Chapter 10 : Industry [CG Economic Survey 2024-25]
मुख्य बिन्दु
- वर्ष 2024-25 (अग्रिम) में विनिर्माण क्षेत्र में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (स्थिर भाव) योगदान 55,71,396 लाख रू. अनुमानित है।
- नई औद्योगिक नीति 2024-30 के अंतर्गत विभिन्न औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन / स्टार्टअप योजनाएं / अनुसूचित जनजाति, जाति वर्ग हेतु विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज लागू की गई हैं।
- राज्य में वर्ष 2023-24 में लगभग 20,100 करघों पर लगभग 60,300 बुनकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार में संलग्न हैं।
- वर्ष 2024-25 में कुल 717.97 लाख नग नैसर्गिक कोसा का उत्पादन लक्ष्य प्रस्तावित है, तथा 23932 हितग्राही लाभान्वित करना प्रस्तावित है। माह सितम्बर-2024 तक
- कुल 266.513 लाख नग कोसा का संग्रहण हो चुका है जिससे कुल 9277 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हो रहे है।
- छ.ग. खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 9 उत्पादन केन्द्र कुंवरगढ़, सारागांव, मैनपुर, गरियाबंद, भगतदेवरी, तिफरा बिलासपुर, हरदी बाजार, देवरबीजा एवं डिमरापाल, संचालित हैं।
10.1 देश के आर्थिक विकास में औद्योगीकरण का योगदान महत्वपूर्ण है। उद्योग विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ अनेक प्रकार की वस्तुएं उत्पादित करते हैं। छ.ग राज्य मे स्थाई एवं सुशासन होने के अतिरिक्त गुणवत्तायुक्त निर्बाध विद्युत, अपार खनिज संपदा, शांत श्रम माहौल तथा आधारभूत औद्योगिक ढांचें की उपलब्धता होने के कारण यह निवेशकों के लिए पसंदीदा स्थान बन रहा है। छ.ग. जैसे कृषि आधारित राज्य में कृषि को बढ़ावा देते हुए बेरोजगारी की समस्या को भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग के विकास से इन क्षेत्रों का तीव्र विकास सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
विनिर्माण क्षेत्र का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में हिस्सा, वृद्धि एवं भागीदारी तालिका 10.1 में दर्शाई गई है।
विभाग का कार्य प्रदेश के चहुमुखी विकास में औद्योगिकीकरण एवं व्यापार संवर्धन के माध्यम से, राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देते हुए, औद्योगिक विकास की गति को तीव्र करना है, ताकि राज्य में पूंजी निवेश अधिकाधिक हो, रोजगार के अवसर बढ़ें, राज्य के मूल निवासियों को रोजगार प्राप्त हो व राज्य औद्योगिक दृष्टि से अन्य राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी हो।
10.3 औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत “छत्तीसगढ राज्य स्टार्ट-अप पैकेज” –
(छत्तीसगढ़ राज्य में स्थापित एवं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में पंजीकृत एवं वैद्य प्रमाण पत्र धारित करने वाली स्टार्टअप इकाईयों को ।)
(अ) निवेश प्रोत्साहन :-
(1) कार्पस फंड स्टार्टअप इकाईयों को बढ़ावा देने हेतु पृथक से राज्य शासन द्वारा राशि रू. 50 करोड़ के कार्पस फंड का निर्माण। उक्त कार्पस फंड से स्टार्टअप्स इकाईयों को निम्नानुसार सहायता प्रदान किया जावेगा –
(2) स्टार्टअप इकाइयों को प्रारंभिक चरण में इन्क्यूबेशन सेंटर की अनुशंसा के आधार पर सीड फंडिंग के रूप में राशि रू. 05 लाख प्रदान किया जावेगा।
(3) उत्पादन / कार्य प्रारम्भ के 06 माह पश्चात संचालन हेतु राशि रू. 03 लाख की सहायता प्रदान की जावेगी।
(4) स्टार्टअप इकाईयों द्वारा उत्पादन / कार्य प्रारम्भ के 18 माह पश्चात निरंतर संचालन एवं विकास हेतु राशि रू. 03 लाख की सहायता प्रदान की जावेगी।
(5) क्रेडिट रिस्क फंड राज्य में स्थापित होने वाले मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इकाईयों को बढ़ावा देने हेतु पृथक से राज्य शासन द्वारा राशि रू. 50 करोड़ के क्रेडिट रिस्क फंड का निर्माण किया जावेगा।
(6) किराया अनुदान छत्तीसगढ़ में स्थापित होने वाले वैध स्टार्टअप इकाइयों को, 03 वर्षों तक, किराए के भवन में / इन्क्यूबेशन सेंटर में स्टार्टअप इकाई स्थापित करने की दशा में, भुगतान किये गये मासिक किराये का 40 प्रतिशत, प्रति माह अधिकतम राशि रू. 15000/- की प्रतिपूर्ति प्रत्येक तिमाही में अनुदान के रूप में की जायेगी।
(7) स्टाम्प शुल्क से छूट-
(1) भूमि के क्रय / न्यूनतम 5 वर्ष की लीज पर स्टाम्प शुल्क से पूर्ण छूट।
(2) सावधि ऋण पर तीन वर्ष तक स्टाम्प शुल्क से छूट।
(8) परियोजना प्रतिवेदन अनुदान मान्य स्थायी पूंजी निवेश का एक प्रतिशत, अधिकतम रूपये 5.00 लाख ।
(9) गुणवत्ता प्रमाणीकरण अनुदान प्रमाणीकरण प्राप्त करने हेतु किये गये व्यय का 80 प्रतिशत, अधिकतम रूपये 10.00 लाख ।
(10) तकनीकी पेटेंट अनुदान पेटेंट प्राप्त करने हेतु किये गये व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम रूपये 10 लाख ।
(11) प्रौद्योगिकी क्रय अनुदान प्रौद्योगिकी क्रय हेतु किये गये व्यय का 50 प्रतिशत अधिकतम रूपये 10 लाख ।
(ब) इन्क्यूबेटर्स :-
(1) इन्क्यूबेटर्स को स्थापना हेतु किये गये व्यय का 40 प्रतिशत अधिकतम 40 लाख अनुदान प्रदान किया जावेगा।
