11_ES2025_DKAcademyCGPSC

ES-11 विद्युत एवं आधारभूत संरचना : छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 | CG Electricity [ Notes, PDF, MCQs ]


Chapter 11 : Electricity [CG Economic Survey 2024-25]

मुख्य बिन्दु

  • विद्युत क्षेत्र (गैस एवं पानी आपूर्ति सहित) की वर्ष 2024-25 (अग्रिम) में भागीदारी सकल घरेलू उत्पाद में 33,00,116 लाख रूपए है।
  • राज्य की स्वयं विद्युत की उत्पादन क्षमता (30.09.2024 की स्थिति में) 2978.70 मेगावाट है जिसमें 2840 मेगावाट तापीय एवं 138.70 मेगावाट जल विद्युत शामिल है।
  • वर्ष 2023-24 में वार्षिक विद्युत उत्पादन कुल 21430.35 मिलियन यूनिट (तापीय 21068.40 मिलियन यूनिट व जलीय 361.95 मिलियन यूनिट) रहा है।
  • वर्ष 2023-24 में वितरण हानि का प्रतिशत 14.58 रहा।
  • वर्ष 2023-24 में समस्त प्रकार के उपभोक्ताओं से विद्युत एवं अन्य चार्ज के विरूद्ध कुल रू. 20,770.13 करोड़ का राजस्व संग्रहण किया गया जो कि वर्ष 2022-23 में रू. 19,677.24 करोड़ था।
  • वर्ष 2023-24 के अंत में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 63 लाख 85 हजार 3 सौ 62 है जो वर्ष 2022-23 की तुलना में 1.03 प्रतिशत अधिक है। कुल उपभोक्ताओं की संख्या में से वर्ष 2023-24 के अंत मे बीपीएल के 25.05 प्रतिशत, घरेलू के 54.80 प्रतिशत, गैर घरेलू के 6.92 प्रतिशत, औद्योगिक श्रेणी के 0.61 प्रतिशत एवं कृषि हितग्राही उपभोक्ताओं का 11.77 प्रतिशत है।
  • माह दिस. 2023 की स्थिति में राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई 3,484 कि.मी. है।
  • परिवहन क्षेत्र (रेल के अलावा) की वर्ष 2024-25 (अग्रिम) भागीदारी सकल घरेलू उत्पाद में 7,45,703 लाख रू. अनुमानित है।

आर्थिक विकास में विद्युत की उपलब्धता की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ व्यक्ति विशेष के जीवन स्तर को भी बेहतर करता है। सम्पत्ति निर्माण एवं विद्युत उपयोग में परस्पर घनिष्ठ संबंध है। राज्य में अनुकूल परिस्थितियों, संसाधनों की प्रचुरता आदि के कारण विद्युत क्षेत्र में तीव्र वृद्धि परिलक्षित हो रही है। जो नीचे दी गई तालिका में दर्शाए गए आँकड़ों से स्पष्ट होता है:-

11.1 छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के प्रमुख कार्यः राज्य शासन द्वारा अधिसूचित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल अंतरण योजना नियम, 2010 (ट्रांसफर स्कीम) के तहत छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के मुख्य दायित्यों में स्टेट सेक्टर में संचालित विद्युत उत्पादन संयंत्र के रखरखाव एवं संचालन के कार्यों के अतिरिक्त राज्य में भविष्य में विद्युत की मांग के अनुरूप विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए नवीन योजनायें तैयार कर, नये उत्पादन संयंत्रों की स्थापना प्रमुख है। साथ ही 24×7 बिजली की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए छत्तीसगढ राज्य को देश का ‘पॉवरहब’ बनाने का सपना साकार करना है।
11.1.1 राज्य निर्माण के पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य ने वर्ष 2000 से अभी तक विद्युत उत्पादन का केन्द्र बनने में लंबा सफर तय किया है। राज्य, देश में तापीय कोयले के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में दिनांक 30.09.2024 की स्थिति में 2840 मेगावाट तापीय, 138.70 मेगावाट जलीय, ऊर्जा स्त्रोत से कुल इस प्रकार 2978.70 मेगावाट बिजली राज्य को प्राप्त होती है।

11.1.2 स्टेट सेक्टर में उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जानकारी: वर्तमान में स्टेट सेक्टर के विद्यमान व संचालित विद्युत उत्पादन संयंत्रों की क्षमतावार जानकारी नीचे तालिका में दर्शित है :-

11.1.3 उत्पादन संकाय :-
(1) विद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता एवं विद्युत उत्पादन छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी, जो विगत 22 वर्षों में बढ़कर 3424.70 मेगावाट हो गयी थी। कोरबा पूर्व ताप विद्युत गृह की सभी इकाईयों को डीकमिशनिंग करने के पश्चात् वर्तमान में स्टेट सेक्टर की उत्पादन क्षमता 2984.70 मे.वा. हो गयी। इस प्रकार राज्य स्थापना काल से 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 6 मे.वा कोजन प्लांट को भोरमदेव सहकारी शक्कर उत्पादन कारखाना मर्यादित को दिनांक 31.03.2022 में निष्पादित अनुबंध के तहत हस्तांतरित कर दिया गया है।
वर्तमान में कंपनी के विद्युत उत्पादन क्षमता (2978.70 मेगावाट) में 2840 मेगावाट तापीय एवं 138.70 मेगावाट जल विद्युत शामिल है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में वार्षिक विद्युत उत्पादन कुल 21430.35 मिलियन यूनिट (तापीय 21068.40 मिलियन यूनिट व जलीय 361.95 मिलियन यूनिट) है।

11.2 विद्युत उत्पादन संयंत्रों की विशिष्ट उपलब्धियाँ :
विगत् वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों व लक्ष्य के विरूद्ध अर्जित उपलब्धियों, राज्य शासन एवं केन्द्र शासन की विभिन्न योजनाओं की प्रगति आदि के साथ आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु निर्धारित विभिन्न लक्ष्यों, कार्यक्रमों की बिन्दुवार जानकारी निम्नानुसार है :-

11.2.1 वित्तीय वर्ष 2023-24
वित्तीय वर्ष 2023-24 में वार्षिक विद्युत उत्पादन कुल 21430.35 मिलियन यूनिट (तापीय 21068.40 मिलियन यूनिट (PLF 84.45%) एवं जलीय 361.95 मिलियन यूनिट।
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकारण (सी.ई.ए.) की माह अप्रैल की रिपोर्ट अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में देशभर के स्टेट सेक्टर के ताप विद्युत गृहों के औसत पी.एल.एफ. 69.07% की तुलना में 84.45% पी.एल.एफ अर्जित कर छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी मर्यादित ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सी.ई.ए.) की माह अप्रैल की रिपोर्ट अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह. कोरबा पूर्व ने देश के समस्त केन्द्र व राज्य के ताप विद्युत गृहों में 92.73% पी.एल.एफ. के साथ तृतीय स्थान प्राप्त किया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह (मड़वा) द्वारा सर्वकालिक 84.11% पी.एल.एफ. के साथ सर्वकालिक अधिकतम उत्पादन 7388.54 मिलियन यूनिट एवं सर्वकालिक न्यूनतम ऑक्जिलरी खपत 5.01% सर्वकालिक न्यूनतम विशिष्ट तेल खपत 0.156 मि.ली. / यूनिट प्राप्त करने का कीर्तिमान स्थापित किया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्पादन कंपनी द्वारा सर्वकालिक न्यूनतम विशिष्ट तेल खपत 0.285 मि.ली. / यूनिट रहा, जिससे लगभग 45 करोड़ रूपये का वित्तीय लाभ प्राप्त हुआ।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्पादन कंपनी द्वारा 126.12 करोड़ रूपये डेविएशन सेटलमेंट मेकैनिज्म (DSM) चार्ज अर्जित किया गया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्पादन कंपनी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य नियामक आयोग द्वारा निर्धारित ऑक्जिलरी खपत (7.23%) के लक्ष्य से कम ऑक्जिलरी खपत (6.92%) किया गया, जो कि अभी तक की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है, जिससे लगभग 19.85 करोड़ रूपये का वित्तीय लाभप्राप्त हुआ।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में सी.एस.पी.जी.सी.एल. द्वारा पिछले 05 वर्षों का सर्वाधिक लाभ 881 करोड़ रूपये वित्तीय वर्ष 2023-24 (Unaudited) में अर्जित किया है।
छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी मर्यादित द्वारा जिला रायगढ़ में स्थित गारे पेलमा-III कोयला खदान से वित्तीय वर्ष 2023-24 में गारे पेलमा-III कोयला खदान द्वारा कोयला से निर्धारित लक्ष्य 40 लाख टन से अधिक 40.02 लाख टन कोयले का उत्पादन किया गया।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में गारे पेलमा-III कोयला खदान द्वारा भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधीन खान सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा आयोजित खान सुरक्षा पखवाड़ा के तत्वाधान में वार्षिक वितरण समारोह 2023 में ओवरऑल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए लगातार द्वितीय वर्ष प्रथम पुरस्कार प्रदान किया है। इसके अलावा इस खदान को तीन और श्रेणियों में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय अधिसूचना दिनांक 31.12.2021 के दिशा-निर्देशो के अनुपालन में छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में तय लक्ष्य 80 प्रतिशत के विरुद्ध 81.17 प्रतिशत फ्लाई ऐश यूटिलाइजेशन का लक्ष्य प्राप्त किया है।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ताप, एवं जल विद्युत गृहों द्वारा ऑक्जिलरी खपत पश्चात उत्पादित विद्युत प्रणाली में कुल 19609.69 मिलियन यूनिट विद्युत प्रदत्त (यूनिट सेन्ट आउट) की गई इसमें ताप विद्युत उत्पादन द्वारा 21068.40 मिलियन यूनिट एवं जल विद्युत उत्पादन द्वारा 361.95 मिलियन प्रदत्त रही।
11.2.2 ईधन खपत एवं विशिष्ट ईंधन खपत (2023-24): वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान ताप विद्युत गृहों की ईधन खपत का विवरण सारणी अनुसार है।

