14_ES2025_DKAcademyCGPSC

ES-14 शिक्षा : छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 | CG Education [ Notes, PDF, MCQs ]


Chapter 14 : Education [CG Economic Survey 2024-25]

मुख्य बिन्दु

  • वर्ष 2023-24 में सरस्वती सायकल योजना के तहत् 164700 छात्राओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य ।
  • वर्ष 2023-24 में निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों का प्रदाय अतंर्गत 53,72,806 छात्र-छात्राएं लाभान्वित ।
  • सत्र 2022-23 के लिए यू डाइस के आधार पर राज्य में सकल नामांकन दर प्राथमिक विद्यालयों में 89.95 एवं उच्च प्राथमिक स्तर विद्यालयों में 91.58 है।
  • राज्य में 03 शासकीय, 01 सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, रायपुर, 01 विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई, 01 विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज, अंबिकापुर, 02 स्वशासी-स्ववित्तीय एवं 22 निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालय, कुल प्रवेश क्षमता 11116 के साथ संचालित हैं।
  • सत्र 2024-25 से 07 राजकीय विश्वविद्यालय, 17 निजी विश्वविद्यालय, 335 शासकीय महाविद्यालय एवं 321 अशासकीय महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में सफल रूप से लागू किये गये हैं। 2024-25 शासकीय महाविद्यालय में कुल 295743 विद्यार्थी प्रवेशित है।

14.1 स्कूल शिक्षा विभाग
छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के पश्चात् ही संपूर्ण राज्य में शिक्षा के लोक व्यापीकरण के लिए निरन्तर प्रयासरत स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 06 से 18 वर्ष आयुवर्ग के प्रत्येक बच्चों हेतु प्रदेश में आवश्यकतानुसार नये विद्यालयों की स्थापना एवं विद्यालयों को आवश्यकतानुसार उन्नत एवं विकसित किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत देशभर के विद्यालयों को प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) योजना के तहत अपग्रेड किया जायेगा। छत्तीसगढ़ में लगभग 211 विद्यालयों का चयन किया गया है इन चयनित विद्यालयों में नवीनतम तकनीक, स्मार्ट क्लास, खेल और आधुनिक इन्फ्रास्टक्चर पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। राज्य में शाला त्यागी विद्यार्थियों को चिन्हांकित कर उनकी शिक्षा हेतु उन्हें विशेष आवासीय विद्यालय / गैर आवासीय विद्यालयों में लाने का प्रयास किया गया है।
प्रारंभिक शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के दृष्टिकोण से प्रदेश में शालाएं खोलने का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है अब मात्र जनसंख्या वृद्धि होने पर ही नवीन शालाएं खोलने की आवश्यकता होगी। प्रदेश ने लगभग 57 लाख विद्यार्थियों को शाला में नियमित रूप से जोड़ने में सफलता हासिल की है।
प्रदेश में स्कूली शिक्षा के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए तेजी से बदलाव लाने की दृष्टि से स्कूली शिक्षा में सुधार हेतु विश्व बैंक समर्थित परियोजना “छत्तीसगढ़ एक्सीलेरेटेड लर्निंग फॉर नॉलेज-इकानामी (चाक)’ ‘संचालित की जा रही है। इस परियोजना के माध्यम से प्रमुख रूप से बच्चों की उपलब्धि में सुधार की दिशा में विभिन्न कार्य, राज्य में सुदूर अंचलों में संचालित स्कूलों की अधोसंरचना में सुधार के कार्य किये जाएंगे।
प्रदेश में प्रत्येक छात्र के गुणवत्ता स्तर में उन्नयन हो, उपरोक्त तथ्य को दृष्टिगत् रखते हुए आउटकम लर्निंग शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। प्रदेश के छात्र कक्षा स्तर के अनुकूल ज्ञान अर्जन करे इस हेतु राज्य स्तरीय आंकलन का सहारा लिया गया जिसमें प्रत्येक बच्चे के स्तर का मापन एवं मूल्यांकन लिपिबद्ध ढंग से रखा गया है। जिसके आधार पर आगामी वर्षों में प्रत्येक बच्चे के लिए आवश्यक उपचारात्मक शिक्षण माह अप्रैल में किये जाने की योजना है। प्रदेश के छात्र पढ़ाई में सहज ढंग से आगे अग्रसर हों इस हेतु प्राथमिक स्तर पर उनकी मातृभाषा के आधार पर शिक्षण देने की व्यवस्था विभाग द्वारा की जा रही है। इन सबका मूल उ‌द्देश्य यह है कि, प्रत्येक छात्र एक समान गति से शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े।

