बच्चों का प्रबंधन, कृषक समूह की बैठक, नारे लेखन, योग गतिविधियां, युवक समूह बैठक, पोषण रैली, स्थानीय त्योहारों को जोड़ते हुए गतिविधियां आदि का आयोजन किया जाता है। राज्य में दिनांक 01 से 30 सितम्बर 2024 तक पोषण माह 2024 का आयोजन हुआ। भारत सरकार के जनआंदोलन डैशबोर्ड अनुसार उक्त कार्यक्रम में कुल 1,46,95,073 गतिविधियां आयोजित की गई।
15.15 महिला सशक्तिकरण :-
15.15.1 प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY):-
अल्प पोषण माँ एवं गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। गर्भावस्था में काम नहीं कर पाने के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपायी, पर्याप्त विश्राम तथा अच्छे पोषण हेतु भारत शासन महिला एवं बाल विकास द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना 1 जनवरी 2017 से पूरे देश में एक साथ लागू की गयी है।
भारत सरकार द्वारा जारी मिशन शक्ति की मार्गदर्शिका अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 से योजना अंतर्गत महिलाओं को प्रथम संतान के जन्म पर दो किश्तों में रूपये 5,000/- एवं द्वितीय संतान बालिका के जन्म पर एकमुश्त राशि रूपये 6,000/- रूपये देय है।
राज्य में 33 जिलों के 220 एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं के माध्यम से योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
योजना अन्तर्गत संचालित नवीन सॉफ्टवेयर में वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 तक 84,014 हितग्राही पंजीकृत है।
15.15.2 नोनी सुरक्षा योजना :-
जनगणना वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ के बाल लिंगानुपात 1000:975 था जो जनगणना वर्ष 2011 में घटकर 1000:969 हो गया है। राज्य में घटते बाल लिंगानुपात तथा बालिकाओं के प्रति समाज में सकारात्मक सोच बढ़ाने के लिए “नोनी सुरक्षा योजना” शीर्षक से योजना दिनांक 01.04.2014 से लागू की गई है।
उद्देश्य :-
प्रदेश में बालिकाओं की शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना, बालिकाओं के अच्छे भविष्य की आधारशिला रखना, बालिका भ्रूण हत्या रोकना और बालिकाओं के जन्म के प्रति समाज में सकारात्मक सोच लाना एवं बाल विवाह की रोकथाम करना है।
छत्तीसगढ़ राज्य के मूल निवासी तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की 01 अप्रैल 2014 के उपरांत जन्मी अधिकतम दो बालिका योजनांतर्गत लाभ की पात्र है।
योजना के अंतर्गत पंजीकृत बालिका का 18 वर्ष तक विवाह न होने एवं कक्षा 12 वीं तक शिक्षा पूर्ण होने पर वित्तीय संस्था द्वारा 01 लाख रूपये परिपक्वता राशि दी जायेगी।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 तक की स्थिति में 8255 हितग्राहियों को योजना अंतर्गत पंजीकृत किया जा चुका है।
15.15.3 सखी-वन स्टॉप सेंटर :-
घर के भीतर अथवा घर के बाहर अथवा किसी भी रूप में पीड़ित व संकटग्रस्त महिला को आवश्यकतानुसार सुविधा / सहायता तत्काल उपलब्ध कराते हुए जरूरतमंद महिला को चिकित्सा, विधिक सहायता, मनोवैज्ञानिक सलाह, मानसिक चिकित्सा, परामर्श सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराना।
प्रदेश के 27 जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर संचालित है। वित्तीय वर्ष 2024-25 अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 तक इन केन्द्रों में कुल 3277 प्रकरण दर्ज किये गये जिसमें से 1521 प्रकरणों का निराकरण तथा 1176 प्रकरणों में आश्रय प्रदान किया गया है।
15.15.4 महिला हेल्पलाईन 181:-
महिलाओं के विरूद्ध होने वाली हिंसा/घटना के मामलों में त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के उददेश्य से 181 महिला हेल्पलाईन का राज्य में संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर अथवा अन्य आपातकालीन सेवाओं के साथ समन्वय करना। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिला हेल्पलाईन 181 का संचालन वर्ष 2016 से ही प्रारंभ किया गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 तक 1168 प्रकरण दर्ज किये गये जिसके विरूद्ध में सभी 1168 प्रकरणों का निराकरण किया गया।
टोल फ्री नंबर 181 पर किसी भी सेवा प्रदाता के लैंडलाईन या मोबाईल नं. से 181 डायल किया जा सकता है। इसके अलावा वेबसाईट, ईमेल, व्हाटसएप इत्यादि माध्यमों से राज्य के किसी भी कोने से कोई भी महिला / बालिका सहायता की मांग कर सकती है। यह निःशुल्क सेवा है। सखी केन्द्र राज्य महिला हेल्पलाईन नम्बर 181 से इंटीग्रेटेड किया जा चुका है।