11.2.3 वित्तीय वर्ष 2024-25
चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में 30 सितम्बर 2024 तक छ.स्टे.पा.जन. कं.लिमि. के विभिन्न संयंत्रो द्वारा कुल 9403.01 मिलियन यूनिट (तापीय 9181.91 मिलियन यूनिट PLF 73.61% एवं जलीय 221.10 मिलियन यूनिट) विद्युत उत्पादन किया गया है।
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सी.ई.ए.) की रिपोर्ट अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर-2024 (01.04.2024 से 30.09.2024) तक देशभर के ताप विद्युत गृहों का औसत पी. एल.एफ. 70.18% की तुलना में छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी मर्यादित ने 73.61% प्लांट लोड फैक्टर अर्जित किया है, जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है तथा देशभर के 33 स्टेट पॉवर सेक्टर द्वारा संचालित विद्युत गृहों में उक्त अवधि में चौथे स्थान पर होने का कीर्तिमान स्थापित किया है।
गारे पेलमा सेक्टर-III कोयला खदान
कोयला मंत्रालय भारत सरकार द्वारा छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी मर्यादित को तहसील तमनार जिला रायगढ़ में स्थित गारे पेलमा सेक्टर-III कोयला खदान आबंटित किया गया है, जिसका सभी मापदण्डों को पूरा करते हुए सफलता पूर्वक संचालन दिनांक 06.12.2019 से किया जा रहा है। कोयला मंत्रालय भारत सरकार के मार्गदर्शन अनुसार उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से अब तक निर्धारित समय सीमा में सुरक्षा के मापदण्डों की पूर्ति करते हुए निर्धारित कोयला उत्पादन लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है एवं कोयला उत्पादन का कार्य सतत रूप से किया जा रहा है। उल्लेखित है कि गारे पेलमा सेक्टर-III कोयला खदान के संचालन दिनांक 06.12.2019 से 31.10.2024 तक कुल 144.5345 लाख मैट्रिक टन कोयले का खनन एवं 143.50667 लाख मैट्रिक टन कोयले का परिवहन छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के ताप विद्युत गृहों को किया जा चुका है।
कोयला उत्पादन एवं परिवहन का कार्य अनवरत रूप से किया गया जिससे प्रदेश में निर्बाधित रूप से बिजली उत्पादन एवं आपूर्ति का कार्य संपादित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
सोलर पॉवर प्लांट परियोजना
पर्यावरणीय मापदंडों के परिपालन में अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह संयंत्र, जांजगीर-चांपा परिसर में 300 किलोवॉट (KW) क्षमता के रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट स्थापित किया गया है। कोरबा पूर्व पश्चिम में स्थित खाली भूमि / बंद राखड़ बांध क्षेत्र में सोलर पॉवर प्लांट लगाने की योजना है। परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति प्रक्रियाधीन है।
FGD परियोजनाओं
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना के परिपालन में छ.स्टे.पा.जन. कं. लिमि. द्वारा संचालित विद्युत संयंत्रों में पर्यावरण संरक्षण के मापदंडों को पूरा करने के लिए 2X500 मेगावाट अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत गृह मड़वा, 1×500 मेगावाट कोरबा पश्चिम विस्तार में FGD संयंत्र की स्थापना हेतु आदेश जारी किया जा चुका है एवं 2×250 मेगावाट डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह, कोरबा पूर्व में FGD संयंत्र लगाने की निविदा प्रक्रियाधीन है।
छ.ग. स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी द्वारा नवीन 2×660 मे.वा. कोरबा पश्चिम सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत परियोजना, कोरबा
छ.ग. स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी द्वारा कोरबा पश्चिम में नवीन 2X660 मेगावाट सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत संयंत्र परियोजना हेतु राज्य शासन से स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है निविदा प्रक्रियाधीन है।
छत्तीसगढ़ राज्य में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना की स्थापना
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना की स्थापना हेतु निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पम्प स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति के परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना के लिए विभिन्न स्थलों में सर्वे, अनुसंधान के उपरांत निम्नलिखित 05 स्थलों का चयन, चिन्हांकन कर विकास हेतु विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) तैयार किया जा रहा है।
हसदेव बांगो, पम्प स्टोरेज परियोजना (800 मे.वा.), तहसील कटघोरा, जिला-कोरबा।
सिकासेर, पम्प स्टोरेज परियोजना (1200 मे.वा.), तहसील-सिकासेर, जिला-गरियाबंद।
रौनी, पम्प स्टोरेज परियोजना (2100 मे.वा.), तहसील-बगीचा, जिला-जशपुर।
कोटपाली, पम्प स्टोरेज परियोजना (1800 मे.वा.), तहसील-बलरामपुर, जिला-बलरामपुर।
V दनगरी, पम्प स्टोरेज परियोजना (1400 मे.वा.), तहसील-बगीचा, जिला-जशपुर।

11.2.4 पंप स्टोरेज जल विद्युत परियोजना की आवश्यकताः भारत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर परंपरागत ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। भारत वर्ष 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकता नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी करेगा। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में बड़ा हिस्सा सौर एवं पवन ऊर्जा स्त्रोतों से आता है। यह ऊर्जा मौसम आधारित होने के कारण से अनिरंतर/अनिश्चित ऊर्जा स्त्रोत है। ऐसी परिस्थिति में ऊर्जा की मांग एवं आपूर्ति को देखते हुए ग्रिड संतुलन बनाये रखने के लिए उच्च क्षमता के ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता है। उच्च क्षमता के ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में पंप हाइड्रो स्टोरेज एक परिपक्व एवं लागत प्रभावी तकनीक है।
छत्तीसगढ़ राज्य में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना स्थापित होने के लाभ :- परियोजना के स्थापित होने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। परियोजना के स्थापित होने से स्कूल, रोड, पार्क, सामुदायिक भवन, कृषि विकास, बिजली समेत कई सुविधाएं होंगी।
11.3 पारेषण की उपलब्धि :-
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा वित वर्ष 2023-24 के दौरान पारेषण प्रणाली के उन्नयन के अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए, गए जिनका ब्यौरा निम्नानुसार है:-
11.3.1 उपकेन्द्र निर्माण: वर्ष 2023-24 के अंत में उच्चदाब उपकेन्द्रों की कुल संख्या 133 नग तथा इनकी संयुक्त क्षमता 24765 एम.व्ही.ए. हो गई, जो वर्ष 2000 में कमशः 27 नग एवं 3795 एम. व्ही.ए. थी।

11.3.2. विद्युत लाईनों का निर्माणः वर्ष 2000 की स्थिति में अति उच्चदाब की कुल लाईनें 5205.46 सर्किट कि.मी. थी, जो कि 23 वर्षों में बढ़कर वर्ष 2023-24 में 13933 सर्किट कि०मी० हो गई है।