राज्य शासन द्वारा संचालित विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं के संचालन के कारण विद्यालयों में बालक बालिकाओं की दर्ज संख्या में वृद्धि के साथ साथ शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ी है। विगत वर्षों की तुलना में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों का रुझान भी शिक्षा के प्रति बढ़ा है। राज्य शासन की प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, माध्यमिक एवं उच्चत्तर माध्यमिक शिक्षा के लोकव्यापीकरण के प्रति वचनबद्धता से सभी स्तर पर छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या में वृद्धि पायी गयी है।
समाज की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ी है। शासकीय विद्यालयों में छात्र-छात्रा अनुपात लगभग समान है परन्तु गुणवत्तायुक्त शिक्षण के लिए आवश्यक है कि, समाज भी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी प्रदर्शित करे। यद्यपि विकास समितियां हैं तथापि शासन की यह मंशा है कि, शिक्षण के क्षेत्र में तभी प्रगति प्रदर्शित होगी जब समाज अपने क्षेत्र में स्थित विद्यालय की स्वयं कार्ययोजना तैयार करे। बच्चों के लिए नवाचार, एक्टिव लर्निंग पद्धति, प्रोफेशनल लर्निंग कमिटी एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग विभाग प्राप्त कर रहा है। विभाग इस संबंध में बाइसवीं शताब्दी को दृष्टिगत् रखते हुए शिक्षा के संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग भी अध्ययन-अध्यापन में करने हेतु तत्पर है।
राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था के दायित्व का निर्वहन राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा किया जाता है। परिषद के अंतर्गत 2 शिक्षा महाविद्यालय, 1 अनुदान प्राप्त तथा 240 निजी शिक्षा महाविद्यालय, 19 जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान एवं 3 बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान कार्यरत है, जिसमें 2 शिक्षा विभाग की एवं अशासकीय अनुदान प्राप्त संस्था है एवं 68 अशासकीय महाविद्यालयों में डी.एड. पाठ्यक्रम संचालित है। 7 आंग्ल भाषा प्रशिक्षण संस्थान संचालित है। परिषद को निःशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत राज्य हेतु अकादमिक प्राधिकारी घोषित किया गया है, वह विभाग के समस्त प्रशिक्षण तथा अकादमिक कार्य के साथ-साथ प्रारंभिक शिक्षा के लिए पाठ्य पुस्तकों के निर्धारण, पुनरीक्षण एवं नवाचार का कार्य भी करती है।
राज्य में प्रौढ़ शिक्षा, साक्षरता बढ़ाने एवं निरक्षरता के उन्मूलन हेतु मुख्यमंत्री शहरी साक्षरता कार्यक्रम का संचालन राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण एवं जिला साक्षरता समितियों द्वारा किया जा रहा है।
विभाग के प्रमुख दायित्व निम्नानुसार हैं :-.
प्राथमिक स्तर से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा व्यवस्था (आदिवासी उपयोजना क्षेत्र को
छोड़कर)।
2 प्रारंभिक स्तर पर निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था ।

3. निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का कियान्वयन।
4 अनुदान प्राप्त अशासकीय शैक्षणिक संस्थानों को अनुदान एवं उन पर नियंत्रण।
5. छात्रों के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों का निर्धारण / सामयिक पुनरीक्षण।
6. शिक्षकों की भरती, प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण की व्यवस्था।
7. शिक्षक प्रशिक्षण में गुणवत्ता सुधार।
8. शिक्षा में नवाचार एवं अनुसंधान।
9. पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण तथा वितरण की व्यवस्था।
10. बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम।
11 शालाओं में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद की व्यवस्था।
12. परीक्षाओं के संचालन की व्यवस्था।
13. निःशक्त छात्रों की शिक्षा व्यवस्था।
14 समग्र शिक्षा अभियान का संचालन।
15. वयस्क असाक्षर (विशेषकर 15 से 35 वर्ष) के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना।
16. नवसाक्षरों के लिए उत्तर साक्षरता एवं सतत् शिक्षा का प्रबंध।
17. सबके लिए शिक्षा व्यवस्था।
18. मदरसा शिक्षा के माध्यम से शिक्षा का आधुनिकीकरण।
19. संस्कृत शिक्षा का विकास।
20 शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को प्रदाय करना।
14.1.1 निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों का प्रदाय :-
विभाग का नामः-
स्कूल शिक्षा विभाग
योजना का नाम:-
निःशुल्क पाठ्य पुस्तक प्रदाय योजना।
कियान्वयन एजेंसीः-
कार्यक्षेत्रः-
स्कूल शिक्षा विभाग एवं सर्व शिक्षा अभियान।
योजना का उद्देश्यः
सम्पूर्ण छत्तीसगढ़
मिलने वाले लाभमः-
विद्यार्थियों को पढ़ाई हेतु प्रोत्सहन।
निःशुल्क पाठ्य पुस्तके।
चयन प्रक्रियाः-
कक्षा 01 से 10 तक अध्ययनरत शासकीय/अशासकीय अनुदान प्राप्त एवं
गैर अनुदान प्राप्त (हिन्दी अंग्रेजी माध्यम) एवं स्वामी आत्मानंद उत्कृश्ट
विद्यालय हिन्दी/अंग्रेजी माध्यम जिसमें छ.ग. पाठ्यक्रम संचालित है उन
सभी को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध करायी जा रही है।

उपरोक्त विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक प्रदाय हेतु लोक शिक्षण एव समग्र शिक्षा अभियान द्वारा प्रदाय किया जाता है। शिक्षा सत्र 2022-23 एवं 2023-24 के लिये लोक शिक्षण मद में बजट प्रावधान एवं व्यय की जानकारी निम्नानुसार है:-

14.1.2 निःशुल्क गणवेश योजना :-  कक्षा 01 से 08 तक शासकीय विद्यालयों के बालक-बालिकाओं को दो सेट गणवेश प्रदाय तथा पंजीकृत मदरसों में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के बालक / बालिकाओं को एक सेट गणवेश प्रदाय ।

14.1.3 निःशुल्क सरस्वती सायकल योजनाः शाषकिय एवं आत्मानंद में नियमित रूप से अध्ययनरत कक्षा 09 के छात्राओं के एस.टी. एस.सी. एवं बीपीएल वर्ग के बालिकाओं के लिए प्रदाय किया जाता है।

छात्र दुर्घटना बीमा : विद्यार्थियों को दुर्घटना की स्थिति में बीमा सुरक्षा प्रदान करना प्राथमिक उच्चत्तर माध्यमिक स्तर के सभी छात्र-छात्रायें एवं महाविद्यालयीन छात्र/छात्राएं
मृत्यु एवं पूर्ण अपंगता की स्थिति में 1,00,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति आंशिक अपंगता पर 50,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति एवं भैषजिक उपचार हेतु 25,000/- रूपये अधिकतम।

प्रधानमंत्री पोषण योजना (मध्यान्ह भोजन):-

मुख्यमंत्री अमृत योजना :- इसके अंतर्गत प्रति छात्र प्राथमिक शाला में 100 मि.ली. एवं अपर प्राथमिक शाला में 150 मि.ली. सुगंधित सोया दूध प्रदाय किया जा रहा है।

राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्ति (केन्द्र प्रवर्तित योजना) :-
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केन्द्र प्रवर्तित योजना राज्य में प्रभावशील।
परीक्षाएं राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा संचालित ।
कक्षा 8वीं में मान्यता प्राप्त विद्यालय में अध्ययनरत् विद्यार्थी परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं निःशक्त को प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर छूट एवं आरक्षण की पात्रता ।
गैर अनुदान प्राप्त शाला के विद्यार्थी परीक्षा में भाग नहीं ले सकते।
सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए न्यूनतम 55 प्रतिशत् एवं अन्य श्रेणी के लिए 50 प्रतिशत् अंक होने पर ही परीक्षा में बैठने की पात्रता।
9वीं से 12वीं तक प्रतिवर्श 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त होने पर ही नवीनीकरण आवेदन मान्य है।
परिवार की वार्षिक आय 3.50 लाख से अधिक न हो।
पात्र विद्यार्थी को प्रतिवर्ष रू. 12000 एकमुश्त भारत सरकार के स्तर पर DBT किया जाता है।
योजनांतर्गत राज्य हेतु 2246 विद्यार्थियों का लक्ष्य निर्धारित है।

कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना – अनुसूचित जाति, जनजाति की कन्याओं को शिक्षा में प्रोत्साहन हेतु मिलने वाले लाभ की छात्राएं। शालाओं में कक्षा 6वीं में प्रथम बार प्रवेशित अनुसूचित जाति, जनजाति आवेदन की प्रकिया रु. 500/- प्रति वर्ष (दस माह हेतु)

अस्वच्छ धंधा छात्रवृत्ति योजना : कार्यरत माता-पिता के कक्षा 1 ली से 10वीं तक के विद्यार्थियों को माता-पिता के अस्वच्छ धंधा व्यवसाय के आनलाईन बने प्रमाण पत्र के आधार पर।
छात्रावासी को 8000/- व गैर छात्रावासी को रू. 3500/- प्रति वर्ष (दस माह हेतु)

मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना :- बोर्ड परीक्षा में मेरिट में आये SC एवं ST के विद्यार्थी जिनके पास छ.ग. राज्य का स्थायी जाति व निवास प्रमाण पत्र तथा नियमित अध्ययनरत् होना आवश्यक है। रू. 15000/- एकमुश्त प्रोत्साहन राशि एक बार देय।

छ.ग. महतारी दुलार योजना : मृत्यु कोविड-19 से हुई हो।
1) छत्तीसगढ़ का निवासी हो। 2) ऐसे बच्चे जिनके परिवार से
कमाने वाले माता या पिता या दोनों की मृत्यु कोविड-19 से हुई हो। 3) ऐसे बच्चे जो स्कूली शिक्षा प्राप्त करने हेतु आयु संबंधी पात्रता रखता हो। 4) जिनके घर में कमाने वाले वयस्क सदस्य न
रहने के कारण भरण-पोषण की समस्या हो गई हो। छात्रवृत्ति कक्षा 1 से 8 तक रूपये 500/- प्रतिमाह (10 माह
हेतु) 2) कक्षा 9 से 12 तक रूपये 1000/- प्रतिमाह (10 माह हेतु), निजी शाला शुल्क प्रतिपूर्ति सीमा अधिकतम 1,09,000/-प्रतिवर्ष।

राज्य छात्रवृत्ति योजना (प्री. मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक):- अनु.जाति. अनु.ज.जा. एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा में
प्रोत्साहन
1. प्री.मैट्रिक (राज्य छात्रवृत्ति) अन्तर्गत् नियमित रूप से कक्षा 3री से 10वीं में अध्ययनरत् अनु. जाति, अनु.ज.जाति (कोई आयु सीमा नही) तथा पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थी जिनके पालक आयकर की सीमा में नहीं आते अथवा 10 एकड़ से अधिक की जमीन न हो।
2. पोस्ट मैट्रिक (राज्य छात्रवृत्ति) अन्तर्गत् कक्षा 11वीं एवं 12वीं में
अध्ययनरत् पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के अभिभावक की आय
सीमा रू. 1,00,000 से अधिक न हो, को पात्रता है।
कक्षा 3 से 5 तक अध्ययनरत् SC/ST की बालिका को रू. 500/-प्रतिवर्ष, कक्षा 6 से 8 तक अध्ययनरत SC/ST के बालिका को रू. 800/- एवं बालक को 600/- तथा कक्षा 9वीं से 10वीं के SC/ST की बालिका को रू. 1000/- एवं बालक को रू. 800/- प्रतिवर्ष राज्य छात्रवृत्ति देय है।
कक्षा 6 से 8 तक अध्ययनरत OBC की बालिका को रू. 450/-एवं बालक को रू 300 तथा 9वीं से 10वीं के OBC की बालिका को रू. 600/- एवं बालक को रु 450/- तथा कक्षा 11वीं से 12वीं के OBC के छात्रावासी बालक को रू 1000/-बालिका को 1100/- एवं गैर छात्रावासी बालक को रू. 500/-तथा गैर छात्रावासी बालिका को रू. 600/-