(2) संभाग मुख्यालय में इन्क्यूबेटर्स की स्थापना पश्चात् संचालन हेतु 5 वर्ष तक राशि रूपये 5 लाख प्रतिवर्ष एवं शेष जिलों में स्थापित इन्क्यूबेटर्स को अधिकतम राशि रूपये 3 लाख प्रतिवर्ष प्रदान किया जायेगा।
10.4 औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति /जाति वर्ग हेतु विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज –
10.5. सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फैसिलिटेशन काउंसिल (एमएसईएफसी) :-
सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों द्वारा उत्पादित वस्तुओं/सामग्रियों की आपूर्ति के पश्चात् क्रेताओं द्वारा समय पर भुगतान न करने अथवा भुगतान संबंधित विवादों के निराकरण हेतु राज्य में सूक्ष्म एवं लघु उद्यम फेसिलिटेशन काउंसिल गठित है। काउंसिल के अध्यक्ष उद्योग आयुक्त / संचालक उद्योग तथा 4 अन्य वित्त एवं आर्थिक क्रियाकलापों के विशेषज्ञ होते हैं।
10.6 छत्तीसगढ़ शासन की स्वरोजगार योजनाएँ
10.6.1 मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना (एमएमवायएसवाय) :-
राज्य के युवा वर्ग को आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी, आत्मनिर्भरता, कार्यक्षमता का पूर्ण उपयोग एवं योग्यता के अनुरूप स्वयं का रोजगार (उद्यम, सेवा, व्यवसाय) प्रारंभ करने हेतु बैंकों से ऋण प्राप्त होने संबंधी समस्याओं के दीर्घकालीन निराकरण हेतु मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना प्रारंभ की गयी है। इस योजना के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा क्रेडिट गारंटी शुल्क, सेवा शुल्क का भुगतान किया जाता है तथा मार्जिन मनी अनुदान (अधिकतम 1.50 लाख रू.) व औद्योगिक नीति के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन भी दिये जाते हैं।
ऋण की सीमा –
- विनिर्माण उद्यम – परियोजना लागत अधिकतम रू 25.00 लाख
- सेवा उद्योग – परियोजना लागत अधिकतम रू 10.00 लाख
- व्यवसाय – परियोजना लागत अधिकतम रु. 02.00 लाख
टीपः- वित्तीय वर्ष 2024-25 से मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना बंद की गई है, इसके स्थान पर ‘उद्यम क्रांति’ योजना लागू की जा रही है।
10.7 केन्द्र शासन की स्वरोजगार योजनाएँ
10.7.1 प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) –
उद्देश्य – देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का सृजन ।
परियोजना लागत – विनिर्माण अधिकतम रू 50.00 लाख सेवा एवं व्यवसाय अधिकतम रू 20.00 लाख
लाभार्थी का अंशदान – सामान्य वर्ग 10%, अ.जा/अ.ज.जा /अ.पि.वर्ग व अन्य 5%
अनुदान की दर – सामान्य वर्ग शहरी 15%, ग्रामीण 25%, अ.जा/अ.ज.जा / अ.पि.वर्ग व अन्य शहरी 25% ग्रामीण 35%
पात्रता – आयु 18 वर्ष से अधिक, न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8 वीं उत्तीर्ण, स्वसहायता समूह / सोसायटी भी पात्र
10.7.2 प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) :-
भारत शासन की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना वर्ष 2020-21 से संचालित है। योजना में खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना तथा उन्नयन हेतु बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
परियोजना के सावधिक ऋण का 35 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख तक अनुदान दिया जाता है। अनुदान में भारत शासन का 60 प्रतिशत तथा राज्य शासन का 40 प्रतिशत भागीदारी होती है।
10.7.3 प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना (पीएम विकास) :-
कारीगरों तथा शिल्पकारों की पहचान कर उनके कौशल विकास कर उन्नत किट दिये जाने के उद्देश्य से 11 सितम्बर, 2023 से केन्द्र शासन द्वारा योजना प्रारंभ की गई है।
इसमें 18 ट्रेड यथा बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्रकार, लोहार, लोहे के औजार निर्माता, तालासाज, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, राजमिस्त्री, झाडू निर्माण, खिलौना निर्माण, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी, जाल निर्माण तथा उन्नत प्रशिक्षण 15 दिवसीय दिया जाता है। प्रशिक्षण उपरांत राशि रू. 15,000/- का किट तथा आवश्यकतानुसार बैंक ऋण 1 लाख 5 प्रतिशत के रियायती ब्याज दर पर 18 माह हेतु तथा भुगतान उपरांत 2 लाख 30 माह हेतु दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है।
10.8 प्रधानमंत्री मुद्रा योजना-
(सूक्ष्म श्रेणी के उद्योग, व्यवसाय व सेवा हेतु बैंको के माध्यम से ऋण वितरण)
1. “शिशु रु. 50,000 तक
2. “किशोर” रु. 50,000 से अधिक एवं रु. 5 लाख तक,
3 “तरूण” रु. 5 लाख से अधिक एवं रु. 10 लाख तक।
10.9 उद्योग विभाग के अंतर्गत स्थापित निगम / बोर्ड “छत्तीसगढ़ स्टेट इण्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेडः छत्तीसगढ़ शासन, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के अंतर्गत एक ही निगम “छत्तीसगढ़ स्टेट इण्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड” गठित है। इस निगम की अधिकृत पूंजी रूपये 10 करोड़ एवं प्रदत्त पूंजी रूपये 1.60 करोड़ है।