11.3.3 वर्ष 2023-24 में प्रारंभ की गई नवीन योजनाओं की जानकारी :-
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने राज्य की दीर्घकालीन विद्युत की मांग का आंकलन कर विद्युत पारेषण प्रणाली में क्षमता वृद्धि के लिए छ.रा.वि. नियामक आयोग द्वारा स्वीकृत पूंजी निवेश योजना (CIP) वर्ष 2016-21, 2021-22 एवं वर्ष 2022-25 अंतर्गत स्वीकृत 45 नग उपकेन्द्रो में से 12 नग उपकेन्द्रो (विगत 9 माह में 04 नग) यथा खैरागढ़, इंदामारा, खरमोरा, इंदागाँव, माठ-खरोरा, सिलतरा फेस-दो, अमलेश्वर, छावनी, बैजलपुर, आरंग, पाटन एवं टेमरी का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा शेष 33 उपकेन्द्रो यथा 02 नग 400 के.व्ही. उपकेन्द्र धरदेही, पिथौरा, 10 नग 220 के. व्ही. उपकेन्द्रों यथा दलदलशिवनी, सेमरिया, अहिवारा, राजिम, कांकेर, धरमजयगढ़, कुम्हारी, माल्दा, मुरेठी/ परसतराई एवं बचेली तथा 21 नग 132 के.व्ही. उपकेन्द्रो यथा मस्तुरी-मल्हार, मेटलपार्क, बेतर, जनकपुर, केशकाल, सरोरा, बिलाईगढ़, उरला कॉलोनी, चोटिया, अर्जुनी, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज, भिल्मी/बेलतरा, जेवरा सिरसा, महाराजपुर, अण्डा, जामगॉव आर. तरेकेला (पिथौरा), रोहरा, सराईपाली (रायगढ़), सरगवों एवं लखनपुर को आगामी वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य है।
छ०ग० स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पारेषण प्रणाली में विश्वसनीय डेटा एवं स्पीच ट्रांसमिशन के लिए संचार नेटवर्क में वृद्धि एवं उन्नयन हेतु पारेषण लाईनों में विद्यमान जी.आई अर्थवायर 5335 कि.मी. में से 4739 कि.मी को OPGW से बदलने का कार्य पूर्ण हो चुका है एवं शेष बचे जी.आई अर्थवायर को बदलने का कार्य प्रगति पर है।
छ०ग० स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी के पारेषण प्रणाली में विद्यमान 132 के.व्ही. पारेषण लाईनों (लगभग 205 सर्किट कि.मी.) के क्षमता में उन्नयन हेतु विद्यमान पेंथर कंडक्टर को एच.टी.एल.एस. से बदलने का कार्य प्रगति पर है।
केन्द्रीय ग्रिड से हस्तांतरण क्षमता (अवेलेबल ट्रांसफर कैपेसिटी-ATC) बढ़ाने हेतु पावर ग्रिड कार्पोरेशन लिमिटेड के उपेकन्द्रों से छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के स्थित एवं प्रस्तावित 400 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों तक नवीन पारेषण लाइनों के निर्माण हेतु 1606 करोड़ के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई है. जिनका कार्य प्रगति पर है।
11.4 वितरण कंपनी की उपलब्धि:-
छ.रा.वि.वित. कंपनी द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 (सितं 2024) के दौरान उप-पारेषण तथा वितरण प्रणाली के उन्नयन के अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए गए, जिनका संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है:-
11.4.1. उपकेन्द्र निर्माण छ.रा.वि.मंडल (वर्तमान में छ.रा.वि.वित. कंपनी मर्या.) के गठन वर्ष 2000
की स्थिति में 33/11 के.व्ही उपकेन्द्रों तथा वितरण उपकेन्द्रों की संख्या क्रमशः 248 (1033 एमव्हीए) एवं 29,692 (क्षमता 1951 एमव्हीए) थी। 24 वर्षों में उपकेन्द्रों की संख्या बढ़कर वर्ष 2023-24 के अंत में कुल कमशः 1409 (9674 एमव्हीए) एवं 232769 (क्षमता 13600 एमव्हीए) हो गई है। दिनांक 30.09.2024 की स्थिति में 33/11 के. व्ही उपकेन्द्रों तथा वितरण उपकेन्द्रों की संख्या कमशः 1437 (9798 एमव्हीए) एवं 236102 (क्षमता 13715 एमव्हीए) हो गई है।

11.4.2 विद्युत लाईनों का निर्माण :-
छ.रा.वि. मण्डल (वर्तमान में छ.रा.वि.वित. कंपनी मर्या.) गठन वर्ष 2000 की स्थिति में उच्चदाब तथा निम्नदाब की कुल विद्युत लाईनों की लंबाई 98858 कि.मी. थी, जो 24 वर्षों में बढ़कर वर्ष 2023-24 तक 3,94,406 कि.मी. एवं 30.09.2024 की स्थिति में 3,96,977 कि.मी. हो गई है।
वितरण कंपनी द्वारा विचाराधीन वर्ष 2023-24 के दौरान उच्चदाब तथा निम्नदाब की कुल 15,254 कि.मी. की नई विद्युत लाईनों का निर्माण किया गया जिससे वर्ष 2023-24 के अंत तक विद्युत लाइन की लंबाई कुल 3,94,406 कि.मी. हो गई थीं। इस प्रकार वर्षावधि में विद्युत लाईनों की लंबाई में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा कंपनी गठन से 24 वर्षों की कार्यावधि में 299 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

11.4.3. सामान्य विकास कार्य :-
छ. स्टेट पॉवर डिस्ट्री कंपनी द्वारा उप-पारेषण तथा वितरण हेतु सामान्य विकास योजनाओं के अंतर्गत वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 (30.09.2023 की स्थिति में) निम्नलिखित विकास कार्य किए गए-

11.5 घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत देयकों में राहत (हाफ बिजली बिल स्कीम) राज्य शासन के आदेश के अनुरूप छ. स्टेट पॉवर डिस्ट्री. कंपनी द्वारा राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 01 मार्च 2019 से प्रतिमाह खपत की गई 400 यूनिट तक की बिजली पर प्रभावशील विद्युत की दरों के आधार पर आंकलित बिल की राशि को आधा करते हुए बिल जारी किये जा रहे हैं। इस योजना के तहत राज्य के समस्त बी.पी.एल. एवं अन्य घरेलू श्रेणी के उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं। इस हेतु राज्य शासन के बजट में वर्ष 2024-25 में रू. 1274 करोड़ का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को उसके 400 यूनिट तक के खपत पर प्रभावशील दरों के अनुसार बिल की राशि में आधी राशि की छूट के उपरांत बिल जारी किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में रू. 1087.56 करोड़ की छूट लगभग 43.84 लाख उपभोक्ताओं को दी जा चुकी है। वर्ष 2024-25 में अगस्त 2024 तक राज्य के लगभग 44.58 लाख उपभोक्ताओं को रू. 662.42 करोड़ की छूट दी जा चुकी है।

11.6 पंपों का ऊर्जीकरण राज्य गठन के पूर्व राज्य में मात्र 73369 स्थायी कृषि पंप विद्यमान थे,
जबकि राज्य गठन के पश्चात 23 वर्षों की अवधि में दिनांक 31-08-2024 की स्थिति में 4,91,831 अतिरिक्त कृषि पंप कनेक्शनों का ऊर्जीकरण किया जा चुका है, जिसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में कुल 5.65,200 स्थायी कृषि पंप ऊर्जीकृत हो गए हैं। वर्ष 2023-24 में सिंचाई पंपों के ऊर्जीकरण हेतु 56000 पंपों का लक्ष्य निर्धारित था. जिसके विरूद्ध दिनांक 30.09.2024 तक 48,009 पंपों के लाईन विस्तार कार्य पूर्ण किये जा चुके है। वर्ष 2024-25 में 20,000 पंपों का लक्ष्य निर्धारित है।
राज्य शासन द्वारा वर्ष 23-24 के बजट में रू. 634.61 करोड़ बजट प्रावधान था एवं वर्ष 2024-25 के बजट में रू. 200 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। जिसके विरूद्ध दिनांक 30.09.2024 तक रुपये 379.08 करोड़ व्यय किया जा चुका है। छ.स्टेट पॉवर डिस्ट्री कंपनी द्वारा पंप कनेक्शनों का ऊर्जीकरण हेतु वर्ष 2024-25 (30.09.2024 की स्थिति में) निम्नलिखित कार्य किए गए :-

11.7 कृषक जीवन ज्योति योजना राज्य शासन द्वारा कृषको को वित्तीय राहत प्रदान किये जाने के उद्देश्य से इस योजना के अंतर्गत पात्र कृषको को 3 अश्वशक्ति तक कृषि पम्प के बिजली बिल में 6000 यूनिट प्रति वर्ष एवं 3 से 5 अश्वशक्ति के कृषि पम्प के बिजली बिल में 7,500 यूनिट प्रति वर्ष छूट दी जा रही है। उपरोक्त छूट अस्थाई कृषि पम्पों पर भी दी जाती है। नवम्बर 2013 से कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत पात्र कृषकों को फ्लेट रेट दर पर बिजली प्राप्त करने का विकल्प भी दिया गया है। फ्लेट रेट का विकल्प चुनने वाले कृषकों को उनके द्वारा की गई विद्युत खपत की कोई सीमा न रखते हुए, मात्र 100/- प्रतिमाह प्रति अश्वशक्ति की दर से बिजली बिल का भुगतान करना होगा। योजना का विस्तार करते हुए अगस्त 2018 से फ्लेट रेट की सुविधा राज्य के समस्त किसानों के सभी सिचाई पम्पों पर बिना पम्प की क्षमता के सीमा के उपलब्ध करायी जा रही है। इसके अन्तर्गत किसानो को 5 अश्वशक्ति तक द्वित्तीय पम्प के लिए रू 200/- अश्वशक्ति प्रतिमाह, 5 अश्वशक्ति से अधिक तृतीय एवं अन्य पंप के लिए रू 300/- अश्वशक्ति प्रतिमाह की दर से बिल भुगतान हेतु सुविधा प्रदान की गई है। वर्ष 2024-25 हेतु रू 3500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। दिनांक 31.08.2024 की स्थिति में योजना के अंतर्गत 7.67 लाख स्थायी एवं अस्थायी पंप उपभोक्ताओं में से लगभग 7.60 लाख पात्र हितग्राही लाभान्वित हो रहे है।