केन्द्र प्रवर्तित छात्रवृत्ति योजना (प्री. मैट्रिक एवं पोस्ट मैट्रिक) – अनु.जाति एवं अनु.ज.जा. के विद्यार्थियों को शिक्षा में प्रोत्साहन
1. प्री.मैट्रिक (केन्द्र प्रवर्तित छात्रवृत्ति) अन्तर्गत नियमित रूप से कक्षा 9वीं से 10वीं में अध्ययनरत् अनु. जाति, अनु.ज. जाति (आय सीमा रू. 2.50 लाख से कम)।
2. पोस्ट मैट्रिक (केन्द्र प्रवर्तित छात्रवृत्ति) अन्तर्गत नियमित रूप से कक्षा 11वीं से 12वीं में अध्ययनरत् अनु जाति, अनु.ज.जाति (आय सीमा रू. 2.5 लाख से कम)।
कक्षा 9वीं से 10वीं में अध्ययनरत SC की छात्रावासी विद्यार्थियों को रू. 7,000/- ST की छात्रावासी विद्यार्थियों को रू. 6,250/-तथा SC गैर छात्रावासी को 3,500/- रू ST की गैर छात्रावासी विद्यार्थियों को रू. 3,000/- प्रतिवर्ष देय है।
कक्षा 11वीं से 12वीं में अध्ययनरत SC की छात्रावासी विद्यार्थियों को
रू. 4,000/-, ST छात्रावासी विद्यार्थियों को रू 3800/- तथा SC की गैर छात्रावासी को 2,500/- रू.. ST की गैर छात्रावासी को 2300/- प्रतिवर्ष देय है।

14.2 छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर वर्तमान में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1965 (क्र. 23 सन् 1965) द्वारा शासित एक स्वायत्तशासी निगमित निकाय है। मण्डल का कार्य संचालन माध्यमिक शिक्षा मण्डल, विनियम 1965 के प्रावधानों के अनुसार होता है। छ.ग. माध्यमिक शिक्षा मण्डल का गठन 20 जुलाई 2001 को हुआ है।

14.3 समग्र शिक्षा, छत्तीसगढ
समग्र शिक्षा, भारत सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान तथा शिक्षक प्रशिक्षण को सम्मिलित करती हुई विद्यालयीन शिक्षा की एकीकृत केन्द्र प्रवर्तित योजना है। वर्तमान में इसमें भारत शासन का अंशदान 60 प्रतिशत एवं राज्य सरकार का योगदान 40 प्रतिशत है।
इसके अंतर्गत मानदण्ड अनुसार 03 कि.मी. पर पूर्व माध्यमिक शाला, 05 कि.मी. पर माध्यमिक शाला एवं 07 कि.मी. पर उच्चतर माध्यमिक शाला उन्नयित कर संचालित की जा रही है।
आवश्यकतानुसार उन्नयित शालाओं का भवन, पोर्टा केबिन, आवासीय विद्यालय एवं कन्या छात्रावास, पूर्व से संचालित शालाओं में आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त कक्ष, पेयजल सुविधा, बालक/बालिका टॉयलेट सुविधा एवं विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों का ध्यान रख कर निर्माण कार्य किया जाता है।
इसके अतिरिक्त उन्नयित विद्यालयों हेतु शिक्षक वेतन शिक्षक प्रशिक्षण, आर टी ई अंतर्गत प्रदान की जा रही समस्त सुविधाएं, विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को स्कार्ट एलाउंस, ट्रांसपोर्ट एलाउंस, ब्रेल बुक एवं छात्रवृत्ति तथा सहायक सामग्री आदि उपलब्ध कराई जाती हैं।
भारत शासन द्वारा सत्र 2013-14 से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत कन्या छात्रावास, आई ई डी एस एस (समावेशी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा एवं आई सी टी योजनाओ को शामिल किया गया है। राज्य में सत्र 2014-15 से ये सभी योजनाएँ राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत संचालित है।

