07_ES2025_DKAcademyCGPSC

ES-07 कृषि एवं संबद्ध सेवाएं : छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 | CG Agriculture [ Notes, PDF, MCQs ]


Chapter 7 : CG Agriculture [CG Economic Survey 2024-25]

मुख्य बिन्दु

  • फसल क्षेत्र का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (स्थिर भाव) में भागीदारी वर्ष 2024-25 (अग्रिम) 29,72,460 लाख रूपये अनुमानित है।
  • फसल बीमा योजनांतर्गत 2023-24 खरीफ में 14,82,359 कृषकों का बीमा कराया गया
  • राज्य में अब तक 3,872 कृषि यंत्र सेवा केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।
  • राज्य में वर्तमान में 69 कृषि उपज मंडियाँ एवं 121 उप-मंडियाँ कार्यरत हैं।
  • राज्य गठन के समय प्रदेश में निर्मित 03 वृहद, 29 मध्यम एवं 1945 लघु सिंचाई योजनाओं से कुल 13.28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता सृजित थी, जो वर्तमान में (मार्च 2024 तक) 21.76 लाख हेक्टेयर हो गई है। इस तरह राज्य निर्माण के पश्चात कुल 8.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता की वृद्धि हुई। वर्तमान में प्रदेश की सिंचाई का प्रतिशत 39.27 हो गया है।
  • पशुधन क्षेत्र की सकल राज्य घरेलू उत्पाद में (स्थिर भाव) में भागीदारी वर्ष 2024-25 (अग्रिम) 5.42,332 लाख रू है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 2.032 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है जिसमें से 1.976 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन अन्तर्गत विकसित किया जा चुका है जो कुल जलक्षेत्र का 97.24 प्रतिशत है।

7.1 छत्तीसगढ़ राज्य की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या का जीवन यापन कृषि पर निर्भर है। प्रदेश के 40.10 लाख कृषक परिवारों में से 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते है वर्तमान में प्रदेश के सभी सिंचाई स्त्रोतों से लगभग 35 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है जिसमें से सर्वाधिक 52 प्रतिशत क्षेत्र जलाशयों /नहरों के माध्यम से सिंचित है एवं 29 प्रतिशत क्षेत्र नलकूप से सुनिश्चित सिंचाई के अंतर्गत आते हैं। अधिकांशतः वर्षा पर निर्भर है। प्रदेश की लगभग 55 प्रतिशत काश्त भूमि की जलधारण क्षमता कम होने के कारण, बिना सिंचाई साधन के दूसरी फसल लेना संभव नहीं है। राज्य निर्माण के समय, इस प्रदेश में आवश्यक संरचनायें तथा बीज प्रक्रिया केन्द्र, प्रशिक्षण केन्द्र, खाद एवं गोदाम आदि का अभाव था, इसलिए राज्य में विभिन्न फसलों की उत्पादकता, अन्य विकसित राज्यों की तुलना में कम थी। राज्य गठन के पश्चात् कृषि विकास के कार्यक्रमों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने तथा राज्य शासन के कृषकोन्मुखी योजनाओं / कार्यक्रमों के फलस्वरूप कृषि विकास की गति में तेजी आई है एवं किसानों की आर्थिक उन्नति हेतु निरंतर प्रभावी प्रयास किये जा रहे है।

7.1.1 सुनिश्चित सिंचाई क्षेत्र विस्तारः राज्य शासन द्वारा प्रदेश के लघु सीमांत कृषकों को सिंचाई कूप एवं पंप स्थापना हेतु शाकम्भरी योजना प्रारंभ की गई है एवं सिंचाई संसाधन विकसित करने समस्त कृषका के लिये नलकूप खनन तथा पंप प्रतिस्थापन हेतु किसान समृद्धि योजना प्रारंभ की गई है तथा लघुत्तम सिंचाई तालाब योजनांतर्गत शासकीय भूमि में शत्-प्रतिशत शासकीय व्यय पर 40 हेक्टेयर तक सिंचाई क्षमता के तालाब निर्मित किये जाते हैं।।

7.2 आर्थिक सांख्यिकी से संबंधित

7.3 आधार / प्रमाणित बीज उत्पादन एवं वितरण प्रदेश में किसानों को उच्चगुणवत्तायुक्त, अधिक उत्पादन देने वाले प्रमाणित बीज की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य शासन द्वारा विशेष प्रयास किये गये हैं। प्रमाणित बीज का उपयोग कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता वृद्धि का प्रमुख आधार है। राज्य पोषित / केन्द्र प्रवर्तित योजना अंतर्गत आधार / प्रमाणित बीज उत्पादन एवं वितरण पर रू. 500 से लेकर 5,000 तक अनुदान देने का प्रावधान है।

7.4 उर्वरक एवं जैविक खाद वितरण:- कृषि में फसल उत्पादन एवं उर्वरक क्षमता वृद्धि हेतु आदान सामग्री के रूप में मुख्यतः रासायनिक उर्वरक एवं जैव उर्वरक की आवश्यकता होती है। विगत् दो वर्षों में उर्वरक एवं जैव उर्वरक वितरण की प्रगति निम्नानुसार है:-

7.5 राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा :-
उद्देश्य – रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध (Unjudicious) प्रयोग से खेतों की मिट्टी सख्त एवं मृदा उत्पादकता में कमी, जल, वायु एवं मिट्टी प्रदूषित हो रहे है, जिससे खाद्यान्न, अनाज, फल, साग-सब्जियों में कीटनाशी अवशेष निर्धारित वैज्ञानिक मापदण्ड (Tolerance Limit) से अधिक होने के कारण मनुष्यों में दिन प्रतिदिन नवीन एवं लाईलाज बीमारी बढ़ रही है, जो न केवल मानव सभ्यता के लिए अपितु पशुधन के लिए भी खतरनाक संकेत है। कृषि विभाग द्वारा विगत दस वर्षों से राज्य के कृषको के लिए जैविक खेती प्रोत्साहन योजनांतर्गत विभिन्न राज्य पोशित एवं केन्द्र प्रवर्तित योजना संचालित की जा रही है। जिसका उद्देश्य जनमानस को विषरहित खाद्यान्न उपलब्ध कराना है एवं जलवायु एवं मिट्टी प्रदूषण को कम करना है।
राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2014 से राज्य पोषित जैविक खेती मिशन एवं वर्ष 2016 से केन्द्र प्रवर्तित परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित है। पूर्व में योजनाओं का क्रियान्वयन 05 जिलों में शुरू किया गया। वर्तमान में इन योजनाओं का विस्तार समस्त जिलों में करते हुए 05 जिलें गरियाबंद, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा एवं नारायणपुर को पूर्ण जैविक जिला एवं शेष 22 जिलों के एक-एक विकासखंड को पूर्ण जैविक बनाने हेतु कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
वर्षवार पी.जी.एस. प्रमाणीकरण का रकबा एवं लाभान्वित कृषक संख्या
कृषकों को उनके जैविक उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके इस हेतु योजनान्तर्गत पी.जी. एस. प्रणाली के माध्यम से राज्य पोषित जैविक खेती मिशन एवं वर्ष 2016 से केन्द्र प्रवर्तित परंपरागत कृषि विकास योजना अंतर्गत तीन वर्ष की रूपांतरण अवधि हेतु क्षेत्र का चयन किया जाता है। योजनान्तर्गत चयनित कुल रकबा एवं लाभान्वित कृषक संख्या का विवरण निम्नानुसार है:-

वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण (LAC) – केन्द्र प्रवर्तित परंपरागत कृषि विकास योजना अंतर्गत वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण (LAC) कार्यक्रम भी संचालित है, जिसके अंतर्गत जिला-दंतेवाड़ा के 50279.29 हे. रकबा के 10264 कृषकों का चयन कर योजना का संचालन वर्ष 2023-24 से किया जा रहा है। इसकी रूपांतरण अवधि भी तीन वर्ष है।

जैविक फसलें राज्य में धान की सुगंधित किस्में बासमती, बादशाहभोग, दुबराज, पुसासुगंध, जंवाफूल, मोतीचुर, जीराफुल, तुलसी-मंजरी, काली कमोद, कालीगिलास, तिलकस्तुरी (Green Rice), मक्का एवं लघु धान्य फसलें कोदो कुटकी, रागी, सांवा, कोसरा आदि एवं दलहन-तिलहन फसलें -अरहर (LRG-41), उड़द (PU-31), मूंग (SML-668), कुल्थी, तिल, जैविक खेती की जा रही है।
7.6 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का संचालन किया जा रहा है। वर्षा जल संग्रहण, संचयन, सिंचाई स्त्रोतों के विकास, भू-जलवर्धन तथा उपलब्ध जल के दक्षतापूर्ण उपयोग की महत्वपूर्ण योजना है। योजनांतर्गत पांच वर्षो के लिए कुल राशि रू. 54,931.71 करोड़ की परियोजना स्वीकृत है जिससे प्रदेश का 25.94,284 हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा सिंचित किया जाना प्रस्तावित है।
7.7 रेनफेड एरिया डेव्हलपमेंट (RAD) नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (NMSA) के घटक रेनफेड एरिया डेव्हलपमेंट (RAD) का कियान्वयन वर्ष 2014-15 से क्रियान्वित की जा रही है। जिसका मुख्य उद्देश्य वर्षा आधारित क्षेत्रों में एकीकृत फसल पद्धति के माध्यम से कृषि को उत्पादकता वर्धक, टिकाऊ, लाभकारी एवं जलवायु के अनुकूल बनाना है। योजनांतर्गत 2023-24 एवं 2024-25 में किये गये कार्यों की जानकारी निम्नानुसार है:-

7.8 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रदेश में कृषकों के फसलों की बीमा हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2016 से संचालित की गई, विगत दो वर्षों की प्रगति निम्नानुसार है-

7.9 कृषि यांत्रिकीकरण कृषि कार्यों का सुगमतापूर्वक एवं उचित समय पर पूर्ण कर उत्पादन में वृद्धि तथा प्रदेश के लघु सीमांत कृषकों को किराये पर उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के साथ ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना /फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना संचालित की जा रही है योजनांतर्गत कृषि यंत्र सेवा के केन्द्र स्थापित करने पर लागत राशि रू. 25.00 लाख पर राशि रू. 10.00 लाख, लागत राशि रू. 10.00 लाख पर राशि रू. 4. 00 लाख एवं जिले के चयनित ग्रामों में लागत राशि रू. 10.00 लाख प्रति ग्राम की सीमा अंतर्गत फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने पर राशि रू. 8.00 लाख अनुदान देय है। राज्य में अब तक 3872 कृषि यंत्र सेवा केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है।