भारत शासन द्वारा वर्ष 2000 में किये गये राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के अंर्तगत स्थापित निगमों यथा (1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम, रायपुर (2) मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम (3) मध्यप्रदेश राज्य उद्योग निगम (4) मध्यप्रदेश वित्त निगम (5) म.प्र. निर्यात निगम (6) म.प्र. औद्योगिक विकास निगम (7) मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन (8) मध्यप्रदेश टेक्सटाईल कार्पोरेशन को इसमें समाहित किया गया है।
राज्य शासन द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार निगम के द्वारा विभिन्न गतिविधियां निष्पादित की जाती हैं यथा औद्योगिक संवर्धन, प्रचार-प्रसार, अधोसंरचना सुविधाओं का विकास, औद्योगिक क्षेत्रों/पार्कों की स्थापना, लघु उद्योगों के विपणन में सहायक की भूमिका, कच्चामाल आपूर्ति, शासकीय उद्योगों का संचालन, राज्य की राजधानी में राज्योत्सव का आयोजन एवं नई दिल्ली के भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में राज्य के मंडप का निर्माण एवं संचालन एवं शासन द्वारा समय समय पर निर्देशित अनुसार अन्य कार्य।
10.10 निगम (सी.एस.आई.डी.) द्वारा किये जाने वाले कार्यों, उपलब्धियों का विवरण निम्नानुसार है :-
(अ) (1) स्थापित औद्योगिक विकास केन्द्र / औद्योगिक क्षेत्र / पार्कों का विवरण
(1.1) निगम के नियंत्रणाधीन स्थापित औद्योगिक विकास केन्द्र/औद्योगिक क्षेत्र/पार्को का विवरण निम्नानुसार है:-
(ब) एकीकृत अधोसंरचना विकास केन्द्र (IIDC) भारत सरकार की इस योजना के अंतर्गत राज्य में सूक्ष्म, लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एकीकृत अधोसंरचना विकास केन्द्रों की स्थापना की जाती है। नवीन योजना के अंतर्गत परियोजना लागत का 60 प्रतिशत अधिकतम रु. 6 करोड़ का अनुदान भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है, शेष राशि का अंशदान राज्य शासन द्वारा दिया जाता है। राज्य में इनकी स्थापना हेतु नोडल एजेंसी सी.एस.आई.डी.सी. है।
भारत सरकार के सहयोग से निम्न नये एकीकृत अधोसंरचना विकास केन्द्र की आबंटन की प्रकिया प्रारंभ हो गई है, जिनका विवरण निम्नानुसार है:-
(स) स्थापित विशिष्ट औद्योगिक पार्क
मेटल पार्क जिला रायपुर विशिष्ट उद्योगों पर आधारित औद्योगिक पार्को की स्थापना के अंतर्गत रायपुर में रावांभाटा में फेरस तथा नान फेरस डाऊनस्ट्रीम अप्रदूषणकारी सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों को भूमि उपलब्ध कराने की दृष्टि से रायपुर शहर से 12 कि.मी. की दूरी पर ग्राम सवांभाटा में मेटल पार्क विकसित किया गया है।
इंजीनियरिंग पार्क जिला दुर्ग विशिष्ट उत्पाद आधारित औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के अंतर्गत इंजीनियरिंग उत्पाद संबंधी समूह उद्योगों के विकास हेतु भारी औद्योगिक क्षेत्र हथखोज, भिलाई से लगे हुए ग्राम हथखोज में कुल 122.618 हेक्टेयर भूमि पर निगम द्वारा इंजीनियरिंग उत्पादों के क्लस्टर विकास हेतु इंजीनियरिंग पार्क विकसित किया गया है।
इलेक्ट्रानिक मेन्यूफेक्चरिंग क्लस्टर जिला रायपुर नया रायपुर में 48.56 हे. भूमि पर भारत सरकार द्वारा स्वीकृत इलेक्ट्रानिक मेन्यूफेक्चिरिंग क्लस्टर की स्थापना प्रारंभ है।
फूड पार्क जिला धमतरी ग्राम बगौद जिला-धमतरी में कुल 6868 हेक्टेयर भूमि पर फूड पार्क की स्थापना की गई है। अनुमानित परियोजना लागत रू. 45.00 करोड़ है।
10.10.1 स्थापनाधीन / प्रस्तावित विशिष्ट औद्योगिक पार्क
सेक्टर-22 अटल नगर, नवा रायपुर में 141.84 एकड़ में नवीन फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना प्रस्तावित है। जिसमें अनुमानित परियोजना लागत रू. 161.13 करोड़ है।
ग्राम- बिजेतला, राजनांदगांव में 421.89 एकड़ में नवीन आदर्श औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना प्रस्तावित है। जिसमें अनुमानित परियोजना लागत रू. 308.27 करोड़ है।
ग्राम-सिलादेही-बिर्रा गतवा, जांजगीर चांपा में नवीन आदर्श औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना प्रस्तावित है। जिसमें अनुमानित परियोजना लागत रू. 388.35 करोड़ है।
नवीन फूड पार्क की स्थापना राज्य में नॉन-कोर सेक्टर को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से फूड पार्क स्थापित किया गया है। सर्वे एवं डिमार्केशन पश्चात् ग्राम सुकमा जिला-सुकमा में अधोसंरचना विकास का कार्य पूर्ण किया जाकर फूड पार्क की स्थापना की जा चुकी है व चार जिलों में यथा विकासखण्ड छिन्दगढ़, कोन्टा, जिला-सुकमा व तहसील पखंजुर व ग्राम श्यामतराई में फूड पार्क की स्थापना की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क (जिला रायपुर) रायपुर में 10 एकड़ भूमि पर पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप आधार पर जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क प्रस्तावित है, जिसकी प्रारंभिक परियोजना लागत रु. 350 करोड़ है। परियोजना की क्रियान्वयन हेतु परियोजना सलाहकार की नियुक्ति की जा चुकी है तथा Architectural Consultant की नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
