छत्तीसगढ़ी हाना (कहावतें)
छत्तीसगढ़ी हाना (कहावतें) छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों द्वारा अपनी लोक भाषा छत्तीसगढ़ी में प्रयोग की जाती है इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है जो इस भाषा को और भी ज्यादा लोकप्रिय बनाता है। हम इस पोस्ट में आपको कुछ महत्वपूर्ण छत्तीसगढ़ी हाना (कहावतें) को बताने जा रहे है।
- कब बबा मरही त कब बरा चुरही – कार्य का अनिश्चित होना
- सइगोन ह कतको सर जाही, एक पाचर के काम देबे करही – मूल्यवान वस्तु का मूल्य अंत तक बना रहता है।
- नवाई के जोगी, कलिन्दर के माला – नौसिखिए अनोखे काम करते हैं।
- खोटनी भाजी कस खॉट खाय – परिचित से बार-बार धन मांगना
- परिचित से बार-बार धन मांगना – सम्पन्नता छिपाना
- ओरिया के पानी बरेंडी नई चढ़ै – नहीं होने वाला कार्य
- मंजुरवा के आंजत-आंजत – श्रृंगार में समय बिताने वाला नुकसान में रहता है
- आंजत-आंजत कानी – भला करते करते बुरा होना
- तीन तिखार महा विचार – अंतिम निर्णय
- फुटहा करम के फुटहा दोना, पेज गंवागे चारों कोना – अभागे को सहारा न मिलना
- एक दौरी में हांकत हे – नीक अउ खीक ल बरोबर मानत हे
- पथरा के बूता अउ कोदो के बनी – कठिन मिहनत के कम मजदूरी
- अम्मट ले निकल के चुरूक म पड़गे – छोटी मुसीबत से बचकर बड़ी मुसीबत में फंसना
- चलनी म गाय दुहे अउ करम ल दोस दे – स्वयं गलत कार्य करना, दोष दूसरों को देना
- तबेले की बला बंदर के सिर – सबकी मुसीबत किसी एक के सिर
- जिहाँ गुड़ तिहाँ चाँटी – जहाँ लाभ रहता है वहीं स्वार्थी लोग बसते हैं
- मुँड़ मुडाबे तव छूरा ला का डर्राबे – कार्य करना है तो कठिनाइयों से क्या डरना
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