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ES-12 ग्रामीण विकास एवं रोजगार : छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 | CG Rural Dev. and Emp. [ Notes, PDF, MCQs ]


Chapter 12 : Rural Dev. and Emp. [CG Economic Survey 2024-25]

मुख्य बिन्दु

  • मनरेगा-वित्तीय वर्ष 2023-24 में 24.77 लाख परिवारों को रोजगार, 1,276.63 लाख मानव दिवस कार्य सृजित जिसमें महिलाओं का प्रतिशत 54 है। वर्ष 2023-24 में 3,43,122 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार ।
  • मनरेगा अंतर्गत वर्ष 2024-25 में सितम्बर तक 21.17 लाख परिवारों को रोजगार, 811.18 लाख मानव दिवस कार्य सृजित, महिलाओं का प्रतिशत 55.31 है। वर्ष 2024-25 में सितम्बर तक 58,699 परिवारों को 100 दिवस का रोजगार।
  • मनरेगा अंतर्गत वर्ष 2024-25 (सितंबर) में उपलब्ध राशि 3,076.81 करोड़ रू. से 2,944.33 करोड़ रू. व्यय ।
  • चक्रीय निधि से 2023-24 में 33,859 स्व-सहायता समूहों को रु. 5,091.9 लाख, 2024-25 में सितम्बर तक 12,842 समूहों को रू. 1,926.3 लाख प्रदाय ।
  • बैंक क्रेडिट लिंकेज अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 1,13,444 स्व-सहायता समूहों को रू. 203,583.99 लाख तथा वर्ष 2024-25 में सितम्बर तक 52,270 समूहों को रू. 76,772.20 लाख ऋण प्रदाय ।

छत्तीसगढ़ में त्रि-स्तरीय पंचायत राजव्यवस्था वर्ष 2000 में राज्य स्थापना के साथ लागू हुई। संविधान के 73वें संशोधन के फलस्वरूप आर्थिक एवं सामाजिक न्याय के 29 कार्यों (11वीं अनुसूची) का क्रियान्वयन पंचायतों के माध्यम से किये जाने का प्रावधान है। भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 255.45 लाख है। जहां 76.76% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर्गत आती है, इस प्रकार राज्य में ग्रामीण विकास का विश्लेषण अति आवश्यक है।
12.1 वर्तमान में प्रदेश में 33 जिला पंचायतें, 146 जनपद पंचायतें तथा जनगणना 2011 के अनुसार 10971 ग्राम पंचायतें तथा 20126 ग्राम हैं एवं पंचायत विभाग 2019-20 के अनुसार 11.664 ग्राम पंचायतें तथा 20,255 ग्राम स्थापित हैं पंचायतराज संस्थाओं के कार्यक्रमों हेतु उनके स्वयं के संसाधन तथा राज्य एवं केन्द्र से प्राप्तियां शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में गाँव की स्थिति निम्न तालिका में दर्शित है।

उपर्युक्त तालिका से यह स्पष्ट है की छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले 5 दशकों में समग्र राज्य की जनसंख्या वृद्धि की तुलना में ग्रामीण जनसंख्या वृद्धि दर में कमी पायी गयी है। जहां वर्ष 1951 में कुल जनसंख्या का ग्रामीण भाग 95 प्रतिशत था वहीं वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यह 77 प्रतिशत तक हो गया है। निरपेक्ष संख्या की दृष्टि से वर्ष 1951 में ग्रामीण जनसंख्या केवल 70.93 लाख थी जो अब 2011 जनगणना के अनुसार 196,08 लाख है।

12.2 ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए स्वास्थ्य व शिक्षा, पानी तथा साफ-सफाई, पशु चिकित्सा सेवाओं सहित सहकारिता आवश्यक हैं, विशेष रूप से उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के युग में इस प्रकार ग्रामीण विकास, विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए एक एकीकृत अवधारणा है, जिसकी पंचवर्षीय योजनाओं में प्रमुखता रही है। किसी भी अर्थतंत्र की प्रगति के लिए ग्रामीण विकास महत्वपूर्ण माना जाता है. भारत में ग्रामीण विकास की गति चिंता का विषय है। भारत ग्रामीण विकास में अभी भी बहुत पीछे है।