15.15.5 नवाबिहान योजना :-
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 प्रावधानों के अनुरूप घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को आवश्यकता अनुसार परिवहन, चिकित्सा, आश्रय एवं पुनर्वास तथा परामर्श सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु प्रदेश में नवाबिहान योजना संचालित है। इसके अंतर्गत स्वतंत्र संरक्षण अधिकारी एवं सेवा प्रदाता की नियुक्ति की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 तक की अवधि में कुल 1298 प्रकरण प्राप्त हुए जिसमें से 653 प्रकरणों का डी.आई.आर. तैयार किया गया एवं 558 प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
15.15.6 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ-
भारत शासन द्वारा लिंगानुपात दर में आ रही गिरावट को ध्यान में रखते हुए बच्चों के जन्म के समय लिंग चयन तथा विभेद को समाप्त करने, बालिकाओं की उत्तरजीविका व उनकी सुरक्षा, बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर की औसत दर से 943 से निम्न स्तर पर आने वाले पूरे देश के 100 चयनित जिलों में बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना दिनांक 22 जनवरी 2015 से लागू की गई है। भारत सरकार द्वारा जारी मिशन शक्ति की मार्गदर्शिका अनुसार इस वित्तीय वर्ष 2022-23 से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को प्रत्येक जिले में लागू किया गया है।
15.15.7 महिला जागृति शिविर :-
महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों, प्रावधानों के प्रति जागृत करना, विभिन्न सामाजिक कुप्रथाओं के विरूद्ध महिलाओं को जागृत व संगठित करना तथा विभिन्न योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है।
विभाग द्वारा इस हेतु प्रदेश के ग्राम पंचायतों, जनपद एवं जिला स्तरों पर समय-समय पर महिला जागृति शिविरों का आयोजन किया जाता है।
15.15.8 दिशा दर्शन भ्रमण कार्यक्रम :-
योजनांतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों के सुदृढ़ीकरण हेतु उनकी क्षमता विकास के लिए दिशा दर्शन कार्यक्रम अंतर्गत उपयुक्त स्थानों का अध्ययन भ्रमण कराया जाता है ताकि महिलाएं उनसे प्रेरणा लेकर / इस अनुभव से सीखकर आयोपार्जन गतिविधियों में सम्मिलित हो सके। दिशा दर्शन कार्यक्रम वर्ष 2012-13 से संचालित किया जा रहा है।
15.15.9 शक्ति सदन :-
संकटग्रस्त महिलाओं विधवा, निराश्रित, तिरस्कृत एवं परित्यक्ता को आश्रय व सहारा प्रदान करने तथा निःशुल्क परिपालन व पुर्नवास करना एवं बच्चों तथा महिलाओं की मानव तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण से पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास और उन्हें समाज में पुनः जोड़ने के लिए पूर्व में संचालित स्वाधार गृह एवं उज्जवला गृह को समाहित करते हुए भारत शासन की अम्ब्रेला योजना मिशन शक्ति के अंतर्गत शक्ति सदन योजना का संचालन किया जा रहा है।
प्रदेश में वर्तमान में 03 शक्ति सदन का संचालन कोरबा, कोरिया एवं सरगुजा जिले में स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से किया जा रहा है। संस्था में इन महिलाओं के निःशुल्क आवास, भरण-पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण, विधिक सहायता और पुर्नवास व्यवस्था की जाती है। इस योजना में केन्द्र एवं राज्य का अंशदान 60:40 का है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 01 अप्रैल 2024 से 30 सितम्बर 2024 तक की स्थिति में 150 महिलाएं एवं 40 बच्चों को लाभान्वित किया गया है।
15.15.10 मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना :-
योजनांतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले अथवा मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के अन्तर्गत कार्डधारी परिवार की 18 वर्ष से अधिक आयु की अधिकतम दो कन्याओं को पात्रता शर्तों को पूर्ण करने पर विवाह कराया जाता है।