प्लास्टिक पार्क भारत सरकार प्लास्टिक पार्क योजना अंतर्गत ग्राम सरोरा, जिला-रायपुर में 46 एकड़ भूमि पर प्लास्टिक पार्क की स्थापना प्रस्तावित है। इस पार्क की प्रारंभिक परियोजना लागत रु. 44.00 करोड़ है तथा इस हेतु भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है व प्लास्टिक पार्क का अभिन्यास ग्राम तथा नगर निवेश विभाग द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है।
परीक्षण प्रयोगशाला, भिलाई सीएसआईडीसी के अधीन परीक्षण प्रयोगशाला, भिलाई के द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 3500 लघु उद्योग इकाईयों को उनके उत्पाद परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रयोगशाला हेतु एन.ए.बी.एल. से मान्यता प्राप्त की गई है एवं अब इसके परीक्षण राष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं।
10.10.2 लघु उद्योगो को विपणन सुविधा राज्य के लघु उद्योगो के विकास एवं प्रोत्साहन हेतु राज्य में लागू ” छत्तीसगढ़ शासन भण्डार क्रय नियम-2002 (यथा संशोधित) ” में संशोधन किये गये है। जिसके फलस्वरूप समस्त शासकीय विभागों के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, प्रदेश के समस्त सार्वजनिक उपक्रम, मंडल, जिला पंचायत एवं नगरीय निकाय भी भण्डार क्रय नियमों की परिधि में रहेंगे। भण्डार क्रय नियम के परिशिष्ट- सूची में कुल 77 केटेगीरी (223) की वस्तुए सूचीबद्ध है।
भण्डार कय नियम 4.9 प्रावधान के अधीन राज्य के जीएसटी विभाग में निविदाकर्ता फर्म का पंजीयन होना चाहिए तथा उस पंजीयन प्रमाण पत्र में, जिस सामग्री के लिए निविदा की गई है उसका स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए, ताकि कर अपवचन का मामला नहीं बनें। इसी प्रकार निविदाकर्ता की ओर से निविदा में भाग लेने हेतु अधिकृत प्रतिनिधि का राज्य के जीएसटी विभाग में पंजीयन होना अनिवार्य है।
छत्तीसगढ़ शासन भण्डार क्रय नियम-2002 (यथा संशोधित) के अनुसार जेम (GeM: Government eMarketplace) के माध्यम से शासकीय खरीदी :-
छत्तीसगढ़ शासन, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग से जारी अधिसूचा दिनांक 11.07.2024 के अनुसार भण्डार क्रय नियम-3 के उपनियम 3.1.1″ राज्य शासन के समस्त विभाग / क्रेता कार्यालय / अधिनस्थ संस्थाएं अपनी आवश्यकतानुसार सामग्री, वस्तुयें एवं सेवाएं जिनकी दरें एवं विशिष्टियां भारत सरकार के डीजीएसएण्डडी की जेम वेबसाईट (GeM Government e-Marketplace) में उपलब्ध हों, का क्रय जेम वेबसाईट से उनकी नियमावली, निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुये क्रय करेंगें, किन्तु ऐसे क्रय के लिये विभाग / क्रेता कार्यालय / अधिनस्थ संस्थाएं जेम वेबसाईट में संबंधित सामग्री के तकनीकी स्पेसिफिकेशन (Technical Specification) का परीक्षण, विक्रेता की साख एवं एल-1 मूल्य, आदि का निर्धारण स्वयं करेगा। विभाग / क्रेता कार्यालय / अधिनस्थ संस्थाए की यह भी जिम्मेदारी होगी कि वह शासकीय कोष की मितव्ययता एवं क्रय की जा रही सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा। यदि राज्य शासन का कोई विभाग / क्रेता कार्यालय / अधिनस्थ संस्थाए इस प्रावधान से परे, इस नियमावली के नियम 4 में वर्णित प्रावधान के अनुरुप निविदा प्रणाली के माध्यम से सामग्री, वस्तुयें एवं सेवाएं का क्रय करना चाहे तो वे निविदा के माध्यम से सामग्री, वस्तुयें एवं सेवाएं क्रय कर सकेंगें किंतु ऐसा करने के पूर्व उन्हें संबंधित प्रशासकीय विभाग के माध्यम से वित्त विभाग से लिखित सहमति प्राप्त करनी होगी” का प्रावधान किया गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा जारी उपरोक्त अधिसूचना के अनुक्रम में भारत सरकार की संस्था जेम (GeM: Government eMarketplace) एवं राज्य शासन के मध्य निष्पादित एम.ओ.यू. के अंतर्गत राज्य शासन के विभागों द्वारा सामग्री का क्रय जेम (GeM) के माध्यम से किया जा रहा है। जेम पोर्टल (GeM: Government eMarketplace) के संस्करण 2.0 एवं 3.0 से शासकीय खरीदी की अद्यतन प्रगति निम्नानुसार है:-
जेम पोर्टल (GeM: Government eMarketplace) में शासकीय सामग्री की प्रक्रिया के लिए सीएसआईडीसी में संचालित जेम सेल के अधिकारियों द्वारा आवश्यकता के अनुसार राज्य शासन के विभागों में जेम कार्यशाला का आयोजन कर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इसी प्रकार जेम क्रय प्रक्रिया में क्रेता विभागों से प्राप्त पृच्छाओं/ कठिनाईयों का समय-समय पर निराकरण किया जाता है।
10.10.3 कौशल उन्नयन गतिविधियां
10.10.3.1 अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाईन सेंटर रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव में अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाईन सेंटर स्थापित किये गये हैं। इससे राज्य के युवाओं को अपेरल क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं रोजगार प्राप्त हो रहा है।
- बस्तर संभाग में युवाओं हेतु कौशल विकास / प्रशिक्षण
- बस्तर संभाग के जिला सुकमा में अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाईन सेंटर की स्थापित है।