राज्य में ग्रामीण विकास हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं यथा ग्रामीण विकास के अंतर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, आजीविका मिशन (NRLM) प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना, मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, विधायक आदर्श ग्राम योजना, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना आदि कार्यक्रम विभाग द्वारा संचालित किये जा रहे हैं। सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना एवं विधायक निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना का क्रियान्वयन आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय द्वारा किया जा रहा है।
12.3 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत परिवारों की आजीविका को सुरक्षा प्रदान करने हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 दिनांक 07 सितम्बर, 2005 को जारी की गई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005 की धारा 4 (1) अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में 2 फरवरी 2006 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना प्रारंभ की गई। प्रथम चरण में 02 फरवरी 2006 से 11 जिले (बस्तर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जशपुर, कांकेर, कबीरधाम, कोरिया, रायगढ़, राजनांदगांव एवं सरगुजा), द्वितीय चरण में दिनांक 01 अप्रैल 2007 से 04 जिले (रायपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा एवं महासमुंद) तथा तृतीय चरण में-दिनांक 01 अप्रैल, 2008 से राज्य के समस्त जिलों में योजना प्रभावशील है।
12.3.1 उद्देश्य :-
रोजगार की गारन्टी एवं परिसम्पत्तियों का सृजनः अधिनियम के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराना एवं स्थायी परिसम्पत्तियों का सृजन करना है।
मांग पर रोजगारः ऐसे ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य जो अकुशल शारीरिक श्रम करने को तैयार है, उनके द्वारा आवेदन किये जाने पर 15 दिवस के भीतर रोजगार मुहैया कराये जाने है।
महिलाओं को प्राथमिकताः अधिनियम के तहत पंजीकृत परिवार की महिलाएँ, रोजगार हेतु आवेदन करती है, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी जाती है, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कम से कम एक तिहाई महिलाएँ लाभान्वित हो।
दिव्यांगजन को क्षमता अनुसार रोजगारः ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत दिव्यांगजन रोजगार के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें योग्यता एवं क्षमता अनुसार काम दिया जाता है।
बेरोजगारी भत्ताः काम की मांग करने वाले आवेदक को 15 दिवस के भीतर श्रम रोजगार उपलब्ध नहीं होने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। बेरोजगारी भत्ता प्रथम 30 दिवस हेतु न्यूनतम मजदूरी दर का एक चौथाई होता है एवं 30 दिवस के उपरान्त न्यूनतम मजदूरी दर का आधा होता है। राज्य द्वारा “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी बेरोजगारी भत्ता नियम-2013” बनाया गया है।

अतिरिक्त रोजगारः राज्य शासन द्वारा वर्ष 2013-14 से महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 100 दिवस से बढ़ाकर 150 दिवस रोजगार प्रदाय किया जा रहा है। अतिरिक्त 50 दिवस पर होने वाले व्यय का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाता है।
वन अधिकार पत्रधारक को अतिरिक्त रोजगारः वन अधिकार पत्रधारक आदिवासी परिवारों को 150 दिवस का रोजगार भारत सरकार द्वारा दिया जाता है, बशर्ते उन परिवारों के पास FRA अधिनियम, 2006 द्वारा प्रदत्त भूमि अधिकारों के अलावा कोई अन्य निजी सम्पत्ति न हो।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के हितग्राहियों को लाभः प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अंतर्गत हितग्राहियों को आवास निर्माण के लिये महात्मा गांधी नरेगा से सामान्य क्षेत्रों में 90 मानव दिवस एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 95 मानव दिवस कार्य का लाभ प्रदान की जाती है।
मजदूरी भुगतानः श्रमिकों को मजदूरी भुगतान बैंक / डाकघर के बचत खातों के माध्यम से किया जाता है।
मजदूरी दर वर्ष 2024-25 के लिये भारत सरकार द्वारा प्रति दिवस मजदूरी दर राशि रू. 243/- निर्धारित किया गया है।
मजदूरी एवं साम्रगी अनुपातः जिला स्तर पर मजदूरी एवं सामग्री का 60:40 के अनुपात में राशि व्यय का प्रावधान है।
मशीनों से कार्य कराना प्रतिबंधितः महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत मशीनों से कार्य कराना प्रतिबंधित है, परंतु निम्नाकिंत कार्यों के लिये मशीनों का उपयोग कुछ शर्तों के अधीन दिया गया है:- भूमि की उत्पादकता बढ़ाने हेतु-कुआँ खोदने के लिये पंप सेट, कम्प्रेसर हैमर, लिफ्ट डिवाईस, सड़क निर्माण के लिये-पावर रोलर, ट्रेलर माउन्टेड वाटर ब्रोसर, स्टैटिक स्मूथ विल्ड रोलर आफ 8-20 टन वेट, मैक्निकल मिक्सर, मैक्निकल वाइब्रेटर, भवन निर्माण के लिये-मिक्सर और मैक्निकल वाइब्रेटर, भवन निर्माण सामग्री का उत्पादन मशीन फार सी एस ई बी का ब्रिक्स / ब्लाकमेकिंग मशीन, मेकेनिकल ऑगर प्रावधान किया गया है।
12.3.2 पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व :-
स्वतंत्र सामाजिक अंकेक्षण इकाई भारत सरकार के निर्देशानुसार पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु राज्य में पृथक से “सामाजिक अंकेक्षण इकाई” का गठन किया गया है।
शिकायत निवारणः महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्राप्त शिकायतों के निराकरण हेतु “छत्तीसगढ़ ग्रामीण रोजगार गांरटी शिकायत निवारण नियम, 2012” बनाया गया है।