कृषि विपणन

7.10 कृषि उपज मंडियोंः कृषि उत्पादन के सुनियोजित विपणन में कृषि उपज मंडियों का विशेष योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 69 कृषि उपज मंडियां एवं 121 उपमंडियां कार्यरत है। मंडी समितियों का मुख्य उद्देश्य कृषकों को शोषण से बचाना, समयावधि में उनको उपज का उचित मूल्य दिलाना एवं विपणन की सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

7.10.1 मंडियों में आवक राज्य में मंडियों में वर्ष 2023-24 (माह अप्रैल से मार्च तक) में 1,80,05,645 टन की आवक हुई है। इसी प्रकार मंडियों में वर्ष 2024-25 (माह अप्रैल से सितम्बर तक) में 20,60,278 टन की आवक हुई है।
7.10..2 मंडियों की आय छत्तीसगढ़ राज्य में मंडियों में वर्ष 2023-24 (माह अप्रैल से मार्च तक) में 52211.54 लाख रूपये की आय हुई है। इसी प्रकार मंडियों में वर्ष 2024-25 (माह अप्रैल से सितम्बर तक) में 10396.57 लाख रूपये की आय हुई है।
7.10.3 राष्ट्रीय कृषि बाजार माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा देश के चयनित 585 कृषि उपज मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसी तारतम्य में प्रदेश की 14 मंडियों का यथा नवापारा, राजनांदगांव, कवर्धा, कुरूद, रायपुर, दुर्ग, धमतरी, भाटापारा, राजिम, बालोद, बिलासपुर, मुंगेली, रायगढ़ एवं जगदलपुर में कृषि उपजों को कय-विक्रय राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के माध्यम से किया जा रहा है, इसके अतिरिक्त प्रदेश की 06 कृषि उपज मंडी कमशः कांकेर, सरायपाली, बेमेतरा, कटघोरा, अंबिकापुर एवं जशपुर को माह मार्च 2023 से राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा गया है। इस प्रकार कुल 20 कृषि उपज मंडियों में राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल पर चिन्हांकित कृषि उपजों का ऑनलाईन कय-विक्रय प्रारंभ हो गया है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल की वर्ष 2023-24 (अप्रैल से मार्च तक) एवं वर्ष 2024-25 (अप्रैल से सितम्बर तक) की प्रगति की जानकारी निम्नानुसार है:-

7.10.4 एगमार्क नेट पोर्टल
विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय, भारत सरकार द्वारा MRIN (Marketing Research and Information Network) योजनांतर्गत मंडी/उपमंडियों को कम्प्यूटर उपलब्ध कराये जाने के फलस्वरूप एगमार्कनेट के पोर्टल पर माह अगस्त 2006 से जानकारी प्रेषित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे। वतर्मान में छ.ग. प्रदेश की 69 कृषि उपज मंडी एवं 118 उपमंडियों की दैनिक आवक एवं भाव की जानकारी एगमार्कनेट के पोर्टल पर नियमित रूप से प्रेषित की जा रही है।
एग्रीमंडी साफ्टवेयर छ०ग० राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र
(NIC) के माध्यम से विभागीय साफ्टवेयर तैयार किया गया है, जिसका अवलोकन विभागीय वेबसाईट के कृषि उपज मंडियों की दैनिक आवक एवं भाव, मासिक जानकारी तथा अन्य जानकारियां नियमित रूप से इंद्राज की जा रही है।
www.agriportal.cg.nic.in में किया जा सकता है। एग्री मंडी साफ्टवेयर (मंडी-आनलाईन) में प्रदेश
मंडी एंड्राईड मोबाईल एप तैयार की गई है, जो कि वेबसाईट www.agriportal.cg.nic.in में उपलब्ध है, जिसे एंड्राईड मोबाईल में डाउनलोड कर प्रदेश के कृषि उपज मंडियों की दैनिक आवक एवं भाव की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
7.10.5 गौ सेवा आयोग अनुदान: गौ शालाओं तथा वृद्ध पशुओं की देखभाल हेतु गौ सेवा आयोग को मंडी बोर्ड द्वारा वर्ष 2023-24 में रूपये 49.33 करोड़ का भुगतान किया गया है। वर्ष 2024-25 में रूपये 50.09 करोड़ भुगतान किया जाना प्रक्रियाधीन है।
छ.ग. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 (कमांक 24 सन् 1973) में राज्य स्थापना के पश्चात् निम्नानुसार महत्वपूर्ण संशोधन किये गये है :-
1) एकल बिन्दु मंडी शुल्क प्रदेश में अधिसूचित कृषि उपज के कय-विक्रय पर एकल बिन्दु शुल्क है। धारा 19 के अनुसार राज्य में किसी मंडी में मंडी शुल्क जमा किये जाने के पश्चात् राज्य में के एक से अधिक मंडी क्षेत्र में या उसी मंडी क्षेत्र में एक से अधिक बार पुर्न विक्रय पर मंडी फीस देय नहीं है।
2) संविदा खेती :- छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) अधिनियम 2005 के द्वारा मंडी अधिनियम की धारा 2 में संशोधन तथा नई धारा 37 (क) जोड़ी जाकर संविदा खेती के अधीन अधिसूचित कृषि उपज के विपणन के विनियमन संबंधी प्रावधान किया गया है, तदानुसार आदर्श उपविधि 2009 के उपविधि में संविदा कृषि का अनुबंध और आदर्श विशिष्टियां तथा शर्ते प्रभावशील की गई है।

लघु एवं सीमांत कृषकगण संभावित जोखिम और लागत को देखते हुए बहुधा नई प्रौद्योगिकी को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं होते हैं। संविदा कृषि से कृषकों के लिए लाभ यह है कि केता पूर्व निर्धारित मूल्य पर विनिर्दिष्ट गुणवत्ता और मात्रा में उत्पादित कृषि उपज को कय करने के लिए वचनबद्ध होता है, इससे उत्पादक जहां नई प्रौद्योगिकी को अपनाकर लाभकारी फसल उत्पादन करता है, वहीं केता को भी व्यापार की जोखिम से बचाता है। संविदा खेती के अधीन उत्पादित कृषि उपज को सीधे केता को विक्रय किया जा सकता है और उस पर मंडी शुल्क देय नहीं है।
3) ई-ट्रेडिंग: भारत सरकार द्वारा “एक देश एक बाजार” की परिकल्पना के तहत् राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल संचालित किया गया जिसके माध्यम से ई-नाम से जुडी मंडियों में विक्रेता अपनी कृषि उपज को केता व्यापारी को आनलाईन विक्रय कर आनलाईन भुगतान प्राप्त कर सकता है। तदानुसार राज्य सरकार ने छ.ग. कृषि उपज मंडी (संशोधन) अधिनियम 2015 के द्वारा छ.ग. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 (क. 24 सन् 1973) में ई-ट्रेडिग का प्रावधान किया गया है।
मंडी प्रांगण में विक्रय हेतु लायी गई अधिसूचित कृषि उपज की कीमत का निर्धारण खुली नीलामी पद्धति या इलेक्ट्रानिक निविदा बोली से की जाती है। इलेक्ट्रानिक निविदा बोली से कार्टेल की संभावना नहीं रहती तथा अन्य मंडी क्षेत्र का व्यापारी भी ऑनलाईन निविदा बोली में भाग ले सकता है इससे किसानों को अधिक कीमत प्राप्त होने की संभावना रहती है।
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024 में मंडी अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान किया है कि अन्य प्रदेश के मंडी बोर्ड / मंडी समितियों से पंजीयनधारी व्यापारी इस प्रदेश से बगैर पंजीयन के ई-नाम के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज का कयण कर सकते हैं, इस उन्हें विक्रेता को उसकी उपज की कीमत का भुगतान आनलाईन करना होगा तथा मंडी समिति को देय मंडी शुल्क, कृषक कल्याण शुल्क तथा अन्य देय स्वत्वों का भुगतान भी आनलाईन करना होगा। अन्य प्रदेश के केताओं द्वारा ई-नाम के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज का कयण किये जाने पर प्रदेश के विक्रेताओं को उनकी कृषि उपज की अधिक
कीमत प्राप्त होगी।
4) छोटा व्यापारी राज्य सरकार द्वारा छोटा व्यापारी की परिभाषा में संशोधन कर किसी भी एक समय पर स्टॉक में विभिन्न प्रकार की अधिसूचित कृषि उपज 10 क्विंटल या कोई एक अधिसूचित कृषि उपज 4 क्विंटल से अधिक नहीं रख सकता के स्थान पर 20 क्विंटल तथा कोई एक अधिसूचित कृषि उपज 10 क्विंटल रख सकने का प्रावधान किया है इसके अतिरिक्त पूर्व में किसी भी एक दिन में 4 क्विंटल धान्य से या 2 क्विंटल तिलहनों, दलहनों तथा तन्तु फसलों से अधिक का कय नहीं कर सकने के स्थान पर 10 क्विंटल धान्य या तिलहन, दाल तथा तंतु फसलों को मिलाकर 5 क्विंटल कय करने का प्रावधान किया है।