वर्ष 2023-24 से योजनान्तर्गत प्रत्येक कन्या के विवाह हेतु अधिकतम रु. 50,000.00 रूपये की राशि व्यय किए जाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें प्रति कन्या राशि रु. 7,000.00 तक की आर्थिक सहायता सामग्री के रूप में (जिसमें वर वधु के कपड़े, श्रृंगार सामग्री, जूते-चप्पल, चुनरी, साफा, मंगलसूत्र इत्यादि तथा अन्य आवश्यक सामग्री देय होगी) एवं 35,000.00 रूपये बैंक ड्राफ्ट के रूप में दिए जाते है तथा सामूहिक विवाह आयोजन व्यवस्था पर प्रति कन्या अधिकतम 8000.00 रूपये तक व्यय किया जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 अप्रैल 2023 से सितम्बर 2024 तक 341 कन्याओं का विवाह सम्पन्न कराया गया।
15.16 छत्तीसगढ़ महिला कोष अन्तर्गत ऋण योजना :-
महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक विकास संबंधी कार्यों को बढ़ावा देने, महिला सशक्तिकरण
के लिए आवश्यक उपाय करने तथा महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन, सुदृढ़ीकरण एवं आर्थिक गतिविधि के लिए वित्तीय एवं अन्य सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ महिला कोष का गठन छत्तीसगढ़ सोसायटीज रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के तहत दिनांक 2.2.2002 को किया गया है।
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों को आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ऋण योजना का संचालन दिनांक 15.8.03 से किया जा रहा हैं। छ.ग. शासन से पत्र क्र एफ 10-4/2016/मबावि/50 दिनांक 11.09.2023 अनुसार अब स्व सहायता समूहों के ऋण सीमा में वृद्धि करते हुए स्व-सहायता समूहों को 01-02 लाख रूपये तक का ऋण प्रथम बार तथा प्रथम बार प्रदत्त ऋण की सफलतापूर्वक वापसी पर 04 लाख से 06 लाख रूपये तक का ऋण द्वितीय बार में प्रदाय किया जायेगा। योजना के तहत छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा महिला स्व सहायता समूह को 3 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता हैं। इस वित्तीय वर्ष अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 में 88 महिला समूहों को ऋण प्रदाय किया गया।
15.16.1 सक्षम योजना
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा वर्ष 2009-10 में “सक्षम योजना” आरंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत ऐसी महिलाओं जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है अथवा 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित महिलाओं अथवा कानूनीतौर पर तलाकशुदा महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय आरंभ करने हेतु आसान शर्तों पर 1.00 लाख रूपये तक का ऋण प्रदाय किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से यौन उत्पीड़न, एचआईवी पॉजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी इन योजनाओं का लाभ लेने की पात्रता रखेंगे।
छ.ग. शासन से पत्र क्र एफ 10-4/2016/मबावि/50 दिनांक 11.09.2023 अनुसार अब उक्त महिलाएँ उपलब्ध न होने पर 18 से 45 आयु वर्ग की सभी जरूरतमंद महिलाएँ जिनके परिवार की वार्षिक आय रूपये 1,00,000/- के स्थान पर महिला की वार्षिक आय की सीमा राशि 2,00,000/- तक हो, वे भी योजना का लाभ लेने हेतु पात्र होती है। कानूनी तौर पर तलाकशुदा महिलाओं या ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र या पंजीकृत सामाजिक संस्था द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर भी परित्यक्त महिलाओं को लाभांवित किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा दिनांक 28.09.2021 से अधिकतम ऋण सीमा में वृद्धि करते हुए 40 हजार रूपये के गुणांक में राशि 02 लाख रूपये तक ऋण 03 प्रतिशत वार्षिक साधारण व्याज दर पर आसान किश्तों में ऋण प्रदाय किया जा रहा है।
इस वित्तीय वर्ष अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024 में 25 महिला हितग्राहियों को ऋण प्रदाय किया गया।
15.16.2 स्वावलंबन योजना
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा वर्ष 2009-10 में “स्वावलंबन योजना” आरंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत निर्धन वर्ग की ऐसी महिलाओं को जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है अथवा जो कानूनीतौर पर तलाकशुदा है अथवा जो 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित महिलायें है. व्यावसायिक दक्षता प्रदान कर उनके स्वावलंबी बनने का आधार हेतु आय उपार्जन गतिविधि का प्रशिक्षण निःशुल्क प्रदान किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से यौन उत्पीड़न, एचआईवी पॉजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी इन योजनाओं का लाभ लेने की पात्रता रखेगी। जिला स्तर पर व्यावसायिक दक्षता प्रदान करने एवं उनके स्वावलंबी बनने का आधार हेतु आय उपार्जन गतिविधि का प्रशिक्षण निःशुल्क प्रदान किया जाता है। यह प्रशिक्षण मुख्यमंत्री कौशल विकास योजनांतर्गत राज्य कौशल विकास प्राधिकरण के माध्यम से प्रदाय किया जाता है।
