Chapter 13 : Urban Development [CG Economic Survey 2024-25]
मुख्य बिन्दु
- वर्ष 1951 में जहां शहरीकरण 4.88 प्रतिशत (3.64 लाख) था, यह वर्ष 2011 में बढ़कर 23.24 प्रतिशत (59.37 लाख) हो गया है। राज्य में रायपुर-भिलाई पेटी में सबसे तीव्र शहरीकरण देखा जा सकता
- वर्ष 2023 में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए पीएम ई. बस सेवा योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत रायपुर को 100. दुर्ग भिलाई को 50, बिलासपुर को 50 तथा कोरबा को 40 इस प्रकार कुल 240 ई बसो की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
- “मुख्यमंत्री मितान योजना” की शुरुआत प्रदेश के समस्त 14 नगर निगमों में की गई है। संबंधित सेवाओं हेतु टोल-फ्री नंबर 14545 जारी किया गया है।
- अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) में जनगणना 2011 के अनुसार 01 लाख से अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के 09 नगरीय निकाय रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, मिलाई, राजनांदगांव, अंबिकापुर, जगदलपुर, रायगढ़ एवं कोरबा सम्मिलित है।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 दीन दयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डे-एनयूएलएम) स्वरोजगार कार्यक्रम अंर्तगत व्यक्तिगत ऋण 1996 बैंकों से राशि 1874.02, लाख, समूह ऋण – 243 समूहों को बैंकों से राशि 679.39 लाख का ऋण, स्वयं सहायता समूहों हेतु बैंकलिंकेज अंतर्गत ऋण 1496 समूहों को बैकों से राशि 4437.24 लाख का ऋण, योजनांतर्गत ब्याज अनुदान- 7.01 लाख का ऋण प्रदाय किया गया।
विश्व तीव्रगति से शहरीकृत होता जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप मानव सभ्यता अधिकाधिक नगरीय सभ्यता बनती जा रही है। मानव सभ्यता की प्रवृत्ति ग्रामों से शहरों की ओर जाने की है। अर्थव्यवस्था के पैमाने के अनुसार उच्च जनसंख्या एवं जनसंख्या घनत्व लेन-देन का व्यय कम करता है तथा सेवाओं को सस्ता बनाता है। बड़े शहरों में आनुपातिक रूप से प्रवर्तन, उत्कर्ष, वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अधिक होता है।
उपर्युक्त तालिका से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य में नगरीय जनसंख्या न केवल छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या की वृद्धि से अधिक बढ़ रही है, बल्कि यह संपूर्ण देश के शहरी जनसंख्या वृद्धि से अधिक गति से बढ़ रही है। जहाँ वर्ष 1951 में कुल जनसंख्या का नगरीय भाग 5 प्रतिशत से भी कम था वहीं वर्ष 2011 की जनगणनानुसार इसमें 23 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। निरपेक्ष संख्या की दृष्टि से वर्ष 1951 में शहरी जनसंख्या केवल 3.64 लाख थी जो अब बढ़कर 2011 जनगणना के अनुसार 59.37 लाख हो गई है। यह वास्तव में शहरीकरण के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रगति है। तथापि यह ध्यान देने योग्य है कि राज्य में शहरीकरण का स्तर (23.24 प्रतिशत 2011 जनगणना के अनुसार) देश के स्तर (31.23 प्रतिशत 2011 जनगणना अनुसार) से काफी कम है। यह मुख्यतः शहरीकरण के देर से आरंभ होने, राज्य में कम औद्योगीकरण एवं गरीबी का स्तर उच्च होने इत्यादि के कारण हैं। गरीब अर्थव्यवस्था से अमीर अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन ग्रामों से नगरों की ओर जनसंख्या के जाने की गति पर निर्भर करता है। राज्य में रायपुर-भिलाई पेटी में सबसे तीव्र शहरीकरण देखा जा सकता है।
मूल निवास इकाइयों की श्रेणी एवं गुणवत्ता अर्थव्यवस्था की सफलता निर्धारित करती है। बडी उत्पादन इकाइयों को बहुत अधिक लोगों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे सहायक गतिविधियाँ बढ़ जाती है, जिससे पुनः अधिक जनबल की आवश्यकता पड़ती है। किसी विशेष स्थान पर बहुत बड़ी जनसंख्या होने से भौतिक एवं सामाजिक आधारभूत सुविधा जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, आवास, यातायात, सड़कें, दूरसंचार, जलप्रदाय, स्वच्छता इत्यादि की अधिक मांग बढ़ती है।
सतत विकास लक्ष्य के लक्ष्य क्रमांक 11 के अंतर्गत भी शहर और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित लचनशील और चिरस्थायी बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके तहत वर्ष 2030 तक प्राप्त किये जाने हेतु निम्नांकित लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं-
1. पर्याप्त, सुरक्षित और किफायती आवास और आधारभूत सेवाओं तक सभी के लिए पहुँच सुनिश्चित करना और मलिन बस्तियों का उन्नयन करना।
2. सड़क सुरक्षा में सुधार करते हुए, विशेषकर कमजोर स्थिति वाले लोगों, महिलाओं, बच्चों, विकलांग व्यक्तियों और वृद्ध व्यक्तियों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करके, सभी के लिए सुरक्षित, सस्ती, सुलभ और चिरस्थाई परिवहन व्यवस्था तक पहुँच प्रदान करना।
3. सभी देशों में समावेशी और चिरस्थायी शहरीकरण और सहभागी, एकीकृत और चिरस्थायी मानव बस्ती योजना और प्रबंधन के लिए क्षमता का संवर्धन करना।
4. विश्व की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर की रक्षा और सुरक्षा करने के लिए प्रयासों का सुदृढ़ीकरण करना।
5. हवा की गुणवत्ता और नगर निगम और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने सहित शहरों का प्रति व्यक्ति प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव कम करना।
6. विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, बुजुर्गों और विकलांग व्यक्तियों के लिए सुरक्षित, समावेशी और सुलभ, हरित और सार्वजनिक स्थलों तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना।