5) अभिकर्ता राज्य शासन द्वारा वर्ष 2011 में मंडी अधिनियम में संशोधन कर शब्द आढ़तिया के स्थान पर शब्द अभिकर्ता का प्रतिस्थापन करते हुए नियोक्ता की ओर से अभिकर्ता मंडी प्रांगण / उपमंडी प्रांगण में कार्य कर सकता है, संबंधी प्रावधान किया गया है और आदर्श उपविधि 2009 के अनुसार अभिकर्ता अपने नियोक्ता से 1 प्रतिशत अथवा 20 रूपये जो भी कम हो कमीशन के रूप में प्राप्त कर सकता है।
6) एकल पंजीयन :- छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) अधिनियम 2005 के द्वारा मंडी अधिनियम में संशोधन किया जाकर एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिए विशेष अनुज्ञप्ति का प्रावधान किया गया है तथा इस हेतु छ.ग. कृषि उपज मंडी (एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिए विशेष अनुज्ञप्ति) नियम, 2007 दिनांक 10 अप्रैल 2007 से लागू किये गये हैं, उक्त प्रावधान के लागू होने से कोई भी व्यक्ति एक से अधिक मंडी क्षेत्रों के लिए प्रबंध संचालक छ.ग. राज्य कृषि विपणन बोर्ड से पंजीयन प्राप्त कर एक से अधिक मंडी क्षेत्र में व्यापार कर सकता है।
7) निजी मंडी प्रांगण / निजी उपमंडी प्रांगण / निजी किसान उपभोक्ता प्रांगण : राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2015 में मंडी अधिनियम में संशोधन किया जाकर निजी मंडी प्रांगण / निजी उपमंडी प्रांगण/निजी किसान उपभोक्ता प्रांगण का प्रावधान किया है, उक्त प्रावधान के अनुसार ऐसा व्यक्ति/संगठन/किसान उत्पादक संगठन जो मंडी क्षेत्र में निजी मंडी प्रांगण/निजी उपमंडी प्रांगण / निजी किसान उपभोक्ता प्रांगण स्थापित करना चाहता है, बोर्ड से पंजीयन कर स्थापित कर सकता है।
8) सीधी खरीदी: राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2006 में मंडी अधिनियम में संशोधन कर मूलमंडी में विक्रय हेतु लायी गयी अधिसूचित कृषि उपज को मंडी प्रांगण / प्रांगणों या उपविधियों में उपबंधित अन्य स्थानों में विक्रय किये जाने संबंधी प्रावधान किया है तथा मंडी समितियों हेतु प्रभावशील आदर्श उपविधि 2009 की उपविधि 16 में यह प्रावधान किया है कि यदि कोई विक्रेता अपनी कृषि उपज को किसी कारणवश मंडी प्रांगण में नहीं ला पाता है और नमूने के आधार पर कृषि उपज का विक्रय करना चाहता है अथवा आपसी सहमति के आधार पर विक्रय करना चाहता है तो सौदा पत्रक संपादित किया जा सकता है।
लोडिंग, अनलोडिंग, ढेर लगाना, बोरों में भराई, तौलाई तथा परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान तथा विपणन प्रभार को कम करने की दृष्टि से सीधी खरीदी का प्रावधान किया गया है, इससे उत्पादक अपनी कृषि उपज को सौदा पत्रक के माध्यम से सीधे केता को विक्रय कर सकता है और विपणन प्रभार कम होने से निश्चित रूप से विक्रेता को उसकी कृषि उपज का कुछ अधिक मूल्य प्राप्त होता है।

मंडी बोर्ड प्रमुख उपलब्धियों की जानकारी –

  • हाट बाजार निर्माण : ग्रामीण अंचल में कृषि उपज के विपणन हेतु हॉट बाजारों में सुविधा विकसित करने हेतु 82 हाट बाजार लागत राशि रु. 1602.75 लाख में से 24 हाट बाजार प्रगतिरत है एवं 58 कार्य निविदा स्तर पर है।
  • सड़क एवं पुल-पुलिया निर्माण ग्रामीण सड़क एवं पुल-पुलिया हेतु 262 कार्य लागत राशि रू. 5778.50 लाख स्वीकृत की गई है। जिसमें से 24 कार्य पूर्ण, 53 कार्य प्रगतिरत है एवं 185 कार्य निविदा स्तर पर है।
  • गोदाम एवं भण्डारण क्षमता (114 कार्य स्वीकृत, लागत रु. 6355.50 लाख):-
  • कुल 114 नग गोदाम कुल क्षमता 1,48,000 मे.टन लागत राशि रू. 6355.50 लाख के कार्यों मे से 107 गोदाम पूर्ण। शेष 07 गोदाम प्रगतिरत है।
  • धान उपार्जन केन्द्रो मे शेड/200 मे.टन गोदाम/पक्के फड़/ शेड युक्त चबूतरा के 342 केन्द्रों में लागत राशि रू. 8935.03 लाख के कार्य स्वीकृत किये गये।
  • कृषि उपज मंडी समिति गण्डई में फल-सब्जी मंडी स्थापना हेतु हाईटेक थोक फल-सब्जी मंडी परियोजना लागत राशि रू. 1216.15 लाख के कार्य प्रगतिरत्।
  • कृषि उपज मंडी समिति कुनकुरी जिला जशपुर में फल-सब्जी मंडी स्थापना हेतु फल-सब्जी मंडी परियोजना लागत राशि रू. 272.16 लाख के कार्य प्रगतिरत् ।
  • कृषि उपज मंडी समिति कुसमी जिला बलरामपुर में फल-सब्जी मंडी के विपणन मूल मंडी प्रांगण में सुविधाए उपलब्ध कराये जाने हेतु परियोजना लागत राशि रू. 484.56 लाख के कार्य प्रगतिरत् ।
  • कृषि उपज मंडी समिति दुर्ग अंतर्गत कुम्हारी में थोक फल-सब्जी मंडी निर्माण कार्यों हेतु द्वितीय निविदा आमंत्रित की गयी है।
  • कृषि उपज मंडी समिति भाटापारा जिला बलौदाबाजार भाटापारा में नवीन मंडी लागत राशि रू. 5427.77 लाख के निर्माण कार्य प्रगतिरत है।
  • प्रदेश स्तर पर प्राथमिक कृषि, साख सहकारी समितियों में किसान कुटीर प्रत्येक की लागत 14. 00 लाख के कुल 587 निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गई है। जिसमे से 352 पूर्ण तथा शेष 235 प्रगतिरत।

मंडी निधि अतर्गत सी.सी. रोड, पुल-पुलिया, किसान भवन, सामूदायिक भवन, सांस्कृतिक मंच / शेड, व्यावसायिक परिसर / दुकान एवं अन्य के कुल 1003 कार्य लागत राशि रू. 11862.93 लाख के स्वीकत किये गये है।

7.11 उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी छत्तीसगढ़ राज्य में उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में वृद्धि करने हेतु उद्यानिकी विभाग द्वारा फल, सब्जी, मसाला, पुष्प एवं औषधीय पौध विकास योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही है। विभाग के अंतर्गत 136 उद्यान रोपणी तथा 02 सब्जी बीज प्रगुणन प्रक्षेत्र बाना (रायपुर) एवं राजपुर (दुर्ग) है।
7.11.1 राज्य पोषित योजनाएँ :-
फल क्षेत्र विस्तार योजना के तहत आम फल क्षेत्र विस्तार को बढ़ावा दिये जाने हेतु नाबार्ड द्वारा निर्धारित इकाई लागत राशि रू. 43750/- का 25 प्रतिशत अनुदान राशि प्रथम किस्त रू 3967.50, द्वितीय किस्त रू. 1395.00, तृतीय किस्त रू. 1635.00, चतुर्थ किस्त रू. 1897.50 एवं पंचम किस्त रू. 2042.00, इस प्रकार कुल राशि रू. 10937.50 पाँच किस्तों में दिये जाने का प्रावधान है। वर्ष 2023-24 में वित्तीय लक्ष्य राशि रू. 198.05 लाख रखा गया एवं राशि रू. 186.58 लाख व्यय हुए। वर्ष 2023-24 में 3406 हेक्टेयर आम पौध रोपण कार्य किया गया एवं वर्ष 2024-25 में योजनान्तर्गत 196.00 लाख प्रावधानित है तथा 3341.50 हेक्टेयर क्षेत्र हेतु आम पौध रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है एवं माह सितम्बर 2024 तक 3137.50 हेक्टेयर क्षेत्र में आम पौध रोपण कार्य किया गया है।