ऑनलाईन शिकायतः शिकायतों के त्वरित निराकरण हेतु राज्य द्वारा www.mgnrega.cg.gov.in में ऑनलाईन व्यवस्था की गई है।
ई-मस्टररोलः पारदर्शिता तथा Realtime MIS अद्यतन करने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के कार्यों हेतु पूरे राज्य में e-Muster Roll का प्रयोग किया जा रहा है।
लोकपालः महात्मा गांधी नरेगा की धारा 27 के तहत् योजना क्रियान्वयन से संबंधित शिकायतों के निवारण (निपटारे) के लिए जिला स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति की गई है।
अपीलीय प्राधिकरणः जिलों के लोकपाल द्वारा पारित अवार्ड के विरूद्ध सुनवाई हेतु राज्य स्तर पर त्रिसदस्यीय अपीलीय प्राधिकरण गठन किया गया है।
12.3.3 गुणवत्ता पूर्ण स्थायी परिसम्पत्तियों का निर्माण :-
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु निर्माणाधीन कार्यों की सतत् निगरानी की व्यवस्था की गयी है, राज्य, जिला एवं विकासखण्ड स्तर से अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किये जाते हैं।
गुणवत्तापूर्ण स्थायी परिसम्पत्तियों का निर्माण सुनिश्चित करने हेतु ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अभियंताओं के सतत् पर्यवेक्षण के साथ ही विभाग के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारियों के द्वारा भी आबंटित जिलों में निरीक्षण की कार्यवाही की जा रही है।
BFT (Barefoot Technician) निर्माण कार्यों में तकनीकी सहायकों के सहयोग के लिए बेयरफुट तकनीशियन को 90 दिवस का प्रशिक्षण दिया जाकर ग्राम पंचायतों में कार्य लिया जा रहा है। इनका कार्य कामों का चिन्हांकन, ले-आउट करना, किये गये कार्यों का माप करना एवं माप पुस्तिका में दर्ज करने में तकनीकी सहायक को सहायता करना है।
GIS (Geogrophic Information System): भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी नरेगा हेतु NRSC (National Remote Sensing Center) के माध्यम से केंद्रीकृत GIS प्रणाली Geo-MGNREGA को क्रियान्वयन किया जा रहा हैं। इस प्रणाली से योजना के अंतर्गत निर्मित परिसम्पत्तियों को मोबाईल एप्लीकेशन के माध्यम से (Geo-tagged
(letitude & longitude) फोटोग्राफ भुवन पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है।
जनमनरेगा भारत सरकार द्वारा आमजनों के लिये महात्मा गांधी नरेगा की मूलभूत जानकारी तथा महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत निर्मित परिसम्पत्तियों के Geo-tagged के माध्यम से फोटो प्राप्त कर उपलब्ध कराये गये है। जिसे आमजन जनमनरेगा एप पर देख सकते है।

National Mobile Monitoring System (NMMS) भारत सरकार द्वारा महात्मा गाथा नरेगा कार्यों के कार्य स्थल से मस्टररोल में उपस्थिति लेने हेतु मोबाईल एप्लीकेशन उपलब्ध कराया गया है।
12.3.4 भुगतान प्रक्रिया :-
मजदूरी भुगतान समय पर करने के उद्देश्य से PFMS/e-FMS प्रणाली प्रारंभ की गई है। योजना के समस्त भुगतान PFMS/e-FMS से श्रमिकों के बैंक / पोस्ट के खाते में किये जा रहे हैं। नवम्बर, 2016 से NeFMS के माध्यम से मजदूरों को मजदूरी भारत सरकार द्वारा सीधे अंतरित की जा रही है।
SECURE SOFTWARE: भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी
नरेगा अंतर्गत ग्राम पंचायत द्वारा संपादित किये जाने वाले निर्माण कार्यों के प्राक्कलन तैयार करने, तकनीकी स्वीकृति एवं प्रशासकीय स्वीकृति आनलाईन प्रदान करने हेतु “SECURE SOFTWARE” (software for estimate calculation using rural rate for employment) का राज्य के सभी जिलों में वर्ष 2018-19 से प्रारंभ किया जा चुका है, जो MIS से लिंक है।
प्रोजेक्ट उन्नति प्रोजेक्ट उन्नति के तहत् वित्तीय वर्ष 2018-19 में महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 100 दिवस से अधिक कार्य करने वाले हितग्राहियों को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से RSETI/DDU-GKY/KVK के द्वारा उनके रूचि के ट्रेड्स में प्रशिक्षण प्रदान करते हुए, उन्हे रोजगार / स्व-रोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है।
विलंबित मजदूरी भुगतान के लिये मुआवजा महात्मा गांधी नरेगा की धारा 3 (3) के अनुसार, श्रमिक साप्ताहिक आधार पर मजदूरी पाने के हकदार होते हैं, यदि मस्टर रोल बंद होने की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर मजदूरी भुगतान नहीं किया जाता है, तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की अनुसूची 2 के पैरा 29 के अनुसार मजदूरी प्राप्तकर्ता मस्टर रोल बंद होने के सोलहवें दिन से विलंब के लिये भुगतान न की गई मजदूरी पर प्रतिदिन 0.05 प्रतिशत की दर से मुआवजा पाने के हकदार होता है।
मातृत्व अवकाश भत्ता योजनांतर्गत निर्माण कार्यों में कार्यरत ऐसे महिला श्रमिकों को
जिन्होंने विगत 12 माह में 50 दिवस मजदूरी कार्य किया है, उनको राज्य शासन द्वारा ‘मातृत्व अवकाश भत्ता’ के रूप में एक माह का मजदूरी राशि का भुगतान राज्य बजट से किया जा रहा है।
कार्य स्थल पर उपलब्ध सुविधाएँ कार्यस्थल पर पेयजल, छाया हेतु शेड, प्राथमिक उपचार सुविधा तथा मजदूरों के 5 वर्ष से कम आयु के 5 से अधिक बच्चे होने पर शिशुघर (Creche) की सुविधा दिये जाने का प्रावधान है।