13.1 नगरीय निकाय :-
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 ‘थ’ के अधीन वृहत्तर नगरीय क्षेत्र, लघुत्तर नगरीय क्षेत्र तथा संक्रमणशील क्षेत्रों के लिए क्रमशः नगर पालिक निगम, नगर पालिका परिषद् तथा नगर पंचायत के गठन की व्यवस्था है। इस संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप प्रदेश में गठित नगरीय निकायों की संख्या निम्नानुसार है:-
संविधान के अनुच्छेद 243 ‘ब’ के अधीन नगरीय निकायों को अनुसूची-XII में दर्शित दायित्वों का निर्वहन किया जाना है। नगरीय व्यवस्था के प्रबंधन एवं दायित्वों के निर्वहन हेतु अनुच्छेद 243 ‘द’ के अधीन प्रत्येक नगरीय निकाय हेतु जनता द्वारा चुनी गई नगर निगम / नगर पालिका परिषद् / नगर पंचायत की व्यवस्था है।
13.2 विभाग द्वारा संचालित प्रमुख राज्य प्रवर्तित योजनाएँ :-
13.2.1 नवीन सरोवर धरोहर योजना शहरी क्षेत्रों में स्थित तालाबों के पुनरोद्धार सौंदर्गीकरण एवं पर्यावरण सुधार की एकीकृत योजना। जलाशयों के संपूर्ण विकास हेतु आवश्यकतानुसार चरणबद्ध वित्तीय सहायता प्रदान करना। जलाशयों में दूषित जल के प्रवेश को रोकना तथा अतिक्रमण मुक्त कराना। परिसर में वृहद वृक्षारोपण संरक्षण ऐरियेशन से जल की सफाई पाथवे विद्युतीकरण सहित एवं महिला घाट का अनिवार्य प्रावधान। तालाब में मत्स्य पालन मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का विसर्जन पूर्णतः प्रतिबंध । वित्तीय वर्ष 2020-21 में अद्यतन 32 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 1,056.387 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2021-22 में 70 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 3.356.628 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2022-23 में 74 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 3.319.17 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2023-24 में 73 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 2404.074 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वर्ष 2024-25 में 16 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 824.319 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.2 ज्ञानस्थली योजना शहरी क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के जीर्णोद्धार तथा अतिरिक्त कमरों के निर्माण की योजना। प्राथमिक शाला के लिए 8.75 लाख रूपए, माध्यमिक शालाओं के लिए 13.70 लाख, उच्चत्तर माध्यमिक शालाओं के लिए 15.25 लाख तथा महाविद्यालय के लिए 18.24 लाख रूपये का प्रावधान। नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान। वर्ष 2021-22 में 08 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 53.92 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2022-23 में 06 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 57.19 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2023-24 में 23 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 261.32 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.3 पुष्प वाटिका उद्यान योजना शहरी क्षेत्रों में रिक्त स्थानों एवं कालोनियों के बीच स्थित स्थानों को विकसित कर उद्यान बनाने की योजना। प्रति हेक्टेयर राशि रु. 37.00 लाख का प्रावधान। नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान योजनांतर्गत वर्ष 2016-17 में कुल 17 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 746.15 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में 44 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 1,206.54 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2018-19 में 42 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 504.84 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 33 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 1054.64 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अद्यतन 10 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 257.29 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2021-22 में 46 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 960.179 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2022-23 में 59 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 866.229 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2023-24 में 75 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 1996.049 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वर्ष 2024-25 में 13 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 321.397 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.4 राजीव गाँधी स्वालंबन योजनाः असंगठित रूप से गुमटी-ठेले एवं फेरी लगाकर जीविकोपार्जन करने वाले परिवारों की आर्थिक उत्थान की योजना। प्रति गुमटी रू. 0.30 लाख का प्रावधान। नगरीय निकाय को शत-प्रतिशत अनुदान। योजनांतर्गत वर्ष 2017-18 में 19 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 5.70 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। योजनांतर्गत अब तक 3,714 गुमटियों हेतु राशि रु. 642.30 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.5 मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना नगरीय निकायों के बेरोजगार नवयुवकों तथा नवयुवतियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु दुकान / चबूतरा उपलब्ध कराने की योजना। बड़ी दुकानों के लिए रू. 