नदी कछार/तटों पर लघु सब्जी उत्पादक समुदायों को प्रोत्साहन योजना नदी कछार / तटीय क्षेत्रों में खेती करने वाले बी.पी.एल. एवं लघु सीमांत कृषकों को लाभान्वित करने की योजना है, जिसमें प्रति हितग्राही न्यूनतम 0.25 हेक्टेयर एवं अधिकतम 0.40 हेक्टेयर क्षेत्र हेतु लाभ देने का प्रावधान है। 0.40 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुमानित लागत राशि रू. 9,400.00 पर 50 प्रतिशत अधिकतम राशि रू. 4,700.00 अनुदान की पात्रता होगी। वर्ष 2024-25 में राशि रू. 191.00 लाख एवं भौतिक लक्ष्य 1625.51 हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके विरूद्ध माह सितम्बर 2024 तक 220.04 हेक्टेयर भौतिक लक्ष्यों की पूर्ति की जा चुकी है।
राज्य पोषित सूक्ष्म सिंचाई योजना यह योजना राज्य सरकार द्वारा सामान्य कृषकों को ड्रिप सिंचाई पर अनुदान देने के उद्देश्य से वर्ष 2013-14 से राज्य के संपूर्ण जिलों में लागू की गई है। योजनान्तर्गत अनुमानित लागत का लघु एवं सीमांत कृषकों को 55 प्रतिशत अनुदान एवं बडे कृषकों को 45 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। (अधिकतम रकबा 5 हेक्टेयर) योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 445.80 हे. ड्रिप प्रतिस्थापित कर 453 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। वर्ष 2024-25 में 400.00 हेक्टेयर का लक्ष्य के विरूद्ध 389.996 में ड्रिप प्रतिस्थापित्त कर 393 हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा चुका है।
कम्यूनिटि फेंसिंग योजना उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए यह योजना वर्ष 2016-17 से लागू की गई है। वर्ष 2023-24 में राशि रू. 900.00 लाख तथा 1651.81 हेक्टेयर कम्यूनिटि फेंसिंग के लक्ष्य के विरूद्ध 1620.96 हेक्टेयर कार्य राशि रू. 887.884 लाख व्यय कर सम्पादित किया गया। वर्ष 2024-25 में राशि रू. 1175.00 लाख वित्तीय तथा भौतिक लक्ष्य 2156.55 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है, जिसके विरूद्ध माह सितम्बर 2024 तक 1088.38 हेक्टेयर की पूर्ति की जा चुकी है।
सब्जी फसलों के विविधीकरण हेतु प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए यह योजना वर्ष 2017-18 से लागू की गई है। योजना अन्तर्गत मिर्च, टमाटर, अरबी एवं फुलगोभी के फसल प्रदर्शन 0.10 हेक्टेयर हेतु शत-प्रतिशत अनुदान दिया जाना प्रावधानित है। वर्ष 2023-24 में वित्तीय लक्ष्य राशि रू. 41.922 लाख एवं भौतिक 1363 प्रदर्शन का लक्ष्य रखा गया, जिसके विरूद्ध भौतिक लक्ष्य की 1363 पूर्ति की गई तथा राशि रू. 40.954 लाख व्यय हुए। वर्ष 2024-25 में वित्तीय लक्ष्य 49.962 लाख एवं भौतिक लक्ष्य 1631 प्रदर्शन निर्धारित किया गया है।
पोषण बाड़ी विकास कार्यक्रम-घर के आसपास उपलब्ध भूमि के सदुपयोग तथा पोषण स्तर में सुधार लाने और बाड़ियों से उत्पादित होने वाले सब्जियों का स्वयं के उपयोग के उपरांत सब्जियों का विक्रय कर अतिरिक्त आय सृजन को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से पोषण बाड़ी विकास कार्यक्रम लागू की गई है। योजना अन्तर्गत फल पौध, वर्मी कम्पोस्ट एवं खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसम में बीज प्रदान किये जाने हेतु राशि रू. 1000.00 प्रति बाड़ी शत्-प्रतिशत अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। वर्ष 2023-24 में वित्तीय लक्ष्य राशि रू. 1000.00 लाख एवं भौतिक 100000 बाड़ी का लक्ष्य रखा गया, जिसके विरूद्ध भौतिक लक्ष्य की 99990 पूर्ति की गई तथा राशि रू. 984.49 लाख व्यय हुए। वर्ष 2024-25 में वित्तीय लक्ष्य 1000.00 लाख एवं भौतिक लक्ष्य में 100000 बाड़ी निर्धारित किया गया है।
केन्द्र प्रवर्तित योजनाएँ –
7.11.2 एकीकृत बागवानी मिशन योजना एकीकृत बागवानी मिशन योजना उद्यानिकी के सर्वांगीण विकास हेतु फल, पुष्प, सब्जी, जड़े तथा कंद वाली फसलों, मसालें, सुगंधित पौधों, काजू, आम आदि तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु संचालित है। योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 हेतु राशि रू. 13334.00 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुई तथा राशि रू. 10007.49 लाख व्यय हुए। वर्ष 2024-25 के लिए राशि रू. 15395.65 लाख की कार्ययोजना स्वीकृत हुई है। मुख्य घटकों के अंतर्गत विवरण निम्नानुसार है।
7.11.2.1 रोपण अधोसंरचना एवं विकास :-
हाइटेक नर्सरी:-4 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हाइटेक रोपणी की स्थापना हेतु इकाई लागत रु.
100.00 लाख प्रति यूनिट है। सार्वजनिक क्षेत्रों में हाइटेक रोपणी की स्थापना पर शत-प्रतिशत अनुदान एवं निजी क्षेत्र हेतु राशि रू. 40.00 लाख अनुदान देय है। वर्ष 2023-24 में 03 हाईटेक नर्सरी शासकीय क्षेत्र में स्थापित की गई। वर्ष 2024-25 में 02 हाइटेक नर्सरी सार्वजनिक क्षेत्र में एवं 01 हाइटेक नर्सरी निजी क्षेत्र में स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
लघु नर्सरी:- 1 हेक्टे, क्षेत्रफल में लघु रोपणी की स्थापना हेतु इकाई लागत रु. 15.00 लाख प्रति यूनिट है। सार्वजनिक क्षेत्र में लघु रोपणी की स्थापना पर शत-प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र हेतु राशि रू. 7.50 लाख अनुदान देय है। वर्ष 2024-25 में 02 लघु नर्सरी सार्वजनिक क्षेत्र में एवं 02 लघु नर्सरी निजी क्षेत्र में स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
अपग्रेडिंग नर्सरी इनफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडिंग नर्सरी इनफास्ट्रक्चर स्थापना हेतु इकाई लागत रु. 10.00 लाख प्रति इकाई है। सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापना पर शत-प्रतिशत अनुदान देय है। वर्ष 2024-25 में 10 अपग्रेडिंग नर्सरी इनफ्रास्ट्रक्चर सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
सब्जी एवं मसाला बीजों का उत्पादन ओपन पॉलिनेटेड क्रॉप अन्तर्गत सब्जी एवं मसाला बीजों के उत्पादन हेतु इकाई लागत रुपये 0.35 लाख प्रति हेक्टेयर है। सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापना पर शत-प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र हेतु 0.1225 लाख अनुदान देय है। वर्ष 2023-24 में 50 हेक्टेयर सार्वजनिक क्षेत्र एवं 4 हेक्टेयर निजी क्षेत्र अन्तर्गत पूर्ण किया गया।

हाईब्रिड बीज उत्पादन अन्तर्गत सब्जी एवं मसाला बीजों के उत्पादन हेतु इकाई लागत रुपये 1. 50 लाख प्रति हेक्टेयर है। सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापना पर शत-प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र हेतु 0.53 लाख अनुदान देय है। वर्ष 2024-25 में निजी क्षेत्र में 20 हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य रखा गया है।
7.11.2.2 सब्जी क्षेत्र विस्तार योजनान्तर्गत सब्जी क्षेत्र विस्तार वर्ष 2023-24 में 11745. 91 हेक्टेयर में स्थापित किये गये तथा वर्ष 2024-25 में 3010 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है जिसके विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 1492 हेक्टेयर में क्षेत्र विस्तार कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
7.11.2.3 पुष्प विकास योजना पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 1273 हेक्टेयर क्षेत्र में पुष्प क्षेत्र विस्तार का कार्य किया गया। वर्ष 2024-25 में 1530 हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 494 हेक्टेयर में क्षेत्र विस्तार कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
7.11.2.4 मसाला, औषधीय एवं सुगंधित फसल योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में मसाला में 1458.65 हेक्टेयर तथा औषधीय एवं सुगंधित फसल 95.60 क्षेत्र विस्तार कार्य किया गया। वर्ष 2024-25 में मसाला में 710 हेक्टेयर एवं औषधीय एवं सुगंधित फसल में 75 हेक्टेयर का लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक मसाला में 310 हेक्टेयर क्षेत्र तथा औषधीय एवं सुगंधित फसल 12 क्षेत्र विस्तार विस्तार कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
7.11.2.5 काजू क्षेत्र विस्तार योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 240 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार कार्य किया गया। वर्ष 2024-25 में 150 हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 150 हेक्टेयर का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
संरक्षित खेती:- योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 80248 वर्ग मी में ग्रीन हाउस, 894296 वर्ग मी में शेडनेट हाउस एवं 3185.51 हे मे मल्विग कार्य किया गया। वर्ष 2024-25 में 58000 वर्ग मी में ग्रीन हाउस, 550000 वर्ग मी में शेडनेट हाउस एवं 1550 हे. में मल्चिंग के लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 26000 वर्ग मी में ग्रीन हाउस, 200000 वर्ग मी में शेडनेट हाउस एवं 845 हे. में मल्चिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
मधुमक्खी पालन योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 4906 हनी बी कालोनी, 4225 बी हाइव्स एवं 127 इक्यूपमेंट वितरण का कार्य किया गया। वर्ष 2024-25 में 4000 हनी बी कालोनी, 4000 बी हाइव्स एवं 182 इक्यूपमेंट लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 750 हनी बी कालोनी, 750 बी हाइव्स एवं 35 इक्यूपमेंट का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

उद्यानिकी यंत्रीकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 128 पावर नेपसेक स्प्रेयर, 2432 पावर वीडर लक्ष्य की पूर्ति की गयी। वर्ष 2024-25 में 200 पावर नेपसेक स्प्रेयर एवं 400 पावर वीडर का लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 16 पावर वीडर का लक्ष्य पूर्ण कर लिया गया है।
मानव संसाधन विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 1000 माली प्रशिक्षण, 182 किसानो का प्रशिक्षण एवं 15 किसानो का भ्रमण कराया गया। वर्ष 2024-25 में 410 माली प्रशिक्षण, 2330 किसानो का प्रशिक्षण एवं 400 किसानों का भ्रमण का लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक माली प्रशिक्षण 70. किसानो का प्रशिक्षण 640 का लक्ष्य पूर्ण कर लिया गया है।
पैक हाउस योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 443 पैक हाउस का वितरण किया गया। वर्ष 2024-25 में 500 लक्ष्य के विरूद्ध माह दिसम्बर 2024 तक 201 पैक हाउस का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
कोल्ड स्टोरेज : वर्ष 2024-25 में 8 कोल्ड स्टोरेज स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
7.12 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना केन्द्र प्रवर्तित योजना हैं,
इस योजना का उद्देश्य कम पानी से अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई करना हैं। इस योजना में लघु एवं सीमांत वर्ग के कृषकों के लिए केन्द्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा कुल 55 प्रतिशत तथा बड़े कृषकों को 45 प्रतिशत अनुदान देय होगा। शेष राशि की व्यवस्था हितग्राही स्वयं के साधन से अथवा बैंक ऋण से करता है। योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में 4855 हितग्राहियों को 5312.57 हेक्टेयर में ड्रिप तथा 2262.99 हेक्टेयर में स्प्रिंकलर प्रतिस्थापित कर 2531 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। वर्ष 2024-25 में लक्ष्य निरंक है।
7.13 राष्ट्रीय कृषि विकास योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना केन्द्र प्रवर्तित योजना है, उद्यानिकी (कृषि) के समन्वित विकास हेतु योजना संचालित है। वर्ष 2023-24 में योजना कियान्वयन हेतु राशि रू. 1360.55 लाख के विरूद्ध राशि रू. 1130.620 लाख व्यय हुए। वर्ष 2023-24 में योजनांतर्गत फलोद्यान कार्यक्रम 177.60 हेक्टेयर, सब्जी क्षेत्र विस्तार 747.00 हेक्टेयर, मसाला क्षेत्र विस्तार 66.00 हेक्टेयर, पुष्प क्षेत्र विस्तार 20.00 हेक्टेयर, शेडनेट हाउस 77908 वर्गमीटर, बैंगन एवं टमाटर पौध प्रदर्शन संख्या 267, पॉली हाउस 10600 वर्गमीटर, पैक हाउस 115। वर्ष 2024-25 में वार्षिक कार्ययोजना राशि रू. 1298.74 लाख की स्वीकृति उपरांत फल क्षेत्र विस्तार में 87.09 हेक्टेयर, सब्जी क्षेत्र विस्तार 596.09 हेक्टेयर, मसाला क्षेत्र विस्तार 68.50 हेक्टेयर, पुष्प क्षेत्र विस्तार 10 हेक्टेयर, प्रदर्शनी संख्या 742, प्लास्टिक मल्चिंग 120.70 हेक्टेयर, पैक हाउस संख्या 13, शेडनेट 12000 वर्गमीटर कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