11.8 बी.पी.एल. (एकलबत्ती) कनेक्शन गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को बी.पी.एल. (एकलबत्ती) कनेक्शन की सुविधा प्रदान की गई है। इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को रियायती दर पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है, जिसके अन्तर्गत उपभोक्ता की प्रारंभिक 30 यूनिट की खपत पर कोई शुल्क नहीं है। इन बी.पी.एल. कनेक्शन धारियों के 30 यूनिट खपत के विद्युत देयक राशि की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा की जाती है। योजना का विस्तार करते हुए अगस्त 2018 से कमजोर आय वर्ग को रू 100/- मासिक की दर से फ्लैट रेट पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। दिनांक 31.08.2024 की स्थिति में तक कुल बीपीएल कनेक्शन की संख्या 15.77 लाख से अधिक जिन्हें वितरण कंपनी द्वारा रियायती दर पर विद्युत प्रदाय किया जाता है। इन बीपीएल कनेक्शनधारियों के 30 यूनिट खपत के विद्युत देयक राशि का प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा किया जाता है। वर्ष 2023-24 हेतु राज्य शासन के बजट में रू 539.60 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

11.9 मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना के तहत प्रदेश के नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत विद्युत विहीन क्षेत्रों में विद्युत लाइनों का विस्तार, विद्यमान अव्यवस्थित विद्युत लाईनों को पहुंच मार्गों के अनुरूप व्यवस्थित करना एवं वितरण ट्रांसफार्मरों को सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित / उपयुक्त स्थान पर शिफ्ट करना, तंग गलियों एवं व्यस्ततम मार्गों में सुरक्षा की दृष्टि से ओवर हेड अथवा अंडर ग्राउंड केबलों का इस्तेमाल किया जाना, अधिक लाईन लास वाले क्षेत्रों में ए.बी. केबल लगाया जाना एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे सभी परिवार को निःशुल्क बी.पी.एल. कनेक्शन उपलब्ध कराना आदि शामिल है। वर्ष 2024-25 हेतु राज्य शासन के बजट में योजनांतर्गत रू. 35 करोड़, का प्रावधान किया गया है। वर्ष के दौरान दिनांक 30.09.2024 तक रुपये 28.65 करोड़ व्यय किया गया है।

11.10 मुख्यमंत्री मजरा-टोला विद्युतीकरण योजना
834
उपलब्धि (2024-25)
दिनांक 30.09.2024 तक की स्थिति में
81
इस योजना के अंतर्गत ऐसे अविद्युतीकृत ग्राम एवं मजरे/टोले/बसाहटों का विद्युतीकरण किया जाना है जो राज्य में चल रही किसी अन्य योजना तथा राजीव गांधी ग्रामीण विद्यतीकरण, एकीकृत विद्युत विकास योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में शामिल नहीं है, इसके अतिरिक्त इन ग्रामों / मंजरे टोले / बसाहटों के बी.पी.एल परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन भी प्रदान भी किया जा रहा है। यदि बसाहटों में कुछ अतिरिक्त लाईन विस्तार की आवश्यकता पड़ती है तो यह कार्य भी इस योजना के अंतर्गत किया जा सकता है। वर्ष 2024-25 में योजनान्तर्गत रू. 106 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। वर्ष के दौरान दिनांक 30.09.2023 तक रुपये 4.86 करोड़ व्यय किया गया है।

11.11 मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना (एस.टी.एन): प्रदेश की विद्युत अधोसंरचना को सुदृढ़ बनाने हेतु इस योजना के अंतर्गत रू. 1073.75 करोड़ की लागत से (वर्ष 2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 हेतु) 187 नग नये 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना, 224 नग अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर की स्थापना, 228 नग पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि एवं लाईनों का विस्तार कार्य प्रस्तावित है। दिनांक 30.09. 2024 तक की स्थिति में 96 नये 33/11 के. व्ही उपकेन्द्र, 177 नग अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर की स्थापना. 181 नग पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि कार्य पूर्ण किये गये। दिनांक 30.09.2024 तक रुपये 592.62 करोड़ व्यय किया गया है।

विद्युत उपभोक्ताओं को निरंतर एवं गुणवत्तायुक्त विद्युत प्रदाय हेतु विद्युत अधोसंरचना वर्ष 2024-25 से 2025-26 हेतु 100 नग नये 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना, 93 नग अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर की स्थापना, 226 नग पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि एवं लाईनों का विस्तार कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई है, सर्वे पश्चात् प्राक्कलन स्वीकृति किया जाना प्रक्रियाधीन है।
11.12.1 रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीमः-
(अ) स्मार्ट मीटर स्थापना हेतु स्वीकृत कार्य का विवरणः केन्द्र शासन द्वारा योजनान्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के लिये प्री-पेड स्मार्टमीटर की स्थापना के लिए कुल राशि 4089.97 करोड़ एवं परियोजना के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी (पीएमए) नियुक्त करने हेतु रूपये 15.34 करोड़ की राशि रीवैम्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम स्वीकृत है। इस योजना के शर्तों के अनुसार स्मार्ट मीटर की स्थापना DBFOOT (Design, Build, Finance, Own, Operate and Transfer) मोड में किया जाना है जिसमें लगने वाले व्यय का 85 प्रतिशत कार्य एजेंसी (एएमआईएसपी) द्वारा वहन किया जावेगा एवं 15 प्रतिशत राशि केन्द्र शासन द्वारा अनुदान के रूप में दिया जाएगा। निविदा शर्तों के अनुसार, कार्य एजेंसी को कार्य का भुगतान, कार्य के Go-Live होने एवं सेवा स्तर समझौते (SLA-Service Level Agreement) को पूरा करने के पश्चात् प्रति मीटर, प्रति माह की दर से 93 माह तक किया जावेगा। उक्त कार्य को संपादित करने के लिए राज्य सरकार को राज्यांश देय नहीं है। कार्य एजेंसी द्वारा स्मार्ट मीटर स्थापित कर 93 माह तक रख-रखाव किया जावेगा।

(ब) लॉस रिडक्शन कार्य विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ओ० एम० ०
20/9/2019-IPDS दिनांक 20.07.2021 के माध्यम से रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (R.D.S.S.) योजना को लागू किया गया है। यह योजना वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिये प्रभावी रहेगी। इस योजनान्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के लिये स्वे Reduction कार्य के विभिन्न शीर्षाशों में कुल राशि रू. 3544.38 करोड़ भारत सरकार के द्वारा स्वीकृत किया गया है। सीएसपीडीसीएल, Scheme guidelines, के अनुसार पीएमए की नियुक्ति सहित सभी निर्धारित दिशा निर्देशों एवं SBD के अनुसार RDSS योजना के क्रियान्वयन को निर्धारित समयसीमा (2025-26) के भीतर पूर्ण करना सुनिश्चित करेगा। छत्तीसगढ़ राज्य के लिये आर.ई.सी. इस योजना का नोडल एजेंसी नियुक्त होगा।
कुल प्रस्तावित परियोजना बजट रूपये 3544.38 करोड़ रूपये में से 60 प्रतिशत केन्द्र शासन, 30 प्रतिशत स्वयं के बजट से एवं 10 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा पूर्ति की जावेगी।
इस योजनान्तर्गत विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के लिये विद्युत हानि घटाने (Loss Reduction) के कार्य के लिये कुल राशि रू. 3544.38 करोड़ भारत सरकार के द्वारा स्वीकृत किया गया एवं कुल प्रस्तावित परियोजना बजट रूपये 3544.45 करोड़ रूपये में से 60 प्रतिशत केन्द्र शासन, 30 प्रतिशत स्वयं के बजट से एवं 10 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा पूर्ति की जावेगी। रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम योजना अंतर्गत कार्यों का विवरण निम्नानुसार है :-