12.3.4 प्रगति महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अन्तर्गत वर्ष 2023-24 (अप्रैल, 2023 से सितम्बर, 2024) एवं (अप्रैल, 2023 से मार्च 2024) तक की प्रगति एवं चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024 से सितम्बर 2024) तक की प्रगति का विवरण निम्न तालिका में दर्शित है:-

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण
लक्ष्य एवं उद्देश्य:-
9
10
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण एक केन्द्र पोषित परियोजना है, जिसमें केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत माह मार्च 2024 तक सभी के लिये आवास के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों के बेघर एवं कच्चे मकानों में रह रहे गरीब परिवारों को स्वयं का पक्का एवं आपदा रोधक मकान उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से 01 अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की मुख्य विशेषताएं :-
आवास निर्माण के लिए जगह 25 वर्ग मीटर किया गया है। जिसमें स्वच्छ रसोई हेतु क्षेत्र भी शामिल है।
मैदानी क्षेत्रों में और पर्वतीय राज्यों, दुर्गम क्षेत्रों एवं आईएपी जिलों में राशि रू. 1.20 लाख प्रावधानित किया गया है।
केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच इकाई (आवास) सहायता लागत का वहन 60:40 के अनुपात के आधार पर किया जाता है।
सामान्य क्षेत्र एवं पर्वतीय राज्यों, दुर्गम क्षेत्रों के हितग्राही को आवास निर्माण हेतु राशि रू. 1.20 /- लाख, महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत 90 दिन की मजदूरी शौचालय अनुदान दिया जा रहा है।
ग्राम सभा द्वारा लाभार्थियों का चयन सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जनगणना (एसईसीसी), 2011 एवं आवास प्लस सूची के आधार पर ही किया जाता है।

लाभार्थियों के पंजीकृत बैंक खातों में सीधे इलेक्ट्रानिक तरीके (एफ.टी.ओ.) के माध्यम से राशि हस्तांतरित की जाती है।
पीएमवाई जी के संबंध में लाभार्थियों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी हितग्राही उन्मुखीकरण के माध्यम से प्रदाय की जा रही है।
स्थानीय सामाग्रियों, डिजाईनों और प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों का उपयोग करते हुए लाभार्थियों द्वारा अच्छे आवास का निर्माण किया जा रहा है।
पात्र लाभार्थियों के प्राथमिकता के निर्धारण के पश्चात प्रत्येक ग्राम पंचायत या संबंधित राज्य / सं.शा. क्षेत्र पंचायत अधिनियम द्वारा मान्यता प्राप्त स्थानीय स्व-शासन की सबसे निम्नतम इकाई के लिए अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य और अल्पसंख्यक वर्गों की अलग-अलग प्राथमिकता सूचियां पात्र लाभाथियों की उपलब्धता के आधार पर तैयार किया जाता है। तत्पश्चात सूचियां ग्राम सभा द्वारा सत्यापन के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों को उपलब्ध करायी जाती है।
वित्तीय वर्ष 2016-17 से वर्ष 2024-25 के सितंबर माह तक योजनांतर्गत कुल 20,23,073 आवास निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 17,29,586 आवासों की स्वीकृति की जा चुकी है।
छत्तीसगढ़ राज्य में वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20, 2020-21, 2021-22 2022-23 2023-24 एवं 2024-25 हेतु कुल स्वीकृत आवास 17,29,586 के विरूद्ध 10,96,659 आवास पूर्ण किये जा चुके है तथा 5,52,943 आवास निर्माणधीन है। हितग्राहियों द्वारा स्वयं प्रेरित होकर आवास बनाये जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय अभियान (पीएम जनमन) की भौतिक प्रगति :-
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय अभियान अंतर्गत प्रदेश के 18 जिलों में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (PVTGs) के परिवारों को शतप्रतिशत लाभ दिये जाने हेतु प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय अभियान योजना के तहत राशि रूपये-दो लाख प्रति इकाई लागत के पक्के आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। योजनांतर्गत आदिम जाति विभाग द्वारा चिन्हांकित 42,326 परिवारों में से 24,278 परिवारों के आवास की स्वीकृति की जा चुकी है, जिसमें 1638 आवास पूर्ण किये जा चुकें है, एवं 20,136 परिवारों के आवास निर्माणधीन है।

मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण :-
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण 25.09.2023 से प्रारंभ की गयी है, जो कि राज्य पोषित परियोजना है। मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण का मुख्य उद्देश्य सामजिक आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में पाये गये 47.090 आवासहीन परिवारों को पक्के आवास की सुविधा से लाभान्वित किया जाना है। योजनांतर्गत 38,225 आवासों की स्वीकृति की जा चुकी है, जिसमें से 32.958 आवास निर्माणाधीन है। योजनांतर्गत सामान्य एवं मैदानी क्षेत्रों के हितग्राहियों के लिए राशि रू. 1.20 लाख और पर्वतीय राज्यों, दुर्गम क्षेत्रों एवं आईएपी जिलों के हितग्राहियों के लिए राशि रू. 1.30 लाख प्रावधानित किया गया है।
हितग्राहियों के आवास निर्माण की प्रगति के आधार पर हितग्राहियों के खाते में किश्त की राशि अंतरित की जा रही है। मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत संचालित योजनाओं की वर्षवार वित्तीय एवं भौतिक प्रगति का विवरण निम्नवत है:-

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) :-
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेस 2 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लक्ष्यानुरूप
02 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर संपूर्ण राष्ट्र खुले में शौचमुक्त घोषित हुआ। 01 अप्रेल, 2020 को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के फेस-2 की शुरूआत हुई जिसका क्रियान्वयन 31 मार्च, 2025 तक किया जाना है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेस-2 के घटक निम्नानुसार हैं:-

12.4 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन “बिहान” (NRLM) स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार
योजना का पुनर्गठन कर इसे समाप्त करते हुए दिनाँक 01.04.2013 से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन सम्पूर्ण प्रदेश में लागू किया गया है। योजनांतर्गत वित्त पोषण केन्द्र तथा राज्य के मध्य 60:40 के अनुपात में किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार के अवसरों का सृजन कर ग्रामीण परिवारों की गरीबी दूर करना है। समुदाय आधारित समूहों के लिए सूक्ष्म उद्यमों का विकास तथा ग्रामीण बी.पी.एल. युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाना इस योजना में शामिल है एवं मिशन के उ‌द्देश्यों की पूर्ति में सार्वभौमिक सामाजिक संगठनीकरण, सामुदायिक संस्थाओं का निर्माण, समूहों के संघ का निर्माण, प्रशिक्षण एवं कौशल उन्नयन, वित्तीय समावेशन, बाजार एवं अधोसंरचना उपलब्ध कराना इत्यादि कार्य किया जाना है।
12.5 सामुदायिक निवेश कोष (Community Investment Fund) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत सामुदायिक निवेश कोष का प्रावधान स्व-सहायता समूहों के जीविकोपार्जन संबंधी गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभिक पूंजी के रूप में किया गया है, जिसके अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों को सूक्ष्म ऋण योजना के आधार पर 60 हजार रूपए तक की राशि ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जाता है, जिसकी वापसी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा ग्राम संगठन के माध्यम से संकुल स्तरीय संगठन को किया जाता है।

12.6 चक्रीय निधि (Revolving Fund):- चक्रीय निधि की परिकल्पना महिला स्व-सहायता समूह में आंतरिक उधार की प्रक्रिया को गति देने, कोष के आकार में वृद्धि करने एवं समूहों के विकास हेतु एक तंत्र के रूप में की गई है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा वैसे स्व-सहायता समूह जो तीन माह से पंचसूत्र (1. नियमित साप्ताहिक बैठक, 2. नियमित साप्ताहिक बचत, 3. नियमित आंतरिक लेन-देन, 4. नियमित ऋण वापसी तथा 5. नियमित साप्ताहिक लेखा संधारण) का पालन कर रहे हों, उन्हें 15,000/- रूपये की राशि चक्रीय निधि के रूप में प्रदाय किये जाने का प्रावधान है।

12.7 बैंक लिंकेज :- महिला स्व-सहायता समूहों के वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बैंकों के साथ जोड़ना मिशन का मुख्य उद्देश्य है। महिला स्व सहायता समूहों को बैंक के माध्यम से फ्रेश एवं रिपीट ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। ताकि स्व-सहायता समूह के सदस्य अपनी आजीविका संबंधी गतिविधि को बढ़ावा दे सकें।