7.14 नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल (आयल पाम) योजना यह योजना केन्द्र प्रवर्तित योजना है तथा राज्य में आयलपाम की खेती को बढ़ावा देने हेतु संचालित है। वर्ष 2024-25 हेतु राशि रू. 1300.00 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुई है। वर्ष 2023-24 में 341.48 हेक्टेयर क्षेत्र में आयलपाम पौधों रोपण का कार्य कराया गया जिस हेतु राशि रू. 161.75 लाख का व्यय किया गया है। वर्ष 2024-25 में राशि रू. 1300.00 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुई है, तथा 1800 हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पॉम रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
7.15 प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (मौसम आधारित) पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना, विपरित मौसमीय परिस्थितियों से किसानों की फसल को होने वाले नुकसान के कारण कृषकों को होने वाले आर्थिक नुकसान को दूर करने के लिए प्रारम्भ हुई है। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम कराएगी। वर्ष 2023-24 में 14735.60 हेक्टेयर प्रक्षेत्र में लगे उद्यानिकी फसलों का बीमा किया गया तथा बीमा कंपनी को राज्यांश राशि रू. 663.40 लाख भुगतान किया गया है। वर्ष 2024-25 में राज्य बजट में राज्यांश राशि रू. 7000.00 लाख प्रावधानित है।
7.16 एन.एम.एस.ए. अंतर्गत पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन यह केन्द्र प्रवर्तित योजना है। योजना का उद्देश्य कृषकों के अतिरिक्त आय हेतु गैर वन सरकारी एवं निजी भूमि में बांस का क्षेत्र विस्तार कर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना एवं कृषकों के प्रक्षेत्र में उत्पादित बांस के बेहतर मूल्य हेतु मूल्य संवर्धन के कार्य तथा उत्पादित बांस को लंबे समय तक सुरक्षित रखने हेतु प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है साथ ही बांस के विभिन्न मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने हेतु कारीगरों को नवीन तकनीकी का प्रशिक्षण एवं बांस के बाय प्रोडक्ट बनाने वाले कारीगरों को नवीन मशीन उपकरण हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। वर्ष 2023-24 में कुल 200 हे. के लक्ष्य के विरूद्ध 187.00 हेक्टेयर में कुल 1047 कृषकों के प्रक्षेत्र पर बांस रोपण का कार्य कराया गया। वर्ष 2023-24 में एसएमए खाते में उपलब्ध राशि के विरूद्ध राशि रू. 87.689 लाख के विरूद्ध राशि रू. 81.572 लाख व्यय हुआ। वर्ष 2024-25 में कृषकों के प्रक्षेत्र पर ब्लॉक / बाउण्ड्री प्लांटेशन हेतु 691.00 हेक्टेयर एवं पंचायत की भूमि में हाईडेंसिटी बांस रोपण हेतु 4.00 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है।


जल संसाधन

7.17.1 भौगौलिक विवरण एवं उपलब्ध जल छत्तीसगढ़ राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 137.90 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से लगभग 44.57 प्रतिशत वनाच्छादित है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य कृषि प्रधान राज्य है। राज्य में कुछ वृष्टिछाया प्रभावित खण्डों को छोड़कर अधिकतम भाग जल संसाधन से संपन्न है।
प्रदेश में विभिन्न स्त्रोतों से सतही जल की मात्रा 48296 मि.घ.मी. है, जिसमें से 41720 मि.घ.मी. जल उपयोग में लाया जा सकता है। केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भूगर्भीय जल की मात्रा 11630 मि.घ.मी. है। अभी तक भूगर्भीय जल का लगभग 49.50% उपयोग में लाया जा रहा है। प्रदेश के कुल 146 विकासखण्ड में से वर्ष 2017 के आंकलन के अनुसार 116 विकासखण्ड भू-जल की दृष्टि से सुरक्षित श्रेणी तथा 24 विकासखण्ड आंशिक संकटपूर्ण श्रेणी में है। 06 विकासखण्ड संकटपूर्ण श्रेणी में आंकलित है।
7.17.2 सुजित सिंचाई क्षमता सिचाई के मुख्य साधन जलाशय, व्यपवर्तन, एनीकट / स्टॉपडेम एवं नलकूप आदि है। राज्य गठन के समय प्रदेश में निर्मित 03 वृहद, 29 मध्यम एवं 1945 लघु सिंचाई योजनाओं से कुल 13.28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता सृजित थी, जो वर्तमान में (सितंबर 2024 तक) 21.76 लाख हेक्टेयर हो गई है। इस तरह राज्य निर्माण के पश्चात कुल 8.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता की वृद्धि हुई। वर्तमान में प्रदेश की सिंचाई का प्रतिशत 39.27 (21.76/55.40 X 100) हो गया है। आगामी वर्षों में राज्य के कुल बोये गये क्षेत्र का 75 प्रतिशत अर्थात करीब 43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सतही जल से सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है।
7.17.3 निर्मित एवं निर्माणाधीन योजनाएं वर्तमान में 08 वृहद, 38 मध्यम, 2514 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 30 नलकूप योजना एवं 897 एनीकट / स्टॉपडेम निर्मित हैं। जबकि 04 वृहद, 0 मध्यम एवं 365 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 01 नलकूप योजना एवं 292 एनीकट / स्टॉपडेम निर्माणाधीन है।
7.17.3.1 वृहद निर्माणाधीन परियोजनाएं:-
1.
अरपा भैंसाझार परियोजना यह योजना बिलासपुर जिले के कोटा विधानसभा के अंतर्गत कोटा विकासखण्ड में ग्राम भैंसाझार के समीप अरपा नदी पर स्थित है। परियोजना की वर्तमान लागत रू. 1141.90 करोड़ है। योजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है। योजना से बिलासपुर जिले के कोटा, बिल्हा एवं तखतपुर विकासखण्डों के अंतर्गत 102 ग्राम लाभान्वित होंगे। इस योजना के पूर्ण होने से लगभग 25,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। इससे नवंबर 2024 तक लगभग 13,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ है। वर्ष 2024-25 में नवंबर-2024 तक 12000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई। योजना को जून 2025 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य है।
2. राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तनः राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तन योजना के प्रथम चरण में 2000 हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित की जा चुकी है। योजना के द्वितीय चरण में 28,000 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ सिंचाई हेतु लगभग 70 कि.मी. लंबाई की मुख्य नहर के निर्माण हेतु रू. 114.45 करोड़ की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त है। इस वर्ष योजनओं से 920 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई उपलब्ध कराई गई है।
7.17.4 प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत भारत सरकार द्वारा चिन्हांकित 99 महत्वपूर्ण योजनाओं में प्रदेश की प्रमुख 03 योजनाएं यथा केलो वृहद सिंचाई परियोजना, खारंग सिंचाई परियोजना एवं मनियारी सिंचाई परियोजना शामिल की गई है। केलो परियोजना, खारंग एवं मनियारी जलाशय में क्रमशः 22,810 हेक्टेयर, 8,300 हेक्टेयर तथा 11,515 हेक्टेयर क्षेत्र में CADWM के कार्य प्रस्तावित है जिनकी लागत क्रमशः रु. 81.41 करोड़, रु. 32.97 करोड तथा रु. 45.89 करोड है जिसके विरूध्द माह सितबर 2024 तक खारंग में 13.34 करोड़ एवं मनियारी में 19.47 करोड़ व्यय किया जा चुका है तथा केलो परियोजना में नवंबर 2024 तक की स्थिति में 6.18 करोड़ किया जा चुका है।
7.17.5 सूक्ष्म सिंचाई एवं सोलर सूक्ष्म सिंचाई योजना प्रदेश की विभिन्न नदियों/नालों पर विभाग द्वारा एनीकट एवं व्यपवर्तन योजनाएं निर्मित की गई है। उपलब्ध जल के समुचित उपयोग किये जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये सूक्ष्म सिंचाई एवं सोलर सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के क्रियान्वयन की कार्य योजना बनायी गई है। विभाग में निर्मित एनीकट में से वर्ष 2023-24 तक प्रस्तावित 102 सूक्ष्म एवं 71 सोलर सूक्ष्म सिंचाई योजना कुल 173 योजनाओं में से 17 सूक्ष्म एवं 19 सोलर सूक्ष्म सिंचाई योजना कुल 36 योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त है एवं 14 योजनाओं का कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2024-25 में प्रस्तावित 16 सूक्ष्म एवं 10 सोलर सूक्ष्म कुल 26 योजनाओं हेतु रु. 13545.00 लाख का बजट प्रावधान है। इन 36 स्वीकृत योजनाओं (सूक्ष्म सिंचाई योजना 16 तथा सोलर सूक्ष्म सिंचाई योजना 19) से 11045 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित होगी।
7.18 मिनीमाता (हसदेव) बांगो परियोजना मिनीमाता (हसदेव) बांगो परियोजना एक बहुउद्देशीय वृहद सिंचाई परियोजना है, जो हसदेव नदी पर कोरबा जिले के बांगो ग्राम के पास निर्मित है। बांध के 42 कि.मी. नीचे कोरबा के पास बैराज का निर्माण किया गया है। वर्तमान में बांध का शत-प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। परियोजना से कोरबा, जांजगीर-चांपा एवं रायगढ़ जिले के लगभग 923 ग्राम सिंचाई सुविधा से लाभान्वित है। परियोजना की निर्मित सिंचाई क्षमता 2.47,616 हेक्टेयर खरीफ एवं 1,73,180 हेक्टेयर रबी कुल 4,20,796 हेक्टेयर है। परियोजना अंतर्गत कोरबा जिले की 10,147 हेक्टेयर, जांजगीर-चांपा जिले के 22802.90, सक्ती जिले के 162371 हेक्टेयर तथा रायगढ़ जिले के 20.249 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का लाभ उपलब्ध कराना निर्धारित है। योजना से वर्ष 2007 से ही पूर्ण सिंचाई क्षमता 4,20.580 हेक्टेयर (खरीफ 2.47.400 हेक्टेयर एवं रबी 1,73,180 हेक्टेयर) निर्मित की जा चुकी है। बांगो जलाशय से औद्योगिक जल प्रदाय हेतु 296.891 मि.घ. मी. तथा कोरबा नगर निगम को पेयजल हेतु 14 मि.घ.मी. वार्शिक जल प्रदाय किया जाना प्रावधानित है।
वर्ष 2023-24 में बांगो परियोजना से खरीफ सिंचाई हेतु 2,47,400 हेक्टेयर सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरुद्ध अंतिम खरीफ प्रतिवेदन के अनुसार 238961 हेक्टेयर भूमि में खरीफ सिंचाई एवं 37239 हेक्टेयर भूमि में रबी कुल 276200 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की गयी। वर्ष 2024-25 में खरीफ सिंचाई हेतु निर्धारित लक्ष्य 247400 के विरूध्द अंतरिम सिंचाई प्रतिवेदन अनुसार माह नवंबर तक 239003 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई।
7.19 केलो परियोजना केलो परियोजना रायगढ़ शहर से 8 कि.मी. की दूरी पर रायगढ़-अंबिकापुर राजमार्ग पर ग्राम दनौट में केलो नदी पर प्रस्तावित है। इस बांध के निर्माण से रायगढ़ एवं जांजगीर-चांपा जिले (रायगढ़, खरसिया, सरिया एवं चंद्रपुर विधान सभा क्षेत्र) के 175 ग्रामों की 24,396 हेक्टेयर भूमि में से 22,810 हेक्टेयर खरीफ की सिंचाई सुविधा के साथ-साथ रायगढ़ शहर को पेयजल हेतु 4.44 मि.घ.मी. तथा परियोजना से औद्योगिक उपयोग हेतु 4.44 मि.घ.मी. वार्षिक जल प्रदाय किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे जून 2025 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है।
केलो परियोजना की रुपांकित सिंचाई क्षमता 22,810 हेक्टेयर है। नवंबर 2024 तक 17,972 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित किया जा चुका है तथा शेष 4838 हेक्टेयर जून 2025 तक निर्मित किया जाना प्रस्तावित है। माह नवंबर 2024 तक केलो परियोजना के शीर्ष एवं नहर कार्यों की भौतिक प्रगति कमशः 99% एवं 85% प्राप्त की जा चुकी है। इस वर्ष 2024-25 में खरीफ सिंचाई हेतु 11000 हेक्टेयर क्षेत्र में जल प्रदाय लक्ष्य के विरूध्द 8499 हेक्टेयर क्षेत्र में अंतरिम सिंचाई की गई।
7.20 सिध्द बाबा जलाशय के भगीर्श एवं नहरो का निर्माण कार्य :-
सिध्दबाबा लघु जलाशय योजना नव निर्मित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के तहसील एवं विकासखंड छुईखदान के ग्राम उरतुली के समीप लमती नदी पर प्रस्तावित है। योजना की प्रशासकीय स्वीकृति लागत् रू0 220.07 करोड़, छत्तीसगढ़ शासन, जल संसाधन विभाग के पत्र क्रमांक 1275/एफ-1-94/31/एस-2/2021 अटल नगर, दिनांक 09.03.2022 द्वारा प्रदान की गई है। सिध्दबाबा जलाशय की कुल जल भराव क्षमता 9.496 मि.घ.मी. है।
जलाशय के निर्माण से विधानसभा-खैरागढ़ के 19 ग्राम, 885 हेक्टेयर, जिला बेमेतरा के अंतर्गत विधानसभा-साजा के 11 ग्राम 820 हेक्टेयर एवं जिला-दुर्ग के अंतर्गत विधानसभा-साजा के 04 ग्राम 135 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 34 ग्रामों के 1840 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त 03 विकासखंडो के निर्मित 23 लघु जलाशयों को पानी की पूर्ति की जा सकेगी।