11.12.2 रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस-आईटी/ओटी) आरडीएसएस एक भाग आरडीएसएस-आईटी/ओटी जिसके अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी का उन्नयन/अन्य कार्य का सुदृढ़ीकरण किया जाना है, जिसके लिए रूपये 119.68 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसमें केन्द्रांश रूपये 71.808 करोड़ (स्वीकृत राशि का 60 प्रतिशत) राज्यांश रूपये 11.968 करोड़ (स्वीकृत राशि का 10 प्रतिशत) एवं वितरण कंपनी द्वारा ऋण रूपये 35.904 करोड़ (स्वीकृत राशि का 30 प्रतिशत) प्रस्तावित है। यह कार्य सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र द्वारा क्रियान्वयन किया जा रहा है, व्यय की जानकारी निम्नानुसार है:-

11.12.3 रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के अंतर्गत पीएम-जनमन भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के लिए 07 जनजातियों यथा अबुझमाड़िया, बैगा, भारिया, पहाड़ी कोरवा, कमार, सहरिया एवं बिरहोर जातियों के सर्वांगीण विकास के लिये उक्त योजना प्रारंभ की गई है। राज्य में उपरोक्त उल्लेखित जनजातियों के आवासों के विद्युतीकरण हेतु स्वीकृत डीपीआर निम्नानुसार है:-

11.13 पीएम-सूर्यघर योजना माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा अति महत्वाकांक्षी पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना आरंभ की गई है, जिसके तहत् घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं द्वारा स्वयं के परिसर में स्वयं की विद्युत की आवश्यकता की पूर्ति हेतु न्यूनतम 01 किलोवाट तथा अधिकतम 500 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का प्रावधान है। इस हेतु केन्द्रीय अनुदान क्रमशः 1 कि.वा. रु 30,000/- 2 कि. वा रु 60,000/- 3 कि. वा या अधिक रु 78000/- प्रावधानित है।
मार्च-2027 तक प्रदेश के 5 लाख घरेलू उपभोक्ताओं की छतों एवं सभी शासकीय भवनों में रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में अब तक 2 लाख 22 हजार से अधिक उपभोक्ताओं ने पंजीयन किया है एवं लगभग 19 हजार उपभोक्ताओं द्वारा आवेदन प्राप्त हुए हैं।
वर्तमान में 3300 उपभोक्ताओं ने वेंडरों का चयन कर लिया है एवं वेंडरों द्वारा उपभोक्ता परिसर में प्लांट स्थापित किये जाने का कार्य प्रगति पर है। योजनान्तर्गत अब तक 460 उपभोक्ताओं द्वारा अपने परिसर में प्लांट की स्थापना की जा चुकी हैं एवं 231 उपभोक्ताओं को योजनांतर्गत सब्सिडी प्राप्त हो चुकी है।

11.12 वित्तरण हानि वर्ष 2022-23 में वितरण हानि का प्रतिशत 16.14 रहा। जिसके प्राप्ति के लिए विभिन्न कार्य योजनाओं पर कार्यवाही जारी है।

11.13 विद्युत उपभोक्ता वर्ष 2023-24 के अंत में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 63 लाख 85 हजार
3 सौ 62 है, जो वर्ष 2022-23 की तुलना में 1.03 प्रतिशत अधिक है। कुल उपभोक्ताओं की संख्या में से वर्ष 2023-24 के अंत में बी.पी.एल. के 25.05 प्रतिशत, घरेलू के 54.80 प्रतिशत, गैर घरेलू के 6.92 प्रतिशत, औद्योगिक श्रेणी के 0.61 प्रतिशत एवं कृषि हितग्राही उपभोक्ताओं का 11.77 प्रतिशत है।

11.14 विद्युत उपभोग का स्वरूप वर्ष 2023-24 में राज्य की समस्त प्रकार के उपभोक्ताओं द्वारा कुल 31649.50 मिलियन यूनिट विद्युत की खपत की गई जो कि विगत वर्ष 2022-23 की खपत से 8.75 प्रतिशत अधिक है। राज्य में विक्रय की गई बिजली में से 21.37 प्रतिशत घरेलू, 6.38 प्रतिशत गैर घरेलू, 41.02 प्रतिशत औद्योगिक, 23.83 प्रतिशत कृषि एवं 3.23 प्रतिशत सार्वजनिक उपभोग (जलकर एवं सड़कबत्ती) के मद में रहा। कुल खपत में से वर्ष 2023-24 में हितग्राही बी.पी.एल. उपभोक्ताओं की खपत 3.31 प्रतिशत एवं हितग्राही कृषि पम्प उपभोक्ताओं की खपत 23.83 प्रतिशत आंकी गई जो कि वर्ष 2022-23 में क्रमशः 3.68 एवं 23.72 प्रतिशत थी।

राज्य में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में श्रेणीवार उपभोक्ताओं के विद्युत दर समान है, अतः ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में विद्युत उपभोग की गणना पृथक-पृथक नहीं की गई है।

11.15 राजस्व संग्रहण: वर्ष 2023-24 में समस्त प्रकार के उपभोक्ताओं से विद्युत खपत एवं अन्य चार्ज के विरूद्ध कुल रू. 20770.13 करोड़ का राजस्व संग्रहण किया गया जो कि वर्ष 2022-23 में रू 19677.24 करोड़ था।
11.16 बकाया राशि वर्ष 2023-24 के अंत में विद्युत उपभोक्ताओं के विरूद्ध कुल बकाया राशि रूपये 5674.08 करोड़ है, जिसमें 3218.01 करोड़ निम्नदाब उपभोक्ताओं के तथा 2456.07 करोड़ रूपये उच्च्दाब उपभोक्ता पर बकाया है। जबकि वर्ष 2022-23 के अंत में विद्युत उपभोक्ताओं के विरूद्ध बकाया राशि कुल रूपये 4362.75 करोड़ थी, जिसमें 2218.96 करोड़ निम्नदाब उपभोक्ताओं के तथा 2143.78 करोड रूपये उच्चदाब उपभोक्ता पर बकाया थी।

कुल राशि में से राज्य शासन के विभिन्न विभागों पर रू. 357.88 करोड़ एवं रू. 1407.06 करोड़ राज्य शासन के सार्वजनिक उपक्रमों यथा पंचायत एवं स्थानीय निकाय पर (पंचायत पर राशि रूपये 429.42 एवं स्थानीय निकाय पर राशि रूपये 977.64 करोड) तथा रूपये 1514.94 करोड़ राशि रेलवे के विरूद्ध बकाया है। जिसका विवरण निम्न तालिका में दर्शाया गया है। रेलवे के विरूद्ध बकाया राशि विवादित है।

11.17 छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के दोहन तथा पारंपरिक ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्य से मई 2001, में छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) का गठन किया गया। केन्द्र सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) को नोडल एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है। प्रदेश में अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत पर आधारित विभिन्न परियोजनाओं का क्रियान्वयन क्रेडा द्वारा किया जाता है। अक्षय ऊर्जा का अर्थ है पुनर्जनित, समाप्त न होने वाले, पर्यावरण अनुकूल और गैर-जीवाश्म संसाधनों से उत्पन्न ऊर्जा।
छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 के प्रमुख कार्यक्रमों का विवरण निम्नानुसार है :-
11.17.1 सौर सुजला योजनाः राज्य में उपलब्ध कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि करने हेतु ऐसे बोरवेल जो ग्रिड लाईन से दूर हैं, अथवा कृषकों द्वारा किसी कारणवश पम्प अब तक ऊर्जीकृत नहीं किये गये हैं. ऐसे कृषकों के भूमि में सौर ऊर्जा के माध्यम से सौर सिंचाई पम्प की स्थापना हेतु यह योजना तैयार की गई है। यह योजना राज्य शासन तथा नवीन एवं नवीकरणीय, ऊर्जा मंत्रालय के मापदण्डों एवं दिशा-निर्देशों के आधार पर तैयार की गई है।
सौर सुजला योजना का उद्देश्य कृषकों की सिंचाई आवश्यकता हेतु सौर सिंचाई पम्प स्थापित किया जाना है। सोलर पम्प के उपयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भूजल के संरक्षण एवं संवर्धन तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिलेगी। अपरंपरागत ऊर्जा के क्षेत्र में दक्ष एवं अर्द्ध दक्ष मानव संसाधन का विकास करना। सौर सुजला योजना का विस्तार राज्य के सभी कृषकों हेतु है। योजना अंतर्गत हितग्राही का चयन कृषि विभाग द्वारा किया जाता है तथा इस योजना अंतर्गत 03 एवं 05 एच.पी. क्षमता के सोलर पम्पों की स्थापना किया जाना है।
इस योजना के माध्यम से कृषक वर्षाकाल के अतिरिक्त प्रतिवर्ष दो अतिरिक्त फसल का लाभले सकेंगे। 03 एवं 05 एच.पी. के सोलर पम्प से लगभग 1.5 तथा 2.5 एकड़ के कृषि रकबा की सिंचाई खरीब (धान) फसल हेतु की जा सकती है तथा अन्य रबी फसलों हेतु सिंचाई रकबा खरीब (धान) की तुलना में दुगुनी की जा सकती है परंतु सर्फेस पम्प का डिस्चार्ज अधिक होता है इसलिए स्थापित सर्फेस पम्प से सबमर्सिबल की तुलना में अधिक रकबे में सिंचाई की जा रही है।
दूर-दराज के क्षेत्र में रहने वाले कृषक जिन्हें वर्षों से विद्युत पंप द्वारा सिंचाई आपूर्ति से वंचित रहना पड़ा है उन्हें बिना किसी ट्रांसमिशन लाईन, सबस्टेशन या विद्युत पोल की समस्या से सोलर पंप का लाभ दिया जा रहा है। सोलर पम्पों के माध्यम से प्रदेश के दूर-दराज के गरीब किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराकर उनकी आर्थिक स्थिति को सृदृढ़ किया जा सकता है जिससे कृषकों को कुल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शासन को अनावश्यक आर्थिक अनुदान देने की आवश्यकता नहीं होगी। इस योजना के माध्यम से 65% से अधिक सोलर पम्प की स्थापना अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषकों के भूमि में की जायेगी।
उपरोक्त योजना के अंतर्गत विगत सात वर्षों में राज्य शासन की स्वीकृति के आधार पर लगभग 1 लाख 43 हजार से अधिक सौर सिंचाई पम्पों की स्थापना की जा चुकी है तथा स्थापित पम्पों का 05 वर्षीय रखरखाव एवं इन्श्योरेंस का प्रावधान किया गया है. स्थापित पम्पों में से निश्चित रूप से कृषकों के आय में वृद्धि हुई है तथा कृषकों में सौर सिंचाई पम्प की स्थापना में रूझान बढ़ा है जिसके कारण सौर सिंचाई पम्प की सभी जिलों में निरंतर मांग बनी हुई है। इस योजना के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2024-25 में 20 हजार सौर सिंचाई पम्पों से राज्य के कुल सिंचित क्षेत्रफल में लगभग 24,000 हेक्टेयर की वृद्धि होने का अनुमान है।
सौर सुजला योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में राशि रू. 600.00 करोड़ की लागत व्यय पर 20,000 नग सोलर पम्प का स्थापना कार्य किया जा रहा है।