12.8 दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) दीनदयाल उपाध्याय
ग्रामीण कौशल्या योजना, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को प्रशिक्षण प्रदाय कर रोजगार के बेहतर अवसर प्रदाय करना है। राज्य में योजना वर्ष 2014 से YP State के तहत संचालित थी। वर्ष 2016 से राज्य को Anual Action Plan का दर्जा प्राप्त हुआ जिसके पश्चात योजना क्रियान्वयन सम्बन्धी महत्वपूर्ण निर्णय राज्य स्तर पर लिया जाता है।
15 से 35 आयु वर्ग के इच्छुक ग्रामीण गरीब एवं वंचित वर्ग के युवाओं के लिए विशेष योजना, विशेष समूहों यथा पीवीटीपी, दिव्यांग आदि के लिए 45 वर्ष तक निःशुल्क आवासीय कौशल विकास प्रशिक्षण का प्रावधान।
समुचित काउंसलिंग के उपरांत युवाओं की अभिरूचि, योग्यता एवं रोजगार के अवसर के अनुसार प्रशिक्षण ।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना अंतर्गत रोशनी कार्यक्रम के तहत सुदूर, अतिसंवेदनशील नक्सली क्षेत्रों के युवक-युवतियों को योजनांतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

रोशनी कार्यक्रम (नक्सल प्रभावित जिलों हेतु विशेष परियोजना) :-
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत कौशल विकास हेतु प्रदेश के कुल 08 अनुसूचित जनजाति बाहुल्य व नक्सल प्रभावित जिले क्रमशः बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कोण्डागांव तथा बलरामपुर को शामिल किया गया है। इन जिलों में प्रदेश की अनुशंसा पर भारत सरकार द्वारा चयनित एजेंसियों द्वारा 15 से 35 वर्ष के युवाओं को कौशल उन्नयन अंतर्गत प्रशिक्षण दिया जावेगा। इन जिलों में इस योजना का क्रियान्वयन किया जावेगा। रोशनी परियोजना अंतर्गत 40% महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना प्रावधानित है। प्रशिक्षण उपरांत प्रशिक्षित युवाओं का नियोजन भी किया जावेगा। इन प्रशिक्षित युवाओं का नियोजन जिला, राज्य तथा राज्य से बाहर भी किया जा सकता है।

12.9 ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान
RSETI (Rural Self Employment Training Institute) ग्रामीण बी.पी. एल. हितग्राहियों को समुचित प्रशिक्षण देने के उ‌द्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से लीड बैंकों के माध्यम से ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आर-सेटी) की स्थापना की गई है। वर्तमान में प्रदेश के अविभाजित 18 जिले में आर-सेटी केन्द्र स्थापित है, जिसमें 11 भारतीय स्टेट बैंक, 05 बैंक ऑफ बड़ौदा तथा 02 सेन्ट्रल बैंक द्वारा संचालित है। भारत सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण व आवासीय प्रशिक्षण हेतु प्रत्येक केन्द्र के लिये रू. एक करोड़ की केन्द्रीय सहायता दी गई है। राज्य के समस्त अविभाजित 18 जिलों में संबंधित जिले के लीड बैंक को प्रशिक्षण भवन निर्माण हेतु निःशुल्क भूमि आबंटित की गई है। अब तक समस्त 18 आर-सेटी भवन पूर्ण किया जा चुका है एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित है। प्रशिक्षण हेतु समस्त राशि का वहन भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ग-1 हेतु रू. 49.00/ प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ग-2 हेतु रू. 42.00 /- एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ग-3 हेतु रू. 35.10/- प्रति घण्टा प्रति हितग्राही की दर से व्यय का प्रावधान है तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम की न्यूनतम अवधि 200 घण्टे निर्धारित है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 18670 लक्ष्य के विरुद्ध 9715 स्वरोजगारियों का प्रशिक्षण (माह सितम्बर, 2024 तक) पूर्ण कर लिया गया है। वर्ष 2024-25 की भौतिक प्रगत्ति  निम्नानुसार है:-

12.11 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गांव की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति की कल्पना अच्छी सडकों के बिना संभव नहीं है। इसलिये आवश्यक है कि प्रत्येक गांव को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जावे। अतः भारत सरकार द्वारा 25.12.2000 को ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना इस उद्देश्य के साथ प्रारंभ की गई थी कि ‘सामान्य क्षेत्रों में 500 तथा आदिवासी क्षेत्र एवं आई.ए.पी. जिलों में 250 या इससे अधिक आबादी की समस्त बिना जुड़ी हुई बसाहटों को अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ा जाना है”। ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा 09 अप्रैल 2014 को नक्सल प्रभावित 07 जिलों के 29 विकासखण्डों का चयन करते हुए इन विकासखण्डो में 100 से 249 जनसंख्या वाली बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने हेतु स्वीकृति है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सिर्फ अन्य जिला सड़कों एवं ग्राम सड़कों को सम्मिलित किया जा सकता है। बाहरी क्षेत्र की सडकों को इस कार्यक्रम की परिधि से बाहर रखा गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक बसाहट को कम से कम एक बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराना है। भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के विकास हेतु प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) योजना प्रारंभ की गयी है। इस योजना अंतर्गत 100+ आबादी की बसाहटों को बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराना है।