- इस प्रशिक्षण केन्द्र में 240 युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा ।
- प्रशिक्षण केन्द्र में वस्त्र उद्योग से संबंधित विभिन्न ट्रेड जैसे अपेरल मैन्युफेक्चरिंग टेक्नालाजी, प्रोडक्शन सुपरविजन, अपेरल पैटर्न मेकिंग, क्वालिटी कंट्रोल, कटिंग, टेलरिंग, सिलाई मशीन आपरेटर आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
10.10.3.2 एम.एस.एम.ई. टेक्नोलॉजी सेंटर, बोरई, दुर्ग भारत सरकार, एम.एस.एम.ई. मंत्रालय द्वारा “टेक्नोलॉजी सेंटर सिस्टम प्रोग्राम” के अंतर्गत लगभग रु. 112 करोड की लागत से बोरई, जिला-दुर्ग में टूल रूम की स्थापना की गई। इस संस्थान में एम.एस.एम.ई. उद्योगों को परीक्षण सुविधा एवं युवाओं को कौशल प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की जा रही है।
10.10.3.3 सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (सीपेट) :-प्लास्टिक उद्योग में युवाओं को प्रशिक्षण देने हेतु सीपेट (“सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी) स्थापित किया गया है। यहां दीर्घकालीन एवं डिप्लोमा तथा पीजी डिप्लोमा कोर्स संचालित है।
10.10.3.4 प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्श 2020-21 में योजना का प्रारंभ किया गया है। जिसे मार्च 2026 तक बढ़ाया गया है। वित्तीय वर्श 2024-25 के लिए बजट राशि रू. 47.19 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्रांश तथा 40 प्रतिशत राशि राज्यांश का है। इस वित्तीय वर्श में रु. 5.00 करोड़ केन्द्रांश तथा रू. 3.33 करोड़ राज्यांश कुल राशि रू. 8.33 करोड़ प्राप्त हो चुका है।
योजना के अंतर्गत 828 लाभार्थियों के आवेदन स्वीकृत कर 528 लाभार्थियों को राशि रू. 21.82 करोड़ का अनुदान वितरित किया गया है। योजना में SRLM के SHGs के 10,091 सदस्यों को राशि रू. 11.16 करोड एवं SULM के SHGs के 1194 सदस्यों को राशि रू. 3.29 करोड़ सीड कैपिटल हेतु वितरित किया गया है।
10.10.3.7 ऑनलाईन भुगतान सुविधा सीएसआईडीसी द्वारा भू-आबंटी इकाईयों से भू-आबंटन से संबंधित राशियों (प्रीमियम, लीज़रेंट, मेंटनेंस आदि) की वसूली हेतु ऑनलाईन सुविधा सफलतापूर्वक क्रियान्वित की जा रही है।
10.10.3.8 भू-आबंटन पत्रों को ऑनलाईन प्राप्त करना दिनांक 7 मार्च 2015 से लागू नवीन छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के परिपालन में उद्यमी को मांगपत्र, आशयपत्र, आबंटन आदेश, भू-प्रब्याजि में छूट, आशय पत्र में समयावधि विस्तार, संशोधन मांगपत्र आदि की समस्त प्रक्रिया आनलाईन की जा रही है।
10.10.3.9 जल आपूर्ति संयोजन हेतु ऑनलाईन आवदेन पत्र सुविधा इकाईयों को जल आपूर्ति के लिये ऑनलाईन आबंटन सुविधा प्रारंभ की गई है।
10.10.3.10 औद्यौगिक क्षेत्रों का जी.आई.एस. मैप राज्य में औद्योगिक प्रयोजन हेतु औद्योगिक क्षेत्रों का जी.आई.एस. मैप तैयार कराया जाकर आनलाईन किया गया है। साथ ही लैण्ड बैंक की उपलब्ध भूमि का भी जी.आई. एस. मैप अद्यतन कराया जा रहा है।
10.10.3.11 निगम (सी.एस.आई.डी.सी.) की अन्य व्यावसायिक अधोसंरचना
सिलतरा शापिंग काम्पलेक्स, रायपुर
व्यावसायिक परिसर तिफरा, बिलासपुर
व्यावसायिक परिसर बिरकोनी महासमुंद
वाणिज्यिक परिसर डंगनिया, रायपुर
उद्योग भवन, रायपुर
व्यावसायिक परिसर औद्योगिक क्षेत्र हरिनछपरा, कबीरधाम
व्यावसायिक परिसर औद्योगिक क्षेत्र सिरगिट्टी, बिलासपुर
औद्योगिक क्षेत्र तिफरा, बिलासपुर
प्रशासनिक भवन, डीडीयू नगर, रायपुर
मेटल पार्क, रायपुर
औद्योगिक क्षेत्र उरला, रायपुर
इंजीनियरिंग पार्क / औद्योगिक क्षेत्र हथखोज, भिलाई
इंजीनियरिंग पार्क / औद्योगिक क्षेत्र हथखोज, भिलाई
डीटीआईसी बिल्डिंग, दुर्ग
औद्योगिक क्षेत्र बरतोरी, तिल्दा
10.10.3.12 डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं व्यापार परिसर, नई राजधानी, रायपुर :-
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के उपरांत से एक दशक की अवधि में व्यापार एवं उद्योग की दिशा में तीव्र गति से हुए विकास एवं राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश तथा आयात-निर्यात की अपार संभावनाओं को देखते हुए राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले, प्रदर्शनी, कान्फ्रेन्स, सेमिनार इत्यादि के लिये एक सर्व सुविधायुक्त ट्रेड सेंटर जिसमें आयात-निर्यात से संबंधित गतिविधियों के लिये एक्सपोर्ट फेसिलिटेशन सेंटर का प्रावधान भी हो, के निर्माण की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन द्वारा नई राजधानी क्षेत्र के ग्राम तूता में छत्तीसगढ़ ट्रेड सेंटर की स्थापना की जा रही है। उक्त परियोजना का निर्माण कार्य नोडल एजेन्सी छत्तीसगढ़ स्टेट इण्डस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन के द्वारा नया रायपुर में नया रायपुर डेव्हलपमेंट एजेंसी से पट्टे पर प्राप्त कुल 100 एकड़ भूमि पर किया जा रहा है। कुल पुनरीक्षित परियोजना लागत रु. 192.14 करोड़ है।
वर्तमान में उपरोक्त परियोजना के अंतर्गत कुछ आंतरिक सड़कों के साथ-साथ प्रदर्शनी परिसर, कल्चरल प्रोग्राम ग्राऊण्ड, पाथवेज एवं बाऊण्ड्रीवाल का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त 700 सीटर आडिटोरियम सहित Export Facilitation cum Convention Centre तथा Cultural Programme Stage का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