1.18 लाख तथा रू. 0.98 लाख की लागत से छोटी दुकान एवं रू. 6,500.00 की लागत से चबूतरों का निर्माण। नगरीय निकायों को 50 प्रतिशत ऋण एवं 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान। दुकान एवं चबूतरे नगरीय निकाय द्वारा पात्र हितग्राहियों को निर्धारित न्यूनतम अमानत राशि एवं मासिक किराये पर आबंटन। वर्ष 2018-19 में 250 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 106.00 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2020-21 में 30 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 35.40 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वर्ष 2021-22 में 50 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 61.33 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.6 मुख्यमंत्री पालिका बाजार योजना विभाग द्वारा नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति सुदृढीकरण हेतु तथा एक स्थान पर नागरिकों की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ नगर के सुव्यवस्थित विकास तथा रोजगार के संसाधनों में वृद्धि करने के उद्देश्य से कमर्शियल कॉम्पलेक्स के विकास एवं निर्माण हेतु मुख्यमंत्री पालिका बाजार योजना प्रारंभ की गई है। इससे नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तथा वे आय अर्जित कर, आर्थिक रूप से सक्षम बनने की दिशा में अग्रसर होंगे।
13.2.7 पौनी पसारी योजना प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों के असंगठित क्षेत्र के परंपरागत व्यवसाय करने हेतु इच्छुक व्यक्तियों एवं स्व-सहायता समूह की महिलाओं को कौशल उन्नयन उपरान्त सघन शहरी क्षेत्रों में व्यवसाय हेतु किफायती दैनिक शुल्क पर चबूतरा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। यह योजना छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपरा के अंतर्गत “पौनी पसारी” व्यवसाय को नवजीवन प्रदान करने में सहायक होगी, जिसमें स्थानीय परंपरागत व्यवसायों जैसे लोहे से संबंधित कार्यों, मिट्टी के बर्तन, कपड़े धुलाई, जूते चप्पल तैयार करना, लकड़ी से संबंधित कार्य, पशुओं के लिए चारा, सब्जी-माजा उत्पादन कपड़ा का बुनाइ, सिलाई, कबल, मातया बनाना, फूल का व्यवसाय, पूजन सामग्री, बांस का टोकना, सूपा, केशकर्तन, दोना-पत्तल, चटाई तैयार करना तथा आभूषण एवं सौंदर्य सामग्री इत्यादि का व्यवसाय “पौनी-पसारी” व्यवसाय के रूप में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। योजनांतर्गत प्रति नग 30.00 लाख की पात्रता निर्धारित है। नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 108 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 2,750.70 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में अद्यतन 152 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 4.506.02 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2021-22 में 01 परियोजना हेतु राशि रू. 26.35 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2022-23 में 04 परियोजनाओं हेतु रु.107.94 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है। अद्यतन 265 परियोजनाओं हेतु राशि रू. 7391.01 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई है।
13.2.8 मुख्यमंत्री मितान योजना प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में प्रत्येक शासकीय कार्य सुनियोजित तरीके से संचालित हों और राज्य के नागरिकों को बिना किसी व्यवधान के सभी शासकीय योजनाओं का लाभ मिले, इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु बदलते आधुनिक समय के साथ नागरिकों को सरकारी दस्तावेज बनवाने हेतु घर पहुँच सेवा “मुख्यमंत्री मितान योजना की शुरुआत प्रदेश के समस्त 14 नगर निगमों में की गई है। मुख्यमंत्री मितान योजना अंतर्गत प्रमाणपत्र, लाइसेंस बनवाने, आधार संबंधित सेवाओं एवं पैन संबंधित सेवाओं हेतु टोल-फ्री नंबर 14545 जारी किया गया है, जो सभी कार्य दिवसों में प्रातः 08:00 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक संचालित किया जा रहा है, जिसमे नागरिकों से सबंधित शासकीय सेवा प्राप्त करने हेतु अपॉइंटमेंट लिए जाने एवं सेवा के लिए दस्तावेज संबंधी जानकारी प्रदान की जाती है। अब तक इस योजनांतर्गत 1,77,000 से अधिक लोगों को मितान योजना के माध्यम से घर पर प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये गए है।
13.2.9 मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना सुशासन के दृष्टिकोण से शहरी क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों को दैनिक समस्याओं का निराकरण उनके ही वार्ड में मिले एवं निकाय के अधिकारी प्रत्येक वार्ड में नागरिकों से चर्चा कर उनकी समस्याओं का त्वरित निदान करें इस उद्देश्य से वार्ड कार्यालयों का गठन किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के 14 नगर निगमों में 101 वार्ड कार्यालय कार्यरत हैं।
13.2.10 श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना आम नागरिकों को उच्च गुणवत्ता की रियायती दवा उपलब्ध कराने हेतु श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना प्रारंभ की गई है। योजना अंतर्गत राज्य के 169 नगरीय निकायों में श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर खोले गए हैं। इस हेतु नगरीय निकायों द्वारा लगभग 197 दुकानों का चिन्हाकन किया गया, जिसमें से 197 दुकानें प्रारंभ की जा चुकी हैं। इन दुकानों में 329 जेनेरिक दवाएं, 28 सर्जिकल आइटम आदि उपलब्ध है। शासकीय चिकित्सकों हेतु जेनेरिक दवाई पर्ची पर लिखना अनिवार्य किया गया है।
दवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु इन दुकानों में देश की ख्यातिप्राप्त कंपनियों की जेनरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराने की शर्त रखी गई है। उपलब्ध दवाइयों में सर्दी, खासी, बुखार, ब्लड प्रेशर, इंसुलिन आदि सम्मिलित रहेगी साथ ही साथ गंभीर बीमारियों की दवा, एंटीबायोटिक, सर्जिकल आइटम भी न्यूनतम 50 प्रतिशत की भारी छूट के साथ उपलब्ध हैं।
राज्य शासन द्वारा श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर संचालक को आकर्षक दर 2 रु प्रति वर्गफुट की दर से नगर पालिक निगम द्वारा किराये पर दुकानें उपलब्ध कराई है साथ ही अन्य योजनाओं में इन मेडिकल स्टोर्स से दवाई खरीदने हेतु प्रावधान किया गया है।
दिसम्बर 2024 तक निकायों द्वारा राशि रू. 451.41 करोड़ एमआरपी की दवाइयाँ राशि रु. 139.23 करोड़ में विक्रय से 150.94 लाख नागरिकों को राशि रु. 277.66 करोड़ की बचत का लाभ दिया गया है।
13.2.11 भागीरथी नल-जल योजना राज्य के लगभग 5.00 लाख परिवार विभिन्न नगरीय क्षेत्रों में स्थित तंग बस्तियों में निवासरत है। पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित गरीब परिवारों को निःशुल्क नल संयोजन प्रदान किये जाने हेतु भागीरथी नल जल योजना लागू की गई है। प्रति आवासीय इकाई में नल संयोजन हेतु रु. 3000.00 का प्रावधान। नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान।
13.2.12 मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना शहरी क्षेत्र में निवासरत नागरिकों को उनके चौखट पर ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए 01 नवम्बर 2020 से मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना प्रारंभ की गई। प्रथम चरण में सभी 14 नगर निगमों में 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट एंबुलेंस के जरिए डॉक्टर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। द्वितीय चरण में नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों हेतु 60 मोबाईल मेडिकल यूनिट का संचालन 31 मार्च 2022 से प्रारंभ किया गया है। तृतीय चरण में 30 नवीन एमएमयू का संचालन माह अक्टूबर 2023 से प्रारंभ किया गया है।
इस योजना में आम नागरिकों को मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा मेडिकल कैंप के माध्यम से मुफ्त में परामर्श, उपचार, दवाइयां एवं दैनंदिन होने वाले टेस्ट की सुविधा प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री दाई दीदी क्लीनिक भी इसी योजना की कड़ी है। इसमें संपूर्ण महिला स्टॉफ के साथ एमएमयू गरीब बस्तियों की महिलाओं के इलाज हेतु उनकी बस्तियों में जा रही है।
अब 150 मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से झुग्गी बस्तियों में ही न्यूनतम एमबीबीएस स्तर के डॉक्टर द्वारा निःशुल्क परामर्श, ईलाज, दवाईयों एवं पैथोलॉजी लैब की सुविधा समस्त नगरीय निकायों में उपलब्ध है।
दिसम्बर 2024 तक 01.29 लाख से अधिक शिविर आयोजित किये जा चुके हैं, जिनमें 93.93 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया गया है। 82.65 लाख मरीजों को मुफ्त दवा वितरित की गई है तथा 26.01 लाख मरीजों को मुफ्त लैब टेस्ट का लाभ मिला है।
मुख्यमंत्री दाई दीदी क्लीनिक के तहत में महिला स्पेशल एम एम यू में महिला विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा 4.38 लाख से अधिक महिला मरीजों का उपचार किया गया है।
विभाग द्वारा संचालित केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं:-
13.3 स्मार्ट सिटी मिशन भारत सरकार द्वारा देश में कुल 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने हेतु मिशन स्मार्ट सिटी 25 जून 2015 को प्रारंभ किया गया, जिसके अंतर्गत प्रदेश के 03 शहरों को सम्मिलित किया गया है। रायपुर शहर का चयन स्मार्ट सिटी के फास्ट ट्रैक मोड में हुआ, जिसकी घोषणा भारत सरकार द्वारा दिनांक 23 मई 2016 को की गई। बिलासपुर एवं अटल नगर (नया रायपुर) शहर का चयन स्मार्ट सिटी के तृतीय चरण में हुआ, जिसकी घोषणा भारत सरकार द्वारा दिनांक 23 जून 2017 को की गई।
रायपुर एवं बिलासपुर शहरों में क्रमशः रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड तथा बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा मिशन का क्रियान्वयन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रशासकीय नियंत्रणाधीन किया जा रहा है। नवा रायपुर में नवा रायपुर अटल नगर स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा मिशन का क्रियान्वयन आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रशासकीय नियंत्रणाधीन किया जा रहा है।
भारत सरकार द्वारा तीनों शहरों हेतु 05 वर्षों में केन्द्रांश राशि रू. 98.00 करोड़ प्रतिवर्ष के मान से राशि रू. 490.00 करोड़ प्रति शहर प्रावधानित की गई थी। मिशन के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रति शहर राज्यांश के रूप में राशि रू. 500.00 करोड़ का प्रावधान किया गया। वर्ष 2015-24 के मध्य रायपुर एवं बिलासपुर स्मार्ट सिटी हेतु वित्तीय स्थिति की जानकारी निम्नानुसार है:-
भारत सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन की विस्तारित अवधि 31 मार्च 2025 तक निर्धारित की गई है।
रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा शहर में प्रदूषण रहित यातायात प्रणाली के विकास एवं संचालन हेतु ई-रिक्शा, सायकल शेयरिंग, ट्रैफिक पुलिस एवं प्रशासन को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किये जाने के साथ साथ शहरी नागरिकों को दी जाने वाली सार्वजनिक सुविधाओं की समस्त जानकारी एक ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराने हेतु इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम एवं कंट्रोल सेंटर “दक्ष” स्थापित किया गया है। बहुप्रतीक्षित जवाहर बाजार पुनर्विकास (रिडेव्हल्पमेंट) का कार्य पूर्ण कर लोकार्पित किया गया है। मल्टीलेवल पार्किंग, आक्सीजोन, नालंदा परिसर, आनंद समाज लाईब्रेरी, इंडिग्रेटेड कमाण्ड कंट्रोल सेंटर, सिटी कोतवाली थाना, शास्त्री बाजार पुनरोध्दार, आर.डी. तिवारी, बीपी पुजारी स्कूल का उन्नयन, तेलीबांधा, बूढ़ा, खोखो, बंधवा, प्रहलदवा तालाब का पुनरोध्दार आदि प्रमुख कार्य पूर्ण किए गए
बिलासपुर स्मार्ट सिटी द्वारा बिलासपुर शहर में सेंट्रल लाईब्रेरी, इन्क्यूबेशन सेंटर, वर्किंग वूमन हॉस्टल, मिट्टी तेल गली एवं व्यापार विहार में स्मार्ट रोड का कार्य, तारामण्डल तथा जातिया तालाब पुनरोध्दार के साथ-साथ प्रमुख परियोजनाएं जैसे इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, अरपा रिडवल्पमेंट प्रोजेक्ट का लाभ भी जनता को मिल रहा है। शीघ्र ही दोनों स्मार्ट सिटी शहरों द्वारा मिशन के कार्यों को पूर्ण कर लिया जावेगा।
13.4 प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना भारत सरकार द्वारा वर्श 2023 में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए पीएम ई. बस सेवा योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत राज्यों को शहरो की जनसंख्या के आधार पर बसों की संख्या निर्धारित की गई है जिसके अनुसार रायपुर को 100, दुर्ग भिलाई को 50, बिलासपुर को 50 तथा कोरबा को 40 इस प्रकार कुल 240 ई बसों की स्वीकृति प्राप्त हुई है।
योजना के दिशा निर्देशों के अनुरूप रायपुर हेतु 100 मिडी ई बस, दुर्ग मिलाई हेतु 50 मिडी ई बस, बिलासपुर हेतु 35 मिडी तथा 15 मिनी ई बस और कोरबा हेतु 20 मिडी तथा 20 मिनी ई बसों की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव राज्य स्तरी शहरी स्टेयरिंग कमेटी (एसएलएससी) से अनुमोदन की प्रत्याशा में भारत सरकार को प्रेषित किए गए थे, जिस पर भारत सरकार द्वारा निम्नानुसार स्वीकृति प्रदान की गई है:-
प्रधानमंत्री ई. बस योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार बसों का क्रय तथा संचालन एजेंसी का चयन केंद्र सरकार द्वारा किया जायेगा और केंद्रीय सहायता सुनिश्चित किलोमीटर संचालन के आधार पर दी जाएगी और अगर बसें इससे कम किलोमीटर चलती हैं तो केंद्रीय सहायता उसी के अनुपात में कम हो जाएगी।
बस डिपो सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर तथा बीटीएम पावर इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु भारत सरकार एवं राज्य शासन से निम्नानुसार स्वीकृति प्राप्त हुई है :-
उपरोक्तानुसार स्वीकृत केन्द्रांश राशि रू. 52.75 करोड़ के अनुपातिक तालिका में दर्शित अनुसार राज्यांश राशि रू. 14.65 करोड़ सहित कुल राशि रु. 67.40 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति संबंधित सोसायटियों को जारी की जा चुकी है।
13.5 स्वच्छ भारत मिशन :-
(मिशन क्लीन सिटी)
भारत सरकार, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) योजना अक्टूबर 2014 से प्रारंभ की गई, जिसके तहत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अभिनव पहल करते हुए, नगरीय क्षेत्रों में 03 लाख से अधिक निजी शौचालयों का मिशन मोड में निर्माण कराया गया। इसके साथ ही 1750 से अधिक सामुदायिक / सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया तथा रोजाना उत्सर्जित लगभग 2200 टन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रभावी निपटान हेतु राज्य द्वारा समग्र प्रयास किए गए।
मिशन क्लीन सिटी योजना के तहत राज्य भर में 28 लाख नीले एवं हरे डस्टबिन का शहरी क्षेत्र के प्रत्येक घर एवं दुकानों में निःशुल्क वितरण किया गया, मिशन क्लीन सिटी योजना अंतर्गत डोर टू डोर कलेक्शन एवं एस.एल.आर.एम सेंटर में कार्य हेतु निकायों में स्थित 9232 से अधिक स्वसहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर देते हुए कार्य में संलग्न किया गया और आज यह महिलाएं अपने समाज में अपने कार्य और आर्थिक स्थिति में सुधार से एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर चुकी है।
राज्य के 167 शहरों में सूखे कचरे के एकत्रीकरण हेतु 379 एस.एल.आर.एम सेंटर एवं गीले कचरे के एकत्रीकरण हेतु 173 कंपोस्ट सेंटर का निर्माण किया गया। प्रदेश भर में 2600 से अधिक ट्राई साईकिल रिक्शा, 1300 ई रिक्शा एवं मिनी टिपर को डोर टू डोर कलेक्शन के कार्य में संलग्न किया गया। मात्र 222 करोड़ की लागत में प्रदेश भर में मिशन क्लीन सिटी योजना का क्रियान्वयन कर देश की सबसे बड़ी डी सेंट्रलाइज सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना का संचालन किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में लागू मिशन क्लीन सिटी योजना का पृथक्कीकरण आधारित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट माडल संपूर्ण प्रदेश में प्रसिद्ध हुआ है जिसे माननीय ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा बेस्ट प्रैक्टिस निरूपित करते हुए अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया है। नगर निगम बिलासपुर एवं रायपुर में कचरे से आर.डी.एफ. तैयार करने हेतु संयंत्र स्थापना का कार्य पूर्ण कर कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है।