14.5 तकनीकी शिक्षा
प्रदेश में तकनीकी शिक्षा इंजीनियरिंग महाविद्यालयों, पॉलीटेक्निक संस्थाओं, फॉर्मेसी संस्थाओं, मैनेजमेंट संस्थाओं, एम.सी.ए. संस्थाओं एवं आर्किटेक्चर संस्थाओं में दी जाती है। उक्त संस्थाओं में डिप्लोमा स्तर पर डिप्लोमा इंजीनियरिंग, डिप्लोमा कास्ट्यूम डिजाईन एण्ड ड्रेस मेकिंग, डिप्लोमा इंटीरियर डेकोरेशन, डिप्लोमा होटल मैनेजमेंट एण्ड केटरिंग टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा मॉर्डन ऑफिस मैनेजमेंट, डिप्लोमा फॉर्मेसी, डिप्लोमा आर्किटेक्चर पाठ्यक्रम, स्नातक स्तर पर बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, बैचलर ऑफ फॉर्मेसी तथा स्नातकोत्तर स्तर पर एम.टेक., एम.फॉर्मेसी, एम.सी.ए. एवं एम.बी.ए. पाठ्यक्रम संचालित है।
वर्तमान में राज्य में 03 शासकीय, 01 सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी रायपुर, 01 विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई, 01 विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज, अंबिकापुर, 02 स्वशासी-स्ववित्तीय एवं 22 निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालय, कुल प्रवेश क्षमता 11116 के साथ संचालित है।
राज्य में 37 शासकीय, 01 विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई एवं 16 निजी पॉलीटेक्निक संस्था स्थापित है, जिनकी कुल प्रवेश क्षमता 8780 है। सभी पॉलीटेक्निक संस्थाओं में त्रिवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम में सेमेस्टर पद्धति से अध्यापन व परीक्षा की व्यवस्था लागू है। राज्य में 02 विश्वविद्यालयीन फॉर्मेसी संस्था एवं 49 निजी संस्थाओं में बी. फार्मेसी पाठ्यक्रम, कुल 4178 प्रवेश क्षमता, 01 विश्वविद्यालयीन फॉर्मेसी संस्था एवं 17 निजी संस्थाओं में एम. फार्मेसी पाठ्यक्रम, कुल 629 प्रवेश क्षमता एवं 01 शासकीय एवं 95 निजी संस्थाओं में डी. फार्मेसी पाठ्यक्रम कुल 5751 प्रवेश क्षमता के साथ संचालित हैं।
राज्य में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयीन संस्थाओं एवं निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में 1245 प्रवेश क्षमता के साथ एम.टेक. पाठ्यक्रम संचालित है साथ ही 01 विश्वविद्यालयीन संस्था एवं 16 निजी संस्थाओं में 2070 प्रवेश क्षमता के साथ एम.बी.ए. पाठ्यकम संचालित है। 02 विश्वविद्यालयीन संस्थाओं एवं 07 निजी संस्थानों में 650 प्रवेश क्षमता के साथ एम.सी.ए. पाठ्यक्रम संचालित है।
राज्य के इंजीनियरिंग संस्थानों में स्नातक स्तर के 25 पाठ्यक्रम, स्नातकोत्तर स्तर पर 37 तथा पॉलीटेक्निक संस्थाओं में डिप्लोमा स्तर के 21 त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम संचालित हैं। राज्य के शासकीय एवं निजी इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक संस्थान छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई से सम्बद्ध है तथा इनमें संचालित तकनीकी पाठ्यक्रमों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है। फॉर्मेसी संस्थाओं को फॉर्मेसी कॉउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली तथा आर्किटेक्चर संस्थाओं को कॉउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है।
14.6 त्रिवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमः राज्य में कुल 54 पॉलीटेक्निक संस्थाएं संचालित है। जिनमें 04 शासकीय कन्या पॉलीटेक्निक, 33 शासकीय सहशिक्षा पॉलीटेक्निक, 01 विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई एवं 16 निजी सहशिक्षा पॉलीटेक्निक शामिल हैं। इन संस्थाओं में निम्नानुसार 21 त्रिवर्षीय एवं 01 द्विवर्षीय पत्रोपाधि पाठ्यक्रम संचालित हैं।
14.7 विभाग से संबंधित सामान्य जानकारी
14.7.1 छात्रवृत्तियाँ (सामान्य एवं पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिये):- शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिये मेरिट स्कालरशिप और मेरिट-कम-मीन्स स्कालरशिप रू. 1000 प्रति माह तथा पॉलीटेक्निक संस्थाओं में रू. 600 प्रतिमाह दिये जाने की व्यवस्था है। राज्य के बाहर अध्ययनरत छत्तीसगढ़ राज्य के छात्र-छात्राओं को रू. 2000 प्रतिमाह की दर से छात्रवृत्ति दी जाती है।
14.7.2 बी.पी.एल. छात्रवृत्तिः छत्तीसगढ़ प्रदेश के शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय एवं पॉलीटेक्निक संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों जिनके पालक बी.पी.एल. कार्डधारी हैं, उनके लिए यह छात्रवृत्ति सत्र 2007-2008 से लागू की गई है। इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में अध्ययनरत प्रत्येक बी.पी.एल. विद्यार्थी को राशि रु. 1000 प्रतिमाह एवं पॉलीटेक्निक संस्थाओं में अन्यगनरत प्रत्येक बी.पी.एल. विद्यार्थी को राशि रु. 500 प्रतिमाह दिये जाने का प्रावधान है।
14.7.3 ट्यूशन फी व्हेवर स्कीम (टी.एफ.डब्लू.):- यह योजना नियामक संस्थाओं के दिशा
निर्देशानुसार लागू की जाती है। इस योजना का उद्देश्य वित्तीय रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को मेरिट के आधार पर शिक्षण शुल्क में छूट देकर प्रोत्साहन किया जाना है। यह योजना स्नातक एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में तथा स्नातकोत्तर पाठ्यकम एम.सी.ए. में भी यह योजना लागू है।
यह योजना अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद / फार्मेसी कॉउसिंल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं में अनुमोदित पाठ्‌यक्रमों के लिये लागू होगी। कांउसिलिंग के समय संस्थाओं के अनुमोदित सीटों के अतिरिक्त 5 प्रतिशत सांख्येत्तर सीटों को भी सम्मिलित किया जाता है। यह सांख्येत्तर सीटें केवल उसी स्थिति में उपलब्ध होती है, यदि विगत अकादमिक वर्श में संबंधित कोर्स में स्वीकृत सीटों पर कम से कम 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश हुआ हो। अतिरिक्त प्रवेशित संख्या के बराबर TFW नियमानुसार सामान्य प्रवेश परीक्षा/अर्हकारी परीक्षा जिसके आधार पर प्रवेश हेतु मेरिट का निर्धारण किया गया हो के अनुसार देय होती है। शासकीय संस्थाओं में जहाँ विगत अकादमिक वर्श में संबंधित कोर्स में स्वीकृत सीटों पर कम से कम 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश हुआ हो, उन संस्थाओं में अतिरिक्त प्रवेश न होने पर भी 5 प्रतिशत सीटों पर TFW देय होगा। मेरिट के आधार पर इन सीटों पर प्रवेशित छात्र-छात्राओं को प्रवेशित संस्था की निर्धारित शिक्षण शुल्क देय नहीं होगा। छात्र-छात्राओं के पालक /अभिभावक की समस्त स्त्रोतों से सम्मिलित वार्षिक आय 8 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
14.7.4 छात्राओं के लिए शिक्षण शुल्क में छूट: छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय इंजीनियरिंग
महाविद्यालय एवं शासकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं में संचालित स्नातकोत्तर, स्नातक एवं डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेशित छात्राओं को शिक्षण शुल्क में छूट प्रदान की जा रही है।
14.7.5 मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना तकनीकी एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण करने वाले निर्धन परिवार के शिक्षार्थियों से बैंकों द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर के भार को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन द्वारा मोरेटोरियम अवधि के उपरांत ली जाने वाली ब्याज राशि में अनुदान देने की योजना वित्तीय वर्ष 2012-13 से प्रारंभ की गई है।
इसके अंतर्गत रू. 2 लाख तक की वार्षिक आय के परिवार से आने वाले तकनीकी एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षार्थियों को रू. 4 लाख तक के ऋण पर मोरेटोरियम अवधि (पाठ्यकम की अवधि एवं नौकरी लगने के उपरांत एक वर्ष अथवा छः महीना जो भी पहले हो) के उपरांत नियमित भुगतान की स्थिति में ऋण राशि के ब्याज के भार में छूट प्रदान की जाती है। मोरेटोरियम अवधि के उपरांत राज्य के वामपंथी चरमपंथी प्रभावित जिलों जैसे बस्तर, बीजापुर, दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा, जशपुर, उत्तर बस्तर कांकेर, कोरिया, नारायणपुर, राजनांदगांव, सरगुजा, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बालोद, सुकमा, कोण्डागांव और बलरामपुर के निवासी शिक्षार्थियों को शून्य प्रतिशत एवं शेष जिलों के निवासी शिक्षार्थियों को केवल 1 प्रतिशत की दर से ब्याज भार वहन करना होता है एवं बैंकों द्वारा लिये जाने वाले ब्याज दर के शेष का व्यय भार, राज्य शासन द्वारा वहन किया जाता है।