10.10.3.13 अन्य मुख्य कार्यकलाप विभाग के उपक्रम सी०एस०आई०डी०सी० द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के औद्योगिक विकास हेतु देश-विदेश के औद्योगिक समूहों / उद्योगपतियों की राज्य में औद्योगिक निवेश हेतु रूचि जागृत करने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने की दृष्टि से तैयार की गई वेबसाइट को और अधिक व्यवस्थित किया गया है। इसमें राज्य के वर्तमान औद्योगिक परिदृश्य प्राकृतिक संसाधनों, सामाजिक अधोसंरचना, नीतियां तथा स्थापित विकास केन्द्रों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इस वेबसाइट का पता www.csidc.in है।
10.11 उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण इस सर्वेक्षण में कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत
पंजीकृत समस्त फैक्ट्री, बीड़ी एवं सिगार कर्मचारी (रोजगार की शर्तें) अधिनियम 1966 के अंतर्गत पंजीकृत उद्यमों को शामिल किया जाता है। विगत उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (2020-21 से 2022-23) का मदवार विवरण नीचे दर्शित तालिका में दिया गया है।
उद्योगों की संख्या में वृद्धि किसी भी देश या क्षेत्र के आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति का महत्वपूर्ण संकेतक होती है। यह विकास को निम्नलिखित तरीकों से दर्शाता है।
1. रोजगार सृजनः अधिक उद्योग स्थापित होने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या कम होती है और जीवन स्तर में सुधार होता है।
2. आर्थिक उत्पादन में वृद्धिः उद्योगों की संख्या बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (ळक्च्) में बढ़ोतरी होती है। यह आर्थिक स्थिरता का संकेत है।
3. निवेश और पूंजी प्रवाह में वृद्धिः नए उद्योग अधिक निवेश को आकर्षित करते हैं, जिससे पूंजी का प्रवाह बढ़ता है और वित्तीय संस्थानों को मजबूती मिलती है।
4. तकनीकी विकास और नवाचारः उद्योगों की संख्या में वृद्धि से शोध और विकास (R&D) को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे नई तकनीकों और उत्पादों का विकास होता।
5. इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकासः उद्योगों की मांग के अनुसार सड़कें, बिजली, जल आपूर्ति और परिवहन सेवाओं का विस्तार होता है. जो समग्र विकास को बढ़ावा देता है।
10.12 औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (IIP) औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) एक सांख्यिकीय माप है जो किसी देश या क्षेत्र के उद्योगों के उत्पादन के स्तर का समय-समय पर मूल्यांकन करता है। इसे मुख्य रूप से विभिन्न उद्योगों, जैसे कि खनन, विनिर्माण, और बिजली उत्पादन, के उत्पादन को ट्रैक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
IIP का उद्देश्य देश की औद्योगिक गतिविधियों की वृद्धि दर या संकुचन का मूल्यांकन करना होता है। यह सूचकांक सरकार और नीति निर्धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि यह आर्थिक स्वास्थ्य, उत्पादन क्षमता और समग्र आर्थिक विकास को समझने में मदद करता है। IIP का उपयोग निवेश निर्णयों, मुद्रा नीति और अन्य आर्थिक रणनीतियों के निर्धारण में किया जाता है।
इसके अलावा भारत के प्रमुख राज्य में भी राज्य स्तरीय औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक तैयार किए जाते हैं। छतीसगढ़ में इस सूचकांक के तैयार नहीं होने के कारण भारत के सूचकांक को मानते हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय नई दिल्ली संपूर्ण भारत के लिए मासिक IIP संकलन कर जारी करता है।
ग्रामोद्योग (रेशम प्रभाग)
10.13 प्रदेश में टसर कृमिपालन का कार्य परंपरागत है। संचालित योजना के माध्यम से ग्रामीण अंचल में निवास कर रहे स्थानीय निर्धन विशेष कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं पिछड़े वर्ग के गरीब परिवारों को स्वरोजगार उपलब्ध कराना है। छत्तीसगढ़ राज्य को दो प्रकार की रेशम प्रजातियों टसर एवं मलबरी ककून का उत्पादन होता है।
10.13.1 पालित डाबा टसर ककून उत्पादन योजना इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में उपलब्ध साजा-अर्जुन के टसर खाद्य पौधों पर टसर कीट पाले जाते है। इस योजना को अपनाने के लिये हितग्राहियों को किसी प्रकार की पूंजी निवेश की आवश्यकता नही होती हैं। ऐसे कृषक जिनकी स्वयं की भूमि पर पर्याप्त मात्रा में टसर खाद्य पौधे उपलब्ध है। इस योजना को अपना कर स्वरोजगार प्राप्त कर सकते है। विभाग द्वारा टसर स्वस्थ्य डिम्ब समूह रियायती दर पर 2.00 प्रति स्व. समूह (अंडे) की दर से प्रति कृषक को 100 स्वस्थ्य डिम्ब समूह उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वर्ष में तीन फसल कृषकों द्वारा उत्पादित की जा सकती है। प्रत्येक फसल में 8000 से 10000 टसर कोसा का उत्पादन कर 500 रू से 3000 रु. प्रति हजार मूल्य कृषको द्वारा प्राप्त किया जा रहा है, उक्त योजना प्रदेश के 33 जिलों में संचालित 425 टसर कोसा बीज केन्द्रों एवं नवीन (राजस्व/ वन भूमि) विस्तार केन्द्र तथा चिन्हांकित वन क्षेत्रों में योजना कियान्वित की जा रही है।