15.17 मिशन वात्सल्य योजना:-
मिशन वात्सल्य का प्राथमिक लक्ष्य है बच्चों के संरक्षण के लिए समर्पित और दक्ष कर्मियों, संरचनाओं और सेवाओं के लिए सुरक्षा तंत्र की स्थापना करना। योजना को कार्यक्रम में तब्दील कर बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण की कल्पना को साकार करना जिसकी अवधारणा किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित अधिनियम 2021 में दी गई है, जिसके तहत उनके अधिकार सुनिश्चित किये गये है, ताकि वे अपनी पूर्ण क्षमता अनुसार विकास कर सके।
इस योजना का उद्देश्य है “बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना” ताकि मुश्किल परिस्थित्तियों में भी उनका विकास और कल्याण अच्छी तरह से सुनिश्चित किया जा सकें, इन प्रयासो से उन असुरक्षित परिस्थितियों को कम किया जा सकता है जो बच्चों को उनके परिजनों से दूर करती है और बच्चों से दुर्व्यवहार, उनकी उपेक्षा, शोषण का कारण बनती है।
राज्य बाल संरक्षण समिति सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग की अध्यक्षता में गठित यह समिति राज्य में बाल संरक्षण के कार्यक्रमों का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण करती है। समिति में बाल संरक्षण/विकास / कल्याण के लिए कार्यरत सभी शासकीय विभागों के प्रतिनिधि सदस्य होते हैं।
राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण राज्य में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के समुचित कियान्वयन हेतु यह अभिकरण स्थापित है। दत्तक ग्रहण की संपूर्ण प्रक्रिया ऑनलाईन है। केयरिंग्स पोर्टल के माध्यम से दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया संपादित की जाती है। दत्तक ग्रहण हेतु अंतिम आदेश जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया जाता है। राज्य में दत्तक ग्रहण से संबंधित सभी कार्यवाहियों का समन्वय इस अभिकरण द्वारा किया जा रहा है। राज्य में दत्तक ग्रहण कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा करने और दत्तक ग्रहण प्रक्रिया या प्रणाली की प्रचालनात्मक के साथ-साथ संभारीय मुददों को हल करने और अवरोधों को मिटाने के लिये सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग की अध्यक्षता में शासी निकाय की गठन किया गया है।
जिला बाल संरक्षण इकाई राज्य के प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में मिशन वात्सल्य योजना के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई गठित है। इकाई में बाल संरक्षण/विकास/ कल्याण के लिए कार्यरत सभी शासकीय विभागों के प्रतिनिधि सदस्य होते हैं।
विधि से संघर्षरत तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखरेख कार्यक्रम :-
किशोर न्याय अधिनियम / मिशन वात्सल्य योजना के अन्तर्गत राज्य में संस्थागत देखरेख कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय एवं अशासकीय बालगृह, खुला आश्रय गृह, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित है जबकि विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय सम्प्रेक्षण गृह, शासकीय विशेष गृह एवं शासकीय प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।
बाल सम्प्रेक्षण गृह :-
विधि विरूद्ध कार्य करने वाले अण्डर ट्रायल बच्चों को किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर बाल सम्प्रेक्षण गृह में रखा जाता है।
राज्य के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, अम्बिकापुर, जगदलपुर, कोरबा, दंतेवाड़ा, जशपुर रायगढ़ राजनांदगांव तथा महासमुंद में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव, अम्बिकापुर एवं जगदलपुर में बालिकाओं के लिए सम्प्रेक्षण गृह संचालित है।
विशेष गृह :-
किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी पाये जाने उपरांत बच्चों को सुधारात्मक उपचार हेतु विशेष गृह में रखने का आदेश दिया जाता है। इसी प्रकार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रावधानों के अनुसार 18 वर्ष आयु तक के ऐसे बालक जिनके विरूद्ध अपराध दोष सिद्ध है किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर विशेष गृह में रखा जाता है।