13.6 स्वच्छता श्रृंगार योजना प्रदेश के नगरीय निकायों में सामुदायिक शौचालयों के संचालन एवं संधारण हेतु स्वच्छता श्रृंगार योजना लागू की गई। योजनांतर्गत शौचालयों के संचालन एवं रखरखाव (लघु टूटफूट) के लिए निकायों को शत् प्रतिशत मासिक अनुदान- सामुदायिक शौचालय (20 सीटर) राशि रू.15,000, सामुदायिक शौचालय 20 सीटर से अधिक राशि रू. 18,000 तथा सामुदायिक शौचालय (जिसमें केयर टेकर न हो) हेतु राशि रु.1,200 प्रतिसीट प्रतिमाह किंतु अधिकतम राशि रू. 15,000 उपलब्ध कराई जाती है।
योजनांतर्गत शौचालयों में उपलब्ध कराने हेतु अनिवार्य सुविधाएं सामुदायिक शौचालय में शौचालय, मूत्रालय तथा स्नानागार इत्यादि समस्त सुविधाएं निःशुल्क, केयर टेकर, प्रतिदिन न्यूनतम 02 बार एवं आवश्यकतानुसार सफाई, साबुन, साबुनदानी, एयर फ्रेशनर, फ्लोर वाईपर, आईना, नीले/हरे डस्टबीन, पेपर नेपकीन, फिनाईल, झाडू, ब्रश, प्रकाश हेतु एलईडी लाईट, सभी दरवाजों की कुण्डी आदि की व्यवस्था। साथ ही सेनिटरी पैड वेडिंग मशीन (पे-एण्ड यूज के आधार पर), अनिवार्यतः ऊर्जा दक्ष विद्युत उपकरण (एलईडी लाईट) का उपयोग, नागरिक प्रतिक्रिया प्रणाली (आईसीटी फिडबैक सिस्टम), नागरिक प्रतिक्रिया प्रणाली, निदान 1100, स्वच्छता ऐप के माध्यम से दर्ज की जाने वाली शौचालयों से संबंधित शिकायतों के निराकरण की व्यवस्था की गई है। नगरीय निकायों को योजना अंतर्गत वित्तीय वर्श 2022-23 में राशि रू. 14.78 करोड एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में राशि रू. 8.21 करोड़ जारी की गई है।
13.7 मिशन अमृत (अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन) –
अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) में जनगणना 2011 के अनुसार 01 लाख से अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के 09 नगरीय निकाय रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, अंबिकापुर, जगदलपुर, रायगढ़ एवं कोरबा सम्मिलित है। मिशन के प्रमुख घटक जल प्रदाय, सीवरेज / सेप्टेज मैनेजमेंट तथा उद्यान विकास है। मिशन अवधि (वर्ष 2015-2023) हेतु राशि रू. 2.236.00 करोड़ की कार्य योजना भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है, जिसमें राशि रू. 1,804.00 करोड की लागत से जल प्रदाय परियोजनाएं, राशि रू. 399.00 करोड़ से सेप्टेज मैनेजमेंट तथा राशि रू. 33.00 करोड़ से उद्यान विकास कार्य प्रस्तावित है।
मिशन का मुख्य उद्देश्य समस्त आवासों में निजी नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। मिशन अंतर्गत कुल 3,19,209 नग निजी नल कनेक्शनों में से 2,74,633 निजी नल कनेक्शन अद्यतन प्रदाय किये जा चुके है। मिशन अंतर्गत कुल 09 नग जल शोधन संयंत्र का निर्माण कराया जाना था, जिसमें से अद्यतन 08 नग जल शोधन संयंत्र का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है तथा 77 नग उच्च स्तरीय जलागारों में 76 नग उच्च स्तरीय जलागारों का निर्माण कार्य पूर्ण कर, जल आपूर्ति की जा रही है। मिशन अंतर्गत कुल 75 नग उद्यान का निर्माण कार्य किया जाना था जिसमें से कुल 75 नग उद्यान का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्ति मिशन अंतर्गत सीवरेज / सेप्टेज घटक अंतर्गत कुल 07 नग एसटीपी किल क्षमता 26320) एमएलडी का निर्माण कार्य पर्ण कर लिया गया है।
13.8 प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) छत्तीसगढ़ संक्षिप्त जानकारी :-
शहरी आवासहीन गरीब परिवार एवं अल्प आय वर्ग (3.00 लाख रू. से कम) के हितग्राहियों (पति, पत्नी एवं अविवाहित संतान) जिनका देश में कही भी पक्का आवास नहीं है एवं दिनाक 31.08.2015 से पूर्व निकाय क्षेत्रांतर्गत निवासरत हैं, ऐसे पात्र हितग्राहियों को पक्का आवास प्रदान किया जाना है।
13.8.1 योजना के घटक :-
मोर जमीन मोर मकान (BLC) मिशन के घटक अन्तर्गत हितग्राहियों द्वारा स्वयं की उपलब्ध भूमि पर आवास निर्माण / विस्तार किया जाना है। इस घटक अंतर्गत समस्त नगरीय निकायों में अधिकतम 30 वर्ग मीटर, कारपेट एरिया में, व्यक्तिगत आवास निर्माण हेतु 04 किस्तों में राशि रू. 2.29 लाख की सब्सिडी प्रदान की जाती है। योजना अन्तर्गत अद्यतन 2,11.069 आवास स्वीकृत है, जिसमें से 1,81,543 आवास पूर्ण एवं 25,945 आवास प्रगतिरत् हैं।
मोर मकान मोर चिन्हारी (AHP) स्लम के हितग्राहियों के व्यवस्थापन हेतु शासन द्वारा बहुमंजिले ईमारतों में मूलभूत सुविधाओं के साथ 30 वर्गमीटर क्षेत्रफल के फ्लैट्स निर्मित किये जाते हैं, जिसमें शासन द्वारा कुल राशि रू. 4.00 लाख अनुदान के रूप में प्रदान किया जाता है। हितग्राहियों को राशि रु. 75000 में यह आवास उपलब्ध कराये जाते हैं। योजना अन्तर्गत अद्यतन 38,097 आवास स्वीकृत हैं, जिसमें से 22.557 आवास पूर्ण एवं 14,523 आवास प्रगतिरत् है।
मोर मकान-मोर आस (AHP) मोर मकान-मोर चिन्हारी (एएचपी) घटक अन्तर्गत स्लम में निवासरत् पात्र हितग्राहियों के व्यवस्थापन उपरान्त शेष आवासों को स्लम / गैर स्लम में किराये से निवासरत् पात्र परिवारों को आबंटित किया जाता है। योजना अन्तर्गत चयनित 19,581 आवासों में से 10,558 हितग्राहियों को आवास आबंटित किया गया है, जिसमें 7,593 हितग्राही निवासरत् हैं।
उपलब्धियाँ :-
छत्तीसगढ़ राज्य को मोर जमीन मोर मकान घटक अंतर्गत बेस्ट कन्वर्जेस विथ अदर मिशन की श्रेणी में उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत किया गया है।
राजनांदगांव में बीएलसी घटक अन्तर्गत “आशा चढ़ी परवान” योजना में उत्कृष्ट कार्य हेतु हुड्को द्वारा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य को Indian Urban Housing Conclave (IUHC), 2022 में “बेस्ट कम्यूनिटी ओरिएन्टेड प्रोजेक्ट्स’ की श्रेणी में उत्कृष्ट प्रदर्शन का पुरस्कार प्रदान किया गया।