वर्ष-2023-24 में कुल 899.48 लाख नग पालित कोसा का उत्पादन लक्ष्य प्रस्तावित है, तथा 28700 हितग्राही / श्रमिकों को लाभान्वित करना प्रस्तावित था। माह मार्च-2024 तक कुल 753.80 लाख नग कोसा का उत्पादन हुआ हैं, जिससे 25451 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हुये हैं। वर्ष 2024-25 में कुल 902.29 लाख नग पालित कोसा का उत्पादन लक्ष्य प्रस्तावित है, तथा 27727 हितग्राही / श्रमिकों को लाभान्वित करना प्रस्तावित हैं। माह सितम्बर-2024 तक कुल 310.67 लाख नग कोसा का उत्पादन हो चुका हैं जिससे कुल 14014 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हो रहे है कार्य प्रगति पर हैं।
10.13.2 नैसर्गिक बीज प्रगुणन एवं कोसा संग्रहण योजना वर्ष 2023-24 में नैसर्गिक ककून का प्रस्तावित लक्ष्य 1800.00 लाख नग कोसा संग्रहण का लक्ष्य प्रस्तावित है जिससे 60000 हितग्राही / संग्रहक लाभान्वित करने का लक्ष्य है। माह मार्च-2024 तक अनुमानित कुल 473.468 लाख कोसा का संग्रहण हुआ जिससे 16844 अनुमानित हितग्राही लाभान्वित हुये हैं। वर्ष 2024-25 में कुल 717.97 लाख नग नैसर्गिक कोसा का उत्पादन लक्ष्य प्रस्तावित हैं, तथा 23932 हितग्राही लाभान्वित करना प्रस्तावित हैं। माह सितम्बर-2024 तक कुल 266.513 लाख नग कोसा का संग्रहण हो चुका है जिससे कुल 9277 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हो रहे है कार्य प्रगति पर है।
10.13.3 टसर धागा करण योजना प्रदेश के विभिन्न जिलों में वर्ष 2023-24 में साख्यिकी आधार पर 494.920 मि.टन टसर रा सिल्क एवं स्पन सिल्क उत्पादन किया जाना प्रस्तावित था माह मार्च-2024 तक कुल 207.765 मि०ट० रा सिल्क का उत्पादन सांख्यिकीय आधारित है। वर्ष 2024-25 में सांख्यिकी आधार पर 278.937 मि.टन टसर रा सिल्क एवं स्पन सिल्क उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है माह सितम्बर- 2024 तक कुल 99.903 मि०८० रा सिल्क का उत्पादन सांख्यिकीय आधारित है कार्य प्रगति पर है।
10.13.4 मलबरी रेशम विकास एवं विस्तार योजना प्रदेश में 68 रेशम केन्द्र, 19 यार्न बैंक संचालित है।
ककून बैंक 04
वर्ष 2023-24 में 70361 किलोग्राम लक्ष्य प्रस्तावित था जिससे कुल 2955 हितग्राही / श्रमिकों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया था, माह मार्च 2024 तक कुल 59529 किलोग्राम कोसा का उत्पादन हुआ जिससे 2651 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हुये हैं। वर्ष 2024-25 में 72180 किलोग्राम लक्ष्य प्रस्तावित हैं जिससे कुल 3034 हितग्राही / श्रमिको को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्रस्तावित है माह सितम्बर- 2024 तक कुल 16272 किलोग्राम कोसा का उत्पादन हुआ जिससे 1688 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हुये हैं, कार्य प्रगति पर हैं।
रेशम प्रभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं के माध्यम से वर्ष 2023-24 में 91656
हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित का लक्ष्य रखा गया था। माह मार्च 2024 तक कुल 44946 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित हुये हैं। वर्ष 2024-25 में 54693 हितग्राही / श्रमिक लाभान्वित का लक्ष्य रखा गया हैं माह सितम्बर-2024 तक कुल 24979 हितग्राही / श्रमिकों को लाभान्वित किया गया हैं, कार्य प्रगति पर हैं।
ग्रामोद्योग हाथकरघा
10.14 ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हाथकरघा उद्योग का रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। यह उद्योग हाथकरघा बुनाई के परंपरागत धरोहर को अक्षुण्ण बनाए रखने के साथ ही बुनकर समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक परंपराओं को प्रतिबिंबित करता है। है। छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 20,100 करघों पर लगभग 60300 बुनकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार में संलग्न हैं। राज्य के जांजगीर-चांपा एवं रायगढ़ जिला कोसा वस्त्र उत्पादक क्षेत्र हैं, तथा रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, महासमुन्द, कवर्धा, धमतरी, अंबिकापुर एवं जगदलपुर सूती वस्त्र उत्पादक क्षेत्र है। राज्य के कोसा वस्त्र एवं जगदलपुर के परंपरागत वस्त्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हैं।
10.14.1 नेशनल हैण्डलूम एक्सपो एवं हाथकरघा प्रदर्शनीः छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश के हाथकरघो पर उत्पादित कॉटन / कोसा वस्त्र उत्पादों के विक्रय को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्श जिलों में हाथकरघा प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। हाथकरघा वस्त्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया तथा राश्ट्रीय आदिवासी महोत्सव एवं छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2022 का आयोजन साइंस कॉलेज मैदान में दिनांक में 01.11.2022 से 03.11.2022 को किया गया साथ ही प्रदेश में बलौदाबाजार एवं प्रदेश के बाहर उज्जैन (मध्यप्रदेश), अमरावती एवं वर्धा (महाराष्ट्र) में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। उक्त प्रदर्शनियों में कुल राशि रूपये 225.63 लाख के हाथकरघा वस्त्रों का विक्रय हुआ।