वर्तमान में दुर्ग, बिलासपुर, अम्बिकापुर एवं जगदलपुर में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव, जगदलपुर एवं अम्बिकापुर में बालिकाओं के लिए विशेष गृह संचालित है।
प्लेस ऑफ सेफ्टी :-
किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित अधिनियम 2021 की धारा 19(3) के अनुसार विधि विरुद्ध कार्य करने वाले ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 16 वर्ष से अधिक आयु के बच्चें जिनके विरुद्ध जघन्य अपराध कारित करने का आरोप है या दोषसिद्ध है तथा 21 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति जिन पर अपराध कारित करने का आरोप है जो अपराध कारित करते समय 18 से कम आयु के रहे हो, को किशोर न्याय बोर्ड/बाल न्यायालय के आदेश पर प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जा सकता है।
वर्तमान में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर एवं सरगुजा में बालकों के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।
खुला आश्रय गृह:-
घुमन्तू, सड़क पर कचरा बीनने वाले बच्चे जिन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिलता अथवा संकटग्रस्त ऐसे बच्चे जो बाल श्रमिक है पर बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत नहीं हैं। ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने व दिन-रात आश्रय प्रदान करने हेतु खुला आश्रय गृह बालकों के लिए राज्य के दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, बस्तर, रायपुर, दंतेवाड़ा एवं कोरबा में तथा बालिकाओं के लिए रायपर एवं जशपर में स्वीकत है।
बालगृह :-
देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बच्चे जिन्हें दीर्घ अवधि के लिए आश्रय, देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है उन्हें, बालक कल्याण समिति के आदेश पर बालगृह में रखा जाता है। राज्य में 06 शासकीय एवं 37 अशासकीय बालगृह संचालित हैं।
विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण –
अनाथ, परित्यक्त तथा अभ्यर्पित बच्चे जिन्हें दत्तक पर दिया जाना होता है, उन बच्चों के लिए कार्यवाही विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण द्वारा की जाती है। इनकी क्षमता 10 बच्चों की होती है। वर्तमान में राज्य में सभी जिलों में विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण संचालित हैं।
“चाइल्ड हेल्पलाइन” (1098) द्वारा आकस्मिक सेवा :-
चाईल्ड हेल्पलाईन का संचालन भारत शासन के द्वारा अब तक सीधे स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। इसके तहत छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी 33 जिलों एवं 02 रेल्वे स्टेशनों में चाईल्ड हेल्पलाईन का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित थे। भारत शासन, महिला एवं बाल विकास, मंत्रालय द्वारा मिशन वात्सल्य योजना का क्रियान्वयन के दिशा निर्देश अनुसार मिशन वात्सल्य योजनांतर्गत चाईल्ड हेल्पलाईन का संचालन राज्य एवं जिलों द्वारा ERSS 112 के साथ इंटिग्रेशन करते हुए किया गया है। वर्तमान में ERSS 112 के साथ इंटिग्रेशन की प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है। दिनांक 01.08.2023 से छत्तीसगढ़ राज्य में चाईल्ड हेल्पलाईन का संचालन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। चाईल्ड हेल्पलाईन योजना शतप्रतिशत केन्द्रीय क्षेत्रीय योजना है। चाईल्ड हेल्पलाईन के संचालन हेतु C-DAC द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया जा रहा है। राज्य में Child Helpline WCdControl room की स्थापना जिला रायपुर में की गई है। राज्य में सभी 33 जिलों में चाइल्ड हेल्प लाईन की सेवाएँ उपलब्ध है, साथ ही रायपुर एवं बिलासपुर 02 स्थानों पर रेल्वे चाइल्ड हेल्प लाइन संचालित है।
पीएम केयर्स योजना योजना का उद्देश्य कोविड वैश्विक आपदा से अनाथ हुए बच्चों के कल्याण हेतु स्वास्थ्य बीमा, शिक्षा एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। योजना के तहत् शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा एवं 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर 10 लाख रूपये की एकमुश्त रकम उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है, जो कि 23 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर उन्हे प्राप्त होगी। योजना के हितग्राहियों की जानकारी पीएम केयर्स पोर्टल पर अद्यतन की जाती है। योजनांतर्गत 109 पात्र हितग्राहियों को लाभ दिया गया है।