पशुधन

7.21 छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश ग्रामीण परिवारों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है। 20वीं पशु संगणना अनुसार राज्य में 1.59 करोड़ पशुधन तथा 1.87 करोड़ कुक्कुट एवं बतख पक्षीधन है। राज्य में देशी नस्ल के पशुओं की दुग्ध उत्पादन की क्षमता में वृध्दि की दृष्टि से पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत उन्नत नस्ल के सांडों के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान एवं उन्नत नस्ल के सांडों से प्राकृतिक गर्भाधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। पशुधन विकास विभाग की विभागीय कार्यक्रमों, योजनाओं का संक्षिप्त ब्यौरा निम्नानुसार है:-

21.1 गाँवंशीय एवं भैंसवंशीय पशु विकास 20वीं पशु संगणना अनुसार राज्य में गौवंशीय एवं भैसवंशीय प्रजनन योग्य मादा पशुओं की संख्या 36.75 लाख है। वर्ष 2024-2025 में उन्नत पशु प्रजनन सुविधा हेतु कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र की संख्या 22 कृत्रिम गर्भाधान उपकेन्द की संख्या 246 पशु चिकित्सालय 363 पशु औषधालय 847 मुख्य ग्राम खण्ड 10 मुख्य ग्राम खण्ड ईकाई 98 कार्यरत है।

वर्ष 2023-24 में संस्थाओं द्वारा 5.96 लाख पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं। आलोच्य अवधि में कृत्रिम गर्भाधान से 1.92 लाख वत्सोत्पादन, 26.72 लाख पशुओं का उपचार, 36.21 लाख पशुओं को औषधि प्रदाय, 4.94 लाख पशुओं में बधियाकरण कार्य किया गया है।
वर्ष 2024-2025 में सितम्बर 2024 तक 2.93 लाख पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराई गई जिससे 0.88 लाख वत्सोत्पादन हुआ। 13.01 लाख पशुओं का उपचार, 15.89 लाख पशुओं को औषधि प्रदाय, 1.22 लाख पशुओं में बधियाकरण कार्य किया गया है।
7.21.2 बकरी विकास प्रदेश में 20वीं पशु संगणना के अनुसार 40.05 लाख बकरे बकरियों है। प्रदेश में कार्यरत प्रक्षेत्रो के अंन्तर्गत अधिक उत्पादन वाली नस्लों का प्रजनन किया जाता है। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में स्थानीय बकरियों के नस्ल सुधार हेतु उन्नत नस्ल के ग्रेडेड नस्ल का बकरा विभागीय व्यक्तिमूलक योजना में (विशेष घटक योजनांतर्गत) अनूसचित जाति वर्ग के एवं (आदिवासी उपयोजनांतर्गत) अनुसूचित जनजाति वर्ग के तथा सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को अनुदान पर प्रजनन योग्य बकरों का वितरण किया जाता है। वर्ष 2023-24 में योजनांतर्गत राशि रू. 80. 00 लाख में से राशि रु 79.91. लाख ब्यय कर कुल 2076 बकरों का वितरण किया गया। वर्ष 2024-25 में योजनांतर्गत माह सितम्बर 2024 तक राशि रु 80.00 लाख मे से राशि रु 18.74 लाख ब्यय कर 443 बकरों का वितरण किया गया।
प्रदेश में बकरी पालन को बढ़ावा दिये जाने हेतु दो नवीन बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र की स्थापना ग्राम सरोरा जिला रायपुर तथा रामपुर (ठाठापुर) जिला कबीरधाम में की गई है।
7.21.3 सूकर विकास 20वीं पशु संगणना के अनुसार राज्य में 5.27 लाख सूकर है। सूकर नस्ल सुधार हेतु चयनित सूकर पालकों को वर्ष 2023-24 में अनुदान पर सूकरत्रयी (2) मादा 1 नर सूकर) वितरण हेतु राशि रू.90.00 लाख आबंटन अन्तर्गत लक्ष्यित 999 सूकरत्रयी के विरुध्द राशि रू. 89.52 लाख ब्यय कर 999 सूकरत्रयी प्रदाय किया गया। योजना अन्तर्गत सितम्बर 2024 तक प्राप्त वित्तीय लक्ष्य 90.00 लाख में से 22.73 लाख व्यय कर 252 हितग्राहियों का वितरण किया गया।
प्रदेश में सूकर पालन को बढ़ावा दिये जाने हेतु सकालो जिला अम्बिकापुर एवं परचनपाल जिला जगदलपुर में सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र संचालित है। जिसमें लार्ज व्हाइटयार्कशायर, रशियन चरमुखा नस्ल के सुकरों का प्रजनन किया जा रहा है। एक नवीन सूकर पालन प्रक्षेत्र की स्थापना कुनकुरी जिला जशपुर में प्रगति पर है।
21.4 शत-प्रतिशत अनुदान पर सांडों का प्रदाय प्रदेश में वर्ष 2006-07 से पशु नस्ल के उन्नयन हेतु ऐसे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कृत्रिम गर्भाधन की सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां पर ग्राम पंचायतों के माध्यम से उन्नत प्रगतिशील किसान / गौसेवक को शत्-प्रतिशत अनुदान पर सांड प्रदाय करने की योजना प्रारंभ की गयी हैं। वर्ष 2023-24 में शत्-प्रतिशत अनुदान पर साड़ वितरण हेतु कुल राशि रु. 75.00 लाख आबंटन अन्तर्गत लक्ष्यित 214 साड़ों का वितरण किया गया हैं। वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर 2024 तक राशि रू. 81.00लाख में से राशि रू. 12.93 लाख व्यय कर 53 सांडों का वितरण किया गया है, शेष सांड़ों के वितरण कार्य प्रगति पर है।

7.21.5 कुक्कुट विकास 20वीं पशु संगणना के अनुसार कुल 187.12 लाख कुक्कुट एवं बतख पक्षी हैं। प्रदेश में 07 शासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र एवं 02 बतख पालन प्रक्षेत्र स्थापित हैं। इन प्रक्षेत्रों पर उत्पादित रंगीन चूजों का वितरण बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजनांतर्गत आहार एवं औषधि सहित घर तक परिवहन पश्चात् सभी वर्ग के हितग्राहियों को प्रदाय किया जाता हैं। योजनांतर्गत कुक्कुट चूंजों के अलावा बतख एवं बटेर चूजों का भी प्रदाय किया जाता है। वर्ष 2022-23 में बैकयार्ड कुक्कुट इकाई वितरण योजनांतर्गत राशि रू. 517.00 लाख आबंटन अंतर्गत राशि रू. 516.43 लाख व्यय कर कुल 19953 हितग्राहियों को योजनान्तर्गत लाभान्वित किया गया है।

वर्ष 2023-24 में माह सितम्बर 2023 तक राशि रु. 518.00 लाख आबंटन अंतर्गत राशि रू. 197.19 लाख व्यय कर 7582 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। वर्तमान शेष बैकयार्ड कुक्कुट इकाईयों का वितरण शासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्रों से एवं अन्य शासकीय संस्थानो से किया जा रहा है।
7.21.6 उन्नत मादा वत्सपालन योजना इस योजना का लाभ सभी वर्ग के हितग्राहियों को दिया जाता है, ताकि उन्नत नस्ल के वत्सपालन में अभिरूचि उत्पन्न हो। वर्तमान में सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिये रू. 15000/- एवं अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों के लिये रू. 18000/- उन्नत नस्ल की बछिया हेतु 4 से 24 माह तक की आयु के लिये पशु आहार हेतु अनुदान का प्रावधान है। वर्ष 2023-24 में योजना अन्तर्गत राशि रू. 275.00 लाख आबंटन मे से राशि रू.270.64 लाख व्यय कर 1592 हितग्राहियों को योजना अन्तर्गत लाभान्वित किया गया ।
वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर 2024 तक राशि रू. 250.00 लाख आबंटन में से राशि रू. 55. 22 लाख व्यय कर 321 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है।