नगर पंचायत पाटन को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के मोर जमीन मोर मकान घटक अंतर्गत उत्कृष्ट कार्यों हेतु Indian Urban Housing Conclave (IUHC), 2022 में “बेस्ट परफॉर्मिंग नगर पंचायत की श्रेणी में पूरे भारत में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
13.9 स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 संक्षिप्त जानकारी :-
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का मुख्य उद्देश्य देश के समस्त शहरों को ‘कचरा मुक्त शहर” की श्रेणी में लाया जाना है।
13.9.1 योजना के घटक :-
सतत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Sustainable Solid Waste Management) नगरीय निकायों में उत्सर्जित ठोस अपशिष्ट का 100% वैज्ञानिक प्रक्रिया से निस्तारीकरण एवं सभी शहरों को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाना।
सतत सफाई व्यवस्था (Sustainable Sanitation) सभी नगरीय निकायों अन्तर्गत खुले में शौच मुक्त स्थिति बनाए रखना। इस घटक अन्तर्गत 80 नगरीय निकायों में कुल 141 आकांक्षीय शौचालय स्वीकृत हैं, जिसमें 74 शौचालयों का कार्य प्रगतिरत्, 09 कार्य अप्रारंभ एवं शेष 58 शौचालयों की निविदा प्रगतिरत् है।
अनुपचारित जल प्रबंधन (Used Water Management) 1 लाख से कम आबादी वाले सभी नगरीय निकायों में यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी अनुपचारित मल, कीचड़ या उपयोगित जल पर्यावरण में नहीं छोड़ा जाता है, और सभी उपयोगित जल (सीवरेज और सेप्टेज, घुमैला एवं काला जल सहित) को सुरक्षित रूप से समाहित, परिवहन और उपचारित किया जाता है, साथ ही उपचारित उपयोग किए गए पानी का अधिकतम पुनः उपयोग किया जाता है। इस घटक अन्तर्गत 20 नगरीय निकायों में एसटीपी निर्माण (इन्टरसेप्शन एवं डायवर्सन ड्रेन सहित) हेतु राशि रू. 9925.62 लाख की परियोजनाएँ स्वीकृत हैं, जिनकी निविदाएँ जारी की जा चुकी हैं। 30 परियोजनाओं के डीपीआर एनआईटी में परिमार्जन प्रक्रियाधीन एवं 30 परियोजनाओं के डीपीआर निर्माणाधीन हैं।
सूचना, शिक्षा और संचार (Information, Education and Communication (IEC)) ‘कचरा मुक्त’ शहरों की परिकल्पना को प्राप्त करने की दिशा में ‘जन आंदोलन को तेज करने और स्वच्छ व्यवहार और संबंधित कार्यों को संस्थागत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर नागरिकों तक पहुँच बनाकर जागरूकता सृजन सुनिश्चित करना।
क्षमता निर्माण (Capacity Building) मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेपों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए संस्थागत क्षमता बनाना।
13.10 डे-एनयूएलएम-दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन ए (डे-एनयूएलएम)
भारत सरकार आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, छत्तीसगढ़ शासन एवं नगरीय निकायों के संयुक्त प्रयासो से शहरी गरीबों के उत्थान के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का संचालन राज्य के समस्त नगरीय निकायों में किया जा रहा है। यह मिशन, क्षमता संवर्धन, कौशल उन्मुखीकरण, स्व-रोजगार, सामाजिक सुरक्षा तथा महिला समूहों का संस्थागत विकास के द्वारा शहरी गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु प्रतिबद्ध है। शहरी बेघरों को आवश्यक सेवाओं सहित आश्रय उपलब्ध कराना तथा शहरी पथ विक्रेताओं की समस्याओं का निदान कर, समुचित स्थानों पर वेन्डिग जोन विकसित किया जाना है। वर्तमान में 170 निकायों में मिशन लागू है।
दीन दयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डे-एनयूएलएम) प्रमुख घटक सामाजिक गतिशीलता एवं संस्थागत विकास
छोटी-छोटी बचत आदतों एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में 10 से 20 शहरी गरीब महिलाओं को जोड़ कर महिला स्व-सहायता समूह का गठन तथा 10 हजार रूपये आवर्ती निधि सहित पंचसूत्र जैसे नियमित बैठक, बचत, लेखा संधारण, ऋण आदान-प्रदान एवं अदायगी का पालन करने वाले महिला समूहों को बैंक लिंकेज के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को आवर्ती निधि के रूप में 10,000 रूपए प्रति स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) तथा 50,000/- रूपय प्रति पंजीकृत एरिया लेबल फेडरेशन (एएलएफ) को दिये जाने का प्रावधान है, जिससे स्वयं सहायता समूह एवं एरिया लेबल फेडरेशन (एएलएफ) अपने कार्यकलापों को संचालित कर सकें।
दिव्यांग, रिक्शाचालक, रैगपिकर्स, वेडर्स इत्यादि 5 पुरुषों को जोड़कर भी समूह गठन किया जा सकता है, परन्तु ऐसे समूहों को आवर्ती निधि/अतिरिक्त ब्याज अनुदान देय नहीं होगा, शेष योजना से संबंधित लाभ दिया जा सकता है।
स्व-रोजगार कार्यक्रम –
स्व रोजगार हेतु वित्तीय सहायता तथा केन्द्र / शासन द्वारा योजनांतर्गत ब्याज अनुदान, बैंकों के माध्यम से हितग्राहियों को उपलब्ध कराया जाना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. इसमें व्यक्तिगत ऋण अधिकतम 2.00 लाख, समूह ऋण अधिकतम 10.00 लाख तथा समूहो की महिलाओं की बचत राशि के 1-4 अनुपात में बैंक लिंकेज के माध्यम से शहरी गरीबों को ऋण प्रदान कर स्व रोजगार से जोड़ा जा रहा है।
ऋण पर बैंको द्वारा प्रचलित ब्याज दर की जगह मात्र 7 प्रतिशत ब्याज दर देय होगी तथा शेष ब्याज का वहन योजनांतर्गत व्याज अनुदान के रूप में किया जाएगा।
महिला स्व सहायता समूहों को बैंक लिंकेज ऋण के समय पर ऋण अदायगी पर अतिरिक्त 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जायेगा।
शहरी पथ विक्रेताओं को सहायता-