प्रवर्तकता कार्यक्रम किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 की धारा 45 तथा किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) नियम 2022 के नियम 24 के प्रावधान अनुसार देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को कुटुम्ब के सान्निध्य में रखते हुए बच्चे की चिकित्सीय, शैक्षणिक और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु 4000 रूपये प्रतिमाह के मान से वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। दिनांक 30 सितम्बर 2024 की स्थिति में राज्य में 1080 बच्चों को प्रवर्तकता कार्यक्रम से लाभान्वित किया जा रहा है।
पोषण देखरेख कार्यक्रम पोषण देखरेख कार्यक्रम के अंतर्गत पारिवारिक देखरेख से वंचित बच्चों को किसी गैर नातेदार परिवार/फिट फैसिलिटी की देखरेख एवं संरक्षण में रखा जा सकता है ताकि बच्चे की सुरक्षा एवं संरक्षण सुनिश्चित हो सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए उपयुक्त व्यक्ति / संस्था को 4000.00 रू. रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 की धारा 44 तथा किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) आदर्श नियम 2016 यथा संशोधित नियम 2022 के नियम 23 में दिये गये प्रावधानों के प्रकाश में यह कार्यकम राज्य के सभी जिलो में लागू है। दिनांक 30 सितम्बर 2024 की स्थिति में राज्य में 20 बच्चे पोषण देखरेख कार्यक्रम के अंतर्गत पारिवारिक पोषण देखरेख में निवासरत हैं।
आफ्टर केयर कार्यक्रम यह कार्यकम उन बच्चों के लिए है जो संस्थागत देखरेख में है एवं 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् सामाजिक / शारीरिक / मानसिक / आर्थिक रूप से स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ है। ऑफ्टर केयर कार्यकम के अंतर्गत ऐसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन गतिविधियों की व्यवस्था की जाती है जिससे वह स्वयं को सामाजिक / शारीरिक/ मानसिक / आर्थिक रूप से सशक्त करते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए 4000.00 रु. प्रतिमाह की वित्तीय सहायता अधिकतम 03 वर्ष अथवा 21 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो. प्रदान करने का प्रावधान है।
राज्य द्वारा की गई विशेष पहल
उम्मीद बच्चों के शैक्षणिक विकास को सकारात्मक एवं सुविधाजनक बनाने के लिए, बाल देखरेख संस्थाओं में ऑनलाइन शैक्षिक कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, इस हेतु एचडीएफसी बैंक द्वारा 78 बाल देखरेख संस्थाओं में स्मार्ट टी.वी. उपलब्ध कराये गये है। बायजूस द्वारा कक्षा 04 से कक्षा 12 हेतु शैक्षणिक सामग्री तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करायी गयी है। इस हेतु बायजूस के साथ एमओयू किया गया है।
उजियार विधि से संघर्षित बालकों हेतु संचालित बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बालकों की उर्जा को सकारात्मक दिशा देने, संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों एवं बालकों के बीच स्वस्थ एवं रचनात्मक संबंध की स्थापना तथा पुनर्स्थापनात्मक दृष्टिकोण, सहयोगात्मक तरीके से गतिविधियां आयोजित किए जाने हेतु जगदलपुर, दुर्ग, सरगुजा, बिलासपुर के बाल संप्रेक्षण गृह, विशेष गृह और प्लेस ऑफ सेफ्टी मे एवं रायपुर जिला के के बाल संप्रेक्षण गृह, और प्लेस ऑफ सेफ्टी मे “उजियार” कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।
छ.ग. बाल कोष छत्तीससगढ़ बालकोष, राज्य सरकार द्वारा सृजित ऐसी निधि है, जिसे किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधित अधिनियम, 2021 के धारा 105 के तहत, एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधित नियम, 2022 के नियम 83 के प्रावधान अनुसार देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले तथा विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के सर्वोत्तम हित हेतु निर्धारित देखभाल और सेवाओं के गुणवत्ता मानकों के संधारण बाबत् आवंटित बजट की अपर्याप्तता की स्थिति में अनुदान/निधि/घन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। छ.ग. बाल कोष अंतर्गत निधि सृजित करने एवं उसके उपयोग हेतु प्रक्रिया निर्धारण के संबंध में विभागीय अधिसूचना दिनांक 23.03.2022 के माध्यम से क्रियान्वयन दिशा निर्देश जारी किये गये है।