10.14.2 शासकीय विभागों में हाथकरघा वस्त्र प्रदाय छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ द्वारा प्रदेश के बुनकर सहकारी समितियों के माध्यम से शासकीय वस्त्र प्रदाय योजनान्तर्गत वस्त्र उत्पादन कार्यक्रम संचालित है। इस योजनान्तर्गत शासकीय विभागों में लगने वाले वस्त्रों की आपूर्ति, प्रदेश के हाथकरघा बुनकरों से उत्पादन कराकर की जा रही है। इस योजना से राज्य के बुनकरों को नियमित रोजगार सुलभ हुआ है।
10.15 छत्तीसगढ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड
छत्तीसगढ़ राज्य में खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में खादी तथा ग्रामोद्योगों की इकाई स्थापना कराना है तथा उन्नत तकनीक के द्वारा प्रशिक्षण प्रदान कर कारीगरों एवं दस्तकारों तथा सूत कातने वाली महिलाओं को रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करना है। बोर्ड द्वारा प्रमुख रूप से कियान्वित की जा रही योजनाओं का ब्यौरा निम्नानुसार है:-
10.15.1 मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (CMEGP) छ.ग. खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित परिवार मूलक योजना को संशोधित कर मुख्यमंत्री रोजगार एवं सृजन कार्यकम नवीन योजना की स्वीकृति दी गई है। योजनांतर्गत परियोजना लागत राशि सेवा क्षेत्र हेतु रू. 1. 00 लाख एवं विनिर्माण क्षेत्र हेतु रू. 3.00 लाख तथा अनुदान राशि की सीमा 35 प्रतिशत है, जिसमें लाभार्थी द्वारा 5% स्वयं अंशदान विनियोजित करना होता हैं। इस योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग के लोगों को ग्रामोद्योग इकाईयों की स्थापना कराकर स्वरोजगार से लगाने हेतु लाभान्वित किया जाता है।
10.15.2 प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) खादी और ग्रामोद्योग आयोग (भारत सरकार) की यह प्रायोजित योजना है। इस योजना के तहत शहरी एवं ग्रामीण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग के लिए सेवा क्षेत्र हेतु रू. 20.00 लाख तथा विनिर्माण क्षेत्र हेतु रू. 50.00 लाख तक लागत की परियोजनाएं स्वीकार की जाती है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों के लिए 35% तथा शहरी क्षेत्र के हितग्राहियों को 25% मार्जिन मनी (अनुदान) बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है, परंतु सामान्य वर्ग के पुरूश ग्रामीण हितग्राही को 25% तथा शहरी हितग्राही को 15% अनुदान का लाभ दिया जाता है। इस योजना में सामान्य पुरुश हितग्राही को 10% तथा अन्य वर्गों एवं सामान्य वर्ग के महिला हितग्राही को 5% स्वयं का अंशदान विनियोजित करना होता है।
10.15.3 कारीगर प्रशिक्षण इस योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत युवक-युवतियों को ग्रामोद्योग स्थापना संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे अपना स्वरोजगार स्थापित कर उसे सफलता पूर्वक संचालित कर सकें।
10.15.4 खादी उत्पादन केन्द्र छ०ग० खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 09 उत्पादन केन्द्र
कुंवरगढ़, सारागांव, मैनपुर, गरियाबंद, भगतदेवरी, तिफरा बिलासपुर, हरदी बाजार, देवरबीजा एवं डिमरापाल, संचालित है, जहां ग्रामीण महिलाओं को अम्बर चरखा से सूत कताई का कार्य नियमित रूप से दिया जा रहा है एवं बुनकरों द्वारा खादी वस्त्र का उत्पादन किया जाता है, सोलर चरखा आदि नवीन तकनीक के उपयोग की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
इस योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्र की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग की महिलाओं को रोजगार दिया जाता है।
10.15.5 पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामोद्योग शिल्प केन्द्र (बांस कला केन्द्र) बस्तर जिले के जगदलपुर में छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा बांसकला शिल्प केन्द्र संचालित है। इसमें आदिवासी महिलाओं के माध्यम से आदिवासी संस्कृति में कलात्मक वस्तुयें तैयार कर प्रदेश के भीतर एवं बाहर बिक्री एवं प्रचार-प्रसार किया जाता है, इस केन्द्र पर अनुसूचित जनजाति वर्ग की ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है।
10.16.6 विभागीय खादी ग्रामोद्योग विकय भंडार इसके अंतर्गत रायपुर, बिलासपुर एवं जगदलपुर में स्थित खादी ग्रामोद्योग विकय भंडारों के माध्यम से एवं केन्द्रीय वस्त्रागार से खादी उत्पादन केन्द्रों, बांस कला केन्द्र एवं बोर्ड के माध्यम से लाभान्वित ग्रामोद्योग इकाईयों द्वारा उत्पादित सामग्रियों का विक्रय किया जा रहा है।
साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों का पंजीयन कर उनके द्वारा निर्मित सामग्रियों की खादी ग्रामोद्योग भण्डार एवं एम्पोरियम के माध्यम से बिकी की जा रही है।
See also
References
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