सौर सुजला योजना सौर सुजला योजना का शुभारंभ दिनांक 01 नवम्बर 2016 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। योजनांतर्गत राज्य के सम्पूर्ण जिलों में अब तक कुल 1,58,897 सोलर पम्पों की स्थापना की जा चुकी है, जिससे लगभग 1,90,676 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रतिवर्ष सिंचित हो रही है। योजना अंतर्गत कृषकों को सोलर पम्प केवल 7 हजार से 20 हजार रूपये के अंशदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना अंतर्गत अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के 64.13% अन्य पिछड़ा वर्ग के 27.13% एवं सामान्य वर्ग के 8.74% कृषकों के यहाँ सोलर पम्प की स्थापना की गई है। सौर सुजला योजना अंतर्गत जिलेवार स्थापित पम्पों की अद्यतन जानकारी निम्नानुसार हैं।

11.17.2 इंदिरा गांव गंगा योजना राज्य में नदियों के प्रवाह क्षेत्र में, नदी के जल को एकत्रित करने के उद्देश्य से अधिक संख्या में एनीकट एवं बैराज निर्मित किये गये है, जिनमें से बहुत से एनीकटों में साल भर जल उपलब्ध रहता है, इसके ठीक विपरीत निकट ग्राम के तालाबों में साल भर जल उपलब्ध नहीं हो पाता है। कुछ तालाब माह जनवरी-फरवरी में ही सूख जाते हैं, इन कारणों से विभिन्न प्रयोजनों हेतु उन तालाब पर आश्रित ग्रामीणों को विकट समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण व्यवस्थाओं को साल भर सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि, ग्राम के निकट स्थित नदी/एनीकटों में उपलब्ध जल से उक्त ग्रामों के तालाबों को सौर प्रणाली के माध्यम से भरा जाए। उपरोक्त व्यवस्था हेतु नदी/एनीकटों के निकट, 10 एच.पी. क्षमता के या इसके गुणांक में सोलर पम्पों की स्थापना कर, अण्डर ग्राउण्ड पाईप लाईन के माध्यम से ग्राम में स्थित तालाब को भरे जाने की योजना है। उक्त के परिप्रेक्ष्य में माननीय मुख्यमंत्री महोदय, छ.ग. शासन के द्वारा की गई घोषणाओं/निर्देशों माननीय मंत्री महोदय एवं माननीय विधायकों के द्वारा किये जा रहे अनुशंसाओं के अनुरूप ग्रामों को सम्मिलित करते हुए तथा क्रेडा के विभिन्न जिला कार्यालयों से प्राप्त प्रस्ताव के अनुरूप उक्त योजना का क्रियान्वयन किया जाता है। उक्त योजना के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में राशि रु.20.00 करोड प्रावधानित है। इंदिरा गांव गंगा योजना अंतर्गत उपलब्धियों की जानकारी निम्नानुसार हैं।

11.17.3 सौर ऊर्जा आधारित विभिन्न योजनाः राज्य के निजी स्वास्थ्य केन्द्रो, शालाओं, निजी भवनों एवं व्यवसायिक स्थलों में विद्युत आपूर्ति में अनिरंतरता से जनसामान्य के हितों से जुड़े हुए कार्य प्रभावित होने के कारण आवश्यक क्षमताओं के सोलर पॉवर प्लांट अथवा सोलर जनरेटर संयंत्र की स्थापना से समस्याओं को दूर किया जा सकता है, जिससे प्राप्त निःशुल्क एवं बाधारहित बिजली से विभिन्न कार्य विद्युत के अभाव में प्रभावित नहीं होते है एवं हितग्राहियों के जीवन स्तर में सुधार के साथ-साथ आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना उपरांत राज्य के छोटे शहरों एवं कस्बों के विकास हेतु राज्य शासन द्वारा विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं तथा उन्हें बड़े शहरों की तर्ज पर विकसित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। शहरों एवं कस्बों के सार्वजनिक स्थलों जैसे बस स्टैण्ड, हाट बाजार, पंचायतों, चौक-चौराहों में रात्रि के समय उचित प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध कराया जाना भी शासन की एक प्राथमिकता है। बड़े शहरों में किसी परिसर की बाहरी प्रकाश व्यवस्था हेतु हाईमास्ट लगाये जाते हैं जिनसे एक बड़े क्षेत्र की बाहरी प्रकाश व्यवस्था की जाती है। ये हाई मास्ट परम्परागत बिजली से संचालित किये जाते है जिनमें बहुत अधिक विद्युत की खपत होती है। जबकि सोलर हाई मास्ट संयंत्रों में सोलर पैनल की सहायता से दिन मे बैटरी चार्ज कर रात में लाईट जलाई जाती है जिससे परम्परागत विद्युत की बचत होती है। रात्रि के समय ग्रामों के चौक-चौराहों में प्रकाश व्यवस्था न होने से ग्रामवासियों को विषाक्त जीव-जन्तुओं से भय एवं दुर्घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है। अतः यदि ससमय ग्रामीणों को प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध करा दी जाती है, तो उपरोक्त भय एवं दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। चौक चौराहों पर प्रकाश व्यवस्था हो जाने से ग्रामीण जन संयंत्र के निकट अपने दैनिक व्यवसाय को अधिक समय तक संचालित कर अपनी आय में वृद्धि कर सकते है। उक्त योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में राशि रू. 20.00 करोड़ लागत व्यय पर क्रियान्वयन किया जा रहा है।
11.17.4 बायो एनर्जी आधारित कार्यक्रमः हमारे देश के अधिकांश क्षेत्रो में जन समुदाय भोजन पकाने के लिये ईंधन हेतु वनों पर निर्भर रहते हैं। जनसंख्या वृध्दि के कारण वनों की कटाई अधिक होने से वन क्षेत्र कम होते जा रहे हैं। इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई हैं। इसे दृष्टिगत् रखते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम” (NBMMP) संचालित की जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत् ग्रामीण / शहरी क्षेत्रों में घरेलू “बायोगैस संयंत्र” की स्थापना की जाती है। बायोगैस संयंत्र से साफ, स्वच्छ, सुरक्षित ईंधन एवं उत्तम गुणवत्तायुक्त जैविक खाद की प्राप्ति होती है। घरेलू बायोगैस संयंत्र की तरह संस्थागत् बायोगैस संयंत्र से भी गैस एवं उत्तम गुणवत्ता के खाद की प्राप्ति होती है। सुराजी गांव योजना (नरवा, घुरूवा, गरूवा, बाड़ी) के तहत् वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य शासन के मद से राशि रू. 2.00 करोड़ की लागत व्यय पर योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