14.11 उच्च शिक्षा
वैश्विक परिदृश्य की गतिशीलता तीव्र परिवर्तनशीलता के अनुरूप उच्च शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन अवश्यंभावी है।
छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग 07 शासकीय विश्वविद्यालयों 17 निजी विश्वविद्यालयों 335 शासकीय महाविद्यालयों एवं 315 अशासकीय महाविद्यालयों के साथ आशानुरूप उच्च शिक्षा के प्रदाता केन्द्र के रूप में पूरी तरह तैयार है। इसी अनुक्रम में राज्य के उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली में परीक्षा व्यवस्था के साथ पाठ्यक्रम को क्रेडिट सिस्टम में परिवर्तन करते हुए बहु प्रवेश (Multiple entry) एवं (Multiple quit) एवं बहू निकास का प्रावधान किया गया। इस व्यवस्था में विद्यार्थियों अपनी पसंद के पाठ्यक्रम चयन करने की स्वतंत्रता होगी और अगर कोई विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे व्यवस्थानुसार पुनः पढ़ाई शुरू करने का अवसर मिलेगा। कौशल विकास मूल्यपरक शिक्षा एवं योग्यता अभिवृद्धि को पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को भी समाहित किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अध्ययन अध्यापन सुनिश्चित करने समुचित ढंग नीति करने तथा विषय में विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान तथा विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए एन. ई. पी. स्टूडेंट एम्बेसडर का मनोनयन किया गया।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि व्याख्याता नीति तैयार कर प्राध्यापकों / सहायक प्राध्यापकों के लगभग सभी रिक्त पदों पर अतिथि व्याख्याताओं की व्यवस्था की गई।
प्रवेश संख्या में वृद्धि के लिए ‘पोषक विद्यालय संपर्क अभियान’ का आरंभ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम है। महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले संभावित भावी विद्यार्थियों को महाविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी देने की दृष्टि से इस नवाचार से जी. ई. आर. सकल नामांकन दर में वृद्धि संभावित है।
प्रदेश के 33 शासकीय महाविद्यालय में मांग अनुसार विभिन्न संकाय विषय अंतर्गत 2331 सीटों की विध्दि की गई। इस सत्र में शासकीय महाविद्यालय में कुल 295743 विद्यार्थी प्रवेशित है। इनमें छात्रों की संख्या 98461 व छात्राओं की संख्या 197282 है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्राओं की भागीदारी निश्चय ही सराहनीय है।
प्रदेश के 199 शासकीय तथा 43 अशासकीय महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन हो चुका है। राज्य स्तरीय गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ अर्हता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों का मूल्यांकन एवं प्रत्यायन करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश की युवाओं को ज्ञान तथा कौशल युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए सतत प्रयासरत है एवं शैक्षणिक तथा शैक्षणेत्तर व्यावसायिक धाराओं को समाहित करते हुए मूल्यपरक शिक्षा प्रदान करने के लिए कृत संकल्पित है।
14.12 विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धियों निम्नानुसार है:-
1.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
सत्र 2024-25 से 07 राजकीय विश्वविद्यालय, 17 निजी विश्वविद्यालय, 335 शासकीय महाविद्यालय एवं 321 अशासकीय महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम (बी.ए., बी.काम., बीएस.सी, बी.एस.सी गृहविज्ञान, बी.बी.ए. एवं बी.सी.ए.) में सफल रूप से लागू किये गये हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अन्तर्गत सेमेस्टर में परीक्षा के पाठ्यक्रम में बहु-प्रवेश एवं बहु-निकास प्रावधान एवं केडिट पद्धति के साथ विद्यार्थियों को उनकी रुचि के विषय चुनने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
प्रदेश के विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में कौशल विकास के 42. मूल्यपरक शिक्षा योग्यता अभिवृद्धि पाठ्यक्रमों के 44 पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है।

भारतीय ज्ञान परम्परा के विषयों के साथ स्वामी विवेकानंद, पं. दीनदयाल उपाध्याय, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आदि युगपुरुषों के राष्ट्र के विकास में योगदान को रेखांकित कर पाठ्यकम में सम्मिलित किया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रचार-प्रचार हेतु उच्च शिक्षा विभाग के सोशल मीडिया अकाउन्ट यथा- एक्स, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यू-ट्यूब, वाट्सअप ऐप चैनल के व्यापक प्रयोग के साथ-साथ विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में NEP एंबेसडर नियुक्त किया गया है।
2. अतिथि व्याख्याता नीति-2024
छ.ग. शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि व्याख्याता नीति तैयार कर प्राध्यापकों / सहायक प्राध्यापकों / कीडाधिकारी एवं ग्रंथपाल के लगभग सभी रिक्त पदों पर अतिथि व्याख्याताओं की व्यवस्था की जाकर विद्यार्थियों के लिए अध्ययन-व्यवस्था सुगम की गई है। राज्य के सभी महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के अध्यापन के लिए सभी विषयों के शिक्षक उपलब्ध कराये गये हैं एवं कीडा / पुस्तकालय में अध्ययन की समुचित व्यवस्था की गयी है।
3.
PM/USHA के अन्तर्गत राज्य को भारत सरकार, उच्च शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा निम्न कम्पोनेन्ट में स्वीकृतियाँ प्रदान की गई:-
शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर जिला बस्तर को बहु-अनुशासनिक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU Multi Disciplinary Education & Research University) के अन्तर्गत रु. 100 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर एवं अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर को विश्वविद्यालय को सुदृढ करने के लिए अनुदान (Grants to Strengthen Universities – GSU) के अन्तर्गत रु. 20-20 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।
3. राज्य के 11 महाविद्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए अनुदान (Grants to Strengthen Colleges) के अन्तर्गत रु. 05 करोड़ की राशि प्रति महाविद्यालय स्वीकृत की गई।
4.
राज्य के 02 जिलों राजनांदगाँव एवं सरगुजा को लैंगिक समावेश और समानता पहल (Gender Inclusion & Equity Initiatives – GIEI) के अन्तर्गत रु. 10 करोड़ की राशि प्रति जिला स्वीकृत की गई।