7.21.7 प्रायवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता प्रशिक्षण योजना राष्ट्रीय कृषि आयोग की अनुशंसा अनुसार राष्ट्रीय गौवंशीय, भैसवंशीय परियोजनान्तर्गत प्रत्येक 1200 पशुओं पर एक कृत्रिम गर्भाधान ईकाई की आवश्यकतानुरूप, स्वरोजगारोन्मुखी प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता प्रशिक्षण योजना का कियान्वयन वर्श 2005-06 से किया जा रहा है। जिसमें प्रशिक्षित गौ सेवको, स्थानीय बेरोजगार को एक माह का सैद्यान्तिक एवं व्यावहारिक तथा 3 माह का क्षेत्रीय / प्रशिक्षण देकर कृत्रिम गर्भाधान का कार्य कराया जा रहा है।
वर्ष 2024-2025 सितम्बर तक कुल 2438 प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता / मैत्री प्रशिक्षित कर पंजीयन किया गया है जिसमें 947 कार्यरत है। इन्हे निःशुल्क औजार, उपकरण प्रदाय कर नियमित रूप से तरल नत्रजन एवं स्ट्रा प्रदाय की व्यवस्था नजदीकी विभागीय संस्था के माध्यम से की जा रही है तथा प्रत्त्येक वत्सोत्पादन पर 04 चरणों में रू. 1200 मानदेय देने का प्रावधान है।
7.21.8 पशुधन मित्र योजना पशुधन मित्र (गौसेवक / प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कायकर्ता, मैत्री) को जीविकोपार्जन एवं वार्ड में रूचि की निरन्तरता बनाने हेतु पशुओं में टीकाकरण, शिविर आयोजन में भाग लेने हेतु प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। वर्श 2023-24 में योजनांतर्गत राशि रू. 330.00 लाख के आंबटन से राशि रूपये 327.02 लाख का मानदेय दिया गया। वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर 2024 तक राशि रू. 330.00 लाख आबंटित मे से रू. 103.08 लाख का मानदेय भुगतान पशुधन मित्रों को किया गया है।
7.21.9 ग्रामोंत्थान योजना राज्य में पशु नस्ल सुधार द्वारा कृषको की आमदनी में वृध्दि करने तथा कृषि कार्यों के लिये उन्नत नस्ल के सक्षम व ताकतवर पशुओं के विकास के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा पशु नस्ल सुधार योजनायें चलाई जा रही है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये पशु पालकों सहित गरीब चरवाहों को भी पशुधन विकास और पशुओं पर आधारित आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने, राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2006-07 से ग्रामोंत्थान योजना प्रारंभ किया गया है। योजना प्रारंभ से अब तक कुल 10,129 चरवाहो का पंजीयन किया गया है। योजना का उद्देश्य पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान हेतु आवश्यक सूचना तंत्र को सुदृढीकरण के लिये, चरवाहों को पशुपालन विभाग की आवश्यक कड़ी के रुप में जोड़ना है। वर्ष 2023-24 में ग्रामोत्थान योजना मद में प्रावधानित राशि रु. 20.00 लाख में से प्रोत्साहन राशि रू. 15/- प्रति कृत्रिम गर्भाधान एवं 15/- प्रति बधियाकरण के कार्य में सहयोग करने हेतु चरवाहों को कुल 1,15.841 कृत्रिम गर्भाधान / बधियाकरण के फलस्वरूप राशि रू. 17.38 लाख प्रदाय किया गया है।
वर्ष 2024-25 में कुल 1.33 लाख कृत्रिम गर्भाधान / बधियाकरण कार्य का लक्ष्य के विरूद्ध राशि रु. 20.00 लाख प्रावधानित है। जिसमें सितम्बर 2024 तक राशि रु. 1.70. लाख व्यय किया गया है।

7.21.10 छत्तीसगढ़ राज्य पशुधन विकास अभिकरण छत्तीसगढ़ राज्य में पशु संवर्णन की राष्ट्रीय गौवंशीय-भैंसवंशीय पशु प्रजनन परियोजना के संचालन व नियंत्रण हेतु राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य पशुधन विकास अभिकरण की स्थापना जून, 2001 में की गई है। छत्तीसगढ़ राज्य पशुधन विकास अभिकरण मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अधीन पंजीकृत है। भारत सरकार पशुपालन एवं डेयरी विभाग की केन्द्रीय क्षेत्रक योजनाओं जैसे राश्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM), राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान (NAIP), त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम (ABIP-SS), नेशनल लाइवस्टाक मिशन (NLM), केन्द्रीय वीर्य संग्रहालय अंजोरा का सुदृढ़ीकरण एवं ETT/IVF सेन्टर की स्थापना का राज्य में क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा किया जाता है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन वर्ष 2018-19 में राशि रु. 1920.60 लाख एवं वर्ष 2020-21 में राशि रु. 101.25 लाख, ETT/IVF सेन्टर की स्थापना वर्ष 2018-19 में राशि रू. 304.00 लाख त्वरित नस्ल सुधार (ABIP-SS) वर्ष 2021-22 में राशि रू. 841.65 लाख तथा राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (NAIP) वर्ष 2019-20 में राशि रू. 1019.79 लाख एवं वर्ष 2022-23 में राशि रू. 402.00 लाख प्राप्त हुआ है, जिसका क्रियान्वयन वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में किया जा रहा है। योजनान्तर्गत मुख्य उपलब्धियां निम्नानुसार है:-
राष्ट्रीय गोकुल मिशन –
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अन्तर्गत ग्राम झालम जिला बेमेतरा में संस्थागत गोकुल ग्राम की स्थापना हेतु वर्ष 2020-21 में राशि रू. 657.00 लाख छ.ग. राज्य गौ सेवा आयोग तथा ग्राम नगोई जिला बिलासपुर में पशु प्रजनन प्रक्षेत्र की स्थापना हेतु राशि रू. 454.60 लाख संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवायें बिलासपुर को प्रदाय किया गया हैं, जिसमें अधोसंरचना निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है तथा पशु एवं उपकरण क्रय की कार्यवाही चल रही है।
मानव संसाधन विकास हेतु, विभागीय 184 पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ व गैर विभागीय क्षेत्र के 283 PAIW/MAITRI कार्यकर्ताओं को प्रदायित कृत्रिम गर्भाधान का रिफ्रेशर प्रशिक्षण के फलस्वरूप प्रतिवर्ष उन्नत / संकर नस्ल की दुधारू गायों की संख्या में वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप राज्य में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही है।
National Artificial Insemination Programme (NAIP-IV), राष्ट्रीय गोकुल मिशन अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नस्ल सुधार कार्यक्रम है। भारत सरकार के द्वारा जारी मार्गदर्शिका अनुसार राज्य के समस्त जिलों में दिनांक 01 अगस्त, 2022 से आज दिनांक तक संचालित है जिसमें कार्यक्रम अंतर्गत 10.05 लाख कृत्रिम गर्भाधान हुआ है तथा 1.99 लाख वत्स पैदा हये है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के Accelerated Breed Improvement Programme Using Sex sorted semen (ABIP-SS) वर्ष 2022-23 से क्रियान्वयन किया जा रहा है। कार्यक्रम अंतर्गत सेक्स सार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है, जिसमें 90 प्रतिशत केवल मादा वत्स उत्पन्न होने की संभावना है।
कार्यक्रम अंतर्गत 1,01,228 सेक्स सार्टेड सीमेन डोज उत्तराखण्ड लाईवस्टॉक डेव्लपमेंट बोर्ड से क्रय कर जिलो को प्रदाय किया गया है। राज्य के 31 जिलों से प्राप्त 533 कुशल ए.आई. टैक्नीशियन (VAS/AVFO/PAIW/MAITRI) (जिनका कृत्रिम गर्भाधान में Conception rate 35% से अधिक है) एवं जिले के नोडल अधिकारी को Sex sorted semen से कृत्रिम गर्भाधान कार्य हेतु ULDB के विशेषज्ञों के द्वारा एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। कार्यक्रम अंतर्गत अक्टूबर 2024 की स्थिति में 19,109 कृत्रिम गर्भाधान हुआ है तथा 2,982 मादा वत्स पैदा हुये है।
> राष्ट्रीय गोकुल मिशन वर्ष 2024-25 हेतु राशि रू. 4019.33 लाख का वार्षिक कार्य योजना (Annual Action Plan) भारत सरकार को प्रेषित किया गया है।
गुणवत्ता परीक्षण उपरांत हिमीकृत वीर्य प्रदाय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये वीर्य संग्रहालयों का सुदृढ़ीकरण अन्तर्गत 08 High Genetic Merit (HGM) Bulls बीडज गुजरात से केन्द्रीय वीर्य संग्रहालय अंजोरा में लाया गया है।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन / नेशनल लाईवस्टॉक मिशन अन्तर्गत उद्यमिता विकास कार्यक्रम (NLM-EDP)
> भारत सरकार पशुपालन एवं डेयरी विभाग, द्वारा 2021 में शुरू की गई नई योजना है। योजना अन्तर्गत हैचरी सहित ग्रामीण मुर्गीपालन, भेड़ और बकरी पालन, सूअर पालन, पशु चारा मूल्य संवर्धन इकाइयों जैसे साईलेज/फौडर ब्लाक / संपूर्ण मिश्रित पशु आहार क्षेत्र में उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिये परियोजना की स्थाई लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान है।
छ.ग. शासन द्वारा योजना के राज्य में सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु छ.ग. राज्य पशुधन विकास अभिकरण को राज्य क्रियान्वयन ऐजेंसी (SIA) नियुक्त करते हुये योजनांतर्गत प्रस्ताव बनाने, रूचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित करने, ऑनलाईन प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी कर अनुदान स्वीकृति एवं विमुक्ति हेतु कार्यवाही करने के साथ साथ परियोजनाओं की मॉनिटरिंग का दायित्व दिया गया है। तदानुसार छ.ग. राज्य पशुधन विकास अभिकरण द्वारा आमंत्रित रूचि की अभिव्यक्ति उपरांत राज्य से एन.एल.एम्. पोर्टल में प्राप्त आवेदनों पर की गई कार्यवाही का विवरण निम्नानुसार है –

वर्श 2023-24 से अद्यतन प्राप्त आवेदनों पर भारत सरकार द्वारा अनुदान की स्वीकृति एवं विमुक्ति की गई राशि

भारत सरकार द्वारा परियोजना अन्तर्गत स्वीकृत अनुदान दो चरणों में विमुक्त किया जाता है:-
1) परियोजना स्थापना की अधोसंरचना का 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर राज्य क्रियान्वयन एजेंसी द्वारा भौतिक सत्यापन उपरांत स्वीकृत अनुदान की 50 प्रतिशत राशि प्रथम चरण (1 Milestone) में विमुक्त की जाती है।
2) विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन एवं योजना की मार्गदर्शिका अनुसार परियोजना पूर्ण होने के बाद जिला अधिकारी द्वारा स्थापित परियोजना एवं उद्यमी द्वारा उपयोगित राशि के बिल / बाऊचर सहित सत्यापन कार्य पूर्ण होने के उपरांत स्वीकृत अनुदान की शेश 50 प्रतिशत राशि द्वितीय चरण (20 Milestone) में भारत सरकार द्वारा विमुक्त की जाती है।
7.21.11 पशुरोग नियंत्रण परियोजना (एस्काड) केन्द्र प्रवर्तित योजना लाइवस्टाक हेल्थ एण्ड डिसिज कण्ट्रॉल अन्तर्गत एस्काड संचालित है जिसके अंतर्गत प्रमुख रोगों के प्रतिबंधात्मक टीकाकरण, पशुउपचार शिविर, प्रशिक्षण, कार्यशाला का आयोजन, पशु पालकों/ किसानो के मध्य पशु पालन से संबंधित प्रचार-प्रसार कार्य अनुसंधानों एवं प्रयोगशालओं का उन्नयन / सुदृढिकरण किया जाता है। वर्श 2023-24 में राशि रू. 316.62 लाख का व्यय किया गया है एवं 246.63 लाख पशु-पक्षियों में टीकाकरण किया गया। वर्ष 2024-25 में राशि रूपये 1391.28 लाख की कार्य योजना स्वीकृत हुई एवं सितम्बर 2024 तक 117.93 लाख पशु-पक्षियों में टीकाकरण किया गया।
7.21.12 ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम Livestock Health and Disease Control Programme (LH&DCP) ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम अन्तर्गत 4 से 8 माह उम्र के मादा वत्स (बछिया/पडिया) को ब्रुसेलोसिस रोग से बचाने हेतु प्रतिबंधात्मक टीकाकरण कार्य किया जाता है। वर्ष 2023-24 में 4.49 लाख पशुओं में टीकाकरण किया गया है। वर्ष 2024-25 माह सितम्बर 2024 तक 2.87 लाख पशुओं में ब्रुसेलोसिस टीकाकरण किया गया है।
7.21.13 मुंहपका खुरपका रोग नियंत्रण कार्यक्रमः Livestock Health and Disease Control Programme (LH&DCP) कार्यक्रम अन्तर्गत राज्य में एफ.एम.डी. रोग की रोकथाम हेतु वर्ष 2019-20 में एफ.एम.डी. मुक्त भारत अभियान की शुरूआत की गई, जिसके तहत एफ.एम.डी. रोग की रोकथाम हेतु गाँवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं में सघन टीकाकरण कार्य किया जाता है। वर्ष 2023-24 में 91.07 लाख पशुओं में टीकाकरण किया गया है एवं वर्ष 2024-25 में 89.95 लाख पशुओं में टीकाकरण किय गया है।
7.21.14 पी.पी.आर नियंत्रण कार्यक्रम (PPR, CP):- Livestock Health and Disease Control Programme (LH&DCP) कार्यक्रम अन्तर्गत प्रदेश में भेंड एवं बकरियों को पी.पी.आर रोग के नियंत्रण हेतु टीकाकरण किया जाता है। वर्ष 2023-24 में भेंड़ एवं बकरियों में 37.80 लाख टीकाकरण किया गया एव वर्ष 2024-25 में 32.53 लाख भेंड एवं बकरियों में टीकाकरण किया गया ।
7.21.15 सी.एस.एफ.सी.पी नियंत्रण कार्यक्रम Classical Swin Fever Control Programme (CSF-CP) अन्तर्गत प्रदेश में सूकरों में वायरस जनित संक्रमण रोग के नियंत्रण हेतु टीकाकरण किया जाता है। कार्यक्रम अन्तर्गत वर्ष 2024-25 में माह सितम्बर 2024 तक 1.90 लाख सूकरों का टीकाकरण किया गया।

7.21.16 नेशनल लाइवस्टाक मिशन योजना (एन.एल.एम.) नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (एन. एल.एम.) वर्ष 2014-15 से प्रारंभ केन्द्र प्रवर्तित योजना है. जिसमें केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 तथा 100:00 है। वर्ष 2021-22 में भारत सरकार द्वारा योजना के स्वरूप में परिवर्तन किया गया है जिसका उद्देश्य छोटे रूमन्थी पशु जैसे भेड़-बकरी, सूकर एवं कुक्कुट पालन तथा चारा विकास के उद्यमिता विकास कर आय का साधन सृजित करना है। नवीन नेशनल लाइवस्टॉक मिशन अन्तर्गत पशुधन विकास, फीड एंड फॉडर विकास, नवाचार एवं विस्तार सब मिशन शामिल है।
नेशनल लाइवस्टॉक मिशन (NLM) योजनान्तर्गत वर्ष 2023-24 में राशि रू. 75.00 लाख केन्द्रांश राशि प्राप्त हुआ है। योजनान्तर्गत वर्ष 2024-25 में राशि रू. 2872.61 लाख का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेशित किया गया है बंटन अप्राप्त है।
7.21.17 पशु उत्पाद उपलब्धता वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य में दूध, अण्डा, ऊन एवं मांस के उत्पादन अनुमान हेतु, 28 जिलों में एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण कार्यक्रम अंतर्गत कुल चयनित 2567 ग्रामों/वार्डों का प्राथमिक सर्वेक्षण तथा प्राथमिक सर्वेक्षण मे से चयनित कुल 840 ग्रामों / वार्डों का विस्तृत सर्वेक्षण कार्य कराया गया है। एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में दुग्धोत्पादन 2128 हजार टन, अण्डा उत्पादन 23605 लाख अण्डे एवं मांस उत्पादन 57.54 हजार टन पूर्वानुमानित है। वर्ष 2023-24 के एकीकृत न्यादर्श सर्वेक्षण अनुसार राज्य में प्रतिव्यक्ति उपलब्धता दूध मे 193 ग्राम प्रतिदिन, अण्डे में 78 अण्डा वार्षिक, एवं मांस में 1.900 कि.ग्रा. वार्षिक पूर्वानुमानित है।
7.21.18 डेयरी उद्यमिता विकास योजनाः राज्य में डेयरी उद्यमिता की अपार संभावनाओं को देखते हुए अधिक से अधिक हितग्राहियों को आय का अतिरिक्त स्त्रोत उपलब्ध कराने एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु डेयरी ईकाई की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके तहत 2 दुधारू पशुओं की इकाई लागत राशि रूपये 1.40 लाख पर सामान्य एवं पिछड़ा प्रवर्ग के हितग्राहियों को 50% तथा अ. जा./अ.ज.जा. प्रवर्ग के हितग्राहियों को 66.6% की दर से अनुदान प्रावधानित है। योजनांतर्गत हितग्राही द्वारा इकाई को बैंक ऋण के माध्यम से (बैंक लिंकेज) या स्वयं की पूंजी (स्ववित्तीय) से कियान्वित किया जा सकेगा।
राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजनांतर्गत वर्श 2023-24 में राशि रू. 1000.00 लाख आबंटन में से 1230 नवीन डेयरी इकाई स्थापना हेतु कुल राशि रूपये 976.14 लाख का अनुदान हितग्राहियों को प्रदाय किया गया है। वर्श 2024-25 में आबंटित राशि रूपये 1000.00 लाख में से माह सितम्बर 2024 तक 132 डेयरी इकाई स्थापना हेतु राशि रूपये 100.50 लाख का अनुदान हितग्राहियों को प्रदाय किया गया है।

7.21.19 मोबाईल पशु चिकित्सा इकाई केन्द्र प्रवर्तित योजना LH & DC के घटक ESVHD के
अंतर्गत मोबाईल वेटनरी यूनिट एवं काल सेंटर स्थापना हेतु केन्द्रांश 100% एवं संचालन हेतु केन्द्रांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 है। उक्त महत्वाकांक्षी योजना का प्रारंभ दिनांक 20 अगस्त 2023 से प्रारंभ किया गया है जिसके अंतर्गत वर्तमान में 163 मोबाईल पशु चिकित्सा इकाई का संचालन राज्य में किया जा रहा है। प्रत्येक मोबाईल पशु चिकित्सा इकाई में 01 पशु चिकित्सक एवं 01 पैरावेट तथा 01 ड्राइवर कम हेल्पर पदस्थ है। मोबाईल वेटनरी यूनिट इकाई का संचालन गौठानों में सुबह 8 बजे से 4 बजे तक रहता है। योजना अंतर्गत नवा रायपुर में कॉल सेंटर स्थापित किया गया है, संपर्क हेतु टोल फ्री नंबर 1962 उपलब्ध है। पशुपालक टोल फ्री नंबर पर कॉल कर, सेंटर में उपस्थित पशु चिकित्सको से चिकित्सा परामर्श एवं विभागीय योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते है। मोबाईल वेटनरी यूनिट के द्वारा योजना प्रारंभ से अब तक पशु चिकित्सकीय क्रियाकलापों में पशु उपचार 2110755 औषधि वितरण 1507183 कृत्रिम गर्भाधान 11084 बधियाकरण 100443 रोग परीक्षण 478751 टीकाकरण 1357818 का कार्य संपादन किया गया है।


मत्स्य विकास

छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन विकास काफी प्रगति पर है। राज्य में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से मछली पालन एक विशिष्ट स्थान रखता है, राज्य की भौगोलिक एवं कृषि जलवायु स्थितियां भी मछली पालन हेतु उपयुक्त है। मछली पालन अधिक आय, कम लागत और कम समय में सहायक धन्धे के रूप में ग्रामीण अंचलों में अत्यन्त लोकप्रिय है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की बेरोजगारी दूर करने का सशक्त एवं रोजगारोन्मुखी साधन है मछली पालन से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। साथ ही मछली जैसे पौष्टिक खाद्य का उत्पादन बढ़ाकर कुपोषण को दूर किया जा सकता है। राज्य शासन द्वारा इस व्यवसाय से जुड़े मछुआरों के हित में अनेक कल्याणकारी निर्णय लिये गये है तथा उनका लाभ भी अधिक उत्पादन के रूप में परिलक्षित होने लगा है।
छत्तीसगढ़ राज्य में निम्नानुसार मत्स्य विकास किया जा चुका है:- संसाधन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 2.032 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है जिसमें से 1.976 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन अन्तर्गत विकसित किया जा चुका है जो कुल जलक्षेत्र का 97.24 प्रतिशत है।

 


See also

References


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