बाल सक्षम नीति राज्य शासन द्वारा देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के सर्वांगीण विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुये, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 3 में उल्लेखित मूलभूत सिद्धांतों के मार्गदर्शन में सड़क जैसी परिस्थितियों में बिना किसी सहयोग के अकेले रहने वाले, सड़क जैसी परिस्थितियों में अपने परिवार के साथ रहने वाले तथा दिन में सड़क जैसी परिस्थितियों में और रात को अपने परिवार के साथ घर में पास की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण तथा पुनर्वास हेतु पुनर्वास नीति 2022″ लागू है। इस नीति को “बाल सक्षम” के नाम से भी जाना जाता है।
बाल विवाह की रोकथाम माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल विवाह की रोकथाम हेतु बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का शुभारंभ 10 मार्च 2024 को किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संबंधित विभागों के परामर्श से बाल विवाहों के प्रभावी रोकथाम हेतु रणनीति तैयार कर सभी संबंधित विभागों एवं कलेक्टरों को प्रेषित की गई है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 16 के प्रावधान अनुसार राज्य शासन द्वारा राज्य में 259 बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी अधिसूचित किये गये है। दिनांक 30 सितम्बर 2024 की स्थिति में 168 बाल विवाह रोके गये है।
मुख्यमंत्री बाल उदय योजना बाल देखरेख संस्था से बाहर जाने वाले 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले बच्चों के पुनर्वास हेतु संचालित है। योजनांतर्गत बाल देखरेख संस्था में निर्गमन की तारीख को न्यूनतम 03 वर्ष तक निवासरत बालकों को लाभ की पात्रता होगी। योजना का लाभ21 वर्ष की आयु, अपवादात्मक परिस्थिति में 23 वर्ष एवं उच्च शिक्षा हेतु 25 वर्ष तक मिलेगा। योजनांतर्गत आवास, उच्च शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, स्वरोजगार, जीवन कौशल, परामर्श, स्वास्थ्य सुविधाएं इत्यादि सेवाएं प्रदान किये जाने का प्रावधान है। जीवन यापन हेतु 7000/-रुपये प्रतिमाह की सहायता एवं उच्च शिक्षा हेतु वास्तविक देय राशि की सहायता का प्रावधान है। दिनांक 30 सितम्बर 2024 की स्थिति में 26 बालकों को लाभान्वित किया गया है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
छत्तीसगढ़ शासन का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग राज्य में भारत सरकार, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा जारी मापदण्डों एवं राज्य शासन के अवधारणानुसार ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था कराने एवं नगरीय क्षेत्र में पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन का कार्य संपादित करता है। विभाग की संक्षिप्त एवं सारगर्भित उपलब्धियां निम्नानुसार है:-
15.18 ग्रामीण जल प्रदाय कार्यकम (2024-25) (सितंबर, 2024 की स्थिति में)
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के 19,627 ग्रामों के 75,207 बसाहटों में 2,43,609 हैंडपंप, शालाओ में 11,338, आंगनबाड़ी केन्द्रों में 13,919 एवं गौठानों में 1030 हैण्डपम्प इस प्रकार कुल 2,69,896 हैण्डपम्प स्थापित कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
राज्य में 4,447 नलजल प्रदाय योजनाएँ एवं 2,200 स्थल जलप्रदाय योजनाओं के माध्यम से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल प्रदाय किया जा रहा है।
प्रदेश की 46,280 शालाओं में से 43,932 शालाओं में 45731 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 41,666 आंगनबाड़ी केंद्रों में रनिंग वाटर से शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराया जा रहा है।