योजना का विवरण: हमारे देश के अधिकांश क्षेत्रों में जन समुदाय भोजन पकाने के लिए ईंधन हेतु
वनों पर निर्भर रहते है। जनसंख्या वृद्धि के कारण वनों की कटाई अधिक होने से वन क्षेत्र कम होते जा रहे है। इससे पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है। बायोगैस इस समस्या से राहत पहुंचाने हेतु एक साफ स्वच्छ एवं सस्ता विकल्प है। उपलब्ध गौ-धन से प्राप्त गोबर की पर्याप्त उपलब्धता के आधार पर विभिन्न क्षमताओं के बायोगैस संयंत्रों की स्थापना की जाती है, क्रेडा द्वारा इन बायोगैस संयंत्रों के निर्माण पर तकनीकी मार्गदर्शन एवं अनुदान दिया जाता है। इन संयंत्रों से मिथेन गैस प्राप्त होती है, जिसका उपयोग भोजन पकाने के लिये तथा विभिन्न प्रयोजनों में किया जा सकता है एवं इनसे जैविक खाद भी प्राप्त होता है, जो कि जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के क्षेत्र में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हो सकती है।
उक्त को दृष्टिगत रखते हुए एम.एन.आर.ई., नई दिल्ली, भारत सरकार की सहायता से घरेलू बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जाता है। वर्तमान में एम.एन.आर.ई., नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा पत्र क्र. No-300/2/2020-Waste to Energy’ Date 02.11.2022 के माध्यम से वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक बायोगैस कार्यक्रम का क्रियान्वयन हेतु प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान किया गया है, जिसके अंतर्गत् वित्तीय वर्ष 2025-26 में बायोगैस कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाना है।

11.17.5. विद्यमान संयंत्रों की क्षमता का उन्नयनः क्रेडा द्वारा छ.ग. प्रदेश में वर्ष 2002-03 से 2022-23 तक 32222 सौर संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है तथा वर्ष 2023-24 में भी लगभग 836 सौर संयंत्रों की स्थापना हुई है। इस तरह कुल 33058 सौर संयंत्रों के वार्षिक रख-रखाव, संचालन एवं संधारण तथा 93840 सोलर होम लाईट संयंत्रों, 143682 सोलर सिंचाई पंपों के मॉनिटरिंग कार्य हेतु लगभग 586 सेवाकर्ता इकाईयों (तकनीशियन सह हेल्पर) एवं 1115 ऑपरेटर्स को अनुबंधित किया गया है, जिनके भुगतान भी संचालन, संधारण मद से किये जाते हैं। 05 वर्षों की वारंटी अवधि के उपरांत सौर संयंत्रों के इन्वर्टर्स, बैट्रीज, सोलर पम्पस्, कन्ट्रोलर्स, सोलर मॉड्यूल्स इत्यादि भी लगातार खराब तथा क्षतिग्रस्त होते रहते हैं, जिनका समय से सुधार किये जाने तथा बदले जाने का व्यय भी संचालन, संघारण मद से किया जाता है, ताकि समस्त जनोपयोगी सौर संयंत्रों को लगातार कार्यशील रखा जाकर इसका लाभ लगातार ही ग्रामीणों को प्राप्त होता रहे। इसके अलावा वर्तमान में बढ़ते हुए संयंत्रों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए और अधिक संख्या में सेवाकर्ता इकाईयों के नियोजन की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही सेवाकर्ता इकाईयों व अन्य स्टाफ के पारिश्रमिक में भी आगामी वर्ष में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होगी। अतः विद्यमान संयंत्रों के नियमित संचालन, संधारण तथा रखरखाव एवं क्षमता उन्नयन हेतु वर्ष 2023-24 में उक्त कार्य हेतु राशि रू. 40.00 करोड़ का प्रावधानित है।
11.17.6 ग्रामीण ऊर्जा को अनुदान (आदर्श ग्राम योजना) राज्य के ग्रामों में समस्त बुनियादी सुविधाएं प्रदाय करने के दृष्टिकोण से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शासन द्वारा नवीन कार्यों का सृजन किया जा रहा है, जिनके क्रियान्वयन एवं प्रगति को आधार रख विभिन्न पैमानों पर ग्रामों को आदर्श ग्रामों में तब्दील किया जा रहा है। इसी तारतम्य में राज्य में सौर आदर्श ग्रामों की परिकल्पना अनुसार प्रस्तावित कार्यों का क्रियान्वयन किया जाना है। योजना अंतर्गत सौर आदर्श ग्रामों के लिए राज्य शासन से राशि प्राप्त कर किया जाना प्रस्तावित है। इस योजना का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक जिले के चयनित ग्रामों में योजना अंतर्गत प्रस्तावित संयंत्रों की स्थापना कर विभिन्न प्रयोजनों हेतु विद्युत्त व्यवस्था प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। इससे वहां के रहवासियों को सामुदायिक प्रयोजनों हेतु सभी समय बिजली की नियमित आपूर्ति हो पायेगी, जिससे जनसामान्य को किसी भी कार्य में बिजली की नियमितता ना होने से रूकावट नही होगी, जिससे उनके कार्यस्तर में भी सुधार आयेगा व उस ग्राम की एक विशिष्ट पहचान भी हो सकेगी। जिस पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य शासन के मद से राशि रू. 2.50 करोड प्रावधानित है।
11.17.7 ऊर्जा शिक्षा उद्यान छ.ग. प्रदेश में क्रेडा के द्वारा निम्नानुसार स्थलों पर विज्ञान, परम्परागत एवं गैरपरम्परागत ऊर्जा के विषय में आम जनता एवं बच्चों के मनोरंजन सह शिक्षा के उद्देश्य से 07 ऊर्जा शिक्षा उद्यानों रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बस्तर, जांजगीर-चांपा एवं दुर्ग में स्थापना की गई है। ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के तकनीकी ज्ञान हेतु विभिन्न प्रदर्शन मॉडल्स एवं मनोरंजन हेतु विभिन्न क्रीडा उपकरणों के साथ-साथ सुन्दर फाउन्टेन, फव्वारे, उद्यानों एवं कला विधिकाओं के माध्यम से मनोरंजन सह शिक्षा उद्देश्य की पूर्ति लगातार की जा रही है। वर्ष 2023-24 में ऊर्जा शिक्षा उद्यानों के संचालन व संधारण हेतु राशि रू. 9.00 करोड़ प्रावधानित है।

11.17.8 ऊर्जा संरक्षण एवं दक्षता कार्यकमः उर्जा संरक्षण अधिनियम-2001 के अंर्तगत नामित एजेन्सी के रूप में ऊर्जा संरक्षण के प्रोत्साहन एवं प्रचार-प्रसार हेतु कॉलेजों में विशेष अभियान चलाया जावेगा जैसे ऊर्जा क्लब का गठन, ऊर्जा दक्ष प्रतिरुप प्रदर्शनी का आयोजन। नगरीय निकायों में ऊर्जा सरंक्षण के प्रति जागरुकता हेतु विभिन्न उपायों का होर्डिंग्स के माध्यम से समस्त नगर निगमों में प्रचार किया जावेगा तथा समस्त जिले के ब्लाक स्तर पर चयनित शासकीय भवनों में ऊर्जा संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता के उपायों का फ्लेक्स के माध्यम से प्रचार किया जावेगा। प्रदेश के चयनित शासकीय भवनों को ऊर्जा दक्ष बनाने हेतु ऊर्जा दक्ष स्ट्रीट लाईट, एलईडी ट्यूबलाईट एवं ऊर्जा दक्ष सीलिंग फेन की स्थापना की जावेगी। जिस पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य शासन के मद से राशि रू. 0.50 करोड प्रावधानित है।

11.18 परिवहन एवं संचार
देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए परिवहन एवं संचार एक महत्वपूर्ण अवयव है। यह व्यक्तियों को गतिशील बनाता है, जिससे वे अपने जीवनयापन हेतु रोजी-रोटी की व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन सुविधाएँ प्राप्त कर सकें। बाजार के क्षेत्र में व्यापक वृद्धि हेतु सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। छत्तीसगढ़ राज्य में रेल एवं वायु परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन प्रमुख रूप से शामिल है। संचार माध्यमों में डाक, कुरियर, टेलीफोन (मोबाइल सहित) तथा ब्राडवेंड (इंटरनेट सहित) सेवाएं आदि प्रमुख हैं।