योजना के प्रारंभ से अब तक 8,954 सड़कें, लंबाई 44,109 किमी. एवं 458 वृहद पुल कुल राशि रु. 17,562 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई। माह-सितम्बर 2024 तक 8296 सड़कें, 40,375 किमी. लंबाई एवं 372 वृहद पुल पूर्ण कर रु. 15,402 करोड़ का व्यय किया गया है।
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना :-
23 अप्रैल 2011 से लागू शत् प्रतिशत राज्य पोषित इस योजना अंतर्गत ऐसी पहुंच विहीन ग्रामीण बसाहटें जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के मापदण्डों में नहीं है, को डामरीकृत / पक्के मार्गो से जोड़ने का प्रावधान है। वर्तमान में इस योजना अंतर्गत प्रदेश के सामान्य जिलों के सामान्य विकासखण्डों के 250 या उससे अधिक जनसंख्या (2011 की जनगणना के आधार पर) की बिना जुड़ी बसाहटों को बारहमासी डामरीकृत सड़क के माध्यम से मुख्य सड़क से जोड़ते हुए सड़क संपर्क उपलब्ध कराया जाना है।
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना अंतर्गत अद्यतन निर्माण योग्य 1807 सड़कें, लंबाई 5505 कि.मी., राशि रु. 2859 करोड़ स्वीकृत है। माह सितम्बर 2024 तक 1745 सड़कें, लंबाई 4916 कि.मी. लंबाई पूर्ण कर रु. 2281 करोड व्यय किया गया है।
वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 (सितंबर तक) की उपलब्धि निम्नानुसार है-
नवीनीकरणः नवीनीकरण कार्य अंतर्गत अद्यतन 410 सड़के, लंबाई 1106 कि.मी. राशि रूपये 290 करोड़ स्वीकृत है। माह सितम्बर 2024 तक 340 सड़के, लंबाई 1028 कि.मी. लंबाई पूर्ण कर रूपये 168 करोड़ व्यय किया गया है।

मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना :-
वर्ष 2012-13 से प्रारंभ। सीमेंट कांक्रीट सड़क एवं नाली का निर्माण (शहरो में गौरव पथ के तर्ज पर), कम से कम 200 मीटर एवं अधिकतम 500 मीटर लंबाई. 6.00 मी. चौडाई की सड़क, बीच में 4.00 मी. चौड़ाई में कांकीट मार्ग निर्माण, 0.50 मी. चौड़ाई में दोनो तरफ क्रांकीट पेविंग / खरंजा तथा शेष चौड़ाई में दोनो तरफ 0.50 मी. चौड़ाई में “V” आकार की नाली के साथ निर्माण कराया गया है।

मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना पूर्णतः नाबार्ड पोषित है। कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति के
विरूद्ध 80% ऋण राशि की स्वीकृति नाबार्ड से की जाती है।
मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना अंतर्गत एक तरफ नाली निर्माण आवश्यक है। यदि अपरिहार्य कारणों से एक तरफ भी नाली निर्माण हेतु पर्याप्त स्थल उपलब्ध न होने की दशा में मुख्यालय में सूचना दी जाकर कार्य के निर्माण के संबंध में प्राप्त निर्देशानुसार कार्य किया जाता है।
इस योजना अंतर्गत अब तक 7224 कार्य, लंबाई 2195.50 कि.मी., लागत रु. 1373.92 करोड़ की स्वीकृत है. माह सितम्बर 2024 तक कुल 7213 ग्राम गौरवपथ, लंबाई 2248 कि.मी. पूर्ण कर राशि रू. 1132 करोड़ व्यय किया गया है। वर्ष 2023-24 एवं वर्ष 2024-25 (सितंबर तक) की उपलब्धि निम्नानुसार है:-