जल जीवन मिशन जल जीवन मिशन की वर्ष 2024-25 की छत्तीसगढ़ राज्य की वार्षिक कार्ययोजना हेतु अनुमानित लागत रु. 8463.00 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसके अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष में 4,69,851 कार्यरत ग्रामीण घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्रदाय का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2024-25 में सितंबर, 2024 की स्थिति में कुल 51,575 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया गया है। सितंबर 2024 तक कुल 39,48,622 (78.91%) परिवारों को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया गया है एवं सितंबर 2024 की स्थिति में जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्वीकृत योजनाओं की जानकारी निम्नानुसार है:-
सोलर आधारित ड्यूल ऑपरेटेड पम्प स्थापना सौर ऊर्जा पर आधारित ड्यूल ऑपरेटिंग सोलर पम्प के द्वारा जलप्रदाय की अभिनव योजना प्रारंभ की गई है। ड्यूल ऑपरेटिंग सिस्टम में सोलर पम्प के साथ-साथ नलकूप का उपयोग कर हैण्डपम्प से भी जल प्राप्त किया जाता है। राज्य में अब तक 5,084 सोलर आधारित ड्यूल ऑपरेटेड पम्प की स्थापना की गई है तथा 2,500 सोलर आधारित जल प्रदाय योजना भी संचालित की गयी है जिसमें पाइप लाइन बिछाकर घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्रदाय किया जा रहा है। इस प्रकार राज्य में कुल 7,584 सोलर आधारित जल प्रदाय योजना संचालित है।
उपरोक्त के अतिरिक्त जल जीवन मिशन के अंतर्गत 2679 सोलर पंप स्थापित किये गये हैं।
जल गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों में सतही स्रोत आधारित जल प्रदाय योजना :-
राज्य के जल गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु गंभीरता के साथ प्रयास किये गये हैं, जिसके अंतर्गत राजनांदगांव जिले में आर्सेनिक से प्रभावित चौकी क्षेत्र के 23 ग्रामों के लिए रु. 33.85 करोड़ की समूह जल प्रदाय योजना का कार्य पूर्ण कर पेयजल प्रदाय किया जा रहा है। योजना से 46.855 जनसंख्या लाभान्वित हो रही है।
प्रदेश के खारे पानी से प्रभावित जिला बेमेतरा के विकासखंड नवागढ़, बेमेतरा एवं साजा के प्रभावित 152 ग्रामों के लिए रु. 201.97 करोड़ की समूह जल प्रदाय योजना का कार्य पूर्ण कर पेयजल प्रदाय किया जा रहा है जिससे 1,68,736 जनसंख्या लाभान्वित हो रही है।
जिला बस्तर के आयरन एवं फ्लोराईड से प्रभावित 33 ग्रामों के लिए रु. 49.68 करोड़ की कोसारटेडा समूह जल प्रदाय योजना का कार्य पूर्ण कर पेयजल प्रदाय किया जा रहा है जिससे 60,000 जनसंख्या लाभान्वित हो रही है।
उपरोक्त के अतिरिक्त जिला राजनांदगांव में झोला एनीकट पर आधारित 24 ग्रामों, मोहारा एनीकट पर आधारित 23 ग्रामों की समूह जल प्रदाय योजना, जिला दंतेवाड़ा के गीदम विकासखंड के 9 ग्रामों की छिंदनार समूह जल प्रदाय योजना, जिला कबीरधाम की 11 ग्रामों की पोड़ी समूह जल प्रदाय योजना, जिला सूरजपुर के 18 ग्रामों की हर्राटिकरा समूह जल प्रदाय योजना तथा जिला बीजापुर की भोपालपट्नम-रालापल्ली समूह जल प्रदाय योजना तथा जिला कोरबा की चोटिया समूह जल प्रदाय योजना का कार्य पूर्ण कर जल प्रदाय कर दिया गया है।
ग्रामों की धुरली समूह जलप्रदाय योजना अंतर्गत 15 ग्रामों में तथा 8 ग्रामों की नेरली समूह जल प्रदाय योजना अंतर्गत 3 ग्रामों में कार्य पूर्ण कर पेयजल प्रदाय किया जा रहा है।
इस प्रकार 14 ग्रामीण समूह जलप्रदाय योजनाओं से 344 ग्रामों को सतही स्रोत के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
शासन द्वारा पेयजल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जल परीक्षण हेतु प्रदेश में 01 राज्य स्तरीय, 28 जिला स्तरीय एवं 24 उपखंड स्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की गई है, जिससे निरंतर पेयजल का परीक्षण किया जा रहा है। 01 राज्य स्तरीय, 28 जिला स्तरीय एवं 18 उपखंड स्तरीय जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को NABL से मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
15.19 शहरीय जल प्रदाय कार्यकम-
133 नगरीय निकायों में जल प्रदाय योजनाएं पूर्ण कर जल प्रदाय प्रारंभ किया जा चुका है।
35 नगरीय निकायों में जलप्रदाय योजनाओं के कार्य प्रगति पर है।
15.20 पेयजल हेतु जन समस्या निवारण व्यवस्था
राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल समस्याओं के त्वरित निराकरण हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा टोल फ्री नम्बर 1800-233-0008 स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से प्राप्त समस्याओं का त्वरित निराकरण किया जाता है। यह व्यवस्था सतत् जारी है।
See also
References
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