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए SNA Sparsh के अन्तर्गत कुल Mother Sanction की राशि रु. 26.42 करोड स्वीकृत की गई। जिसके विरूद्ध अब तक राशि रु 3.07 करोड़ व्यय किया जा चुका है।
4 पोषक शाला संपर्क अभियान:-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि वर्तमान में राज्य का केवल 19.6 प्रतिशत ही है। महाविद्यालयवार नामांकन बढ़ाने हेतु दिसम्बर माह से पोषक शाला सम्पर्क अभियान प्रारंभ किया है, जिसमें राज्य के महाविद्यालयों के आस-पास स्थित पोषक विद्यालयों को लक्ष्य बनाकर स्कूली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में नामांकन हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
5. विभाग में पदोन्नत प्राध्यापकों की पदोन्नति की कार्यवाही विगत कई वर्षों से लंबित थी, इस संबंध में त्वरित कार्यवाही करते हुए 134 पदोन्नत प्राध्यापकों को स्नातक प्राचार्य के पद पर पदोन्नति प्रदान की गई।
6. शासकीय महाविद्यालयों के 408 सहायक प्राध्यापकों को वरिष्ठ वेतनमान का आदेश जारी किया गया है।
7 शासकीय महाविद्यालयों के 63 सहायक प्राध्यापकों के परिवीक्षा अवधि समाप्ति आदेश जारी किये गये।
8. वर्ष 2024 में पी.एच.डी. हेतु 400 से अधिक अभ्यर्थियों को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी किया गया।
9. शासकीय महाविद्यालयों के 04 छात्रावास अधीक्षकों को रजिस्ट्रार के पदों पर पदोन्नति प्रदान की गई।
10. व्यापम के माध्यम से 19 विषयों में राज्य पात्रता परीक्षा दिनांक 21.07.2024 को आयोजित किया गया । दिसम्बर 2024 में पुनः राज्य पात्रता परीक्षा का आयोजन किया जायेगा, जिसमें 15 नये विषयों को सम्मिलित किये जाने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्वीकृति प्राप्त की गई है। इससे सहायक प्राध्यापक परीक्षा के पूर्व अभ्यर्थियों को विषयवार सेट परीक्षा में उत्तीर्ण होने का अवसर मिलेगा, जिससे वे सहायक प्राध्यापक परीक्षा हेतु पात्र होगें।
11. विभागीय प्राचार्यों के सेवानिवृत्ति संबंधी प्रकरणों के शीघ्र निराकरण की दृष्टि से उनके कार्यकाल का ऑडिट संपन्न करने की अनिवार्यता को समाप्त करने का नीतिगत निर्णय लिया गया। विभाग के इस निर्णय से प्राध्यापक एवं प्राचार्यों के पेंशन प्रकरण का शीघ्र निराकरण करने का अवसर मिल रहा है।

शासकीय महाविद्यालयों में गठित जनभागीदारी समिति से अनुशंसित कार्यों में गतिशीलता लाने हेतु प्रशासकीय स्वीकृति का प्रावधान विलोपित कर जनभागीदारी समिति को पूर्णतः अधिकृत किया गया है।
13. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर में दो नवीन अध्ययनशाला फोरेन्सिक साईन्स एवं वाणिज्य संकाय प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की गई ।
14. महाविद्यालयीन कर्मचारियों में छात्रावास अधीक्षक के पद पर 21 एवं सहायक ग्रेड-1 के पद पर 48 कर्मचारियों, सहायक ग्रेड-3 से सहायक ग्रेड-2 के पद पर 59 एवं चतुर्थ श्रेणी से सहायक ग्रेड-3 के पद पर 44 कर्मचारियों की पदोन्नति की गई है। इस प्रकार कुल 192 कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान की गई है।
15. संचालनालय के 12 कर्मचारियों को कमशः अधीक्षक-1, सहायक ग्रेड-1 पर 4, लेखापाल वर्ग पर-1, लेखापाल वर्ग- 2 पर 2, कनिष्ठ अंकेक्षक पर 1 एवं सहायक ग्रेड 2 पर 3 कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान की गई ।
16. सेवा में रहते निधन हुए शासकीय सेवकों के परिवारों में 07 को चतुर्थ श्रेणी में एवं 02 को तृतीय श्रेणी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई।
17. महाविद्यालयीन कर्मचारियों में छात्रावास अधीक्षक, सहायक ग्रेड-1. सहायक ग्रेड-2. सहायक ग्रेड-3, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर, प्रयोगशाला परिचारक एवं चतुर्थ श्रेणी के कुल 183 कर्मचारियों को उच्चतर समयमान वेतनमान प्रदान किया गया।
18. विभागीय स्तर पर चतुर्थ श्रेणी के 880 पद एवं तृतीय श्रेणी के 260 पदों पर सीधी भर्ती व्यापम स्तर पर प्रक्रियाधीन है।
19. छ.ग. राज्य में वर्ष 2024 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। विद्यार्थियों के भविष्य एवं गुणवत्तापूर्ण अध्ययन हेतु प्रयोगशाला का विशेष महत्त्व है। वित्त विभाग द्वारा इसे ध्यान में रखते हुए प्रयोगशाला तकनीशियन के 419 एवं प्रयोगशाला परिचारक के 790 (कुल 1209) पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से पूर्ति किये जाने की सहमति प्रदान की गई है।
20. इस वर्ष शासकीय कन्या महाविद्यालय तखतपुर जिला बिलासपुर, शासकीय कन्या महाविद्यालय मुंगेली, शासकीय कन्या महाविद्यालय सक्ती, शासकीय कन्या महाविद्यालय गरियाबंद, शासकीय कन्या महाविद्यालय गौरेला पेण्ड्रा मरवाही, शासकीय कन्या महाविद्यालय खैरागढ़ छुईखदान गंडई, शासकीय कन्या महाविद्यालय बलरामपुर तथा शासकीय कन्या महाविद्यालय मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी; इस प्रकार कुल 8 नवीन कन्या महाविद्यालयों के भवन निर्माण किए जाने हेतु 800 लाख का बजट में प्रावधान किया गया है।