घटक में पथ विक्रेताओं को सामाजिक सुरक्षा, कौशल उन्नयन, कार्यशाला, बैंक लिंकेज एवं ऋण सुविधा, पहचान-पत्र, विक्रय हेतु सुनिश्चित स्थान आदि सुविधाओं से लाभान्वित किया जाएगा।
निकायों में नॉन वेंडिंग जोन, वेंडिंग जोन एवं प्रतिबंधित जोन की पहचान एवं जोनों के वर्गीकरण के आधार पर शहरी पथ विक्रेताओं को व्यवसाय किये जाने हेतु वेंडिंग प्लान निर्माण एवं बाजार विकास।
शहरी बेघरों के लिए आश्रय योजना-
घटक अंतर्गत सामुदायिक आश्रय भवन का निर्माण कर शहरी बेघर लोगों के 50-100 व्यक्तियों के लिए रहने का स्थान एवं मूलभूत सुविधायें (किचन, पानी, शौचालय, बिजली, मनोरंजन आदि) उपलब्ध करायी जायेगी। ऐसे आश्रय भवन सभी मिशन नगरों में रेल्वे स्टेशन, अस्पताल, बस स्टैण्ड, मण्डी आदि के समीप निर्मित किया जाएगा। इन भवनों एवं सुविधाओं का संचालन एवं प्रबंधन, इस कार्य हेतु गठित प्रबंधन समिति / पूर्ण कालिक कर्मचारियों / अन्य के द्वारा किया जाएगा।
क्षमता संवर्धन एवं प्रशिक्षण –
पदस्थ मिशन प्रबंधकों, सामुदायिक संगठक एवं अन्य के क्षमता वर्धन के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है।
हितग्राही चयन का आधार –
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का प्राथमिक लक्ष्य शहरी गरीब वर्ग (Urban Poor) है। शहरी गरीब वर्ग के पहचान हेतु वर्तमान में पूर्व से प्रचलित सर्वेक्षण के आधार पर गरीबी रेखा से नीचे निवासरत लोगों को मिशन की गतिविधियों से जोडा है। 25 प्रतिशत अन्य समकक्ष, वंचित वर्ग जैसे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, महिलायें, अल्पसंख्यक, विकलांग इत्यादि को भी मिशन के योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है। योजना में महिला 30 प्रतिशत, अल्पसंख्यक 15 प्रतिशत, विकलांग 3 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति / जाति का आरक्षण एवं शहरी में निवासरत् अनुसूचित जनजाति/जाति के प्रतिशत के आधार पर आरक्षण दिया जाना है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की वित्तीय वर्ष 2024-25 में घटकवार उपलब्धि प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना-
पथ विक्रेता शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है और ये पथ विक्रेता शहर में रहने वालों के लिए घर तक वस्तु और सेवा पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। कोविड-19 महामारी और लगातार बढ़ते हुए लॉकडाउन से विक्रेताओं की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा था, ये प्रायः कम पूंजी से कार्य करते है और लोंकडाउन के दौरान शायद इनकी पूंजी पूरी समाप्त हो गई थी। इसलिए इन पथ विक्रेताओं को अपना काम फिर से शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी हेतु ऋण की अति आवश्यकता पड़ी, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से पथ विक्रेताओं को तत्कालिक रूप से कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी गई।
योजना का उद्देश्य –
10,000 से 50,000 तक की कार्यशील पूंजी की सहायता।
नियमित भुगतान को प्रोत्साहित करना।
कम ब्याज पर ऋण उपलब्धता।
डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना।
ऋण, ब्याज अनुदान (सब्सिडी) –
योजनांतर्गत प्रथम ऋण राशि रु. 10,000, द्वितीय ऋण 20.000, तृतीय ऋण 50.000 बैंकों के माध्यम से प्रदाय किया जाता है।
योजना के अन्तर्गत ऋण प्राप्त करने वाले हितग्राहियों को 7 प्रतिशत ब्याज अनुदान की पात्रता होगी, ब्याज अनुदान प्रत्येक तीन माह में प्रदाय की जाएगी।
ऋण गारण्टी –
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CREDIT GUARANTEE FUND TRUST FOR MICRO AND SMALL ENTERPRISES) द्वारा ग्रेडेड गारंटीड सुरक्षा व्यवस्था अन्तर्गत गारंटी कवर प्रदान किया जाएगा।
13.11 15वें वित्त आयोग योजना –
भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में सर्वोच्च प्राथमिकता पर केंद्रीय वित्त आयोग योजना है. जिसके अंतर्गत जन सामान्य की मूलभूत सेवाओं से संबंधित कार्य, जल प्रदाय, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि कार्य किये जाते है। यह योजना वर्ष 2020-21 से वर्ष 2025-26 तक समस्त राज्यों में लागू है। 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को अनुदान जारी करने के लिए 02 श्रेणीयों में बाँटा गया है। प्रथम श्रेणी मिलियन प्लस एग्लोमेरेशन सिटीज जिसके अतर्गत राज्य की 09 नगरीय निकाय सम्मिलित है तथा द्वितीय श्रेणी नॉन मिलियन प्लस सिटीज जिसके अतर्गत नगर पालिक निगम रायपुर को छोडकर राज्य के समस्त नगरीय निकाय सम्मिलित है।
नॉन मिलियन प्लस सिटीज अनटाईड ग्राण्ट द्वारा 07 मूलभूत कार्यों के लिए किया जाता है। क्रमशः अनटाईड ग्राण्ट का उपयोग निकायों सेनीटेशन सेप्टेज मैनेजमेंट, सीवरेज, वाटर सप्लाई, स्टार्म वाटर ड्रेनेज, स्ट्रीट लाईटिंग, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, रोड्स एवं फुटपाथ टाईड ग्राण्ट टाईड ग्राण्ट का उपयोग निकायों द्वारा केवल 02 घटक के अंतर्गत किया जा सकता है। क्रमशः ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पेजजल प्रबंधन (वर्षा जल संचयन तथा जल का पुनर्चकण)।
मिलियन प्लस सिटीज टाईड ग्राण्ट टाईड ग्राण्ट का उपयोग निकायों द्वारा केवल 03 घटक के अंतर्गत किया जा सकता है। क्रमशः वायु गुणवत्ता सुधार अंतर्गत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पेजजल प्रबंधन (वर्षा जल संचयन तथा जल का पुनर्चक्रण)।
See also
References
Take an online test on the CG Economic Survey and CG Budget from the DKAcademyCGPSC App.
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