12.12 सांसद आदर्श ग्राम योजना 11 अक्टूबर, 2014 से देश में सांसद आदर्श ग्राम योजना लागू की गई है। सांसद आदर्श ग्राम योजना 2 के तहत राज्य के सभी 16 माननीय सांसदों द्वारा उनके कार्यकाल के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक प्रत्येक वर्ष हेतु एक-एक ग्राम पंचायत का चयन किया जाना था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजनान्तर्गत 07 ग्राम पंचायत चिन्हांकित किए गए है एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 (अप्रैल 2024 से सितंबर 2024) में नवीन ग्राम चिन्हांकित नहीं किए गए है। इस प्रकार कुल 80 ग्राम पंचायतों का चयन अपेक्षित है जिसके विरूद्ध अब तक कुल 72 ग्राम पंचायतों का चयन किया जा चुका है एवं इनमें से 68 ग्राम पंचायतों की ग्राम विकास योजना तैयार की जा चुकी है। इन 68 ग्राम पंचायतों की ग्राम विकास योजना में 2883 कार्यों को सूचीबद्ध किया गया जिसमें से 2244 कार्य पूर्ण हो चुके है जिसकी प्रगति 77 प्रतिशत है।
12.14 रोजगार सेवा
12.14.1 युवा क्षमता विकास योजनाः प्रदेश में युवाओं की क्षमता के विकास तथा युवा वर्ग को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने हेतु यह आवश्यक है कि राज्य के युवाओं को शिक्षण, प्रशिक्षण एवं भर्ती प्रक्रियाओं एवं ऋण अदायगियों में ऐसी कुछ सुविधा प्राप्त हो जिससे वह अपने विकास के राह में आने वाली बाधाओं को सहजता से पारकर अपनी क्षमता का विकास कर सकें। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत कर राज्य सरकार ने प्रदेश के युवाओं की क्षमता में वृद्धि करने के लिए “युवा क्षमता विकास योजना” प्रारंभ की गई है। योजनान्तर्गत निम्नानुसार प्रावधान है-
(क) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के हितग्राहियों को प्रचलित ब्याज दर में प्रथम वर्ष के लिए 6 प्रतिशत की छूट।
(ख) व्यापम द्वारा आयोजित सभी प्रवेश तथा भर्ती परीक्षाओं के शुल्क में रू. 100 प्रति परीक्षार्थी की दर से छूट।
(ग) शासकीय आई.टी.आई. में अध्यनरत छात्रों के शिक्षण शुल्क (अ.जा./अ.ज.जा. छात्रों को छोड़कर शेष छात्रों द्वारा देय रू. 1000/- प्रतिवर्ष) तथा परीक्षा शुल्क (रू. 100 प्रति छात्र प्रति सेमेस्टर) में 50 प्रतिशत की छूट।
(घ) स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई के द्वारा आयोजित डिप्लोमा, स्नातक तथा स्नात्कोत्तर परीक्षाओं (बैंक पेपर्स को छोड़कर) के परीक्षा शुल्क (लगभग रू. 800 प्रति सेमेस्टर) में 50 प्रतिशत की छूट।

12.14.2 रोजगार मेला/प्लेसमेंट केम्प का आयोजनः प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराना छत्तीसगढ़ शासन की सर्वदा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। शासकीय नौकरियों की अपनी सीमा है, जो समस्त बेरोजगारों के लिए पूर्ण नहीं है। ऐसी परिस्थिति में निजी क्षेत्र ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प हो सकता है। रोजगार के 92 प्रतिशत अवसर निजी क्षेत्र में ही उपलब्ध है, क्योंकि राज्य स्थापना के उपरांत बड़ी संख्या में औद्योगिक एवं सेवा प्रतिष्ठानों की स्थापना इस प्रदेश में हुई है, जहां बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। निजी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने नई औद्योगिक नीति में स्थानीय युवाओं के लिए विशेष प्रावधान भी किये हैं।
निजी क्षेत्रों में रोजगार के उपलब्ध अवसरों का लाभ स्थानीय युवाओं को प्रदान करने के शासन की मंशा को कार्यरूप में परिणित करने, प्रदेश के जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्रों द्वारा निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में उपलब्ध रिक्तियों को स्थानीय युवाओं हेतु उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इस अभिनव कार्यक्रम को रोजगार मेला / प्लेसमेंट केम्प के नाम से सम्पूर्ण प्रदेश में जाना जाता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राशि रूपये 22 लाख 47 हजार व्यय किया गया है।
12.14.3 भारतीय सैन्य बलों में भर्ती पूर्व प्रशिक्षणः छत्तीसगढ़ शासन के दूरदर्शी नीति के फलस्वरूप भारतीय सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों हेतु भर्ती रैली का आयोजन छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य के युवाओं की भागीदारी भारतीय सैन्य बलों में बढ़ाने के उद्देश्य से एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। शासन द्वारा रोजगार विभाग को आवश्यक बजट उपलब्ध करवाकर भारतीय सैन्य बलों की भर्ती रैली के सफल आयोजन एवं उन रैलियों में राज्य के युवाओं की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रचार प्रसार एवं भर्ती पूर्व प्रशिक्षण की व्यवस्था रोजगार विभाग के माध्यम से की जाती है। इसका सुपरिणाम राज्य के युवाओं के चयन में निरंतर वृद्धि के रूप में स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राशि रूपये 9 लाख 32 हजार व्यय किया गया है।


See also

References


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