21. शासकीय महाविद्यालय गुढियारी जिला रायपुर, शासकीय महाविद्यालय नवागांव सेक्टर-28 नवा रायपुर, शासकीय महाविद्यालय विश्रामपुरी, शासकीय महाविद्यालय माकड़ी, शासकीय महाविद्यालय जावंगा गीदम जिला दंतेवाड़ा, शासकीय महाविद्यालय आवापल्ली जिला बीजापुर, शासकीय महाविद्यालय लखनपुर जिला सरगुजा, शासकीय महाविद्यालय जिला रघुनाथनगर बलरामपुर-रामानुजगंज, शासकीय महाविद्यालय छोटे डोंगर जिला नारायणपुर, शासकीय महाविद्यालय चिल्हाटी, शासकीय नवीन महाविद्यालय रामपुर जिला कोरबा एवं शासकीय टी. सी. एल. स्नातकोत्तर महाविद्यालय जांजगीर जिला जांजगीर-चांपा; इस प्रकार कुल 12 महाविद्यालयों के भवन-निर्माण किए जाने हेतु 1200 लाख का बजट में प्रावधान किया गया है।
22. प्रदेश के 33 शासकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषय / संकाय अन्तर्गत 2331 सीट-वृद्धि की गई है।
23.
सत्र 2024-25 में 7 नये अशासकीय महाविद्यालय 1590 सीट के साथ प्रांरभ किये गये हैं। सत्र 2024-25 में पूर्व से संचालित 58 अशासकीय महाविद्यालयों में 4395 सीट संख्या के साथ नवीन संकाय प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की गई है। इसी प्रकार पूर्व से संचालित 36 अशासकीय महाविद्यालयों में 1670 सीट संख्या के साथ अतिरिक्त विषय / सीटवृद्धि की अनुमति प्रदान की गई है।
वर्तमान सत्र 2024-25 में उच्च शिक्षा विभाग का बजट रु. 1333.38 करोड़ है, जो राज्य गठन के प्रथम वर्श के बजट की तुलना में तीन गुना हो गया है।
कुल 335 शासकीय महाविद्यालयों में से 226 महाविद्यालयों के स्वयं के भवन है. 109 महाविद्यालयों के भवन निर्माणाधीन है।

बी.पी.एल. छात्रवृत्ति उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले सभी वर्ग के परिवारों के छात्रों हेतु बी.पी.एल. छात्रवृत्ति सत्र 2005-06 से प्रदान की जा रही है। इसके अन्तर्गत आने वाले स्नातक स्तर के छात्रों को रू. 300/- प्रतिमाह की दर से 10 माह के लिए कुल 3000/- रू. एवं स्नात्तकोत्तर स्तर के छात्रों को रू. 500/- प्रति माह की दर से 10 माह के लिए कुल 5000/- प्रति छात्र प्रदान किया जाता है। सत्र 2023-24 में बी.पी.एल. छात्रवृत्ति योजना के अन्तर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर कुल 4149 विद्यार्थियों को लगभग राशि रूपये 1.02.51,300 डी.बी.टी के माध्यम से वितरित की गई है।
सैन्य छात्रवृत्तिः सैन्य अकादमी, देहरादून में अध्ययनरत छत्तीसगढ़ राज्य के सत्र 2023-24 के 07 विद्यार्थियों को रूपयें 108500/- सैन्य छात्रवृत्ति प्रदान की गई है। सत्र 2024-25 के 06 विद्यार्थियों को रूपयें 67666 / सैन्य छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
बी.पी.एल. बुक बैंक योजना बी.पी.एल. बुक बैंक योजना राज्य शासन द्वारा 2005 से प्रारंभकी गई है। इस योजना के अन्तर्गत बी.पी.एल. छात्र-छात्राओं को स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर प्रतिवर्ष पूरे शैक्षणिक सत्र के लिये पाठ्य पुस्तकें महाविद्यालय द्वारा क्रय कर प्रदान की जाती हैं।
अ.जा. एवं अ.ज.जा. के विद्यार्थियों के लिये मुफ्त स्टेशनरी / पुस्तकें प्रदान करना :-अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को मुफ्त स्टेशनरी एवं पुस्तकें प्रदान करने के लिये बजट में प्रावधान किया गया है। इसके अन्तर्गत स्नातक स्तर पर रूपये 50/-प्रति विद्यार्थी स्टेशनरी एवं प्रति दो विद्यार्थी रूपये 600/- की पुस्तकें तथा स्नातकोत्तर स्तर पर रूपये 50/- प्रति विद्यार्थी स्टेशनरी तथा प्रति दो विद्यार्थी रूपये 800/- की पुस्तकें देने का प्रावधान है।


See also

References


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