11.19 भूतल परिवहन :-
11.19.1 सड़के एवं पुल
लोक निर्माण विभाग छत्तीसगढ़, सड़कों के उन्नतिकरण एवं पुलों के निर्माण पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसी कड़ी में वर्ष 2023-24 में 4385.00 कि.मी. सड़कों का निर्माण एवं उन्नयन जिसमें गिट्टीकरण, चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण के कार्य किये गये। 75 वृहद पुल एवं 70 मध्यम पुल का निर्माण पूर्ण किया गया है और 01 रेल्वे ओव्हर / अण्डर ब्रिज एवं 178 नग वृहद पुल प्रगति पर रहे। वर्ष 2023-24 में कुल राशि रू. 7650.96 करोड़ आबंटन के विरूद्ध रु 5392.55 करोड़ व्यय किया गया।
वर्ष 2024-25 में माह 09/2024 तक 899.41 कि.मी. सड़कों का निर्माण एवं उन्नयन किया गया। 32 वृहद पुल पूर्ण, 10 मध्यम पुल पूर्ण तथा 01 रेल्वे ओव्हर / अण्डर ब्रिज का निर्माण पूर्ण, 169 वृहद पुल कार्य एवं 01 रेल्वे ओव्हर / अण्डर ब्रिज कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2024-25 में रू. 4882.67 करोड़ आबंटन के विरूद्ध माह 09/2024 तक रू. 1423.34 करोड़ का व्यय किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य सड़क क्षेत्र परियोजना के अंतर्गत एशियन डेव्लपमेंट बैंक की सहायता से तृतीय लोन अंतर्गत 25 मार्ग (लम्बाई 869.36 कि.मी.) हेतु रू. 3535 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त है। इनमें से 10 कार्य पूर्ण एवं 14 कार्य प्रगति पर तथा 1 न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण प्रारंभ नहीं हुआ है।

11.19.2 “जवाहर सेतु योजना” अंतर्गत पुलों का निर्माण कर पहुंचविहीन गांवों तक आवागमन हेतु कनेक्टीविटी की योजना है। वर्ष 2023-24 में 147 पुल कार्य स्वीकृत थे, इसमें से 52 पुल कार्य पूर्ण, 70 पुल कार्य प्रगत्ति पर तथा शेष कार्य निविदा स्तर पर थे। वर्ष 2024-25 में सितम्बर 2024 तक कुल 164 पुल स्वीकृत कार्यों में 69 पुल कार्य पूर्ण, 63 पुल कार्य प्रगति पर तथा अन्य कार्य शेष है।
11.19.3 सी.जी.आर.आई.डी.सी.एल. के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में मार्च 2024 तक कुल 527 कार्यों हेतु रू. 5784.52 करोड़ की स्वीकृति दी गई। इसके अंतर्गत 392 कार्य पूर्ण, 120 कार्य प्रगति पर, 07 कार्य निविदा स्तर पर, 03 कार्य अप्रारंभ, 03 कार्य अनुबंध समाप्त तथा 02 कार्य निरस्त थे। वर्ष 2024-25 में सितम्बर 2024 तक कोई भी स्वीकृति नहीं दी गई। पूर्व में चल रहे स्वीकृत कार्यों के अंतर्गत 59 कार्य पूर्ण, 57 कार्य प्रगति पर, 01 कार्य निविदा स्तर पर, 04 कार्य अनुबंध समाप्त, 03 कार्य समाप्त, 01 कार्य आवश्यकता नहीं तथा 05 कार्य निरस्त है।
11.19.4 एल.डब्ल्यू. ई. (आर.आर.पी.-1) योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 51 सड़क (1992 कि.मी.) एवं 03 सेतु हेतु कुल लागत रू. 3693 करोड़ स्वीकृत है, इनमें से मार्च 2024 तक कुल 44 कार्य (41) सड़क, 03 सेतु) पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 10 कार्य प्रगतिरत है। मार्च 2024 तक कुल 1753 कि.मी. सड़क कार्य पूर्ण एवं राशि रू. 2643 करोड़ का व्यय किया गया है। वर्ष 2024-25 में अब तक कुल 46 कार्य (43) सड़क, 03 सेतु) पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 08 कार्य प्रगतिरत है। अब तक कुल 1761 कि.मी. सड़क कार्य पूर्ण एवं राशि रू. 2643 करोड़ का व्यय किया जा चुका है।
11.19.5 RCPLWE योजना (आर.आर.पी.-2) अंतर्गत वर्ष 2023-24 में कुल 389 सड़क लम्बाई 3156.25 कि.मी. एवं 88 सेतु कार्यों हेतु कुल लागत 2313.49 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इनमें से मार्च 2024 तक 263 सड़क लंबाई 2126 कि.मी. एवं 24 पुल निर्माण पूर्ण किये गये एवं राशि रू. 1214 करोड़ का व्यय किया गया। वर्ष 2024-25 में अब तक 391 सड़क लंबाई 3221 किमी. एवं 88 सेतु कार्यों हेतु कुल लागत 2377.10 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। अब तक 293 सड़क लंबाई 2232 कि.मी. एवं 27 पुल निर्माण पूर्ण किये गये हैं एवं राशि रू. 1301 करोड़ का व्यय किया गया है। 25 कार्य निविदा की स्थिति में है। 12 कार्य विलोपन हेतु प्रस्तावित है।
11.19.6 सी.आर.एफ. योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में कुल 111 कार्य (91 सड़क, 20 पुल) लंबाई 2140.31 कि.मी. एवं लागत रू. 3060.22 करोड़ स्वीकृत है। इनमें से मार्च 2024 तक कुल 93 कार्य (75 सड़क, 18 पुल) पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 15 कार्य (13 सड़क, 2 पुल) प्रगतिरत है एवं 01 कार्य विलोपित किये जाने हेतु प्रस्ताव प्रेषित है। 01 कार्य निविदा स्तर पर है। योजनांतर्गत्त मार्च 2024 तक कुल 2250. 49 करोड़ व्यय किया गया है। वर्ष 2024-25 में कुल 111 कार्य (91 सड़क, 20 पुल) लंबाई 2140.31 कि. मी, एवं लागत रू. 3060.22 करोड़ स्वीकृत है। इनमें से अब तक कुल 97 कार्य (79 सड़क, 18 पुल) पूर्ण किये जा चुके हैं एवं 09 कार्य (07 सड़क, 02 पुल) प्रगतिरत है एवं 1 कार्य विलोपित किये जाने हेतु प्रस्ताव प्रेषित है, 01 कार्य निविदा स्तर पर है, 03 कार्य बंद है। योजनांतर्गत अब तक कुल 2370.29 करोड़ व्यय किया जा चुका है। इसके अलावा सेतु बंधन अंतर्गत 07 आर.ओ.बी. लागत 356.71 करोड़ की स्वीकृति दिनांक 31.03.2023 एवं 11.12.2023 को प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना का उद्देश्य समस्त महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक शासकीय भवनों एवं सार्वजनिक स्थलों को बारहमासी पहुंच मार्ग से जोड़कर लोक कल्याण एवं जनसुविधा के लिए सुगम बनाया जाना है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में “मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना के अंतर्गत कुल 4308 मार्गों में से 3261 कार्य पूर्ण किये गये। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत कुल 1047 मार्गों में से 48 कार्य पूर्ण, 51 कार्य प्रगति पर, 99 कार्य अप्रांरभ, 152 कार्य निविदा स्तर पर, 604 कार्य निविदा लंबित है तथा 93 कार्यों की आवश्यकता नहीं है।
भवन कार्यों के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय प्रशासन, पुलिस राजस्व तथा अन्य विभागों के लिये आवासीय एवं गैर आवासीय भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इसके अंतर्गत वर्ष 2023-24 में रू. 933.88 करोड़ के आबंटन के विरूद्ध रू. 544.47 करोड़ व्यय किये गये। इसमें से 170 भवन कार्य पूर्ण किये गये थे तथा 249 भवन कार्य प्रगति पर थे। वर्ष 2024-25 में भवन कार्यों हेतु माह 09/2024 तक रू. 1267.04 करोड़ आबंटन के विरूद्ध रु. 123.25 करोड़ व्यय किया गया है। इस वर्ष अब तक 80 भवन कार्य पूर्ण किये जा चुके है एवं 217 कार्य प्रगति पर है।
सड़कों की लम्बाई (माह 12/2023 की स्थिति में)
राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई – 3484 कि.मी.
राज्य मार्ग की लम्बाई – 4310 कि.मी.
मुख्य जिला मार्ग की लम्बाई – 11382 कि.मी.
ग्रामीण मार्ग एवं अन्य जिला मार्ग की लम्बाई – 16309 कि.मी.
योग – 35485 कि.मी.

11.20 वाहन वर्ष 2022-23 (सितम्बर 2022 तक) 1,88,975 वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया है तथा (31 मार्च 2023 तक) 4,81,579 वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया तथा वर्ष 2023-24 में (माह सितम्बर 2023 तक) 2,34,579 वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया है तथा (31 मार्च 2024 तक) 567704 वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया वर्ष 2024-25 में (माह सितम्बर 2024 तक) 2,96779 वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया है।


See also

References


Take an online test on the CG Economic Survey and CG Budget from the DKAcademyCGPSC App.


***

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *